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Angrej ka sawal. Muslim Auratein Hath kyu Nahi Milati?

Muslim Auratein Hijab kyu Karti aur Na Mehram se kyu nahi Hath Milati.

Islam Me kisse Hath Milana hai aur kisse Parda karna hai, kya Jo log parda Nahi karti sirf wahi Tarakki kar sakti hai?
ﻋﻮﺭﺕ ﺳﮯ ﮨﺎﺗﮫ ﻣﻼﻧﺎ
ﺍﯾﮏ ﺍﻧﮕﺮﯾﺰ ﻧﮯ ﻋﺎﻟﻢ ﺩﯾﻦ ﺳﮯ ﺳﻮﺍﻝ ﮐﯿﺎ :
ﺍﺳﻼﻡ ﻣﯿﮟ ﮐﯿﻮﮞ ﻣﺮﺩ ﺍﻭﺭ ﻋﻮﺭﺕ ﺟﻮ ﻧﺎﻣﺤﺮﻡ ﮨﯿﮟ ﺍﻥ ﮐﺎ ﮨﺎﺗﮫ ﻣﻼﻧﺎ ﺣﺮﺍﻡ ﮨﮯ؟
ﻋﺎﻟﻢ ﺩﯾﻦ ﻧﮯ ﺟﻮﺍﺏ ﺩﯾﺎ :
ﮐﯿﺎ ﺗﻢ ﻣﻠﮑﮧ ﺍﻟﺰﺑﺘﮫ ‏( ﻣﻠﮑﮧ ﺑﺮﻃﺎﻧﯿﮧ ‏) ﺳﮯ ﮨﺎﺗﮫ ﻣﻼ ﺳﮑﺘﮯ ﮨﻮ؟
ﺍﺱ ﺍﻧﮕﺮﯾﺰ ﻣﺮﺩ ﻧﮯ ﮐﮩﺎ :
ﯾﻘﯿﻨﺎ ﺍﯾﺴﺎ ﻧﮩﯿﮟ ﮨﮯ، ﮐﯿﻮﻧﮑﮧ ﻓﻘﻂ ﻣﺤﺪﻭﺩ ﺍﻭﺭ ﺧﺎﺹ ﻟﻮﮒ ﮨﯿﮟ ﺟﻮ ﻣﻠﮑﮧ ﺍﻟﺰﺑﺘﮫ ﺳﮯ ﮨﺎﺗﮫ ﻣﻼ ﺳﮑﺘﮯ ﮨﯿﮟ .
ﻋﺎﻟﻢ ﺩﯾﻦ ﻧﮯ ﮐﮩﺎ :
ﮨﻤﺎﺭﯼ ﻋﻮﺭﺗﯿﮟ ﺑﮭﯽ ﻣﻠﮑﮧ ﮐﯽ ﻃﺮﺡ ﮨﯿﮟ ﺍﻭﺭ ﺟﻮ ﻣﻠﮑﮧ ﮨﻮﮞ ﺗﻮ ﺑﯿﮕﺎﻧﮯ ﻣﺮﺩﻭﮞ ﺳﮯ ﮨﺎﺗﮫ ﻧﮩﯿﮟ ﻣﻼﺗﯿﮟ ....
ﭘﮭﺮ ﺍﺱ ﺍﻧﮕﺮﯾﺰ ﻧﮯ ﺳﻮﺍﻝ ﮐﯿﺎ :
ﮐﯿﻮﮞ ﻣﺴﻠﻤﺎﻥ ﻋﻮﺭﺗﯿﮟ ﺍﭘﻨﮯ ﺑﺎﻟﻮﮞ ﺍﻭﺭ ﺍﭘﻨﮯ ﺑﺪﻥ ﮐﻮ ﭼﮭﭙﺎﺗﯽ ﮨﯿﮟ ﺍﻭﺭ ﺣﺠﺎﺏ ﮐﯽ ﭘﺎﭘﻨﺪ ﮨﻮﺗﯽ ﮨﯿﮟ؟
ﺍﺱ ﻋﺎﻟﻢ ﺩﯾﻦ ﻧﮯ ﺗﺒﺴﻢ ﻓﺮﻣﺎﯾﺎ :
ﺩﻭ ﭨﺎﻓﯿﺎﮞ ﻟﯿﮟ، ﺍﯾﮏ ﭨﺎﻓﯽ ﮐﻮ ﮐﮭﻮﻻ ﺍﻭﺭ ﺩﻭﺳﺮﯼ ﮐﻮ ﻧﮩﯿﮟ ﮐﮭﻮﻻ ﻭﯾﺴﮯ ﺭﮨﻨﮯ ﺩﯾﺎ ، ﭘﮭﺮ ﺑﻌﺪ ﻣﯿﮟ ﺩﻭﻧﻮﮞ ﮐﻮ ﻣﭩﯽ ﻣﯿﮟ ﻣﻼﯾﺎ، ﺍﻭﺭ ﺍﺳﯽ ﺍﻧﮕﺮﯾﺰ ﮐﻮ ﮐﮩﺎ :
ﺍﮔﺮ ﻣﯿﮟ ﺁﭖ ﺳﮯ ﮐﮩﻮﮞ ﮐﮧ ﺍﻥ ﺩﻭ ﭨﺎﻓﯿﻮﮞ ﻣﯿﮟ ﺳﮯ ﺍﯾﮏ ﺍﭨﮭﺎﺅ ﺗﻮ ﺁﭖ ﮐﺲ ﮐﻮ ﺍﭨﮭﺎﺋﯿﮟ ﮔﮯ؟
ﺍﺱ ﺍﻧﮕﺮﯾﺰ ﻣﺮﺩ ﻧﮯ ﮐﮩﺎ :
ﻇﺎﮬﺮ ﺳﯽ ﺑﺎﺕ ﮨﮯ ﻣﯿﮟ ﺍﺳﯽ ﭨﺎﻓﯽ ﮐﻮ ﺍﭨﮭﺎﺅﮞ ﮔﺎ ﺟﻮ ﻟﭙﭩﯽ ﮨﻮﺋﯽ ﮨﮯ ﺍﻭﺭ ﻣﭩﯽ ﻣﯿﮟ ﺁﻟﻮﺩﮦ ﻧﮩﯿﮟ ﮨﮯ ....
ﻋﺎﻟﻢ ﺩﯾﻦ ﻧﮯ ﺟﻮﺍﺏ ﺩﯾﺎ :
ﯾﮧ ﺩﻟﯿﻞ ﮨﮯ ﮐﮧ ﮨﻤﺎﺭﯼ ﻋﻮﺭﺗﯿﮟ ﮐﯿﻮﮞ ﺣﺠﺎﺏ ﮐﺮﺗﯽ ﮨﯿﮟ .

अल्लाह ने सबको बता दिया है कि औरत का बहुत ज्यादा रुतबा है और उसी पर्दे का हुक्म इसलिए दिया है कि उसे देखकर गैर मर्दों की नियत ना खराब हो और उनका इमान ना खराब हो और वह गुनाह (जहन्नुम ) से बच सकें क्योंकि नाही कोई मर्द खूबसूरती को देखेगा नहीं वह गुना की ओर बढ़ेगा यह भी एक खास वजह है लोगों को गुनाहों से बचाने की वैसे हिजाब में लड़कियां और भी ज्यादा खूबसूरत लगती हैं क्योंकि खुली हुई चीज पर कोई ध्यान नहीं देता और कुछ ज्यादा तवज्जो भी नहीं देता जो चीज छुपी होती है हर कोई उसे देखना चाहता है और उसका खास मुकाम होता है इसी तरह हिजाब पहनने वाली लड़की औरत को लोग इज्जत की नजर से भी देखते हैं और अल्लाह भी उनसे खुश रहता है
 वैसे भी हिजाब में कोई भी निहायत ही खूबसूरत दिखती है, जो आम हो फिर उसमे खास क्या है? सिर्फ औरत के लिए ही नहीं बल्कि मर्द के लिए भी पर्दे का हुक्म है और वह यह के मर्द अपनी निगाहें नीची रखे किसी ना मेहरम औरत पे नजर ना डाले अगर गलती से नजर पर जाए तो वह माफ है मगर जानबूझ कर किसी औरत को देखना गुनाह है। हिजाब में भी रहकर तरक्की किया जा सकता है, तरक्की दिमाग से होता है ना के कपड़े से, पर्दा करने वाली किसी सल्तनत की नहीं इसलाम की शहजादियां होती है, किसी मामूली और सस्ती लोगो के जैसा नहीं के जिसे हर कोई देखे, इज्ज़त बनानी पड़ती है तभी इज्ज़त मिलती है, सोच बदल लेने से भी जो हकीकत है वह अफसाना नहीं बनता, अगर कोई जाहिल अगर छोटा कपड़ा भी पहन ले तो कोई वह पढ़ा लिखा नहीं बन जाता और कोई हिजाब में अगर है तो ऐसा नहीं है के वह अनपढ़ है उसे कुछ आता जाता नहीं है। अगर कपरे उतारना ही फ़ैशन है तो नंगापन भी फ़ैशन ही है, लोग अगर अपनी मर्जी से नंगा रह रहा है और वही कोई अपनी मर्जी से हिजाब कर रही है तो इसमें किसी को इतना ज़लन क्यों हो जाता है, अपनी मर्जी तो दोनों का है फिर एक को सही एक को ग़लत क्यों?
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