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Ameen Dhire Bole Ya Tez Aawaj me Kaun Sahi?

Aameen Jyada Aawaj me Kahe ya Ander Hi Bolkar Rah Jaye?
आमीन ज़ोर से क्योँ कहना चाहिए
और ज़ोर से कहने का सवाब
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● अबू हुरैरह (रज़ि0) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया कि “ *जब इमाम आमीन कहे तो तुम भी आमीन कहो* क्योंकि जिसकी आमीन फ़रिश्तों की आमीन के साथ हो गयी तो उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाएंगे.”
📚(बुख़ारी ह0 780)
👉 इस हदीस से मालूम हुआ कि इमाम भी ज़ोर से आमीन कहेगा ताकि मुक़तदी उसकी आमीन सुन कर ख़ुद भी आमीन कहें.

● अली (रज़ि0) फ़रमाते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह ﷺ से सुना कि जब आपने ‘ वलज्ज़ाल्लीन ’ कहा तो फ़रमाया 'आमीन'.
📚(इब्न माजा ह0 854)

● वाइल इब्न हुज्र (रज़ि0) बयान करते हैं " *जब रसूलुल्लाह ﷺ  ' वलज्ज़ाल्लीन ' पढ़ते तो आमीन कहते और इसके साथ अपनी आवाज़ को बुलंद करते.*"
📚(अबू दाऊद ह0 932, तिरमिज़ी ह० 248)

● आइशा (रज़ि0) से रिवायत है कि नबी ﷺ  ने फ़रमाया " यहूदी तुमसे किसी चीज़ से इतना हसद (जलन) नहीं रखते जितना सलाम और आमीन से."
📚(इब्न माजा  ह0 856)
👉 इस रिवायत से पता चला कि यहूदियों को आमीन से नफ़रत थी. यह तभी मुम्किन है जब वो आमीन सुनते हों और यह भी तभी मुम्किन है जब आमीन ज़ोर से कही जाए, वरना मस्जिद के बाहर खड़े किसी शख़्स को कैसे मालूम होगा कि हमने कब आमीन कही?

● अबू हुरैरह (रज़ि0) फ़रमाते हैं “ जब रसूलुल्लाह ﷺ  सूरह फ़ातिहा की क़िराअत से फ़ारिग़ होते तो अपनी आवाज़ बुलंद करते और फ़रमाते आमीन.”
📚(सहीह इब्न हिब्बान ह० 1803)

● अता इब्न अबी रिबाह (रह0) ने कहा कि आमीन एक दुआ है और अब्दुल्लाह इब्न ज़ुबैर (रज़ि0) और उन लोगों ने जो आपके पीछे (नमाज़ी) थे इतनी ज़ोर से आमीन कही कि मस्जिद गूँज उठी और  अबू हुरैरह (रज़ि0) इमाम से कह दिया करते थे कि आमीन से हमें महरूम न रखना, और नाफ़ेअ (रह0) ने कहा कि अब्दुल्लाह इब्न उमर (रज़ि0) आमीन कभी नहीं छोड़ते थे और लोगों को इसकी तरग़ीब भी दिया करते थे. 📚(बुख़ारी बाब 111 के तहत)

अइम्मा-ए-किराम और उलमा हज़रात की गवाही
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⚪ अता इब्न अबी रिबाह (रह0) (जो एक ताबिई और इमाम अबू हनीफ़ा (रह0) के उस्ताद थे) इन अल्फ़ाज़ में शहादत पेश करते हैं " मैंने ख़ुद मस्जिदे हरम में इमाम के ' वलज्ज़ाल्लीन ' कहने के बाद 200 सहाबा को जोर से आमीन कहते हुए सुना."📚 (बैहक़ी 2/59)
⚪ शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी (रह0) फ़रमाते  हैं " जहरी नमाज़ (यानी जिसमे इमाम बुलंद आवाज़ से क़िराअत करे) में आमीन ज़ोर से कहना चाहिए."📚 (ग़ुन्नियतुत तालिबीन पेज 11)
⚪ अल्लामा इब्ने जौज़ी (रह0) फ़रमाते हैं “ किसी एक सहाबी का भी बुलंद आवाज से आमीन का इन्कार साबित नहीं है बल्कि इस पर उनका इज्मा है.”📚 (तोह्फ़तुल जौज़ी पेज 66)
⚪ शाह वली उल्लाह मुहद्दिस देहलवी (रह0) फ़रमाते हैं " इससे मालूम हुआ कि मुक़्तदी अपने इमाम की आवाज़ सुन कर ख़ुद भी आमीन कहे."📚 (हुज्जतुलाहिल बालिग़ह 2/7)
⚪ मौलाना अब्दुल हई लखनवी फ़रंगी महली (रह0) फ़रमाते हैं " अगर इन्साफ़ से पूछा जाए तो सच बात यह है कि  ज़ोर से आमीन कहने का मसअला दलील के लिहाज़ से ज़्यादा क़वी (मज़बूत) है."📚 (तअ़लीक़ुल मुमज्जद पेज 103)

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Salam karne Me Susti Karne wala Shakhs Kaisa Hai?
   ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ 
        السَّلاَمُ عَلَيكُم وَرَحمَةُ اللّٰهِ وَبَرَكَاتُهُ
       ☆▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬✒
Hadith: Salam mein bukhl Karne wala Sabse bada bakhil hai
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✦:Abu Huraira Radi Allahu Anhu se riwayat hai Rasool-Allah Sallallahu Alahih Wasallam ne farmaya logo mein Sabse bada Aajiz (bebas ya Majbur) wo hai Jo dua Karne se Aajiz ho aur salam mein bukhl Karne wala Sabse bada bakhil hai
Al-Silsila-As-Sahiha 262
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رسول اللہ ‌صلی ‌اللہ ‌علیہ ‌وسلم نے فرمایا لوگوں میں سب سے بڑا عاجز وہ ہے جو دعا کرنے سے عاجز ہو اور سلام میں بخل کرنے والا سب سے بڑا بخیل ہے۔
السلسلہ صحیحہ ٢٦٢ 
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✦: रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया लोगों में सबसे बड़ा आजिज़ (बेबस या मजबूर) वो है जो दुआ करने से आजिज़ हो और सलाम में बुखल करने वाला सबसे बड़ा बखील है
अल सिलसिला अस सहीहा  , 262
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✦: Abu Huraira Radi Allahu Anhu reported The Messenger of Allah  Sallallahu Alaihi Wasallam  said, Verily the most helpless of people are those unable to supplicate. The most miserly of people are those who are miserly with the greeting of peace.
Al-Silsila-As-Sahiha 262

     ☆▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬☆
Aye imaan waalo Allah ki itaat karo aur uske Rasool ki itaat karo aur apne Amalo ko Baatil na karo.

Jo Bhi Hadis Aapko Kam Samjh Me Aaye Aap Kisi  Hadis Talibe Aaalim Se Rabta Kare !
  🌹JazakAllah  Khaira Kaseera🌹

   ☆▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬☆

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