Pyar me Hosh Se Kam Lene Ke liye Hame Kitna Aqalmand Hona Chahiye?
Pyar me Hosh Se Kam Lene Ke liye Hame Kitna Aqalmand Hona Chahiye?
محبت اور نشے میں فرق کرنا سیکھیں، محبت میں عزت دی جاتی ہے نہ کے جسم سے کھیلا جاتا ہے؟
रात के 11 बजे हल्की-हल्की सी बारिश हो रही थी।
नग़मा अँधेरी स्टेशन पर बने ब्रिज के प्लेटफॉर्म न.4 पर खड़ी एक-टक पटरियों को देखती, पता नहीं क्या सोच रही थी और उसकी आँखे बारिश से भी तेज बरस रही थी.
इक्का दुक्का लोगों ने गुजरते हुए उसे देखा पर ये मुंबई शहर भागता है,यहाँ रुकना मना है।
प्लेटफॉर्म न.1 पर खड़े अंकल, नग़मा को कुछ देर से देख रहे थे और जब नग़मा का रोना बंद नहीं हुआ तो वो उसके पास गए।
अंकल ने नग़मा की तरफ पानी बढ़ाया पर नग़मा ने सिर हिलाकर मना कर दिया।
प्लेटफॉर्म न.1 पर खड़े अंकल, नग़मा को कुछ देर से देख रहे थे और जब नग़मा का रोना बंद नहीं हुआ तो वो उसके पास गए।
अंकल ने नग़मा की तरफ पानी बढ़ाया पर नग़मा ने सिर हिलाकर मना कर दिया।
अंकल ने नग़मा से रोने की वजह पूछा तो वो कुछ नहीं बोली और आँखे पोछने लगी ।
थोड़ा शांत हुई तो अंकल ने नग़मा से कहाँ "सुसाइड करने आयी हो?"
नग़मा कुछ नहीं बोली
थोड़ा शांत हुई तो अंकल ने नग़मा से कहाँ "सुसाइड करने आयी हो?"
नग़मा कुछ नहीं बोली
अंकल- "boy friend ने धोखा दिया?"
नग़मा ने सर नीचे कर लिया "अंकल हम 2 साल से साथ थे कुछ दिन पहले उसने अचानक सब तोड़ दिया"
अंकल- "अच्छा हुआ !"
नग़मा अंकल को घूरने लगी उसको अंकल की बात अच्छी नहीं लगी
अंकल- "अच्छा हुआ जो था वो अचानक हो गया,
और अब जो होगा वो अच्छा होगा"।
"तुम तो उस लड़के से 2 साल से प्यार करती थी पर तुम्हारे माँ बाप तो तुमसे 24 साल से प्यार करते हैं"
"तो किसका प्यार बड़ा हुआ?"
"बेटा अपने आप को अपने माँ बाप की जगह रख के सोचो तुमको प्यार और नशा में फ़र्क समझ आ जायेगा "
"प्यार तो तुम से तुम्हारे घर वाले करते हैं"
"और उस लड़के के नशे में पड़कर तुम अपनी जान देना चाहती हो !"
"यही अंतर है”
और अब जो होगा वो अच्छा होगा"।
"तुम तो उस लड़के से 2 साल से प्यार करती थी पर तुम्हारे माँ बाप तो तुमसे 24 साल से प्यार करते हैं"
"तो किसका प्यार बड़ा हुआ?"
"बेटा अपने आप को अपने माँ बाप की जगह रख के सोचो तुमको प्यार और नशा में फ़र्क समझ आ जायेगा "
"प्यार तो तुम से तुम्हारे घर वाले करते हैं"
"और उस लड़के के नशे में पड़कर तुम अपनी जान देना चाहती हो !"
"यही अंतर है”
नग़मा अंकल को देखने लगी
अंकल- "जाओ अपने घर जाओ"
रेलवे ब्रिज से उतरते वक्त एक भिखारी ने अपना हाथ नगमा के सामने फैलाया.
नगमा ने एक सिक्का निकाल कर भिखारी को दिया और ब्रिज से उतर गयी।
नगमा ने एक सिक्का निकाल कर भिखारी को दिया और ब्रिज से उतर गयी।
4 मिनट बाद नगमा फिर तेजी से ब्रिज की सीढ़िया चढ़के भिखारी के पास गयी और उसको गुस्से में अपनी अँगुली से अंगूठी निकल कर दे दी।
उसने अपने झोले से बहुत सारा समान, जो उसके boy friend ने दिया था सब निकलकर भिखारी को दे दिया और पलट कर जाने लगी
तभी पीछे से आवाज आयी "जान देने आयी थी!"
नगमा ने पलट कर भिखारी को देखा
"ये अंकल रोज़ आते हैं तुम्हारे जैसे कई बच्चों की इन्होंने जान बचाई हैं"
"इनके बेटे ने भी किसी लड़की के चक्कर में पढ़कर यहीं पर सुसाइड किया था"
"इनके बेटे ने भी किसी लड़की के चक्कर में पढ़कर यहीं पर सुसाइड किया था"
नगमा दूर से प्लेटफॉर्म पर खड़े अंकल को देख रही थी
उसने अपने झोले से एक चिट्ठी निकली और उसको पढ़ने लगी
"मेरी मौत की मैं ही ज़िम्मेदार हूँ.. . . नग़मा "
"मेरी मौत की मैं ही ज़िम्मेदार हूँ.. . . नग़मा "
नग़मा ने उस चिट्ठी को फाड़ कर वही कूड़ादान में डाल दिया और चली गयी।
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