Jayez Waseela Aur Na JAyez Waseela
हराम वसीलह और जायज़ वसीलह क़ुर्आन की रोशनी मे
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*( 1 ) क़ुलिद् उल् लज़ीना ज़अम्तुम मिन् दूनिही फला यम्लिकूना कश्फज़ ज़ुर्रि अन्कुम वला तह्वीला ( 56 )*
*ऊलाइकल्लज़ीना यद्ऊना यब्तग़ूना इला रब्बिहुमुल् वसीलता अय्युहुम् अक़्रबु वयर्जूना रह्मतहू वयखाफूना अज़ाबहू, इन्ना अज़ाबा रब्बिका काना मह्ज़ूरा ( 57 )*
कह दीजिए कि अल्लाह के सिवा जिन्हें तुम मअबूद समझ रहे हो उन्हें पुकारो लेकिन न तो वह तुमसे किसी तकलीफ को दूर कर सकते है और न बदल सकते हैं ।
जिन्हें यह लोग पुकारते है खुद वह अपने रब के तक़र्रुब की जुस्तुजू मे रहते है कि उनमे से कौन ज़्यादह नज़दीक हो जाय , वह खुद उसकी रहमत की उम्मीद रखते और उसके अज़ाब से खौफ ज़दह रहते है कि तेरे रब का अज़ाब डरने की चीज़ ही है ।
सूरह बनी इस्राईल सूरह नम्बर 17 आयत नम्बर 56-57 , पारह नम्बर 15
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नोट-हराम वसीलह वाली आयत जिन्नात को पुकारने के बारे मे नाज़िल हुई है , इसमे फरिश्तों को पुकारना ,फौत शुदह बुजुर्गों को पुकारना और हज़रते उज़ैर व ईसा अलैहिस्सलाम को पुकारना भी आ जाता है ।
दलील -सही बुखारी हदीस नम्बर 4714, 4859,4920,1597, सही मुस्लिम 1185 ( 2815 ) , 1631 ( 4223 ) ,मोता इमाम मालिक हदीस नम्बर 412 ( 410 ),
सूरह युनुस आयत नम्बर 18, सूरह यासीन् आयत नम्बर 23 ,,सूरह तौबह आयत नम्बर 31,सूरह कहफ आयत नम्बर 102, सूरह नह्ल आयत नम्बर 20-21, 86, सूरह इन्आम आयत नम्बर 100,सूरह हज्ज आयत नम्बर 73,, सूरह अल अन्कबूत आयत नम्बर 41,सूरह अल् अहक़ाफ आयत नम्बर 5,सूरह सबा आयत नम्बर 22-23 ,सूरह फातिर आयत नम्बर 13-14 ,22,सूरह अल ऐराफ आयत नम्बर 194,सूरह माइदह आयत नम्बर 116,सूरह रूम आयत नम्बर 52 ,
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*( 2 ) या अय्युहल्लज़ीना आमनुत्तक़ुल्लाहा वब्तग़ू इलैहिल्वसीलता वजाहिदु फी सबीलिही लअल्लकुम तुफ्लिहून ( 35 )*
मुसलमानों अल्लाह तआला से डरते रहो और उसका क़ुर्ब तलाश करो और उसकी राह मे जिहाद करो और ताकि तुम्हारा भला हो ।
सूरह माइदह सूरह नम्बर 5 आयत नम्बर 35, पारह नम्बर 6
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नोट -जायज़ वसीलह 3 तरह का है , ( 1 ) अपने नेक अअमाल का वसीलह, , ( 2 ) ज़िन्दह नेक बुजुर्ग की दुआ का वसीलह , ( 3 ) अल्लाह के इस्माअ व सिफात का वसीलह ।
दलील-सही बुखारी 2215 ,
सही बुखारी1010, सूरह बक़रह आयत नम्बर 68 , सूरह निसाअ आयत नम्बर 64 ,सूरह युसुफ आयत नम्बर 97
सूरह अल ऐराफ आयत नम्बर 180, सही बुखारी 7393 ,अबू दाऊद 1495,
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