क़ुरआन के 31 अहकाम
बिस्मिल्लाह हीर-रहमान नीर-रहीम
1. शिर्क से बचते हुवे सिर्फ अल्लाह की इबादत करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और अल्लाह की इबादत करो और उस के साथ किसी चीज़ को शरीक न बनाओ”(सौराह अन निसा: 36)
2. अल्लाह और उसके रसूल का हर हुक्म मन्ना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और अल्लाह और उसके रसूल की फरमाबरदारी करो ताके तुम पर रहम कियाजाये”(सौराह आल ए इमरान: 132)
3. पांच नमाज़ो को उन के वक़्त पर अदा करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “यक़ीनन नमाज़ ईमान वालों पर मख़सूस अवक़ात में फ़र्ज़ कर दी गयी है(सौराह अन निसा:103)
4. अगर मालदार हो तो उस की ज़कात अदा करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करते रहो और रुकू करने वालों के साथ तुम भी रुकू करो”(सौराह अल बक़रह: 43)
5. रमदान के रोज़ों का एहतेमाम करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “ए ईमान वालो: तुम पर रोज़े फ़र्ज़ कर दिए गए जिस तरह तुम से पहले उम्मतों पर फ़र्ज़ किये गए थे ताके तुम्हारे अंदर तक़वा पैदा हो जाये”(सौराह अल बक़रह: 183)
6. अगर माल दार हो तो हज करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और लोगों पर अल्लाह के घर का हज करना फ़र्ज़ कर दिया गया, उस शख्स पर जो उस के रास्ते (यानी सफर) की इस्तेताअत रखताहो”(सौराह आले इमरान: 97)
7. तहारत का खूब एहतेमाम करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “यक़ीनन अल्लाह तआला खूब तौबा करने वालों और पाक साफ़ रहने वालों को पसन्द करता है” (सौराह अल बक़रह: 222)
8. नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर सलात भेजना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “यक़ीनन अल्लाह और उसके फरिस्ते इस नबी (यानी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर सलात भेजते हैं लेहाज़ा ए ईमान वालो तुम भी उस पर सलात भेजो और खूब सलाम भी भेजते रहो”(सौराह अल अहज़ाब: 56)
9. दीन का इल्म हासिल करते रहना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और (ए नबी सल्लल्लाहुअलैहि वसल्लम) आप यूँ कहें: ए मेरे रब्ब, मेरे इल्म में और इज़ाफ़ा कर दे”(सौराह तहा: 114)
10. क़ुरान की तिलावत का एहतेमाम करना चाहिएअल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और क़ुरआन को ठहर ठहर कर (साफ़) पढ़े”(सौराह अल मुज़मनील: 4)
11. अल्लाह का ज़िक्र व शुक्र करते रहना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “लेहाज़ा तुम मेरा ज़िक्र करते रहो मैं तुम्हे याद करूँगा, और मेरा शुक्र करते रहो और नाहूकरी से बचते रहो”(सौराह अल बक़रह: 152)
12. अल्लाह से उम्मीद व खौफ के साथ दुआ करते रहना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “अपने रब से दुआ करते रहो, गिड़गिड़ा कर चुपके चुपके बेशक वो हद पार करने वालों को पसन्द नहीं करता”(सौराह अल आरएफ: 55)
13. दुसरो को दीन की दावत देना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “अपने रब की तरफ दावत देते रहो और मुशरिकीन में से न हो जाओ”(सौराह अल क़सस: 87)
14. सिर्फ हलाल रिज़्क़ कामना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “लेहाज़ा अल्लाह ने जो रिज़्क़ तुम्हे आता किया है, हलाल व तैय्यब उससे खाओ, और अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करते रहो, अगर वाक़ई तुम उसकी बंदगी करते हो” (सौराह अन नहल: 114)
15. वालिदैन से अच्छा सुलूक करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और हमने इंसान को अपने वालिदैन से अच्छा सुलूक करने की ख़ास ताकीद की है”(सौराह अल अंकबूत: 8)
16. फुकराह व मसकीन को उनका हक़ देना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और क़रीबी रिश्तेदारों को उनका हक़ दो, और मिस्कीन और मुसाफिर को भी और फ़ुज़ूल खर्च से बचो”(सौराह अल इसरा: 26)
17. नेक काम में एक दूसरे की मदद करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और नेकी और तक़वा के कामों में एक दूसरे की मदद करो और गुनाह और सरकशी के कामो में हरगिज़ एक दूसरे की मदद न करो”(सौराह अल मैदाह: 2)
18. अल्लाह से डरने और बुराई से बचने का एहतेमाम करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और (सफर के लिए अपना) ज़ाद-ए-रह साथ ले लो, और सब से बेहतरीन तोशा तक़वा है ए अक़ल वालो, मुझ से डरते रहो”(सौराह अल बक़रह: 197)
19.गुनाहों से तौबा करते रहना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “बस अपने रब से (अपने गुनाहों पर) इस्तग़फ़ार कर लो, फिर उसकी तरफ तौबा करो, यक़ीनन मेरा रब बड़ा रहम करने वाला, निहायत मुहब्बत करने वाला है”(सौराह हूद: 90)
20. दूसरों को माफ़ करने देना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “(ईमान वालो को चाहिए के वो) माफ़ कर दे और दरगुज़र करे, क्या तुम ये पसन्द नहीं करते के खुद अल्लाह तुम्हारी मग़फ़िरत कर दे और अल्लाह तो बड़ा मग़फ़िरत करने वाला रहम फरमाने वाला है”(सौराह अन नूर: 22)
21. बुराइयों के बदले भलाइयां करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और भलाई और बुराई दोनों बराबर नहीं हो सकते, तुम बुराई को ऐसी चीज़ से दफा करो जो उस से बेहतर हो”(सौराह फुस्सिलत: 34)
22. कंजूसी के बजाये सखावत करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “लेहाज़ा तुम में से जोईमान ले आएं और उन्हों ने (नेक कामों में) खर्च किया, उन के लिए बहुत बड़ा अजर है”(सौराह हदीद: 7)
23. तकलीफ पर सब्र करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और अगर तुम सब्र करो और तक़वा का एहतेमाम करो तो उन का मकर तुम्हे कोई नुकसान नहीं पोहचा सकेगा”(सौराह आले इमरान: 120)
24. तमाम हाजतों में अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और अल्लाह ही पर तवक्कुल (यानी भरोसा) रखें, और अल्लाह कामों के बनाने के लिए काफी है”(सौराह अल अहज़ाब: 3)
25. लोगों के साथ इन्साफ व अद्ल करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और ख्वाहिश के पीछे नचलो, वो तुम्हे अद्ल से रोक देगा”(सौराह अन निसा: 135)
26. खयानत के बजाये अमानतदारी का एहतेमाम करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “ए ईमान वालो, अल्लाह और उसके रसूल से हरगिज़ खयानत न करना, और न अपनीअमानतों में खयानत करना हालांकि तुम इल्म रखते हो”(सौराह अल अनफाल: 27)
27. दूसरों से किया हुवा वादा व अहद निभाना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और अहद (वादे) पुरे किया करो, अहद के बारे में (क़यामत के दिन) ज़रूरपूछ होगी”(सौराह अल इसरा: 34)
28. हमेशा सच बोलना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: ए ईमान वालो, अल्लाह से डरो, और सच्चो के साथ हो जाओ”(सौराह अत तौबा: 119)
29. आख़िरत की फ़िक्र और इस की तैयारी करते रहना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “ए ईमान वालो, अल्लाह से डरते रहो, और हर शख्स देख ले के उसने अपने कल (यानी आख़िरत) के लिए किया आगे भेज रख्खा है”(सौराह अल हशर: 18)
30. ज़मीन में फसाद पेहलाने से बचना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “और ज़मीन में फसाद की चाहत न कर, अल्लाह तआला फसाद करने वालों को पसन्द नहीं करता”(सौराह अल क़िसास: 77)
31. अल्लाह के दीन की मदद करना चाहिए
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: “ए ईमान वालो, अगर तुम अल्लाह की मदद करोगे तो अल्लाह भी तुम्हारी मदद करेगा और तुम्हारे क़दम जमा देगा”(सौराह मुहम्मद:7)
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