O kaun si Aarjooye Hai jiska Tajkira Quran Majeed Me Hua Hai?
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*❓सवाल:-* _*क्या आपको मालूम है कि वह कौन सी आरज़ुएं हैं जिनका तज़किरा क़ुरान मजीद में हुआ है?*_
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*✅जवाब:-✅* _*👇यह हैं वह आरज़ुएं जो मौत के बाद हासिल होना नामुमकिन हैं इसलिए ज़िन्दगी की इस्लाह बहुत ज़रुरी है*_
*(1)-* ऐ काश! मै भी उनके साथ होता तो बहुत बड़ी कामयाबी हासिल कर लेता।
*📚सूरह निसा:C:04/V:73*
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*(2)-* ऐ काश! कोई सूरत ऐसी हो कि हम दुनिया में फिर वापस भेजे जाएं और अपने रब की निशानियों को न झुठलाएं और ईमान लाने वालों में शामिल हों।
*📚सूरह अनआम:C:06/V:27*
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*(3)-* ऐ काश! मैंने अपने रब के साथ किसी को शरीक न ठहराया होता।
*📚सूरह कहफ़:C:18/V:42* ____________________________________
*(4)-* उस दिन ज़ालिम शख़्स अपने हाथों को चबा चबा कर कहेगा कि काश! मैंने रसूल (स.अ.व) का रास्ता अपना लिया होता।
*📚सूरह फ़ुरका़न:C:25/V:27*
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*(5)-* ऐ काश! मैं फ़लां शख़्स को दोस्त न बनाता।
*📚सूरह फ़ुरक़ान:C:25/V:28*
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*(6)-* ऐ काश! हमें एक मर्तबा फिर दुनिया में जाने का मौक़ा मिलता तो हम पक्के सच्चे मोमिन बन जाते।
*📚सूरह अश् शुआरा:C:26/V:102*
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*(7)-* ऐ काश! हमनें अल्लाह और उसके रसूल (स.अ.व) की फ़रमांबरदारी की होती।
*📚सूरह आहज़ाब:C:33/V:66*
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*(8)-* कमज़ोर लोग बड़े लोगों से कहेंगे अगर तुम न होते तो हम मोमिन होते।
*📚सूरह सबा:C:34/V:31*
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*(9)-* लोग अज़ाब देखकर कहेंगे कि काश! मुझे एक मौक़ा और मिल जाए तो मैं भी नेक अमल करने वालों में शामिल हो जाऊं।
*📚सूरह अज़-ज़ुमर:C:39/V:58*
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*(10)-* ऐ काश! मेरे और तेरे दरमियान मशरिक़ और मग़रिब की दूरी होती थू बड़ा बुरा साथी है।
*📚सूरह ज़ुख़रुफ़:C:43/V:38*
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*(11)-* ऐ काश! मुझे मेरा आमाल नामा न दिया जाता।
*📚सूरह हाक़्का:C:69/V:25* ______________________________________
*(12)-* ऐ काश! मैं मिट्टी होता।
*📚सूरह नबा:C:78/V:40*
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*(13)-* ऐ काश! मैंने अपनी (आख़िरत की) ज़िन्दगी के लिए कुछ किया होता।
*📚सूरह फ़जर:C:89/V:24*
*_💠अल्लाह हम सब की यह तमाम आरज़ुएं दुनिया में ही पूरी करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए_*
*🌷आमीन🌷*
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