Ye Tahreer Padhne Wale Tamaam Bahen,Betiyan Se Meri Ek Gujarish Hai ke Padhne ke Bad Ispe Amal Jarur Kare.
👉🏻तमाम बहन बेटी ये मान ले कि आपके भाई, आपके वालिद वह वाहिद मर्द ज़ात हैं जो आपकी एक ज़रा सी तकलीफ़ पर तिलमिला उठते हैं।
👉🏻उनकी इज्जत करो और तुम उनका गुरुर, मान, अभिमान हो उनका सम्मान करो
*👉🏻ना कोई आपको आपके भाई से ज़्यादा महफूज़ रख सकता है और ना ही कोई आपके बाप से ज्यादा मुहब्बत कर सकता है.*
👉🏻बाक़ी आप सिर्फ सर से दुपट्टा उतारो, ज़माना आपके तन पर पहना हर कपड़ा नोच निकालने के लिए तैयार बैठा है.
👉🏻ये सोशल मीडिया पर बैठे मीठे शैतान और जिन्नात आपकी सोच को निचोड़ खाने के लिए हरदम तैयार बैठे हैं.
👉🏻जो फेसबुक और वाट्स अप पर आपसे मीठी-मीठी बाते करके उल्लू बनाते हैं, वो भी सिर्फ मोके की तलाश मे रहते हैं.
*👉🏻इस मतलबी दुनिया में कोई मर्द किसी भी लड़की से सिर्फ एक ही ख़्वाहिश रखता है, उसके तन की.*
👉🏻सिर्फ एक भाई और आपके वालिद ही है, जो हर वक्त आपकी इज्जत की फिक्र करते हैं...
*👉🏻तुम्हें भी वास्ता है दीन का, भाई और बाप की इज्ज़त को पार्क और हाॅटेल पर नीलाम न करो.*
👉🏻सिर्फ आप एक बात को ध्यान मे रखे जब तुम किसी लड़के के साथ पार्क, होटल, मॉल, सिनेमा मे जाती हो तो अपने वालिद और भाई की इज्ज़त को तार-तार करती हो.
👉🏻आज के आशिक़ो के चक्कर मे हजारो बेटियाँ व बहने अपनी जिंदगी खराब कर बैठी हैं.
*👉🏻बाकी कभी कोठों पर बैठी तवायफों की कहानियां सुन ले वह भी झूठी मुहब्बत का शिकार हो कर यहा तक पहुँची है.*
👉🏻हर कोठे की असलीयत, आपको यह मिलेंगी, जो मां-बाप के ज़बर से बचने के लिए महबूब की पनाह में जाने के लिए घर से निकलीं थीं और अब किसीकी भी पनाह के क़ाबिल नहीं रहीं.!
*👉गैर मजहब के लड़के से शादी करने के बाद, आपके जिस्म को दोस्तों के हवाले करते है, फिर शुरु होता है, हाइ प्रोफाइल बिझनेस, इससे निकलना नामुमकिन है, आप अय्याशी का खिलोना बन जाती है, कहा फरीयाद करोगी।*
अपने तो अपने होते है
*मुसलमानों अपनी बिरादरी, अपना खानदान करते ना बैठो, लडके लडक़ीयों की उमरे बढती है, फिर हात से निकल जाती है। फिर बिरादरी को मुहँ दिखाने शर्म आती है,*
मुसलमान को मुसलमान मानलो, खानदान बिरादरी में बट मत जाओ! उंची खानदान और हलका खानदान, क्या यही है मुसलमान कि पहचान
*बन जाते है रिश्तेनाते जहाँ* *जिसका नशिब होता है*
*गैरोंका दामन पकडोंगे*
*तो अंजाम बुरा होता है*
उच निच गैरोंका रिवाज है
हमनें अपना रखा है
आज के जमाने में सात हजार में शादियां होती है, उसको फिजूल सात लाख खर्च करके, हम शैतान के भाई जरुर बनते है।
हमारा यह फिजूल खर्च करना, गरीब को कर्ज निकालने के लिए मजबूर कर देता है, शादियां बर्बादी का सबक बन रही है,
*इस रस्मों रिवाजों को बदलना आजके नौजवान लडक़ीयों और लडको कि जिम्मेदारी है।*
बचा हुआ पैसा अच्छे कामों में, फ्यूचर को बनाने, पढाई, कारोबार, के लिए लग सकता है, जिदंगी सवर सकती है।
*प्लीज़ शेयर टू आॅल मुस्लिम युथ जनरेशन*
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