*इस्लाम में पेट के बल सोने के लिए क्यों मना किया गया है, जानिए !!!*
इसमें कोई अचरज की बात नहीं कि जो कुछ भी आज विज्ञान खोजबीन कर रहा हैं और दुनिया को बता रहा हैं वो सब कुछ इस्लाम हमें कुरान और पेगम्बर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद (स•अ•व•) ﷺ के जरिए से 1400 वर्ष पहले ही बता चुका हैं। इस तथ्य को दुनिया के कई जाने माने वेज्ञानिको, इतिहासकारों और चिकित्सको ने सत्यापित भी किया हैं। ऐसा ही इस्लाम का एक तथ्य आज आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूँ और वो ये हैं कि इस्लाम ने अपने मानने वालों को ये नसीहत दी हैं कि वे “पेट के बल सोने से बचें” मतलब कि उल्टे न सोयें।
दरअसल ये बात लगभग 1400 वर्ष पहले की हैं जब एक बार पेगम्बर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद (स•अ•व•) ﷺ के घर कुछ मेहमान पहुंचे और एक रात वही ठहरें। रात में पेगम्बर ए इस्लाम मेहमानों को देखने के लिए उठे तो उनमें से एक व्यक्ति पेट के बल सो रहा था तो आपने उस व्यक्ति को जगाकर कहा कि पेट के बल सोना अल्लाह को पसंद नहीं हैं क्योंकि ये तरीका नर्क में सोने वालों का हैं। जब मैनें इस हदीस को पढ़ा तो अपने आप को रोक नहीं पाया और इसकी रिसर्च में जुट गया। मेरे मन में एक ही सवाल था कि पेगम्बर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद (स•अ•व•)ﷺ ने पेट के बल सोने से क्यों मना किया?
वैसे तो मैंने इंटरनेट पर इस सवाल से संबंधित कई रिपोर्ट और लेख पढ़ें लेकिन मुझे उन सब पर इतना विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जब मैंने अमेरिका के सबसे बड़े Chiropractic (एक चिकित्सा पद्धति) के Dr. Jan Lefkovitz की रिपोर्ट पढ़ने पर मुझे जवाब मिल गया कि क्यों इस्लाम पेट के बल सोने से मना करता हैं। दरअसल Dr. Jan Lefkovitz ने अपनी रिपोर्ट में लिखा हैं कि पेट के बल सोना सबसे खतरनाक सिद्ध होता हैं क्योंकि इससे हमारी (Spine) रीढ की हड्डी कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण हमारा तंत्रिका तंत्र असंतुलित हो जाता हैं और हमारी गर्दन और कमर में गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। और जो लोग ज्यादातर पेट के बल सोते हैं उन्हें आगे चलकर नींद न आने की बीमारी भी लग जाती हैं।
इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो पेट के बल सोना चाहेंगा। तो हमें गर्व होना चाहिए पेगम्बर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद (स•अ•व•) ﷺ पर कि जो बातें विज्ञान हमे आज बता रहा हैं वो ही बातें उन्होंने 1500 वर्ष पहले ही बता दी। आप से गुजारिश हैं अगर आपको ये लेख पसंद आये तो इसे दूसरों के साथ जरूर शेयर करें ताकि सभी को इस्लाम की वास्तविक शिक्षा की जानकारी मिल सके।
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