Nitish Kumar ne Pawan verma aur Prashant Kishore ko kyu Htaya apni party se?
Janiye Kaun hai Yah Prashant kishore aur Pawan verma.
जदयू पार्टी अब छोटे मोदी के हाथ में
एक वक्त था जब ऐसा माना जाता था कि प्रशांत किशोर जदयू पार्टी के लिए रीढ़ की हड्डी है, जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे प्रशांत किशोर उर्फ पी के ने 2014 के अंदर मोदी सरकार को विजय बनाने के लिए बहुत बड़ा रोल अदा किया था, लेकिन सत्य तो यह है कि राजनीति नाम है झूठ फरेब और धोखे का, जिस आदमी ने जदयू को इस ऊंचाई तक पहुंचाया के आज वह बिहार से बाहर अन्य राज्यों में भी अपने बल पर विधानसभा का चुनाव लड़ने की ताकत रखती है, उसी प्रशांत किशोर को एक झटके में ही पार्टी से बाहर कर दिया गया, लेकिन इसे नीतीश कुमार का व्यक्तिगत निर्णय मानना बड़ी भूल हो सकती है क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी अब उनके हाथ में नहीं रही बल्कि पार्टी की कमान अब छोटे मोदी संभाल रहे हैं, वैसे प्रशांत किशोर को जो नहीं जानते उन्हें मैं बता दूं कि प्रशांत किशोर एक राजनीतिक रणनीतिकार हैं, उन्होंने भारतीय राजनीति में आने से पहले 8 साल तक संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया है,भारत आने के बाद उन्होंने मोदी सरकार को राजनीतिक स्तर पर काफी मजबूत किया,2018 के एक इंटरव्यू में करण थापर ने पवन वर्मा का हवाला देते हुए कहा था कि प्रशांत किशोर ने करण थापर और नरेंद्र मोदी का प्रसिद्ध इंटरव्यू उन्हें 30 बार दिखाया था ताकि इसके द्वारा वह उनकी ट्रेनिंग कर सकें, वैसे पवन वर्मा की चर्चा चल पड़ी है तो उनके बारे में भी बता दूं कि जदयू ने पार्टी से उन्हें भी बर्खास्त कर दिया है, पवन वर्मा भी जदयू पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे,वह भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी और नेहरू सेंटर लंदन के डायरेक्टर रह चुके हैं, वर्तमान में वह जदयू पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे, लेकिन काले कानून यानी सी ए ए और एनआरसी का विरोध करने के कारण दोनों दोनों विद्वानों को बर्खास्त कर दिया गया, ऐसे में प्रश्न यह उठता है के क्या जदयू भी बीजेपी की तरह केवल अज्ञानी और दोषियों को पार्टी में रखना चाहती है और पढ़े लिखो को पार्टी से बाहर करना चाहती है, और क्या पार्टी समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और एकात्म मानववाद की विचारधाराओं पर काम नहीं करेगी,
हाफिज अब्दुस सलाम नदवी
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