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NRC aur CAB kya hai Hindi Me Puri jankari ke Sath Padhe?

NRC aur CAA kya hai Iski jarurat kyu pari?

NRC aur CAA Lane ka kya maqsad hai?

India Me Jinke Pas Proof nahi hai kya wah yaha nahi rak sakte?

Kya Hindu, Sikh, Christian aur Baudh Jain ki Tarah Muslim ko Yaha ki Shahriyat nahi milega aur kya Musalman Bharatiya nahi hai?

Yah CAA aur CAB me kya Fark hai?

NRC (National Register Of Citizenship)
CAB  (Citizen Amendment Bill)
CAA  (Citizen Amendment Act)
NPR   (National Population Register)
संसद में CAB और NRC दोनो बिल पास हो चुके है जोकि कुछ समय बाद लागू भी कर दिया जाएगा, हमारा समाज सड़को पर निकाल कर इन बिलो के खिलाफ प्रोटेस्ट भी कर रहा है , लेकिन आज हममें से बहुतों को इस बात का बिल्कुल भी इल्म नही है के आखिर यह CAB और NRC है क्या?
यह क्यों लागू हुए ? और इससे बचने का तरीका क्या है ? तो मैने आप लोगो को समझाने के लिए यह थोड़ी सी कोशिश की है लेकिन मेरी यह मेहनत कामयाब तभी होगी जब आप इसे पढ़कर इसपर अमल करेंगे । हमारे मुल्क की आधी आबादी नही जानती है के आखिर यह क्या बला है ख़ासकर मुस्लिम समुदाय तो बिल्कुल नही जानता है, अगर इसे कम लफ्जो में किसी को समझाना हो तो उसको इस तरह बता दो.!
आसाम में NRC लागु हुई वहाँ लगभग 19 लाख लोगो के पास भारतीय होने के प्रमाण पत्र नही मिले, वे अपने आप को साबित नही कर पाए जिनमें से 14 लाख से ज्यादा हिन्दू है और 5 लाख के करीब मुसलमान है ! अब उन 19 लाख लोगो में से 14 लाख लोगो को दुबारा से भारत मे रहने के लिए जो पेपर बनाएं जा रहे है उसी का नाम "CAB" है, बाकी 5 लाख मुसलमानो को डिटेंशन सेंटर (यातना ग्रह) भेजने और उनके पेपर न बनाने का नाम CAB है, अब जब NRC पूरे देश मे लागू होगी तो इसी तरह 25 करोड़ मुसलमानो में अगर 1 करोड़ मुसलमान भी अपने आप को भारतीय साबित करने में नाकाम होते और साथ ही 10 करोड़ गैर मुस्लिम यानी हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन, बौद्ध; अन्य; भी नाकाम होते है तो, उनको भी आसाम की तरह डिटेंशन कैंप; बनाकर रखा जाएगा.!
जहां बाद में CAB के चलते मुसलमान को छोड़ बाकी सभी धर्म वालो को दुबारा से भारत मे रहने और उनको नागरिकता दिए जाने का नाम CAB है.
आइये अब थोड़ा तफसील से समझते है
CAB का मतलब होता है सिटिज़न अमेंडमेंट बिल ( नागरिकता संशोधन बिल) अब जब CAB लोक सभा और राज्यसभा में पास कर दिया गया है और साथ ही राष्ट्रपति की भी अनुमित मिल गई है तो अब CAB ही CAA बन गया है यानी जो पहले बिल था अब कानून बन गया।
CAA (Citizen Amendment Act) का फुल फॉर्म सिटिज़न अमेंडमेंट एक्ट है, क्यों के अब यह कानून बन चुका है इसलिए सिटिज़न अमेंडमेंट बिल यानी CAB (Citizen Amendment Bill) से सिटिज़न अमेंडमेंट एक्ट यानी ( नागरिकता संसोधन विधेयक ) बन गया और इसे CAA का नाम दिया गया है।
CAB य CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अगानिस्तान के अल्पसख्यकों को भारत की नागरिकता दी जायेगी। इस बिल में सिर्फ हिन्दू, जैन, सिक्ख, पारसी और ईसाई धर्म; के लोगो को शामिल गया है और इन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त करने के नियमो में छूट दी जायेगी। यदि इन धर्मो के लोगो को इन तीनो देशों में धर्म के नाम पर उत्पीड़न का सामना करना पढ़ रहा हो तो इस CAA के तहत उन्हें भारत की नागरिकता दी जायेगी। मुसलमान यानी इसलाम धर्म को इसमें शािमल नही किया गया है, कारण बताया गया के इन तीनो देशों में मुसलमान अल्पसंख्यक नही बल्कि मुस्लिम बाहुल्य देश है। CAB य CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध, पारसी और इसाईयो  को जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए है उनको भारत की नागरिकता दी जायेगी।
अब समझते है NRC क्या है?
NRC, CAA, CAB, NPR ki Haqeeqat
NRC, NPR, CAA, CAB kya Hai
 
NRC (National Register of Citizenship) का फुलफॉर्म होता है नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ) यानी नेशनल रजिस्टर ओफ सिटिज़न ओफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है , जिसका मकसद इंडिया में जो भी बाहर के लोग है उनकी पहचानकर उनको बाहर करना या डिटेंशन सेंटर भेजना है। फिलहाल इसे इंडिया के आसाम राज्य में लागू किया गया है जिसमें लाखो लोग NRC से बाहर हो गये है ।अब जो भी मुसलमान अपनी नागरिकता साबित नही कर पायेगा, उसकी सभी चल अचल सम्पत्ति पर यानी घर, मकान, गाड़ी, घोड़ा, बैंक- बैलेंस यह तमाम चीजे अब आपकी न होकर सरकार की हो जायेगी और आपको मौत आने तक डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जायेगा जिसे आप दुनिया का जहन्नुम भी कह सकते है। आज हमारे साथ वाकई धोखा हुआ है, जब हमारे बुजुर्ग 1947 के बाद ही भारत छोड़कर जा रहे थे तब गांधी जी और तमाम लोगो ने कहा था, के ये देश तुम्हारा है यहां के लोग तुम्हारे है कही मत जाओ....और आज जब हमने इसे अपना लिया देश को "परमाणु" जैसे ताक़तवर हथियार दे दिए, वीर अब्दुल हमीद जैसे लोगो ने कुर्बानी दी, असफाक अल्लाह खान जैसे स्वतंत्रता सेनानी दिए, मौलाना आजाद जैसे विद्वान दिए, चीन से जंग के वक़्त जब भारत दिवालिया होने की कगार पर था तो हैदराबाद के निजाम ने भारत सरकार को 5 टन सोना दिया था , और आज हमें ही यहां से निकला जा रहा है !आज हमारी ही नागरिकता पर सवाल खड़े किए जा रहे, आज हमारी देश प्रेमी पर उंगली उठाई जा रही है । दोस्तो मुल्क अज़ीज़ हिन्दुस्तान के हालात जितनी तेज़ी के साथ ख़राब से ख़राब तर होते जा रहे है उसे बयान करने या उसपर तब्सिरा करने की अब जरूरत नहीं है।
हम बहुत अच्छी तरह जानते हैं के ये हालात कुछ अचानक हमारे सामने नही आ गए हैं। ये हालात नतीजा है एक सोची-समझी स्कीम का, मुस्तकिल की जानेवाली साजिशों और मंसूबा बंद  तरीक़े से इसलाम और मुसलमानो के खिलाफ मुआशरे (समाज) में घोले जा रहे ज़हर का। ये भी एक हक़ीक़त है कि करने के असल काम से फ़ोकस हटाकर हम ख़ुद भी बातिल के उन मंसूबों को कामयाब होने का मौक़ा देते चले आ रहे हैं।
जो नाज़ुक हालात आज हमारे सामने हैं इनकी तरफ़ अहले-दानिश एक अरसे से तवाज्जो दिलातेे चले आ रहे थे लेकिन हमने कही तो उनको नजरअंदाज और कही उनको हिकारत से देखा और मिल्लत की इसलाह व सुधार का काम, उनके अंदर मक़सद और नसबुल-ऐन की रूह फूँकने का काम आज तक अधूरा पड़ा हुआ है, जिसकी तरफ़ आज भी कम ही तवाज़्जों दी जा रही है। बहरहाल आज सूरतेहाल इंतेहाई नाज़ुक हो गई है और जिन मुसलमानो ने हिन्दुस्तान को अपना मुल्क अपनी मर्ज़ी से चुना था अब उसी मुल्क में उसे ही अपनी शहरियत साबित करनी होगी। इस शहरियत को बाल से ज्यादा बारीक और तलवार से ज्यादा तेज़ पुल सेरात पर से गुज़रकर ही साबित किया जा सकता है। इस पुल सिरात पर से वही लोग गुज़र पाएँगे जो या हिन्दू  कौमियत मे ज़म हो चुके होंगे या इस मुल्क में दोयम दर्जे के शहरी बनकर गुलामों से भी बदतर ज़िन्दगी गुज़ारने पर आमादा हो चुके होंगे, बाक़ी सब कट कटकर डिटेंशन सेंटर नाम के जहन्नुम में जा गिरेगे जहाँ से निकलने के लिए वो आवाज़ लगाएँगे लेकिन उनकी आवाज़ न तो हुकुक-ए- इंसानी के दफ्तर में सुनी जाएगी और न हरमे-काबा में;
सियाह रात नही लेती नाम थमने का
यही है वक़्त सूरज तेरे निकलने का।
फिर सवाल वही है कि अब हम सब को करना क्या चाहिए?
जिसका जवाब सीधा-सीधा एक तो ये है कि सबसे पहले  इस बात का पक्का इरादा करना होगा कि कुछ भी हो जाए हम NRC के लिए अपने कागजात हरगिज नहीं जमा करेंगे। आप हमें जेल में डालिए हम अदालत में अपनी नागरिकता साबित करेंगे लेकिन आपको नही बताएंगे, हमारे ही वोटो से सरकार बनाने वाले वो लोग हमसे नागरिकता मांग रहे है जिनके बुजुर्गो ने अंग्रेज़ो की गुलामी को मंजूर किया, हमारे लिए इससे बड़ी शर्म की बात कोई नही है, दूसरी बात मुसलमान अपनी हक़ीक़त को ख़ुद अपने-आपको और अपने नसबुल-ऐन को पहचान कर और क़ुरान को लेकर मैदान में आएँ। अपने किरदार और अख़लाक़ को क़ुरान के साँचे में ढालें, मस्लकी, फिरका परस्ती नस्ली और इलाक़ाई हर तरह की गिरे बंदियों से इज्तेमाई तौबा करके क़ुरान ओ हदीस की बुिनयाद पर एक उम्मत बने।
जहाँ तक मुमिकन हो अपने-आपको क़ौमी कश्मकश से दूर रखे और पूरी इंसानियत के लिए रहमत बनकर सामने आएँ और लोगो को दिखा दे की इसलाम निजाम-रहमत है और मुसलमान वो है जो पूरी इंसानियत का दर्द अपने सीने में रखते हैं। मगर ये काम बड़ा ही सब्र आज़मा है, इसिलये इसे करने के लिए वक़्त भी चाहिए और अजम व हौसला भी, जिसके लिए मुसलमानो की अक्सरियत और मुसलमानो की बड़ी-बड़ी जमातें तैयार नही। उन्हें लगता है की इस तरह काम करने से वो कभी कामयाब नही हो पाएँगे। उनको शॉर्ट टर्म कोई काम चाहिए जिसे वो हंगामा बाज़ी करके पूरा करना चाहते है सड़को पर उतरकर अपने ग़म व गुस्से का इज़हार करके अवाम की तवज्जो अपनी तरफ़ खीचंना चाहते है हालांकि ये सब नुस्खे भी कोई बहुत ज्यादा कारगर नही कहे जा सकते लेकिन फिर भी चुंके वक्ती तौर पर उम्मत पर एक मुसीबत का वक़्त है तो इस हालत में किसी भी काम को ग़लत ठहराना या उसकी मुख़ािलफ़त करना उम्मत के मजमूई कॉज़ को यानी उम्मत के इस वक़्ती शीराज़े को मुंतशिर करना है। लिहाजा ऐसे नाजुक हालात में हम तमाम एहतिजाज करने वालो का साथ दे और दूसरे तमाम लोगो को भी साथ देना चाहिए ,और आगे आना चािहए यह खामोश रहने का वक़्त नही है ,अगर अभी आप खामोश रहे , पुलिस या उसके डंडो से डर गए तो डिटेंशन सेंटर की ज़िन्दगी तो जहन्नुम जैसी है मेरे भाई , याद रखो जो कौम ज़ुल्म के खिलाफ आवाज नही उठाती वो लासे उठाती है लेकिन प्रोटेस्ट करते वक़्त हम इस बात को कभी न भूले जिस कौम को अल्लाह ने तमाम इंसानियत की रहबरी के लिए चुना है , लिहाजा प्रोटेस्ट शांति तरीके से करे , अगर पुलिस ज़ुल्म भी करती है मारती है तो भी खामोशी का मुजाहिरा करे और डटे रहे , यह सोचकर कि अगर आज हमने दो चार डंडे खा लिए तो डिटेंशन सेंटर के सैकड़ो डंडे खाने और जानवरो  जैसी ज़िन्दगी जीने से बच सकते है। अपने अखलाक के स्तर को कभी गिरने नहीं दे , मुसलमान हमेशा बा अखलाक होता है, पथरबाजी हरगिज न करे और न ही किसी सरकारी या गैर सरकारी चीज को नुकसान पहुंचाए, मुसीबत की इस घड़ी में हमारे हिन्दू भाई बराबर हमारा साथ दे रहे है इसिलए नारे वही लगाए जो आपको बताए जाए , शर पसंद लोग इस लड़ाई को हिन्दू मुस्लिम का रंग देना चाहते है इसिलए नारे तकबीर जैसे नारे लगाना उनकी इस सोच को कामयाब बनाने में मददगार साबित हो सकते है । सबको साथ लेकर चले और अगर कोई बदतमीजी करता दिखे तो उसे खुद समझाए। मुसीबत की इस घड़ी में लोग वक़ती तौर पर जो क़दम भी उठा रहे है हम उनके हर जायज़ क़दम को सराहते है और दुआ करते है की आपको इस काम को करते हुए अल्लाह सलामत रखे। इस मौक़े पर हम उन कामो की तरफ़ तवज्जो दिलाना चाहते है जो मुसीबत की इस घड़ी में वक्ति तौर पर अपनाए जा सकते है।
1. अल्लाह को हाजिर नाजिर जानकर इस बात का पुख्ता अहद करे की इस मुसीबत के टल जाने के बाद (जो की इंशा अल्लाह जल्द टल जाएगी) अपने करने के असल काम से ज़रा भी ग़फ़लत नही बरतेंगे बल्के असल काम पर ख़ास फ़ोकस रखेंगे और अपने वक़्त और सलाहियतो का बेश्तर हिस्सा इसी काम में लगाएँगे की इस काम के बग़ैर हम पर से और तमाम इंसानों पर से मुसीबत हरिगज़ टलने वाली नही है।
2. CAB NRC में इंसानी हुकूक (Human Rights) की खिलाफवर्जी करनेवाली हर शिर्क की सिर्फ मुखालिफत ही नही करेंगे बल्के इनका मुकम्मल बॉयकॉट करेंगे, यानी अपनी शहरीयत को साबित करने के लिए अब तक के जो दस्तावेज़ हमारे पास है (आधार, वोटर ID और पासपोर्ट वगैरह) उनके अलावा कोई दस्तावेज जमा नही करेंगे। अगर हमारे भाई-बहन डिटेंशन सेंटर में जाते हैं तो पूरी की पूरी उम्मत को इसके लिए तैयार किया जाएगा कि हम सब एक साथ रहेंगे यानी हदीस की उस बात को अपने अमल से साबित करेंगे के हमारा ताल्लुक आपस में एक जिस्म के जैसा है कि किसी एक को भी तकलीफ़ होगी तो हम सब उसे महसूस करेंगे।
3. प्रोटेस्ट के दौरान पीसफ़ल रहेंगे मुल्क के इंसाफ पसंद लोगो को अपने साथ लाने की कोशिश करेंगे और साथ ही साथ इस बात से भी चौकन्ना रहेंगे के कोई शरारती आपकी बे तवाज्जही का नाजायज़ फ़ायदा न उठाने पाए।
4. किसी भी वजह से पुिलस अगर ज़ुल्म करे तो उसपर सब्र का मुज़ािहरा करे अपनी तरफ़ से कोई इंतेकामी कारवाई न करे और इस्लाम की इंसानी इकदार पर मुनबी तालीमात का ख़याल रखे। इस बात पर बे- इंतेहा खुशी हुई के कल पुलिस जब जुल्म कर रही थी तो उसमे एक पुलिस वाला भी जख्मी हो गया तो मुस्लिम नौजवानो ने उसे अपना दुश्मन जानकर तड़पते हुए नही छोड़ दिया बल्के उसे हॉस्पिटल तक पहुंचाया।
5. अगर आपका दोस्त, आपका पड़ोसी, आपका जानने वाला या आपका उस्ताद जहां आप पढ़ने जाते है आपसे आकर कहे की मोदी जी ने भाषण में साफ साफ कह दिया है किसी के साथ अन्याय नही होगा , न तो कोई कही डिटेंशन सेंटर है और न ही NRC लागू हुई है इसिलये अब खामोश हो जाओ , तो समझो वो शख्स बिक चुका है आपका दोस्त हरिगज नहीं है, बल्के कौम का गद्दार है, आप उसे भी समझाए और आप किसी भी बात की जानकारी के लिए अपने इलाके के दानिशवर और फिक्रमंद लोगो से और ख्याल रखे के चाहे कितना भी वफादार दोस्त क्यों ना हो मगर फिर भी इस मुआमले में एहतियात के साथ किसी मुस्लिम भाई से ही जानकारी हासिल करे, खवाह क्यों न आपका बहुत ही गहरा दोस्त हो मगर इस मसले पे अपने मोमीन भाई से ही जानकारी हासिल करे, या इमाम साहब से मालुम करे के हकीकत क्या है और जब तक वो न कह देते है तब तक अपना ऐतजाज और विरोध जारी रखे, जिस दिन सरकार इस बिल को वापस लेगी हम खुद आपको ऐलान कर बताएंगे के हुकूमत ने बिल वापस ले लिया है अब शांत हो जाओ, तब तक किसी की भी बात पर यकीन न करें, पूरे मुल्क का पढ़ा लिखा नौजवान.सड़को पर है वो बेवकूफ नही है।
6. इस मुसीबत के वक़्त भी मस्जिदें वीरान है ,तो पक्की नियत करे के अभी इसी वक़्त से पाँचो वक़्त मस्जिद को आबाद करेंगे यानी नमाजो की पाबंदी करेंगे ,और पहले जो गफलत हुई, सस्ती हुई उसके लिए अल्लाह से खूब रो रोकर तौबा करेंगे ,और मुकम्मल तौर पर दीन पर चलने की कोशिश करेंगे चाहे हमें कितनी ही दुश्वारी नजर आए , फालतू दोस्ती और चौक चौराहो पर बैठने से परहेज करेंगे, कितने अफसोस की बात है कि हम दीन के नाम पर जान देने को तो तैयार है लेकिन दीन पर अमल करने को तयार नही हैं, हम अल्लाह को तो मानते है मगर अल्लाह की नही मानते, हम क़ुरान को तो मानते है लेकिन क़ुरान की नहीं मानते , तो मेरे भाई पक्की नियत करे के अब ऐसा हरिगज नही होगा अल्लाह ने मुझे मुसलमान बनाया है तो मै नियत करता हू के अब मुसलमान बनकर ही रहेंगे और अल्लाह से दुआ है के जब मौत देना मुझे इमान पे ही मौत देना।
7. रातो को उठकर अल्लाह से मदद मागेंगे, अगर नमाज़ नही आती तो अभी से सीखेंगे, क़ुरान नही आता तो अभी से सीखेंगे , तस्बीह और दुआए अपने इमाम साहब से पूछकर उनका ज़िक्र करेंगे।
8. बात समझने की है मेरे भाई जिन्हें हम पूरी ज़िन्दगी गैर गैर कहकर अपनी दावती जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते रहे आज वही हम सब को पूरी तरह से गैर बनाने पर तुल गये है, क्यों के हालात तो अल्लाह की तरफ से आते है दुनिया के तमाम हाकिम तो महज कठपुतिलयाँ है। क्यों के हाकिमों का हाकिम तो अल्लाह है उसके बिना मर्जी के तो एक पत्ता भी दरख़्त से टूटकर नही गिर सकता। आज के यह हालात साबित करते है कि अल्लाह ने हमें जिस मकसद के साथ बरपा किया था हमने उस मकसद को ही भुला दिया, यह दीन हमारे पास अमानत है उन लोगो की जो कुफ्र और शिरक के दलदल में फंसे है हमें उन्हें उस दलदल से निकलने की जिम्मेदारी मिली है तो यह उनकी अमानत उन तक जरूर पहुंचना चाहिए। आज इस बात का हम पक्का अज़्म करते है ।
अल्लाह हम सबका हामी व नािसर हो।
तालिबे दुआ
अब्दुल रहमान
इस किताब/तहरीर को पढ़कर आगे भी पहुंचाए और अगर आप छपवाने की ताकत रखते है तो इस किताब/तहरीर को छपवाकर भी तकसीम करे और कौम को बेदार करे, यकीनन यह एक बड़ा काम है और अल्लाह आपको इसका बेहतरीन बदल देगा। इं शा अल्लाह 
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अल्लाह तू पूरे दुनिया के मुसलमानों को क़ुरान ओ सुन्नत पे चला, और उनके बीच की दूरियां, नफरतें और बुराइयों को ख़तम कर दे और एक जिस्म के जैसा बना दे, रब्बा तू मुसलमानों की हिफाज़त कर और उसे दीनी और दुनियावी मामलों में सबसे आगे रख, उसे अकले शरई अता कर, शीर्क ओ बिद्दात से पाक कर खालिस तौहीद पे चला, या अल्लाह एक मुसलमान के दिल को दूसरे मुसलमान भाई के लिए उल्फत, मोहब्बत और हमदर्दी रौशन कर और इत्तेहाद कायम कर। अमीन सुम्मा आमीन
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