قادیانیت کے رد میں اولیات اہل حدیث
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فتنہ قادیانیت 1891ء میں شروع ہوا ۔
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فتنہ قادیانیت 1891ء میں شروع ہوا ۔
1۔ مرزا غلام قادیانی پر سب سے پہلے کفر کا فتوی مولانا محمد حسین بٹالوی نے لگایا .
2۔ 1892ء میں قادیانی کے رد میں سب سے پہلے اعلاء الحق الصریح نامی کتاب ایک اہل حدیث عالم دین مولانا اسماعیل علی گڑھی نے لکھی .
3۔قاضی سلیمان منصورپوری جو اس وقت بائیس تیس سال کے نوجوان تھے ، نے اسی سال (92ء) مرزے کے رد میں غایت المرام لکھی جو اگلے سال شائع ہوئی.
4۔ مولانا ثناء اللہ امرتسری پہلے عالم دین ہیں جو 1903ء میں مرزا سے مناظرہ کے لیے قادیان میں گئے ، لیکن مرزا صاحب گھر سے ہی باہر نہ نکلے .
5۔مولانا عبد الحق غزنوی امرتسری پہلے بزرگ ہیں جنہوں نے مرزا قادیانی کو مباہلے کا چیلنج دیا .
6۔ قیام پاکستان کے بعد مرزائیوں کو اقلیت قرار دینے کا سب سے پہلے مطالبہ مولانا حنیف ندوی نے رسالہ الاعتصام 1949 ء کے ایک اداریے میں کیا ۔
مولانا حنیف ندوی صاحب کے قادیانیت پر لکھے گئے مضامین اور تحریریں ’’ مرزائیت نئے زاویوں سے ‘‘ کے عنوان سے مستقل کتاب میں چھپے ، اسحاق بھٹی صاحب کے بقول کتاب علم و ادب کا حسین مرقع ہے ، پڑھنے والا صاحب ذوق ہو تو اس میں قادیانی نفسیات جاننے کے ساتھ ساتھ ادبی فائدہ بھی اٹھا سکتا ہے .
( گزر گئی گزران ص 336- 337 )
7- مرزا قادیانی سے پہلا مناظرہ مولانا بشیر سہسوانی نے 1894ء میں دہلی میں کیا اور مرزا مناظرہ چھوڑ کر چلا گیا ۔ یہ مناظرہ بعد ازاں “ الحق الصریح “ کے نام سے طبع ہوا۔
8- پاکستان کے اولین عالم علامہ احسان الہی شہید تھے جنھوں نے مرزائیت پر سب سے پہلے عربی میں کتاب لکھی۔
( اولیات اہل حدیث، ص: 114 )
از حافظ خضر حيات ✍✍✍✍✍✍
कदीनियों के अस्वीकृति में हदीस अल-हादीथ
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फतेह कादरी 18 9 1 में शुरू हुईं।
1। मौलाना मोहम्मद हुसैन बटवी के व्यर्थ भाग्य में से पहला मिर्जा गुलाम कदरी लगाया गया।
2। 1892 में कादियानी के अस्वीकार में पहले ालाय हक ालसरीह नामी किताब एक अहले हदीस धर्मगुरू मौलाना इस्माइल अली गढ़ी ने लिखी।
3.काज़ी सुलैमान मनदरिपोरी जो तब बाईस तीस साल के युवा थे, ने इसी साल (92 ए) मरज़े के अस्वीकार में भरसक प्रयत्न ालमराम लिखी जो अगले वर्ष प्रकाशित हुई।
4। मौलाना साना अल्लाह अमृतसरी पहले धर्मगुरू हैं जो 1903 में मिर्जा से मुनाजरा को कादियानी में गए, लेकिन मिर्जा साहब घर से ही बाहर न निकले।
5. मौलाना अब्दुल-उल-हक गज़नवी अमृतसर पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने मिर्जा कदियानी को प्रतिस्पर्धा करने के लिए चुनौती दी थी।
6। पाकिस्तान की स्थापना के बाद मरज़ाईों को अल्पसंख्यक घोषित करने के पहले मांग मौलाना हनीफ नदवी ने पत्रिका ालातसाम सन् 1949 के एक संपादकीय में किया।
मौलाना हनीफ नदवी साहब के क़ादियानियत पर लिखे गए लेख और ग्रंथों 'मरज़ाईत नए कोण से' 'शीर्षक से स्थायी किताब में छिपा, इसहाक भट्टी साहब के अनुसार पुस्तक ज्ञान साहित्य के हुसैन मरकि है, पढ़ने वाला साहब स्वाद हो तो इसमें योग्यता मनोविज्ञान के साथ-साथ साहित्यिक लाभ भी हो सकते हैं।
(गुजरनवाला 336- 337 द्वारा उत्तीर्ण)
7- मिर्जा कादियानी पहला मुनाजरा मौलाना बशीर सहसोानी ने 1894 में दिल्ली में और मिर्जा मुनाजरा छोड़कर चला गया। बाद में इस बहस को "उल हक" नाम दिया गया था।
8- सभी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को शहीद किया गया था, जिन्होंने पहली बार अरबी में मेरिटिज्म पर एक पुस्तक लिखी थी।
(हदीस के विद्वान, ص: 114)
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फतेह कादरी 18 9 1 में शुरू हुईं।
1। मौलाना मोहम्मद हुसैन बटवी के व्यर्थ भाग्य में से पहला मिर्जा गुलाम कदरी लगाया गया।
2। 1892 में कादियानी के अस्वीकार में पहले ालाय हक ालसरीह नामी किताब एक अहले हदीस धर्मगुरू मौलाना इस्माइल अली गढ़ी ने लिखी।
3.काज़ी सुलैमान मनदरिपोरी जो तब बाईस तीस साल के युवा थे, ने इसी साल (92 ए) मरज़े के अस्वीकार में भरसक प्रयत्न ालमराम लिखी जो अगले वर्ष प्रकाशित हुई।
4। मौलाना साना अल्लाह अमृतसरी पहले धर्मगुरू हैं जो 1903 में मिर्जा से मुनाजरा को कादियानी में गए, लेकिन मिर्जा साहब घर से ही बाहर न निकले।
5. मौलाना अब्दुल-उल-हक गज़नवी अमृतसर पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने मिर्जा कदियानी को प्रतिस्पर्धा करने के लिए चुनौती दी थी।
6। पाकिस्तान की स्थापना के बाद मरज़ाईों को अल्पसंख्यक घोषित करने के पहले मांग मौलाना हनीफ नदवी ने पत्रिका ालातसाम सन् 1949 के एक संपादकीय में किया।
मौलाना हनीफ नदवी साहब के क़ादियानियत पर लिखे गए लेख और ग्रंथों 'मरज़ाईत नए कोण से' 'शीर्षक से स्थायी किताब में छिपा, इसहाक भट्टी साहब के अनुसार पुस्तक ज्ञान साहित्य के हुसैन मरकि है, पढ़ने वाला साहब स्वाद हो तो इसमें योग्यता मनोविज्ञान के साथ-साथ साहित्यिक लाभ भी हो सकते हैं।
(गुजरनवाला 336- 337 द्वारा उत्तीर्ण)
7- मिर्जा कादियानी पहला मुनाजरा मौलाना बशीर सहसोानी ने 1894 में दिल्ली में और मिर्जा मुनाजरा छोड़कर चला गया। बाद में इस बहस को "उल हक" नाम दिया गया था।
8- सभी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को शहीद किया गया था, जिन्होंने पहली बार अरबी में मेरिटिज्म पर एक पुस्तक लिखी थी।
(हदीस के विद्वान, ص: 114)
✍✍✍✍✍हाफिज खुजर हयात✍✍✍✍✍✍
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