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Mujra karne wali Auraten Muslim Auraton ki Aazadi ki baat karti hai?

Muslim Larkiyo ki Aazadi ko bat karne wale apne girebaan me dekhe.
Jo khud naukar bankar naukari karti hai wah Muslim Larkiyo ke Aazadi ki bat karti hai?

एक #मुसलमान_लड़की को इस बात का अद्राक होना चाहिए के वह आम नहीं है, उसकी खूबसूरती इतनी मामूली नहीं के हर कोई उसे देखे, वह इतनी सस्ती नहीं और ना इतनी मामूली है के उसे हर कोई इतनी आसानी से देखे, उसके #खूबसूरती के काबिल वहीं है जिसे #अल्लाह चुनेगा, वह कहता है पाक दामन मर्द पाक दामन औरतों के लिए और पाक दामन औरतें पाक दामन मर्दों के लिए, बद चलन मर्द बदचलन औरत के लिए और बद #औरत बद चलन #मर्द के लिए।
याद रखे जो आम है उसमे खास क्या है?
आम तो हर कोई होता है खास कोई कोई होता है। 

Kya Islam Halala ki Ijazat deta hai?
Shariyat ke mutabik talaq ka tarika.
halala karna aur karwana kaisa hai?
Tin talaq ka masala Quran-o-Hadees se.

Nikah Halala ki hurmat Nabi ﷺ Ki sahih ahadees se saabit hai.
_Abu Dawood me hadees marvi hai ke :_
*Nabiﷺ ne farmaya :
" Allah Ta'ala halala karne aur halala karwane wale par laanat kare "
Abu Dawood: 2076_
Is hadees ko Allamah Albani Rahimahullah ne sahih Sunan Abu Dawood mein sahih qarar diya hai.
Aur Sunan Ibn majah mein Uqbah bin Aamir Raziallahu anhu se marvi hai ke Nabi ﷺ ne farmaya :_
"Kya mein tumhe kiraye ya Aarayta liye gaye saandh (borrowed billy- goat) ke mutaliq na bataun?
Sahaba Kiram ne arz kiya : Kyun nahi Ai Allah Ke Rasool aap zaroor batayen ._
Toh Rasoolﷺ ne farmaya :
" Woh halala karne wala hai, Allah Ta'ala halala karne aur halala karwane wale par laanat kare "
Sunan Ibn Majah hadees number ( 1936 )
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وَإِنْ خِفْتُمْ شِقَاقَ بَيْنِهِمَا فَٱبْعَثُوا۟ حَكَمًۭا مِّنْ أَهْلِهِۦ وَحَكَمًۭا مِّنْ أَهْلِهَآ إِن يُرِيدَآ إِصْلَٰحًۭا يُوَفِّقِ ٱللَّهُ بَيْنَهُمَآ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ كَانَ عَلِيمًا خَبِيرًۭا.

*Agar tumhe miya biiwi ke darmiyaan aapas ki an-ban ka khauf ho to ek munsif mard waalo mein se aur ek aurat ke ghar waalo mein se muqarrar karo, agar ye duno sulaah karaana chahenge to Allah duno mein milaap kara dega, yaqinan Allah ta'ala pure ilm waala puri qabar waala hai.*

*English*
*And if you fear a breach between the two, then appoint judge from his people and a judge from her people; if they both desire agreement, Allah will effect harmony between them, surely Allah is Knowing, Aware.*
*(Qur'an - Surah An-Nisa, Verse 35)*
_____________________
وَلَا تَتَمَنَّوْا۟ مَا فَضَّلَ ٱللَّهُ بِهِۦ بَعْضَكُمْ عَلَىٰ بَعْضٍۢ ۚ لِّلرِّجَالِ نَصِيبٌۭ مِّمَّا ٱكْتَسَبُوا۟ ۖ وَلِلنِّسَآءِ نَصِيبٌۭ مِّمَّا ٱكْتَسَبْنَ ۚ وَسْـَٔلُوا۟ ٱللَّهَ مِن فَضْلِهِۦٓ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ كَانَ بِكُلِّ شَىْءٍ عَلِيمًۭا

*Aur us cheez ki aarzo na karo jis ke baayes Allah ta'ala ne tum mein se baaz ko baaz par buzrugi di hai, mardo ka us mein se hissa hai jo unhone kamaaya aur aurto ke liye us mein se hissa hai jo unhone kamaaya, aur Allah ta'ala se us ka fazal maango, yaqinan Allah har cheez ka jaanne waala hai.

*English*
*And do not covet that by which Allah has made some of you excel others; men shall have the benefit of what they earn and women shall have the benefit of what they earn; and ask Allah of His grace; surely Allah knows all things.
*(Qur'an - Surah An-Nisa, Verse 32)*

मगर अफसोस के आज मुस्लिम लड़कियां भी इन भेरचाल वाले लोगो के पीछे पीछे चल रही है, इन लड़कियों का रोल मॉडल कटरीना कैफ, और ज़िन्दगी का मकसद फेमिनिज्म के विचारधारा पे चलना और उसी का नकल करना बन चुका है.

वैसे ही कुछ अदाकारा अब आगे आते हैं अपने फायदे के लिए कुछ भी कहते हैं, उसे महिला सशक्तिकरण का नाम दिया जाता है। सबसे पहला बात यह है कि क्या हमारे पास सशक्त महिलाओं के नाम पर चंद अभिनेत्रियां ही क्यों हैं, की जो वो बोलेंगे वहीं महिला सशक्तिकरण का अखंड गीता कहलाएगा?
वे अपने शोहरत का इतना ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं के इसका जवाब नहीं और जो दिखता है वहीं बिकता है। औरतों की आजादी कह कर, फ़ैशन, मॉडर्न और आत्मनिर्भर एंपावरमेंट , जैसे बात कह कर खुद को महिला सशक्तिकरण की ठिकेदार समझती हैं। नौजवान जो उसके पीछे लगे रहते हैैं, उन्हें लगता है कि यही सशक्तिकरण होगा, यही आजादी होगी शायद। वे भी अपने आसपास न देखते हुए उसी धुन में लग जाते हैं। और फिर अपने तरीको को दकियानूसी, रूढ़िवादी, पुरानी सोच कह कर मजाक बनाया जाता है लेकिन उनकी ज़िन्दगी और हमारे ज़िन्दगी में ज़मीन आसमान का फर्क है, इसे अक्सर  लोग भूल जाता करते है।

एक लड़की है जो दो साल से दिल्ली में रह रही है  हाल ही में उसकी मां बाप रिश्तेदारों से फोन पे बात करते हुए बड़ा परेशान थे। उनकी लड़की को सिगरेट की आदत, एकदम छोटे छोटे कपड़े पहनने की, गाली देने की, नशा करने की आदत लग गई दिल्ली जा कर।  वे चाहते थे के मेरी बेटी पहले जैसी बन जाए वह वाहा इंजीनियरिंग की तैयारी करने गई थी लिहाजा में उससे बात करूं। मै बिल्कुल भी उससे बात नहीं करना चाहता था क्यों के आजकल कौन किसके बातों की कद्र करता है, जब घरवाले समझा कर परेशान हो गए तो मुझसे क्या फर्क पड़ने वाला है लेकिन फिर भी बात की। लड़की की आवाज एकदम अलग। एकदम बेबाक, निडर और इस तरह से बातें कर रही थी के मालूम हो रहा था कोई प्रियंका चोपड़ा बोल रही हो।

"i don't think what about others think"
i want to be a actres like priyanka chopra. She is my roll model
इसी तरह बात करते हुए उसने कुछ तकब्बुर वाले लफ्ज़ भी अपनी जुबान से निकाली, अंग्रेजी में इस तरह से गालियां देने लगी के मानो वह इसकी ट्रेनिंग ली हो, आज कल अंग्रेज़ी में गाली देने से कुछ लड़कियों को लगता है कि वो मॉडर्न बन गई हैं। उसको सिर्फ इतना कहना मैंने जायेज समझा के  " नशा करना, गालियां देना और अपने मां बाप को पढ़ाई के नाम पर धोका देना कोई एंपावरमेंट नहीं " अब उसके वालदैन को अफसोस करने और मायूस होने के अलावा बचा हो क्या था? अब उन्हें अपनी बेटी के तरबियत शर्मिंदगी हो रही थी के मैंने कैसा ना अहेल और ला परवाह गार्जियन हूं जो खुद अपनी बेटी की तरबियत सही से नहीं की।

उससे बात करते हुए एक बात बोली वह बहुत ही गौर व फिक्र करने वाली है।
  वो बोली प्रियंका चोपड़ा तो अपनी मां के साथ मिलकर सिगार पिती है, कितने शो में बिकनी कपड़े पहन कर आती है और फिर एक बिजनेस मैन से शादी भी कर ली जिसका नाम निक जोन्स है और प्रियंका चोपड़ा देश की सबसे सशक्त महिला है। यूनिसेफ वगैरह अनेक अंतर्जातीय संस्थान भी उन्हें चुना है अम्बेसडर के तौर पर। तो में पीली तो कौन सी ज़ुल्म कर दी?

अब उसकी रोल मॉडल प्रियंका चोपड़ा है, तो मुझे क्या लेना देना उसके कैरियर से, जब पूरी दुनिया अपनी मर्जी से चल रही है तो फिर जाने दो कौन किसे मना करने जाता है और किसे क्या लगा हुआ है जो किसी को सही और गलत समझा सके। आज हर कोई इतना होशियार हो चुका है के अच्छे बुरे की पहचान कर सकता है, उसके लिए क्या सही है और क्या ग़लत है वह अच्छी तरह से जानता है, दीन ए इसलाम इसके बारे में क्या कहता है किसी को क्या मतलब इससे।
प्रियंका चोपड़ा खुद कभी कहीं थी के उसे सिर्फ स्पर्म की जरूरत है मगर फिर वहीं एक्ट्रेस निक जोन्स से शादी की और अब उसे सच्चा प्यार भी बता रही है अब कोई उसे देख कर अपनी ज़िन्दगी गुजारे तो वह भी सिर्फ मर्द को स्पर्म के लिए इस्तेमाल करेगी फिर ....?
यह लोग खुद अपनी घर तो बसा ना सके और चले है दूसरो के आजादी की बात करने, कोई किसी का गुलाम नहीं होता सब अपने अपने हिस्से का काम करता है / करती है। अगर हर कोई अपना अपना फ़र्ज़ अदा करे तो फिर यह खुला और तलाक़ का मामला आएगा ही नहीं, दूसरो को अपने अंदरुनी मुअमले में दखल देने का मौका बिल्कुल भी ना दे, काफिरों का क्या उसका ना कोई तौर तरीका है ना कोई उसूल, जैसे जानवर करता है। जानवर जो चाहता है जैसे चाहता है, जहां  चाहता है वहीं अपनी मर्जी का करने लगता है। अब कुत्ता को ही देख लीजिए, उसके लिए कोई अपना घर, किचन, टॉयलेट, या बिस्तर है नहीं ना? तो उसे क्या है जहा भी चाहेगा वहीं शुरू हो जाएगा। जानवरो की शादी नहीं होती क्यों होगी? अब दोनों मेल और फीमेल आपस में शुरू से रह ही रहे है तो उसकी जो जिंसी ख्वाहिशात है वह तो पहले से ही पूरी हो रही है, नंगे रहना उसके लिए कोई कपड़ा भी आता है क्या? अब जब  हम भी वैसे ही करने लगेंगे ( अक्सर लोग तो कर ही रहे है) तो हम कुत्ते और कुत्तिया ना कहलाएंगे तो क्या एक सभ्य समाज का आदर्श पुरुष कहलाएंगे। जब कहीं बलात्कार होता है तो उस वक़्त लोग यह कहना शुरू कर देते है के हद्द हो गई, जानवरो से भी बदतरीन हरकत किया, शैतान भी ऐसे लोगो से पनाह मांगता है, ऐसे दरिंदे को फांसी पे लटका देना चाहिए वागैरह वगैरह। वैसे 1400 पहले से ही इसलाम में बलात्कारी और रेपिस्ट का तो सजा मुकर्रर है सर कलम कर दिया जाए।
मगर क्या बलात्कार और रेप यकायक होता है?
क्या ऐसे लोग इंग्लैंड से आते है?
और क्या इंग्लैंड और अमेरिका में बलात्कार नहीं होता?

दुनिया में सबसे ज्यादा बलात्कार यूरोपीय देशों में ही होता है, मगर वहां के लोगो को यह सब सुनते सुनते आदत बन चुकी है, इसलिए वहां कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। अगर जब खुद लोग बदलाव में लगे हुए है तो वहीं तब्दीली हो हो रही है, पहले इतना बलात्कार या रेप होता था? अब आप कहेंगे के पहले भी होता था मगर सब चुप हो जाती थी लेकिन अब आवाज उठा रही है, अभी के मुकाबले इतना बलात्कार पहले नहीं होता था बल्कि ना के बराबर था और ना इतना नंगापन था।
हर जगह हर किस्म के लोग मौजूद है समाज में।
बहुत सारे लोग सऊदी अरब मै रहते है उनसे पूछिए के वाहा कितने बलात्कार के हादसे पेश आते है? क्या वाहा भी इतना ही नंगापन है? क्या वाहा भी यही के जैसा छेड़छाड़ होता है और किडनैप कर लिया जाता है?
नहीं ना तो जब कोई कानून को नहीं मानता हो तो उसे और सख्त करने में ही हमारी भलाई है या लोगो को अपनी मर्जी करने देना चाहिए? कभी अभिवायक्ती की आजादी तो कभी नारीवादी सोच को लेकर।
क्या अमेरिका में बलात्कार नहीं होता और क्या वाहा की औरतें सशक्त और आत्मनिर्भर नहीं है?
क्या सिर्फ और सिर्फ इंडिया की ही औरतें सशक्त है?
अगर अमेरिका और इंग्लैंड में सशक्त रहते हुए भी उनका बलात्कार होता है तो अब कौन सा देश बाकी है?
अब यहां कुछ लोग कहेंगे के इसी से बलात्कारी को बढ़ावा मिलता है मगर मेरा मानना है के नहीं बलात्कार वाहा से बढ़ता है जब घर के सारे मेंबर एक साथ बैठ कर टीवी पे नंगापन वाली नजारा देखते है, सामने किस किया जा रहा हो  और एक दूसरे के हाथो में हाथ डालकर तो इससे किस की शहवत नहीं भड़केगी?
मगर "यह सब तो अब चलता ही है हर जगह" वाले जुमले कह कर बहुत आसानी से हजम कर जाए है अब उसके साथ जो बच्चा देखता है वह उसको हकीकत में आजमाना चाहता है फिर रियल लाइफ में उसी को दोहराया जाता है।
उम्र होने पे लोग शादी नहीं करते यह भी एक वजह है।

अब आत्मनिर्भर वालो के लिए
यह कैसी आजादी है जिसमें हमारी इज्जत तक महफूज़ नहीं?
हम कहने को तो कहते है के मै आत्मनिर्भर हू, सशक्त हू मगर क्या हमारी आत्मनिर्भरता इतना ही है के सिर्फ पैसे कमा लो और उसी पैसे के घमंड में, जवानी के जोश में हर चीज को पुरानी विचारधारा कह दो, अगर तरक्की ही करनी है तो क्या छोटा कपड़ा पहन लेने से अब्दुल कलाम जैसी बन जाएगी, कितने छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियां मिसाइल बनाई है, ड्रोन बनाई है चलो छोड़ो तुम्हे इस मुश्किल हालात में कोरोना वायरस से बचने के लिए ही कोई वैक्सीन बना दो, पूरी दुनिया को अभी इसकी जरूरत है, जहां एक तरफ लोग साइंस के आगे हर चीज का मजाक बना दिया करते थे तो आज यह कॉरोना वायरस को भी किसी साइंटिस्ट ने है बनाया होगा लैबोरेट्री में? मगर इतनी जल्द इसकी दावा नहीं निकाल सकी।
और ऐसे मुजरा करने वाली औरतें मुस्लिम लड़कियों की आजादी की बात करते है

हम अपना मायार जमाने से जुदा रखते है
हम तो महबूब भी महबूब ए खुदा रखते है।

लोग मुस्लिम लड़कियों की आजादी की बात करते है, जिन लोगो को जरा से भी क़ुरआन व हदीस का इल्म नहीं वह भी इसलाम पे उंगली उठाते है.... ऐसे  लोगो की उंगली काट लेनी चाहिए, जब तक के कोई दलील ना दे दे।
इसलाम में हलाला प्रथा, तीन तलाक़, लड़कियों को नकाब पहनना यानी पर्दा प्रथा जैसी कुप्रथा शामिल है वगैरह वगैरह।

कुछ इस तरह के सवालात  पूछे जाते है काफिरों के तरफ से खास कर वह इसमें शामिल है जिनकी मां बहन मुजरा करके इनकी परवरिश को हो।

जो लोग हलाला के बारे में बोलते है उन्हें पहले हदीस का मुताला कर लेना चाहिए तब ही उंगली उठानी चाहिए, ऐसे लोगो को पूरे मजमे में अगर साबित ना कर पाए तो चप्पल से मारना चाहिए ताकि गलत अफवाह फैलाने वाले को अपना अंजाम समझ लेना चाहिए। अक्सर फेसबुक, ट्विटर, कोरा, और वाट्सएप ग्रुप में कॉपी पेस्ट किए हुए मेसेजेस फॉरवार्ड किए जाते है। आए दिन लोग यह भी कहते है के हलाआला जैसी कुप्रथा को बहुत सारे मुस्लिम देशों में बंद कर दिया गया क्यों के यह एक रूढ़िवादी तरीका था और अब तो इंडिया में मोदी जी ने भी बंद कर दिया है इससे मुस्लिम महिलाओं का भला हुआ है। जो लोग बगैर रेफरेंस की बातें करता है शायद उसकी कोठे पे पैदाइश हुई होगी जिसके ना बात का सर है ना पैर है। इन लोगो को पैसे दिया जाता है ताकि इसलाम को बदनाम किया जाए, लोगो के दिलो में इसलाम से नफ़रत बैठा दे ताकि कोई भी शख्स इसलाम के बारे में जानने की ना कोशिश करे और ना जाने। यही लोग Islamophobia को बढ़ावा देते है और इसके बदले इन्हे पैसे मिलता है यही इनके आमदनी का जरिया है। इसलाम मजहब के बारे में जितना गलत फैलाव उतना ही ज्यादा पैसे पाओ। कभी इसलाम को आतंकवाद से जोड़कर, कभी 1400 साल पुरानी विचारधारा कह कर, कभी औरतों की आजादी और तीन तलाक़ का झूठा प्रोपगंडा फैलाया जाता है, यह एक साजिश है ताकि इसलाम ना फैले।
   मगर जिसे अल्लाह हिदायत दे दे उसे कौन मना कर सकता है?

क्या इसलाम हलाला की इजाज़त देता है?
क्या इसलाम में तीन तलाक़ जैसी कुप्रथा है?
इसलाम में तलाक़ का तरीका क्या है?
क्या इसलाम पसंद की शादी से रोकता है?
क्या मुस्लिम लड़कियां इसलाम में अपने मर्जी से शादी नहीं कर सकती?
इसलाम में पर्दा करने को क्यों कहा गया है?

सबसे पहली बात के इसलाम में हलाला जैसा कोई तरीका ही नहीं है, इसलाम में हालला को हराम बताया गया है, इसलाम के मुताबिक हालाला करना या करवाना हराम है। सिर्फ का देने से नहीं होता बल्कि उसकी दलील चाहिए हमे क्यों के अगर क़ुरआन व सुन्नत से साबित नहीं कर सकते हो तो किसी को भी बोलने का हक नहीं है और जब शरीयत से साबित ना हो तो फिर आप अपने मन से बनी बनाई बातें कर रहे है, मीडिया ने जो फैलाया वहीं आपने भी सुना और सुनी सुनाई बातों पे आ गए बहस करने, इससे इनकी सोच का पता चलता के यह कितने दानिश्वर है, यह इतने कमजर्फ है के साबित नहीं कर सकते मगर हां  अफवाह फैला सकते है क्यों के इसके बदले जो इन्हे पैसे मिलता, दूसरो की चाटुकारिता करके घर चलाने वाले मुस्लिम औरतों के हक की बात करते है।
यही लोग खुद को सशक्त, आत्मनिर्भर और आधुनिक के लेवल लगाती है। ऊंची ऊंची डिग्रियां है इनके पास मगर जब बात करते है तो बगैर दलील का, फिर तो कोई शराबी भी आकर किसी को यह बोल दे मै ही तुम्हारा बाप हू तो मान लेना चाहिए के इतने दिनों के बाद एक पापा कहने वाले तो मिल गए। हमे इससे क्या मतलब तुम कितनी आत्मनिर्भर, सशक्त और मॉडर्न हो, अगर तुम बिकनी कपड़ों में रह सकती हो तो मुस्लिम लड़कियां नकाब में क्यों नहीं?
क्या तुम्हे ही हक है अपनी मर्जी से जीने का?
तुम्हे अपनी आजादी का इस्तेमाल किसी दूसरे की आजादी खत्म करने का हक किसने दिया है?
यह तुम तय करोगी के मुस्लिम लड़किया क्या पहनेगी, कहा जाएंगी, किस तरह रहेंगी तुम्हारी इतनी औकात नहीं। जो खुद अपना वजूद खो बैठी हो  वह मुस्लिम औरतों के हक की बात करती है।
नकाब मुस्लिम लड़कियों की आन बान और शान है।
इसलाम ने मर्द और औरत दोनों को पर्दा करने को कहा है, मर्द अपनी निगाहें नीची  रखे , टखने से ऊपर पजामा पहने और किसी ना मेहरम औरत पे नज़र ना डालें, और औरतें अपनी जिस्म को छुपाए जो ना मेहरम है।
इसलाम में तलाक़ का मसला वैसा ही है जैसे सऊदी अरबिया में है।  कोई भी मुसलमान मर्द अपनी बीवी को 3 मरतबा तलाक़ बोलकर तलाक़ देना चाहे तो यह तलाक़ नहीं होगी, चाहे वह हजार और लाख बार ही क्यों ना कहे, क्युके तलाक़ एक मरतबा में हजार बार भी बोल देने से तलाक़ नहीं होती और हलाला वाला सिस्टम इसलाम में नहीं है मगर जिन मुस्लिमो को इसकी जानकारी नहीं है उसे कठमुल्ला लोग ऐसा करने को कहते है जो के हराम है, तो इसमें इसलाम की गलती नहीं बल्कि उन मौलवी मुल्लाओं की है जो आम मुस्लिम को (खास कर इंडिया में) गलत बात बताकर उससे ऐसा करने को कहते है, यह जहिलियत की वजह से होता है क्यों के हर मुसलमान अगर क़ुरआन व हदीस का अध्ययन करे तो फिर मौलाना की जरूरत ही नहीं होगी, मगर सभी मौलाना ऐसे नहीं है मगर इनकी तादाद बहुत कम है इसलिए इनकी बात उपर तक नहीं पहुंचती, मीडिया वालो ने अभी तक जितने भी मौलाना को टीवी डिबेट में लाए है या तो उन्हें इस तरह के बातें करने के लिए पैसे मिलता है, नहीं तो उन्हें जानकारी नहीं होती। जो भी हो अगर सच जानना है तो किताब व सुन्नत का मूताला कीजिए, क़ुरआन पढ़िए और हदीस का मफहूम  पढ़िए तभी जाकर मालूम होगा, अब अगर किसी का मकसद ही यही हो के इसलाम के बारे में लोगो के दिलो में नफ़रत बैठाए तो यह बात अलग है।

Aaj ka Musalman Quran se Kitna door hai?

क्या इसलाम लड़कियों को अपनी मर्जी से शादी (निकाह) करने की इजाजत देता है?
जब बात इसलाम और शरीयत की होती है तो वाहा रस्म व रिवाज, तहजीब व तमद्दुन से कुछ मतलब नहीं रहता, भारत में अक्सर शादियां घरवाले की ही मर्जी से होती है चाहे लड़का हो या लड़की, यह ना कोई गुलामी वाली बात हुई और अपनी मर्जी से शादी करने में आजादी वाली बात हुई। इसलाम लड़कियों को अपनी मर्जी से शादी करने की इजाजत है बल्कि बेवा (विधवा) औरतें भी अपनी मर्जी से शादी कर सकती है दुबारा।   लड़के लड़कियां अपनी मर्जी से शादी कर सकती है बस शरीयत के दायरे में रह कर, जैसे कोई भी मोमीन औरत या मर्द किसी मुशरिक से शादी नहीं कर सकता, किसी भी मुस्लिम लड़के - लड़कियों का गैर मुस्लिम से निकाह नहीं हो सकता है, अब यहां मिसाल शाहरुख का पेश करने की जरूरत नहीं, मै यहां इसलाम की बात कर रहा हू ना के किसी अदाकार या अदाकारा का।
इसलाम  लड़कियों को अपनी मर्जी से शादी करने का हुक्म देता है साथ में यह भी कहता है के जब वे (लड़के लड़कियां) बालिग हो जाए तो तुम (पैरेंट्स) उनकी शादी कर दो। अगर लड़की के घरवाले कहीं शादी करने चाहते है मगर लड़की वाहा शादी नहीं करना चाहती है तो उससे जबरदस्ती नहीं किया जा सकता.. अगर लड़की के ऊपर ज्यादती की गई और जबरदस्ती उससे निकाह क़ुबूल करने को कहा गया और अगर लड़की 1000 मरतबा भी क्यों ना निकाह क़ुबूल कर ले तब भी वह निकाह नहीं होगा, जबरदस्ती निकाह नहीं हो सकता।  लड़कियों से बगैर इजाजत (अनुमति) के और बेवा (विधवा) औरतों से उनके बगैर हुक्म (आदेश) के शादी नहीं हो सकती।
इसलाम में पूरी आजादी है अपनी मर्जी से शादी करने का। अब यह डिपेंड करता है हमारे समाज पे जहा जैसा रिवाज चला आ रहा होगा वाहा वैसे ही करेंगे लोग, अगर हमारे घर वाले शादी नहीं होने देते है तो इसमें इसलाम की क्या गलती?
अगर किसी (लड़के लड़कियां) को वाहा पसंद नहीं होता है तो वह पहले ही अपने घरवाले से कह दिया करते है/करती है। ज्यादा जानने के लिए नीचे पढ़े।
Kya Islam pasand ki shadi karne se rokta hai?

Islam me shadi ke liye kya kya chijein jaruri hai?
Kya Auraten burai ki Zad hai?
Aazadi ke nam pe Auraton ko kya mila?
Aap Hame 1400 saal pahle ke daur me le jana chahate hai?
Deen-E-Islam se Hamsab kya Sikh sakte hai?

जन्नत में मर्दों को हूरें मिलेंगी तो औरतों को क्या मिलेंगी अक्सर इस तरह के सवाल सोशल मीडिया या फिर दीगर प्लेटफॉर्म पर पूछे जाते है और यह कहा जाता है के इस्लाम में औरतों को कोई हक है नहीं दिया बस उसे घर में बन्द करने और पर्दे में रखा है अगर आप भी यह जानना चाहते है के जन्नत में मर्दों को हूरें मिलेंगी तो औरतों को क्या मिलेंगी तो ईमानदारी से और दिल से इस तहरीर को पढ़े
Jannat me mardo ko hoorein milegi to auraton ko kya milega?

Agar Islam aatankwad failata to Kyu yah islam qubul karte hai?
Kya Auraten aazan de sakti hai?

Majeed janakari ke liye link pe click kijiye.

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1 comment:

  1. Masha Allah
    Bahut khub
    Allah hame seerat mustekim pe chala

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