Dusro ke Bare me galat andaja lagane se pahle hajar martaba soch le.
Kisi ko dekh kar hame kabhi uske haqeeqat ka pata nahi chalta kuchh baton ko chhod kar.
Yad Rakhna mera Janaza Waqt ka Badshah uthayega.
एक बादशाह की आदत थी, कि वह शक्ल (शाही लिबास उतारकर) बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था,एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक शख्स गिरा पड़ा हैl
बादशाह ने उसको हिलाकर देखा तो वह मर चुका था ! लोग उसके पास से गुज़र रहे थे, बादशाह ने लोगों को आवाज़ दी लेकिन कोई भी उसके नजदीक नहीं आया क्योंकि लोग बादशाह को पहचान ना सके ।
बादशाह ने वहां रह रहे लोगों से पूछा क्या बात है?
इस को किसी ने क्यों नहीं उठाया?
लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान था।
बादशाह ने कहा क्या ये "इंसान" नहीं है?
और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी, और उसकी बीवी को लोगों के रवैये के बारे में बताया ।।।
उसकी बीवी बहुत ही फरमाबरदार और शरीफ थी,
उसकी बीवी अपने शौहर की लाश देखकर जार व कतार रोने लगी, और कहने लगी "मैं गवाही देती हूं के मेरा शौहर बहुत नेक है, इसने कोई गुनाह नहीं किया, मगर लोगो को इसके बारे में कोई इल्म नहीं उनलोगो ने इन्हे जो देखा वहीं समझा, इसके पीछे की वजह समझने की कोशिश ही नहीं किया।
इस बात पर बादशाह को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा "यह कैसे हो सकता है?
लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे, इससे दूर भागते है और तो और इसकी लाश को हाथ तक लगाने को भी तैयार ना थे?"
उसकी बीवी ने कहा "मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी, दरअसल हकीकत यह है कि मेरा शौहर हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ इंसानों से हल्का हुआ, बहुत सारे लोग इस बुराई से तो बच सकते है, नौ जवान तो इस बुराई बच सकते है।
और रात में इसी तरह एक बुरी औरत यानी तवायफ के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर ले, कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता ख़ुदा का शुक्र है, आज उस औरत और नौजवानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया, लोगो को जीना के तरफ जाने तो बचा लिया, मर्द जो उसके पास जाते थे कम से कम उसके बीवी के हक में तो बेहतर हुआ, बहुत से लोग इसके पीछे अपना घर बर्बाद कर रहे थे वह बर्बाद होने से तो बच गया।
लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे,
मैं अपने शौहर से कहती "याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हे देखने नहीं आएंगे, तुम्हें गस्ल देने तक नहीं आएंगे, ना तुम्हारे मैय्यत को कंधा देने आएंगे । वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी कि मेरी मैय्यत वक्त का बादशाह और नेक लोग उठाएंगे....
यह सुनकर बादशाह रो पड़ा और कहने लगा मैं बादशाह हूं, कल हम इसको नहलायेंगे, इसकी मैय्यत को कंधा देंगे और जनाजे की नमाज पढ़ेंगे फिर कब्र में दफन करेंगे।
आज हम बज़ाहिर कुछ देखकर या दूसरों से कुछ सुनकर अहम फैसले कर बैठते हैं अगर हम दूसरों के दिलों के हाल जान जाएं तो हमारी ज़बाने गूंगी हो जाएं,
किसी को गलत समझने से पहले देख लिया करें कि वह ऐसा है भी कि नहीं? और हमारे सही या ग़लत कहने से सही ग़लत नहीं हो जायेगा और जो ग़लत है वो सही नहीं हो जायेगा ।
हम दूसरों के बारे में फैसला करने में महज़ अपना वक़्त ज़ाया कर रहे हैं..बेहतर ये है कि अपना कीमती वक़्त किसी की बुराई करने की बजाय अमल करने में गुजारे।
जो वक्त हम दूसरो की तनकीद करने में गुजारते है अगर वहीं वक्त हम खुद को संवारने में गुजारे तो बेहतर होगा, दूसरो को बदलना हमारे इख्तियार में नहीं मगर खुद को बदलना हमे इख्तियार में है।
यह बातें शायद बहुत सारे लोगों को बुरी लगेगी मगर जो सच है वह सच है, अभिव्यक्ति की आजादी और अपनी मर्जी से जीने के नाम पर बुराई के तरफ ले जाने वाले लोगो को इसमें संकुचित मानसिकता दिखाई देगी, कुछ लोग तो इसे पुराने ख़यालो वाला कहेंगे, ऐसे लोग यह भूल जाते है के हमारी आजादी वहीं खत्म हो जाती है जहां से हमारी आजादी से दूसरो का नुक़सान होना शुरू जो जाता है।
जो शख्स सिर्फ दुनिया का फायदा चाहता है तो याद रखे अल्लाह के पास तो दुनिया और आखिरत दोनों का फायदा मौजूद है।
अल्लाह हमे बुराइयों से बचा, हमे हमेशा सही रास्ते पे चला, ऐसे रास्ते पे जिसपे तुमने ईनाम रखा है और ऐसे रास्ते से बचा जिसपे तेरा अज़ाब है, अल्लाह हमसब मुसलमानों को फहासी से बचा, हमे हमेशा शरीयत के मुताबिक अमल करने की तौफीक दे। आमीन सुम्मा आमीन
दुनिया की आजमाइश
जब कयामत के दिन ऐसे लोगो को स्वाब दिया जाएगा जिनकी दुनिया में आजमाइश हुई थी तो अहले आफियत ख्वाहिश करेंगे काश दुनिया में उनकी खालें कैचियो से कतरी जाती। जामिया तिरमिजी 2402
जाएगा जब यहां से कुछ भी ना पास होगा
दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा।
आज पूरी दुनिया अपनी मर्जी से जीने में लगी है, किसी को छोटे छोटे कपड पहननेे, नंगे रहने की आजादी चाहिए तो किसी को अपनी मर्जी से जीने का, मगर लेकर क्या जाना है उसे कफ़न के जगह जीन्स, स्कर्ट, टी शर्ट बिकनी कपड़े पहन के जाना है क्या? अल्लाह के पास हम खुद नंगे नहीं जाते है तो दुनिया में नंगे का फ़ैशन कैसा?
No comments:
Post a Comment