Alqaeda Ne Aakhir Hamle ke liye America ko hi kyu chuna?
Alqaeda Ne 9/11 ka Hamla kyu Kiya?
आखिर सच तो यही है की 9/11 हमले के लिए कोई और नहीं अमेरिका ही जिम्मेदार था और अमेरिका अपनी एक गलती की वजह से पूरी दुनिया के 20% लोगों को मौत के मुंह में धकेल चुका था.
Alqaeda Ne 9/11 ka Hamla kyu Kiya?
आखिर सच तो यही है की 9/11 हमले के लिए कोई और नहीं अमेरिका ही जिम्मेदार था और अमेरिका अपनी एक गलती की वजह से पूरी दुनिया के 20% लोगों को मौत के मुंह में धकेल चुका था.
9/11 का हमला अमेरिका और विश्व दोनों के इतिहास में सबसे बड़ा आतंकी हमला है जब 2 सेकेंड के अंदर 3000 लोग मारे गए लोग मारे गए थे और 1 दिन में 20000 लोग
इस हमले के बाद अमेरिका ने एक अलग तरह से ही आतंकवाद का प्रचार किया और आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध छेड़ा।
इससे पहले अमेरिका आतंकवाद को किसी देश की खराब कानून व्यवस्था का नतीजा बताता था जब भारत में 90 के दशक में मुंबई के हमले हुए थे तब भी अमेरिका ने इसे भारत की खराब कानून व्यवस्था का नतीजा जमाना था लेकिन 9/11 के बाद सब बदल गया
पर मैं किस आधार पर यह कह रहा हूं कि 9/11 हमले अमेरिका की वजह से हुए थे और और मेरे पास क्या प्रमाण है
1978 अफगानिस्तान में नई सरकार बनी यह सरकार कम्युनिस्ट विचारधारा की थी सोवियत संघ से इसे सीधी मदद मिल रही थी और अफगानिस्तान की इस सरकार ने सोवियत संघ के साथ एक संधि की जिसके अनुसार सोवियत संघ में अफगानिस्तान सम्मिलित हो गया अफगानिस्तान की रक्षा की जिम्मेदारी सोवियत संघ के पास थी और सोवियत संघ और विशाल हो गया अफगानिस्तान के आ जाने से।
यह वह समय था जब पाकिस्तान और इराक के साथ अमेरिका के रिश्ते बेहद खराब स्थिति में थे। अफगानिस्तान सोवियत संघ में शामिल हो जाने से सोवियत संघ का प्रभाव मध्य एशिया पर बहुत अधिक हो गया अमेरिका को डर था कि कहीं सोवियत संघ का प्रभाव फारस की खाड़ी और अरब सागर तक ना चला जाए जाए अगर ऐसा होता तो सोवियत संघ तेल के महत्वपूर्ण मार्गों को नियंत्रित कर रहा होता और अमेरिका के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो जाती है अमेरिकन सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव का जवाब देने के लिए अफगानिस्तान के जनजातीय लोगों को चुना क्योंकि अफगानिस्तान की की सरकार किसी धर्म को नहीं मानती थी और अफगानिस्तान के समाज का आधुनिकरण किया जा रहा था
जनजातीय लोग जो मुस्लिम थे उनका अमेरिका ने अच्छी तरह से ब्रेन वाश किया ताकि वह इस आधुनिकरण को इस्लाम पर हमले के रूप में देखने लग जाए और हुआ भी यही।
अमेरिका ने इन्हीं लोगों का उपयोग किया पाकिस्तान के रास्ते इन लोगों को ट्रेनिंग हथियार और खाने-पीने की वस्तुएं उपलब्ध कराई गई अमेरिका द्वारा केवल इन्हें एक ही आदेश दिया जा रहा था अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट सरकार को उखाड़ फेंकना ताकि इस्लाम को बचाया जा सके। ( ब्रेन वाश करके इन लोगो को गुमराह किया जा रहा था)
जो पैसा अमेरिका सीधा इन लोगों को दिया उसका इस्तेमाल अफ़ग़ान सरकार के खिलाफ जंग की तैयारी करने में लगाया गया। इन लोगों ने खुद को मुजाहिद काहा और अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ एक गृह युद्ध छेड़ दिया अफगानिस्तान की सेना अमेरिकी हथियार अमेरिकी ट्रेनिंग के सामने नहीं टिक सकी और चुकी अफगानिस्तान अपनी बाहरी रक्षा के लिए सोवियत संघ पर निर्भर था तो अफगानिस्तान ने सोवियत संघ से अपील की कि वह आए और उसके देश की स्थिति को संभाले।
दिसंबर 1979 सोवियत संघ की सेना ने इन मुजाहिद पर हमले शुरू किए, सोवियत की विशाल सेना के सामने यह मुजाहिद कहां टिकने वाले थे इन्हें चुन-चुन कर मारा गाया अमेरिका ने खुद को हारता देख एक नई चाल चली और अलग-अलग लड़ रहे इन मुजाहिदो को यह आदेश दिया कि आप इकट्ठा हो जाइए और एक संगठन के बैनर तले अपनी लड़ाई लड़े।
तब इन मुजाहिद लोगों ने ओसामा बिन लादेन की अध्यक्षता में एक संगठन बनाया जिसका नाम था अलकायदा
आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं अमेरिका के आदेश और अमेरिका की रणनीति के हिसाब से अल कायदा बनाया गया था
और अमेरिका ने ही ओसामा बिन को इसका अध्यक्ष बनाया था हालत यह थी कि ओसामा बिन लादेन अमेरिका का दत्तक पुत्र बन गया था उसका माइंड वाश करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी अमेरिका की ही थी उसे हथियार चलाने और युद्ध की रणनीति सिखानी यह सब अमेरिकी जनरल ने ही उसे बताई थी अलकायदा ने बड़े भयंकर तरीके से सोवियत संघ की सेना पर हमले किए सोवियत संघ की सेना कभी पीछे हटती कभी आगे आती युद्ध इतना लंबा चला कि पहले से ही आर्थिक रूप से परेशान सोवियत संघ पर और ज्यादा आर्थिक बोझ आ गया इतनी सारी आर्थिक परेशानियों में सोवियत संघ के सदस्य में बगावत हो गई सोवियत संघ को इस बगावत से बचने के लिए अफगानिस्तान से वापस आना पड़ा कुल मिलाकर अलकायदा जैसे संगठन ने जो एक सेना भी नहीं थी सोवियत संघ की विशाल सेना को हरा दिया।
सोवियत संघ की पूरे दुनिया में घनघोर बेज्जती हुई और अन्य कारणों को मिला दिया जाए तो सोवियत संघ 1991 में सोवियत संघ टूट कर बिखर गया यही अमेरिका चाहता था और उसका सबसे बड़ा दुश्मन खत्म हो गया, अमेरिका ने बिना युद्ध लड़े ही यह लड़ाई जीत ली पर लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जो अलकायदा अमेरिका का दत्तक पुत्र हुआ करता था वहीं अमेरिका के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ दरअसल सोवियत संघ को हराकर अमेरिका खुद को विश्व गुरु समझने लगा समझने लगा और तब शुरू हुआ अमेरिका का बिना किसी से पूछे अन्य देशों के घरेलू मामलों में टांग अडाने का खेल
लेकिन तब तक अलकायदा के लोग एक कमांडो की तरह ट्रेंड हो चुके थे 11 साल से युद्ध लड़ने के कारण अलकायदा एक प्रोफेशनल आर्मी की तरह व्यवहार कर रहा था अलकायदा खुद को इस्लाम का मसीहा समझने लगा जब अलकायदा ने देखा कि अमेरिका अन्य मुस्लिम राष्ट्रों में दखलअंदाजी कर रहा है तो अलकायदा ने कहा कि यह मुस्लिम लोगों का अंदरूनी मामला है कृपया आप मुस्लिम देशों से दूर रहें पर अमेरिका में कौन अलकायदा को सीरियस लेता।
अमेरिका ने सोमालिया के ग्रह युद्ध में प्रवेश किया अमेरिका का टारगेट था स्वेज नहर अदन की खाड़ी पर कंट्रोल करना जिस समय वह सोमालिया में युद्ध कर रहा था तो यह युद्ध मुस्लिम लोगों के विरुद्ध था क्योंकि अमेरिका अब मुसलमानों के साथ लड़ाई कर रहा था इस कारण अलकायदा अमेरिका के विरुद्ध खड़ा हो गया सोमालिया में 6 महीने तक युध्द चलता रहा
यह अमेरिका और अलकायदा के बीच में पहली झड़प थी और अलकायदा ने इतनी प्यारे तरीके से युद्ध किया की पहली बार अमेरिका सोमालिया जैसे छोटे से देश के गली के गुंडों से हार गया गया
इस युद्ध में मिली जीत से अलकायदा को एक बहुत बड़ा मनोबल मिला इस युद्ध में ही अमेरिका के प्रसिद्ध ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर को अलकायदा के लोगों ने जमीन से ही मार गिराया था यह उस समय की एक बहुत बड़ी खबर थी।
लेकिन क्योंकि अल कायदा अब अपने आप को बहुत शक्तिशाली समझ रहा था और अमेरिका उसकी मर्जी के बिना मुस्लिम लोगों से लड़ रहा था तो अलकायदा ने तय किया किया कि अमेरिका को सबक सिखाया जाए 1993 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के बाहर एक विस्फोट किया गया।
प्लान यह था की बारूद से भरा ट्रक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकराएगा एक बहुत बड़ा ब्लास्ट होगा और पूरा का पूरा वर्ल्ड ट्रेड सेंटर नीचे गिर जाएगा क्योंकि अलकायदा के अधिकतर आतंकी पहले भी अमेरिका आ चुके थे। इसलिए अमेरिका में घुसने में कोई अधिक परेशानी नहीं हुई जिस समय विस्फोट हुआ अमेरिकन सरकार दुविधा में थी बहुत देर तक वे यही सोचती रही कि यह विस्फोट बिजली का ट्रांसफार्मर फट जाने के कारण हुआ है
बाद में जब रमजी यूसुफ नाम के हमलावर को पकड़ा गया तब उसने बताया कि
यह तो बस शुरुआत है
अलकायदा ने दूसरा हमला सऊदी अरब में किया जब अमेरिका की एंबेसी में उसने बम विस्फोट कर उसे उड़ा दिया।
अलकायदा ने दूसरा हमला सऊदी अरब में किया जब अमेरिका की एंबेसी में उसने बम विस्फोट कर उसे उड़ा दिया।
अमेरिकन इसका जवाब दिया मिस्त्र से अलकायदा के 5 लोगों को गिरफ्तार करकें बाद में उन्हें मार डाला गया
यह अमेरिका की अलकायदा को चुनौती थी प्राकृति का खेल देखिये अमेरिका 7 साल पहले इन लोगों को क्रांतिकारी कहा करता था और अब इन्हें अमेरिका आतंकवादी कह रहा था।
अलकायदा ने अमेरिका को पांचों आतंकियों को छोड़ने की धमकी दी जब अमेरिका नहीं माना तो केनिया और तंजानिया के दूतावासों को अलकायदा ने बम से उड़ा दिया।
वास्तव में अल कायदा और अमेरिका के बीच में एक युद्ध चल रहा था इसमें एक हमला अलकायदा करता और एक हमला अमेरिका
केनिया तंजानिया का बम विस्फोट अमेरिका के लिए एक चुनौती था अमेरिका ने जवाब दिया अफगानिस्तान के उन इलाकों पर हमला करके जो अलकायदा के गढ़ थे।
लेकिन तब तक भी इस उम्मीद के साथ कि पाकिस्तान इराक को संतुलित करने के लिए अमेरिका को अलकायदा की जरूरत पड़ सकती है अमेरिका ने कभी खुले तौर पर यह नहीं कहा कि वह अल कायदा ही है जो इन सब बम विस्फोट में शामिल रहा है
इन सब घटनाओं की श्रृंखला में आखरी घटना थी 9/11 अटैक
अल कायदा अपनी शक्ति दिखाने के लिए अमेरिका के अंदर घुसा तीन प्लेन को हाइजैक किया किये और इन्हें उस समय की सबसे ऊंची बिल्डिंग से टकरा दिया इस घटना के बाद पहली बार अमेरिकी लोगों ने आतंकवाद और अलकायदा का नाम सुना था।
मुझे हैरानी होती है कि हर अमेरिकी उन 3000 लोगों के बारे में जरूर बात करता है जो 9/11 अटैक में मारे गए गए लेकिन 60,000 से अधिक लोगों के बारे में कोई बात नहीं करता जो अलकायदा और अमेरिका के बीच में हुए संघर्ष के दौरान अफगानिस्तान कीनिया तंजानिया सोमालिया सऊदी अरब जैसे देशों में मारे गए थे।
उन लोगों के बारे में कोई जानता तक नहीं हैं अलकायदा को खड़ा करना अमेरिका की भुल थी अलकायदा को अमेरिका ने सोवियत संघ को खत्म करने के लिए खड़ा किया था लेकिन अमेरिका की फेंकी गई एक चिंगारी आज 30% विश्व को को अपनी चपेट में ले चुकी है। हर अमेरिकी बात करता है 9/11 हमलों में मारे गए लोगों के बारे में पर उन लोगों का क्या जिन्होंने सिर्फ अमेरिका के शक्ति प्रदर्शन के कारण ही अपनी जान गवा दी थी क्या वो इंसान नही थे?
आज सिर्फ इस लिऐ उनकी जान कि कोई किमत नहीं कि वे अमेरिकी नही थें?
आज सिर्फ इस लिऐ उनकी जान कि कोई किमत नहीं कि वे अमेरिकी नही थें?
आज भी अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश आतंकवाद को अपनी राजनीति का हिस्सा मानते हैं सार्वजनिक तौर पर कोई देश स्वीकार नहीं करता पर सच तो यही है कि अगर सिर्फ तेल के रास्तों को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका अफगानिस्तान में अलकायदा को खड़ा ना करता तो यह दुनिया आज ज्यादा शांत और खुशहाल होता। लोग अमन व सुकून से ज़ी रहे होते मगर सब अपने फायदे के लिए ही करता है और बाद में बदनाम किसी और को कर देता है।
Sourcethe-us-government-s-not-so-secret-support-for-al-qaeda
No comments:
Post a Comment