find all Islamic posts in English Roman urdu and Hindi related to Quran,Namz,Hadith,Ramadan,Haz,Zakat,Tauhid,Iman,Shirk,daily hadith,Islamic fatwa on various topics,Ramzan ke masail,namaz ka sahi tareeqa

Population Controlling Aur Unemployment Ke Bare Me Islam Kya Kahta Hai?

.     Kya Yah Sach Hsi ke Aabadi badhne se Unemployment aur Mehangai Badhti Hsi?
     "जनसंख्या के कंट्रोलिंग की हक़ीक़त" 
कहते हैं बढ़ती हुयी आबादी को रोकना चाहिए, क्योंकि इकोनॉमिक यानी आर्थिक ज़रिया कम हैं, और बढ़ती हुयी आबादी की वजह से मासाइल{मुद्दा} ज़्यादा हो जाते हैं

यह बोल सबसे बड़ी दलील है उन लोगों की जो ज़्यादा आबादी को मसाइल की वजह समझते हैं,
लेकिन यह कहना कि "आबादी की बढ़ोतरी की वजह से आर्थिक जरिए में कमी आती है" इसका हक़ीक़त से कोई लेना देना नहीं!
जबकि इसके विपरीत यह देखा गया है कि जहाँ आबादी में इज़ाफ़ा हुआ और उन्होने उस आबादी को अपने और अपने देश की तरक़्क़ी के लिए इस्तेमाल किया वह देश तरक़्क़ी की राह पर तेजी के साथ चल पड़े!

                  अल्लाह तआला फ़रमाता है:

قُـلۡ تَعـَالَوۡا اَتـۡلُ مَـا حَـرَّمَ  رَبُّـکُمۡ عَـلَیۡکُمۡ 
اَلـَّا تُشـۡرِکـُوۡا بِـہٖ شـَیۡئًا
وَّ بـِالـۡوَالِـدَیۡنِ اِحۡسـَانًا ۚ
وَ لَـا تَقۡـتُلُوۡۤا اَوۡلَـادَکـُمۡ   مِّـنۡ  اِمۡـلَاقٍ ؕ نَحـۡنُ  نَـرۡزُقُکـُمۡ وَ اِیـَّاہُمۡ ۚ وَ لَا تـَقۡرَبُوا الۡفَـوَاحـِشَ مَـا ظـَہَرَ  مـِنۡہَا وَ مـَا بَـطَنَ ۚ
وَ لَـا تَقۡتـُلُوا النـَّفۡسَ الـَّتِیۡ حَـرَّمَ الـلّٰہُ  اِلَّـا بِالـۡحَقِّ ؕ
ذٰلـِکُمۡ وَصـّٰکُمۡ بِہٖ لَـعَلَّکُمۡ تَعۡقـِلُوۡنَ
आप कहिए कि आओ मैं सुनाऊँ वे चीज़ें जो तुम्हारे रब ने तुम पर हराम की हैं

①यह कि तुम उसके साथ किसी चीज़ को शरीक न करो

②और माँ-बाप के साथ नेक सलूक करो

③और अपनी औलाद को मुफ़्लिसी के डर से क़त्ल न करो, हम तुमको भी रोज़ी देते हैं और उनको भी

④और बेहयाई के कामों के पास न जाओ चाहे वे खुलेआम हों या छुपे हुए

⑤और जिस जान को अल्लाह ने हराम ठहराया उसको नाहक़ क़त्ल न करो मगर हक़ के साथ,
ये बातें हैं जिनकी अल्लाह ने तुम्हें हिदायत फ़रमाई है ताकि तुम अक़्ल से काम लो।

وَ لَـا تَقۡـرَبُوۡا مـَالَ الۡیـَتِیۡمِ  اِلـَّا بِـالَّتِـیۡ  ہـِیَ اَحۡسَـنُ حَتّٰـی یـَبۡلُغَ اَشـُدَّہٗ ۚ
وَ اَوۡفُـوا الۡـکَیۡلَ وَ الۡمِیـۡزَانَ بِالۡقِـسۡطِ ۚ لَا نُکَـلِّفُ نَفۡـسًا اِلـَّا وُسـۡعَہَا 
وَ اِذَا قـُلۡتُمۡ فَاعۡـدِلُوۡا وَ لـَوۡ کـَانَ ذَا قـُرۡبٰی ۚ
وَ بِعـَہۡدِ الـلّٰہِ اَوۡفـُوۡا ؕ ذٰلـِکُمۡ  وَصـّٰکُمۡ بِـہٖ لـَعَلَّکُمۡ  تَـذَکَّرُوۡنَ
⑥और यतीम के माल के पास न जाओ मगर ऐसे तरीक़े पर जो बेहतर हो यहाँ तक कि वे अपनी जवानी को पहुँच जाए

⑦और नाप-तौल में पूरा इंसाफ़ करो, हम किसी के ज़िम्मे वही चीज़ लाज़िम करते हैं जिसकी उसे ताक़त हो

⑧और जब बोलो तो इंसाफ़ की बात बोलो चाहे मामला अपनी रिश्तेदारी ही का हो

⑨और अल्लाह के अहद को पूरा करो, ये चीज़ें हैं जिनका अल्लाह ने तुम्हें हुक्म दिया है; ताकि तुम नसीहत पकड़ो।

وَ  اَنَّ  ہـٰذَا صِـرَاطِـیۡ مُـسۡتَقِیۡمًا فَاتَّبِعـُوۡہُ ۚ وَ لَا تـَتَّبِعُوا الـسُّبُلَ  فـَتَفَرَّقَ  بِکـُمۡ عـَنۡ سَـبِیۡلِہٖ ؕ ذٰلـِکُمۡ  وَصـّٰکُمۡ بِـہٖ لَعـَلَّکُمۡ تـَتَّقُوۡنَ
और (अल्लाह ने हुक्म दिया कि) यही मेरा सीधा रास्ता है पस उसी पर चलो और दूसरे रास्तों पर न चलो कि वे तुमको अल्लाह के रास्ते से जुदा कर देंगे, यह अल्लाह ने तुमको हुक्म दिया है; ताकि तुम बचते रहो।
{सूरह अनाम: १५१-१५३}

            दूसरी जगह अल्लाह पाक ने फ़रमाया:

وَ لـَا تَقۡـتُلُوۡۤا  اَوۡلَـادَکـُمۡ  خـَشۡیَۃَ  اِمۡـلَاقٍ ؕ نَحـۡنُ نَـرۡزُقُـہُمۡ  وَ  اِیَّـاکُـمۡ ؕ اِنَّ  قَتـۡلَہُمۡ کـَانَ خِطـۡاً کَبِـیۡرًا
और अपनी औलाद को मुफ़्लिसी के अंदेशे से क़त्ल न करो, हम उनको भी रिज़्क़ देते हैं और तुमको भी, बेशक उनको क़त्ल करना बड़ा गुनाह है।
{सूरह इशरा: ३१}

यह आयत उन लोगो का रद्द कर रही है जो आबादी की रोकथाम की बात करते हैं, पुराने ज़माने से लेकर आज तक अलग-अलग दौर में बच्चों की पैदाइश पर रोकथाम की तहरीक उठती रही है, भूख का डर पुराने ज़माने में क़त्ल-ए-औलाद और हमल को गिराने का रिवाज हुआ करता था, और आज वही चीज़ एक नये अंदाज़ में हमल को रोक देने की तरफ़ दुनिया को धकेल रहा है

लेकिन इस्लाम इन्सान को यह हिदायत करता है कि वो खाने वालों को घटाने की तहस नहस कर देने वाली कोशिश छोड़कर उन अच्छे कोशिशों में अपनी ताक़त और हुनर उपयोग करें जिन से अल्लाह के बनाए हुए क़ानून-फ़ितरत के अनुसार रिज़्क़ में बढ़ोतरी हुआ करती है!

यह इन्सान की गलतियों में से एक बहुत बड़ी गलती है कि वो आर्थिक जरिए की तंगी के के डर से आबादी की बढ़ोतरी का सिलसिला रोक देने पर तैयार हो जाता है

यह आयत इन्सान को खबरदार कर रही है कि रोज़ी पहुँचाने का इंतजाम ऐ इन्सान तेरे हाथ में नहीं है, बल्कि अल्लाह के हाथ में है जिसने तुझे ज़मीन में बसाया है, जिस तरह वो तुझसे पहले आने वालों को रोज़ी देता रहा है, बाद के आने वालों को भी देगा!

और हक़ीक़त तो यह है कि दुनिया के विभिन्न देशों में खाने वाली आबादी जितनी बढ़ती गयी है, उतने ही, बल्कि अकसर तो उससे बहुत ज्यादा आर्थिक जरिए बहुत लम्बे चौड़े होते चले गए हैं!

इस लिए अल्लाह तआला के बनाए गये अरेजमेंट् व्यवस्था में इन्सान की बेसबब की रोक टोक नादानी और हिमाक़त के सिवा कुछ नहीं!

यह इसी तालीम, शिक्षा का नतीजा है कि क़ुरआन के नाज़िल होने के दौर से लेकर आज तक किसी दौर में भी मुसलमानों के अंदर नस्ल कशी का कोई आम रुझान पैदा नहीं होने पाया

शायर ने बहुत खूब कहा है, कहता है:

ख़ुदा का रिज़्क़ तो ज़मी पर कम नहीं यारो
मगर यह काटने वाले, मगर यह बाँटने वाले

इंशाअल्लाह अगला पोस्ट इसी से रिलाटिव, संबंधित होगा।

Share:

No comments:

Post a Comment

Translate

youtube

Recent Posts

Labels

Blog Archive

Please share these articles for Sadqa E Jaria
Jazak Allah Shukran

Most Readable

POPULAR POSTS