Kya Islam Logo ko Jihad ke nam par Dusro ka khoon karne ko Kahta Hai?
Kuchh Arabic Lafj ke mana aur uske istemal.
*बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम*
*अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु*
क्या इस्लाम🔫आतंकवाद🔫💣की शिक्षा देता है?
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है*
*नोट: यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।
*पार्ट* 01
*सबसे पहले हम कुछ इस्लामिक शब्दो के मतलब को जान लेते है:-
*ईमान* - विश्वास, आस्था, मानना। *ईमान* वास्तव में पुष्टि करने और मानने को कहते हैं। इसका उल्टा है इनकार, झुठलाना, कुफ्र आदि । इस्लाम की शिक्षाओं को जो
ईश्वर की ओर से आई हैं, उन्हें मानना और सच्चे दिल से स्वीकार करना *ईमान* है। (मुख़्तसर)।
*किताबवाले (अहले-किताब)* - वे लोग जिन्हें अल्लाह की ओर से किताब प्रदान हुई थी। यह संकेत है यहूदियों और ईसाइयों की ओर जिन्हें अल्लाह ने तौरेत इनजील (बाइबिल) नामक किताबें प्रदान की थीं।
*काफ़िर* - कुफ्र करनेवाला, इनकार करनेवाला, सच्चाई को छिपानेवाला, अकृतज्ञ। वे लोग जो उन सच्चाइयों को मानने और स्वीकार करने से इनकार करते हैं जिनकी शिक्षा ईश्वर के पैग़म्बर ने दी है। *काफ़िर* शब्द व्याकरण की दृष्टि से गुणवाचक संज्ञा है, यह अपमानबोधक शब्द नहीं है। कुरआन में जहाँ भी ईश्वर और उसकी शिक्षाओं और उसके आदेशों का इनकार करनेवालों के लिए *काफ़िर* शब्द प्रयुक्त हुआ है तो उसका उद्देश्य गाली, घृणा और निरादर नहीं है, बल्कि उनके इनकार करने के कारण वास्तविकता प्रकट करने के लिए ऐसा कहा गया है। *काफ़िर* शब्द हिन्दू का पर्यायवाची
भी नहीं है जैसा कि दुष्प्रचार किया जाता है। *काफ़िर* शब्द का लगभग पर्यायवाची शब्द नास्तिक' है। इस्लाम की दृष्टि में किसी व्यक्ति के मात्र इस इनकार के कारण न तो उसे इस दुनिया में कोई सज़ा दी जा सकती है और न किसी मानवीय अधिकार से उसे वंचित रखा जा सकता है। वह सांसारिक मामलों में समानाधिकार रखता है। हर धर्म में उस धर्म की मौलिक धारणाओं एवं शिक्षाओं को मानने वालों और न
माननेवालों के लिए अलग-अलग विशेष शब्द प्रयुक्त किए जाते हैं। जैसे, हिन्दू धर्म में उन लोगों के लिए नास्तिक, अनार्य, असभ्य, दस्यु और मलिच्छ शब्द प्रयुक्त हुए हैं।
जो हिन्दू धर्म के अनुयायी न हों।
*रसूल, नबी* - पैग़म्बर, दूत, वह व्यक्ति जो पैग़म्बरी के पद पर नियुक्त हो। वह व्यक्ति जिसके द्वारा परमेश्वर लोगों को अपना मार्ग दिखाता और उन तक अपना संदेश पहुँचाता है।
*जिहाद* - जानतोड़ कोशिश, ध्येय की सिद्धि के लिए सम्पूर्ण शक्ति लगा देना । युद्ध के लिए कुरआन में *क़िताल* शब्द प्रयुक्त हुआ है। *जिहाद* का अर्थ *क़िताल* के अर्थ से
कहीं अधिक विस्तृत है। जो व्यक्ति सत्य के लिए अपने धन, अपनी लेखनी, अपनी वाणी आदि से प्रयत्नशील हो और इसके लिए अपने को थकाता हो वह *जिहाद* ही कर रहा है। सत्य के लिए युद्ध भी करना पड़ सकता है और उसके लिए प्राणों का बलिदान भी किया जा सकता है। यह भी *जिहाद* का एक अंग है। *जिहाद* को उसी समय इस्लामी *जिहाद* कहा जाएगा जबकि वह ईश्वर के लिए हो और ईश्वर के दिए हुए निर्देशों के अनुसार हो, न कि धन-दौलत की प्राप्ति के लिए हो ओर अपने स्वार्थ के लिए ।
*पोस्ट आगे जारी है(next part coming soon) इन-शा-अल्लाह* ✍✍✍.......
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।*
*हमारा मकसद सच बात को सबूत के साथ लोगो तक पहुँचाना ओर आज के दौर में इंसानो के अंदर फैले मतभेदों को दूर करके भाईचारे ओर इंसानियत को बढ़ावा देना है*
WAY OF JANNAH INSTITUTE
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