Jab Hmare Pas Duniya ka Sabse Ajim Rahnuma hai to Fir Yah Amit Shah aur Narendra Modi kya Hai?
Kya Hm aaj aeise logo ke bnaye hue usoolo se darne lage hai?
Kya Hm aaj aeise logo ke bnaye hue usoolo se darne lage hai?
क़ुरआन का दामन थामिये और ख़ौफ़ के माहौल से निकलये!!!
"मुसलमान अपनी "जिम्मेदारी नही समझता, वरना जिसका__
"मुसलमान अपनी "जिम्मेदारी नही समझता, वरना जिसका__
___चाहे "तख्त बदल दे और जिसका चाहे "ताज..
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एक झटका क्या लगा हम अपने आराम कदों से निकल कर सड़कों पर आगये और धरना-प्रदर्शन शुरु कर दिये और अपने आपको इत्मीनान और दिलासा दिलाने की नाकाम कोशिश करने लगे और कोसने लगे फ़ाशिष्ट ताक़तों को, हमारी बिल्कुल वो मिसाल है कि दो टीमें मैदान में हैं एक टीम पूरी महनत और तैयारी के साथ चौका छक्का लगा रही है, और दूसरी टीम हाथ पर हाथ धरे चीख़-पुकार कर रही है कि देखो वो लगाया उन्होंने चौका.. छक्का.. इसका नतीजा दूसरी टीम के हाथ में नाकामी के अलावा और कुछ नहीं। माफ़ कीजिए हमारी गिनती दूसरी टीम की ही है और हम शौर शराबे और चीखने चिल्लाने के कुछ नहीं कर रहे हैं।
हज़रात अम्बिया की सीरत से हमें जो सबक़ मिलता है, उसपर ग़ौर फ़रमाऐं।
हज़रत इब्राहिम अलै को इस दावत के नतीजे में दुश्मनों ने क्या देश निकाला नहीं दिया आज वो ईराक़ ही नहीं बल्कि कुरआन के मुताबिक पूरी दुनिया के इमाम बना दिया गये।
हज़रत मूसा अलै और उनके मानने वालों को इतना परेशान किया गया कि मिस्र छोड़कर छ लाख बनी इस्राइल के साथ जाना पड़ा।
हज़रत यूसुफ़ अलै के भाईयों ने क्या देश निकाला नहीं दिया बल्कि ग़ुलाम की हैसियत से मिस्र भेजे गए। लेकिन फिर उसी मुल्क के हुकुमरां बन गये।
आज दुनिया भर में लोग चाहे ईसाई हों मुस्लिम
हों या यहूदी हज़रत इब्राहिम अलै मूसा अलै यूसुफ अलै का नाम बड़े आदर से लेते हैं।
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एक झटका क्या लगा हम अपने आराम कदों से निकल कर सड़कों पर आगये और धरना-प्रदर्शन शुरु कर दिये और अपने आपको इत्मीनान और दिलासा दिलाने की नाकाम कोशिश करने लगे और कोसने लगे फ़ाशिष्ट ताक़तों को, हमारी बिल्कुल वो मिसाल है कि दो टीमें मैदान में हैं एक टीम पूरी महनत और तैयारी के साथ चौका छक्का लगा रही है, और दूसरी टीम हाथ पर हाथ धरे चीख़-पुकार कर रही है कि देखो वो लगाया उन्होंने चौका.. छक्का.. इसका नतीजा दूसरी टीम के हाथ में नाकामी के अलावा और कुछ नहीं। माफ़ कीजिए हमारी गिनती दूसरी टीम की ही है और हम शौर शराबे और चीखने चिल्लाने के कुछ नहीं कर रहे हैं।
हज़रात अम्बिया की सीरत से हमें जो सबक़ मिलता है, उसपर ग़ौर फ़रमाऐं।
हज़रत इब्राहिम अलै को इस दावत के नतीजे में दुश्मनों ने क्या देश निकाला नहीं दिया आज वो ईराक़ ही नहीं बल्कि कुरआन के मुताबिक पूरी दुनिया के इमाम बना दिया गये।
हज़रत मूसा अलै और उनके मानने वालों को इतना परेशान किया गया कि मिस्र छोड़कर छ लाख बनी इस्राइल के साथ जाना पड़ा।
हज़रत यूसुफ़ अलै के भाईयों ने क्या देश निकाला नहीं दिया बल्कि ग़ुलाम की हैसियत से मिस्र भेजे गए। लेकिन फिर उसी मुल्क के हुकुमरां बन गये।
आज दुनिया भर में लोग चाहे ईसाई हों मुस्लिम
हों या यहूदी हज़रत इब्राहिम अलै मूसा अलै यूसुफ अलै का नाम बड़े आदर से लेते हैं।
हज़रत मुहम्मद सल0 और उनके मानने वालों का किया मक्का के लोगों ने बाइकाॅट नहीं किया बल्कि देश निकाला भी दे दिया। उस मौक़ै पर आपने क्या काम किया???
यह नबी एक ख़ास मिशन लेकर आए थे और उसी के अनुसार अपनी पूरी ज़िन्दगी लगा कर चले गए। मक्का ही नही पूरा अरब और अरब ही नहीं पूरी दुनियाँ में उनके चाहनेवाले और मर-मिटने वाले लोग मौजूद हैं। मौमिन के लिए तो पूरी ज़मीन ही उसका घर है।
भारत में अंग्रेज़ी दौर में सज़ा सुनाने से पहले अंग्रेज़ जज ने मोलाना महमूद हसन रह से मालूम किया कि तुम्हारे सामने तीन रास्ते हैं उन में से एक को चुन लो" - फ़ांसी - - देश बद्र - उम्रकै़द" मौलाना ने बड़ा ही ख़ूबसूरत जवाब दिया। अगर तुम मुझे फ़ांसी पर चढ़ाते हो तो शहादत का दर्जा मिलेगा इससे इससे बेहतर मौत कोई हो ही नहीं सकती। देश बद्र करते हो तो वह हिजरत होगी और वो तो भाग्यशाली लोगों को मिलती है।
उम्रकै़द करते हो तो सुननते यूसुफ़ी की सआदत होगी और तन्हाई में खुदा की इबादत का मौक़ा मिलेगा।
तो मालूम हुआ कि मोमिनों के लिए हर हाल में कामयाबी ही कामयाबी हैं।
भारत में अंग्रेज़ी दौर में सज़ा सुनाने से पहले अंग्रेज़ जज ने मोलाना महमूद हसन रह से मालूम किया कि तुम्हारे सामने तीन रास्ते हैं उन में से एक को चुन लो" - फ़ांसी - - देश बद्र - उम्रकै़द" मौलाना ने बड़ा ही ख़ूबसूरत जवाब दिया। अगर तुम मुझे फ़ांसी पर चढ़ाते हो तो शहादत का दर्जा मिलेगा इससे इससे बेहतर मौत कोई हो ही नहीं सकती। देश बद्र करते हो तो वह हिजरत होगी और वो तो भाग्यशाली लोगों को मिलती है।
उम्रकै़द करते हो तो सुननते यूसुफ़ी की सआदत होगी और तन्हाई में खुदा की इबादत का मौक़ा मिलेगा।
तो मालूम हुआ कि मोमिनों के लिए हर हाल में कामयाबी ही कामयाबी हैं।
कोई मुसीबत नहीं आती मगर अल्लाह के इज़्न से... कुरआन
दोस्तो!
कुरान में इरशाद "जिन लोगों ने कहा कि अल्लाह ही हमारा रब है और फिर वो उस पर साबित क़दम(ईमान पर जमे रहना ) रहे यक़ीनन उन पर फ़रिश्ते नाज़िल होते हैं और उनसे कहते हैं कि न डरो न ग़म करो और ख़ुश हो जाओ उस जन्नत की ख़ुश्ख़बरी से जिस का तुम से वादा किया गया है। हम इस दुनिया की ज़िंदगी में भी तुम्हारे साथी हैं और आख़रत (परलोक) में भी", 41/30,32
आज भी अगर हमारा ईमान अल्लाह पर हो और उसके मुताबिक़ अम्ल हो तो आपका कोई बाल बींका करने वाला भी नहीं।
यह ईमान बनेगा कैसे आएगा कैसे हिम्मत होसला कहॉ से मिलेगा???
कुरान में इरशाद "जिन लोगों ने कहा कि अल्लाह ही हमारा रब है और फिर वो उस पर साबित क़दम(ईमान पर जमे रहना ) रहे यक़ीनन उन पर फ़रिश्ते नाज़िल होते हैं और उनसे कहते हैं कि न डरो न ग़म करो और ख़ुश हो जाओ उस जन्नत की ख़ुश्ख़बरी से जिस का तुम से वादा किया गया है। हम इस दुनिया की ज़िंदगी में भी तुम्हारे साथी हैं और आख़रत (परलोक) में भी", 41/30,32
आज भी अगर हमारा ईमान अल्लाह पर हो और उसके मुताबिक़ अम्ल हो तो आपका कोई बाल बींका करने वाला भी नहीं।
यह ईमान बनेगा कैसे आएगा कैसे हिम्मत होसला कहॉ से मिलेगा???
क़ुरआन से!!! कुरआन से!!! क़ुरआन से!!!
इसके अलावा कोई रास्ता है ही नहीं,
बहुत दिन होगये आपको इस्लाम के नाम पर मसलकों के नाम पर बेवक़ूफ़ बनते हुए।
आप क़ुरआन को पढ़ें समझें उस पर अम्ल करें और दूसरे इंसानों तक पहुंचाएं।
बहुत दिन होगये आपको इस्लाम के नाम पर मसलकों के नाम पर बेवक़ूफ़ बनते हुए।
आप क़ुरआन को पढ़ें समझें उस पर अम्ल करें और दूसरे इंसानों तक पहुंचाएं।
आपकी राह की रुकावट न अमितशाह हैं न मौदी न योगी न आर एस एस बल्कि सबसे बड़ी रुकावट इस्लाम के नाम पर माफ़ कीजिये और कहने दीजिये वो इस्लाम माफ़ियां हैं जो नाग बनकर क़ुरआन पर इस्लाम पर चौकड़ी बनाए बैठे हैं। वे न खुद इस्लाम और कुरआन पर अम्ल करते हैं न दूसरों को करने देते हैं। नमूने के तौर नोर्थ इंडिया में किसी भी मस्जिद में आप कुरआन को समझकर पढ़ने की बात करिये वे धर्म माफ़िया फौरन आपको डसने के लिए आएंगे और फिर झूठ मक्कारी साजिशों का एक सैलाब आपके ख़िलाफ़ हो जाएगा।
मैं तो यह कहता हूं कि हमें अस्ल जिहाद इन माफियाओं से करना चाहिए। जिन्होनें आपकी नस्ल दर नस्ल को जहन्नुम के क़रीब कर दिया और इस मुक़ाम पर लाकर छोड़ दिया।।
जेनेवा में तकरीर करते हैं क़ुरआन और निज़ामे मुस्तफ़ा को रिजेक्ट करते हैं।
लोग कहते हैं कि हमारा कोई लीडर नहीं हम कहते हैं कि हज़रत मुहम्मद सल0 हमारे बहतरीन रहनुमा और लीडर हैं।
लोग कहते हैं कि तुम्हारे पास कोई दस्तूर नहीं हम कहते हैं कि कुरआन हमारा दस्तूर है।
लोग कहते हैं कि हमारा कोई लीडर नहीं हम कहते हैं कि हज़रत मुहम्मद सल0 हमारे बहतरीन रहनुमा और लीडर हैं।
लोग कहते हैं कि तुम्हारे पास कोई दस्तूर नहीं हम कहते हैं कि कुरआन हमारा दस्तूर है।
तो दोस्तो! अस्ल भरोसा.......हमें सिर्फ़ अल्लाह पर करना चाहिए।
छुरी चली मगर हज़रत इस्माईल अलै का कुछ न बिगाड़ स्की,
व्हेल मछली ने हज़रत यूनुस अलै को निगल लिया मगर खत्म न कर सकी,
हज़रत यूसुफ को अंधा कुआं हलाक न कर सका, जेल जीवन लीला समाप्त न कर सकी,
हज़रत इब्राहिम अलै को आग जला न सकी,
हज़रत मूसा को समुन्दर डिबो न सका,
सारी शक्तियों का मालिक वही है जिसने सारे जहाँ को बनाया जिसके हाथ में मौत ज़िन्दगी है। हमें उसी अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए।
Muslim Bhaiyo aaplog Saber kijiye Mager hath pe hath rakh kar baithe nahi Allah se dua kijiye har Namaj ke bad, Aaj Masjide wiran pari hai mager hm ghar se Masjid tak nahi ja sakte fir kahte hai hmari dua to Sunta hi nahi hai.
डॉ सलीमुददीन
व्हेल मछली ने हज़रत यूनुस अलै को निगल लिया मगर खत्म न कर सकी,
हज़रत यूसुफ को अंधा कुआं हलाक न कर सका, जेल जीवन लीला समाप्त न कर सकी,
हज़रत इब्राहिम अलै को आग जला न सकी,
हज़रत मूसा को समुन्दर डिबो न सका,
सारी शक्तियों का मालिक वही है जिसने सारे जहाँ को बनाया जिसके हाथ में मौत ज़िन्दगी है। हमें उसी अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए।
Muslim Bhaiyo aaplog Saber kijiye Mager hath pe hath rakh kar baithe nahi Allah se dua kijiye har Namaj ke bad, Aaj Masjide wiran pari hai mager hm ghar se Masjid tak nahi ja sakte fir kahte hai hmari dua to Sunta hi nahi hai.
डॉ सलीमुददीन
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