Jo log Musalman Ban gaye unhe kis tarah Lohe ki garam Tar pe lita ke Sakht sza diya jata tha?
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम*
*अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु*
क्या इस्लाम💣🔫आतंकवाद🔫💣की शिक्षा देता है?
सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है.
नोट: यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।
*पार्ट* 05
*हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की संक्षिप्त जीवनी*
औऱ कुरैश ने, *हज़रत अम्मार (रज़िo)* को लोहे का कवच पहनाकर धूप में लिटा देते । तपती हुई रेत पर लिटाने के बाद मारते-मारते बेहोश कर देते।
*इस्लाम क़बूल कर मुसलमान बने हज़रत बिलाल (रज़ि०)* कुरैश सरदार उमय्या के गुलाम थे। उमय्या ने यह जानकर कि बिलाल *मुसलमान* बन गए हैं, उनका खाना-पीना बन्द कर दिया। ठीक दोपहर में भूखे-प्यासे ही वह उन्हें बाहर पत्थर पर लिटा देता और छाती पर बहुत भारी पत्थर रखवाकर कहता, लो *मुसलमान* बनने का मज़ा चखो।'
उस समय जितने भी गुलाम, *मुसलमान* बन गए थे उन सभी पर इसी तरह के अत्याचार हो रहे थे। *हज़रत मुहम्मद (सल्ल0)* के जिगरी दोस्त हज़रत अबू-बक्र (रज़ि) ने उन सबको ख़रीद-ख़रीद कर गुलामी से आज़ाद कर दिया।
कुरैश यदि किसी को *पवित्र कुरआन* की आयतें पढ़ते सुन लेते या *नमाज़* पढ़ते देख लेते, तो पहले उसकी बहुत हंसी उड़ाते फिर उसे बहुत सताते। इस डर के कारण *मुसलमानों को नमाज़* पढ़नी होती तो छिपकर पढ़ते और *कुरआन* पढ़ना होता तो धीमी आवाज़ में पढ़ते ।।
एक दिन कुरैश काबा में बैठे हुए थे। *अब्दुल्लाह-बिन-मसऊद (रज़ि)* काबा के पास *नमाज़* पढ़ने लगे, तो वहां बैठे सारे काफ़िर कुरैश उन पर टूट पड़े और उन्होंने *हज़रत अब्दुल्लाह* को मारते-मारते बे-दम कर दिया।
जब मक्का में काफ़िरों के अत्याचारों के कारण *मुसलमानों* का जीना दूभर हो गया तो *मुहम्मद (सल्ल0)* ने उनसे कहा, "हब्शा चले जाओ। हब्शा का बादशाह नज्जाशी ईसाई था। अल्लाह के रसूल का हुक्म पाते
ही बहुत-से *मुसलमान* हब्शा चले गए। जब कुरैश को पता चला तो उन्होंने अपने दो आदमियों को दूत बनाकर हब्शा के बादशाह के पास भेजकर कहलवाया कि“हमारे यहां के कुछ मुजरिमों ने भागकर आपके यहां शरण ली है। इन्होंने हमारे धर्म से बग़ावत की है और आपका ईसाई धर्म भी स्वीकार नहीं किया है, फिर भी आपके यहाँ रह रहे हैं। ये अपने बाप-दादा के धर्म से बग़ावत कर एक ऐसा नया धर्म लेकर चल रहे हैं, जिसे न हम जानते हैं और न आप। ये हमारे मुज़रिम है और इनको लेने के लिए हम आये है
*बादशाह नज्जाशी ने मुसलमानों से पूछा, “तुम लोग कौन-सा ऐसा नया धर्म लेकर चल रहे हो, जिसे हम नहीं जानते?*
इस पर मुसलमानों की ओर से हज़रत *जाफ़र (रज़ि0)* बोलेह “हे बादशाह!
*पहले हम लोग असभ्य और गंवार थे। बुतों की पूजा करते थे, गन्दे काम करते थे, पड़ोसियों से व आपस में झगड़ा करते रहते थे। इस बीच अल्लाह ने हममें अपना एक रसूल (पैग़म्बर) भेजा। उसने हमें सत्य-धर्म इस्लाम की ओर बुलाया। उसने हमें अल्लाह का पैग़ाम देते हुए कहा कि हम केवल एक ईश्वर की पूजा करें, बेजान बुतों की पूजा छोड़ दें, सत्य बोलें और पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार करें, किसी के साथ अत्याचार और अन्याय न करें, व्यभिचार और गन्दे कार्यों को छोड़ दें, अनाथों और कमज़ोरों का माल न खाएं, पाक दामन औरतों पर तोहमत न लगाएं, नमाज़ पढ़े और खैरात यानी दान दें। हमने उसके इस पैग़ाम को और उसको सच्चा जाना और हम उसपर ईमान (विश्वास) लाकर मुसलमान बन गए।*
*हज़रत जाफ़र (रज़ि)* के जवाब से बादशाह नज्जाशी बहुत प्रभावित हुआ। उसने दूतों को यह कहकर वापस कर दिया कि ये लोग अब यहीं रहेंगे।
*पोस्ट आगे जारी है(next part coming soon) इन-शा-अल्लाह* ✍✍✍....... Agla part padhne ke liye search kijiye
HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
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*हमारा मकसद सच बात को सबूत के साथ लोगो तक पहुँचाना ओर आज के दौर में इंसानो के अंदर फैले मतभेदों को दूर करके भाईचारे ओर इंसानियत को बढ़ावा देना है*
WAY OF JANNAH INSTITUTE
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