Eid-ul-fitr aur Eid-ul-zuha Ke Din Roze Nahi Rakhna.
Tin Masjido ke alawa kisi aur Masjid Ke liye Safer nahi karna.
ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ
मैंने अबु सईद ख़ुदरी रज़ि अल्लाह अन्हु को रसूल अल्लाह ﷺ के हवाले से चार हदीसें बयान करते हुए सुना जो मुझे बहुत पसंद आई। आप ﷺ ने फ़रमाया कि~
1. औरत अपने शौहर या किसी महरम के बग़ैर दो दिन का भी सफ़र ना करे और
2. दूसरी ये कि ईद-उल-फ़ित्र और ईद-उल-अज़हा दोनों दिन रोज़े ना रखे जाएं।
3. तीसरी बात ये कि सुबह की नमाज़ के बाद सूरज के निकलने तक और असर के बाद सूरज डूबने तक कोई नफ़ल नमाज़ ना पढ़ी जाये।
4. चौथी ये की तीन मस्जिदों के सिवा किसी और जगह का मुकद्दस सफर ना तय किया जाए~
🔹मस्जिद अल-हरम,
🔹मस्जिद अल-अक़सा (Jerusalem) और
🔹मेरी मस्जिद (यानी मस्जिद नबवी)
Sahih Bukhari: jild-2, kitab fazal as-salat fi masjid makkah wa madina(كتاب فضل الصلاة فى مسجد مكة والمدينة), hadith no 1197
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