Kya Deen-E-Islam ka Talluq Dahshat gard Se hai?
Kya Islam Dusre Mazhab ke logo ko matlab Gair Muslim ka Qatel Karne ko kahta hai?
*बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम*
*अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु*
क्या इस्लाम🔫आतंकवाद🔫💣की शिक्षा देता है?
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है.
*नोट: यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।*
*पार्ट* 02
*पिछले कई सालों (आज से 15 से 20 पहले ) से हम देखते है कि अलग अलग न्यूज़ पेपरों में ऐसे लेख छपते रहे जिनमे हिन्दू-मुस्लिम दंगो से लेकर हर तरह की आतंकी गतिविधियों को इस्लाम धर्म से जोड़ा गया।*
ओर कई तरह के लेखों ओर पेम्पलेट में इसके लिए *पवित्र कुरआन* की कुछ आयतो (अलग अलग लाइनों) का अनुवाद अपने मनमानी तरीके से बिना सही व्याख्या के इस्तेमाल करके लोगो को इस्लाम धर्म की तालीम से दूर किया गया इसके साथ ही इसका गहरा दुष्प्रभाव ये हुआ कि हिंदुस्तान की अधिकांश आबादी ने इसको हक़ीक़त मान लिया ओर इस्लाम धर्म को ही आतंकवाद समझ लिया जबकि उन्हाने ना तो इस्लाम के बारे में पढ़ा ओर ना ही इसके धर्मग्रंथ *क़ुरआन* को ।
*लेकिन क्या हक़ीक़त यही है या कुछ और आईये जानते है*
जब हम इस्लाम धर्म के विद्वानों (उलमा) के बयान सुनते है या उनसे इस्लाम के बारे में पूछते है तो हमे पता चलता है कि इस्लाम का आतंकवाद से कोई संबंध नही है।
*(बल्कि मैं (लेखक) तो ये कहता हूं कि विश्व के किसी भी धर्म का आतंकवाद से कोई संबंध नही )*
ओर इस्लामिक विद्वानों से हमे ये भी पता चलता है कि इस्लाम प्रेम, सदभावना, ओर भाईचारे का धर्म है किसी बेगुनाह को मारना इस्लाम धर्म के विरुद्ध है।
ओर इसके लिये हमें कई इस्लामिक विद्वानों और संस्थाओं से आतंकवाद के खिलाफ फतवा (धर्मादेश) भी मिलता है जो कि कई सालों पहले से बार बार दिए जाते रहे ।
ये सब बातें जानने के बाद मैंने *कुरआन मजीद* में जिहाद के लिए आई आयतों के बारे में जानने के लिए मुस्लिम विद्वानों से बातचीत की, उन्होंने मुझे बताया कि *पवित्र कुरआन मजीद* की आयतें भिन्न-भिन्न तत्कालीन परिस्थितियों में उतऱी इसलिए *पवित्र कुरआन* का केवल अनुवाद ही न देखकर उसकी व्याख्या को भी देखा जाना ज़रूरी है कि कौन-सी आयत किस परिस्थिति में उतरी, तभी हमे उसका सही मतलब और मक़सद पता चल पाएगा।
इसके साथ ही ध्यान देने वाली बात यह भी है कि *कुरआन इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0)* पर उतारा गया था। अत: *पवित्र कुरआन* को सही मायने में जानने के लिए
*पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0)* की जीवनी से परिचित होना भी ज़रूरी है।
क्यो की *कुरआन मजीद* की जिन आयतों के हिन्दी अनुवाद का गलत इस्तेमाल किया गया वे आयतें उन अत्याचारी काफ़िर और मुशरिक लोगों के लिए उतारी गईं जो *अल्लाह के रसूल (सल्ल0)* से लड़ाई करते और मुल्क में फ़साद करने के लिए दौड़ते फिरते थे।
सत्य-धर्म की राह में रोड़ा डालने वाले ऐसे लोगों के विरुद्ध ही *पवित्र कुरआन* में जिहाद का फ़रमान है।”
इस्लामिक विद्वानों ने मुझसे कहा कि इस्लाम की सही जानकारी न होने के कारण लोग *कुरआन मजीद* की पवित्र आयतों का मतलब समझ नहीं पाते। यदि सभी लोग पूरे *कुरआन मजीद* के साथ *हज़रत मुहम्मद (सल्ल0)* की जीवनी भी पढ़ेंगे तो भ्रमित नही होंगे।
मुस्लिम विद्वानों के सुझाव के अनुसार मैंने सबसे पहले पैग़म्बर *हज़रत मुहम्मद (सल्ल0)* की जीवनी पढ़ी। जीवनी पढ़ने के बाद इसी नज़रिए से जब मन की शुद्धता के साथ *कुरआन मजीद* शुरू से अन्त तक पढ़ा, तो मुझे *कुरआन मजीद* की आयतों का सही मतलब और मक़सद समझ में आने लगा।
*ये सब जानकारी पराप्त होने के बाद मुझे बड़ा दुख हुआ कि किस तरह आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा गया है ओर लोगो में इस्लाम के प्रति नफरत फैलाई गई।
*पोस्ट आगे जारी है(next part coming soon) इन-शा-अल्लाह* ✍✍✍.......
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।*
*हमारा मकसद सच बात को सबूत के साथ लोगो तक पहुँचाना ओर आज के दौर में इंसानो के अंदर फैले मतभेदों को दूर करके भाईचारे ओर इंसानियत को बढ़ावा देना है*
WAY OF JANNAH INSTITUTE
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