Deen Ki Mazak Aaj KAise Uraya JA Raha HAi.
हम ऐसे दौर ए जहालत में जी रहे हैं
जहाँ दीन का मज़ाक़ ख़ुद मुसलमान बना रहा है
जहाँ दीन का मज़ाक़ ख़ुद मुसलमान बना रहा है
अभी रमज़ान शरीफ का पाक मुबारक और रह़मतों वाला महीना चल रहा है
मगर कुछ बेशर्मों को थोड़ी बहुत भी शर्म नही है
मगर कुछ बेशर्मों को थोड़ी बहुत भी शर्म नही है
वो लोग इस पर भी मज़ाक़ बनाने में नहीं चूक रहे जैसे अभी कुछ मैसेज बहुत चल रहे हैं मेरे पास भी Whatsapp पर कई मैसेज आये और शायद आपने भी पढ़े होंगे
जैसे
रोज़ा लगे तो ये दुआ पढ़ें अल चटनी वल समोसा इन्ना कबाबुल क़ीमा मिन्नका कोफ्ता वल बिरयानी या पानी या पानी या पानी
रोज़ा लगे तो ये दुआ पढ़ें अल चटनी वल समोसा इन्ना कबाबुल क़ीमा मिन्नका कोफ्ता वल बिरयानी या पानी या पानी या पानी
*इस मैसेज में रोज़े का मज़ाक़ उड़ाया गया है
*एक पठान बिना टिकट ट्रेन में सफर करने लगा टी. टी. आया तो पठान नमाज़ पढ़ने खड़ा हो गया*
*टी. टी. एक आदमी के पास में बैठकर उसका इंतज़ार करने लगा पठान गुस्से में जोर से बोला*
*टी. टी. एक आदमी के पास में बैठकर उसका इंतज़ार करने लगा पठान गुस्से में जोर से बोला*
*निययत करता हूँ मैं 100 रकअ़त नमाज़ की लखनऊ से सहारनपुर तक अल्लाहु अकबर* टी. टी. बेहोश
*इस मैसेज में नमाज़ का मज़ाक़ उड़ाया गया हे*
*बीवी को शॉपिंग नहीं करना हो तो एअ़तेक़ाफ में बैठ जाओ*
*ऐ अल्लाह! मेरे अगले पिछले तमाम गुनाह मेरे दोस्तों के नामाए अ़माल में ड़ाल दे*
*इस मेसेज में एअ़तेक़ाफ और दुआ़ का मज़ाक़ उड़ाया गया हे*
*और अब ये नया*
खतरनाक धमकी
*और अब ये नया*
खतरनाक धमकी
रमज़ान में जो मुझे दुआ में भूल जाये उसके पकौड़े जल जाये ,समोसे खुल जाये , खाने में नमक ज़्यादा हो जाये और रूहअफजा में मक्खी गिर जाये , मस्जिद में उसको जगह न मिले बिरयानी में बोटी न मिले और मस्ज़िद से बाहर आये तो चप्पल भी न मिले*
*इसलिए दुआ में याद रखना
*इसलिए दुआ में याद रखना
*भाई लोगो अल्लाह और उसके ग़ज़ब से डरो*
*जो ऐसे मैसेज बनाता है वो गुनाहगार*
*दूसरों को फारवर्ड करने वाला गुनाहगार*
*पढने वाला गुनाहगार*
*जो ऐसे मैसेज बनाता है वो गुनाहगार*
*दूसरों को फारवर्ड करने वाला गुनाहगार*
*पढने वाला गुनाहगार*
अस्तग़फिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्लि ज़मबीउं वा आतुबु इलेही
याद रखो! अल्लाह के यहाँ तुम्हारी ऐसी पकड़ होगी कि आप सोच भी नहीं सकते
याद रखो! अल्लाह के यहाँ तुम्हारी ऐसी पकड़ होगी कि आप सोच भी नहीं सकते
क़ुरआन की आयात और अल्लाह के पाक महीने का मज़ाक़ बना कर और लोगों से बनवा कर तुम कितना बड़ा गुनाह कर रहे हो ज़रा सोचो क्या फर्क़ रह गया तुम में और यहूद-उ-नसारा में?
मेरे इस्लामी भाइयों! ऐसे मैसेज! से बचो और नाज करो अपनी क़िस्मत पर आप सभी को दीन इस्लाम मिला
*अल्लाह सुबह़ान वा तअला सभी को कहने और सुनने से ज़्यादह अ़मल करने की तौफीक़ अता फरमाये
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