Kya Islam Talwar Ki Taqat Se Failaya Gya hai?
क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता Hai?
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है*
नोट: यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।
*पार्ट नंबर* 17
हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की संक्षिप्त जीवनी
*अल्लाह के रसूल (सल्ल0) ने उन सभी लोगों को माफ़ कर दिया, जिन्होंने आप (सल्ल0) और मुसलमानों पर बेदर्दी से जुल्म किया तथा अपना वतन छोड़ने को मजबूर किया था। आज वे ही मक्कावाले अल्लाह के रसूल के सामने खुशी से कह रहे थे:-*
*ला इला-ह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह*
और झुंड के झुंड प्रतिज्ञा कर रहे थेह्न ।
*अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु व अश्हदु अन-न मुहम्मदरसूलुल्लाह*
*(मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं है और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।)*
*हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की पवित्र जीवनी पढ़ने के बाद मैंने पाया कि पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) ने एकेश्वरवाद के सत्य को स्थापित करने के लिए अपार कष्ट झेले।*
*मक्का के काफ़िर सत्य-धर्म की राह में रोड़ा डालने के लिए मुहम्मद (सल्ल0) को तथा उनके बताए सत्य-मार्ग पर चलनेवाले मुसलमानों को लगातार तेरह सालों तक हर तरह से प्रताड़ित और अपमानित करते रहे।*
*इस घोर अत्याचार के बाद भी मुहम्मद (सल्ल0) ने धैर्य बनाए रखा। यहाँ तक कि उनको अपना वतन मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा। लेकिन मक्का के मुश्रिक कुरैश ने मुहम्मद (सल्ल0) और मुसलमानों का पीछा यहाँ भी नहीं छोड़ा। जब पानी सिर से ऊपर हो गया तो अपनी और
मुसलमानों की तथा सत्य की रक्षा के लिए मजबूर होकर मुहम्मद (सल्ल0) को लड़ना पड़ा।*
*इस तरह मुहम्मद (सल्ल0) पर और मुसलमानों पर लड़ाई थोपी गई। इन्हीं परिस्थितियों में सत्य की रक्षा के लिए जिहाद (यानी आत्मरक्षा और धर्मरक्षा के लिए धर्मयुद्ध) की आयतें और अन्यायी तथा अत्याचारी काफ़िरों व मुश्रिकों को दण्ड देनेवाली आयतें अल्लाह की ओर से मुहम्मद (सल्ल0) पर आसमान से उतरीं।*
*पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) द्वारा लड़ी गई लड़ाइयाँ आक्रमण के लिए न होकर........*
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
WAY OF JANNAH INSTITUTE
नोट: यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।
*पार्ट नंबर* 17
हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की संक्षिप्त जीवनी
*अल्लाह के रसूल (सल्ल0) ने उन सभी लोगों को माफ़ कर दिया, जिन्होंने आप (सल्ल0) और मुसलमानों पर बेदर्दी से जुल्म किया तथा अपना वतन छोड़ने को मजबूर किया था। आज वे ही मक्कावाले अल्लाह के रसूल के सामने खुशी से कह रहे थे:-*
*ला इला-ह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह*
और झुंड के झुंड प्रतिज्ञा कर रहे थेह्न ।
*अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु व अश्हदु अन-न मुहम्मदरसूलुल्लाह*
*(मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं है और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।)*
*हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की पवित्र जीवनी पढ़ने के बाद मैंने पाया कि पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) ने एकेश्वरवाद के सत्य को स्थापित करने के लिए अपार कष्ट झेले।*
*मक्का के काफ़िर सत्य-धर्म की राह में रोड़ा डालने के लिए मुहम्मद (सल्ल0) को तथा उनके बताए सत्य-मार्ग पर चलनेवाले मुसलमानों को लगातार तेरह सालों तक हर तरह से प्रताड़ित और अपमानित करते रहे।*
*इस घोर अत्याचार के बाद भी मुहम्मद (सल्ल0) ने धैर्य बनाए रखा। यहाँ तक कि उनको अपना वतन मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा। लेकिन मक्का के मुश्रिक कुरैश ने मुहम्मद (सल्ल0) और मुसलमानों का पीछा यहाँ भी नहीं छोड़ा। जब पानी सिर से ऊपर हो गया तो अपनी और
मुसलमानों की तथा सत्य की रक्षा के लिए मजबूर होकर मुहम्मद (सल्ल0) को लड़ना पड़ा।*
*इस तरह मुहम्मद (सल्ल0) पर और मुसलमानों पर लड़ाई थोपी गई। इन्हीं परिस्थितियों में सत्य की रक्षा के लिए जिहाद (यानी आत्मरक्षा और धर्मरक्षा के लिए धर्मयुद्ध) की आयतें और अन्यायी तथा अत्याचारी काफ़िरों व मुश्रिकों को दण्ड देनेवाली आयतें अल्लाह की ओर से मुहम्मद (सल्ल0) पर आसमान से उतरीं।*
*पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) द्वारा लड़ी गई लड़ाइयाँ आक्रमण के लिए न होकर........*
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
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