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Bhagker Hindu Larko Se shadi karne walo ke Liye Ek Nasheehat

       JO Larkiyaan bhagker Shadi kar rahi uske liye chand Naseehatein.

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जो लड़कियाँ भागकर ग़ैर मुस्लिम से शादी करके मुर्तद हो रहीं हैं !!
उनके इस आक़दाम में उनके वालदैन बराबर के शरीक़ हैं !!
जो अपनी बेटियों को इस्लामी तालीम से रूह बरु नहीं करवा पाए !!
उन्हें तौहीद का दरस न दे पाए !!
ऐसे तो मां बाप अपने बच्चों की दुनिया की खुशहाली के लिए दिन भर मेहनत कर के अपने आप को खपा देते हैं !!
लेकिन आख़िरत जहाँ हमेशा हमेशा के लिए रहना है वहाँ की तैयारी नहीं करवाते !!
जब यहाँ के लिए यह बर्दाश्त नही उनके बच्चों को एक काँटा भी चुभे तो उनको दीनी तालीम न देकर कैसे बर्दाश्त कर लेते हैं कि उनका बच्चा या बच्ची हमेशा हमेशा के लिए जहन्नम का ईंधन बने !!
अगर कोई मोमीन लड़की काफिर की ज़र्रा भर भी मोहब्बत लेकर मर गई तो उसका इमान पर खत्मा नही हुआ,
( मुसनद अहमद की हदीस , 7:209 जो काफिरो से मोहब्बत करे वो उनही मे से है !! )
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ऐसी लड़की जो काफिर से मोहब्बत करे उस पर अल्लाह और तमाम फरिश्तों की लानत हैं !!
और ऐसी लड़की पर हर मोमीन लानत भेजता है ऐसी लड़कियों के लिए ज़िल्लत और रूसवाई के सिवा कुछ नही बचता !!
और अपना ठिकाना खुद जहन्नुम बना लेती हैं !!
ऐसे भाई और माँ- बाप की परवरीश पर भी लानत !!
ये वो ही लड़कियां होती है जो दीनी माहोल से बहुत दूर रहती हैं !!
और दीनी तालीमात हासील नही करतीं बल्कि लड़कों के चक्कर मे और टीवी सिरीयल मे ही अपनी जिन्दगी गुज़ार कर बरबाद कर लेती हैं !!
फिर जिन्दगी का सुकून चला जाता है तो कोसती हैं !!
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बहोत सी लड़कियां और लड़के ये कहते हैं कि हर अच्छा काम करने वाला जन्नत में जायेगा !!
जन्नत का मुस्तहिक़ कौन होगा , कौन पुलसिरात पार करेगा , कौन औजे सुरैया पर मुकीम होगा इसका पैरामीटर किसी बकलोल की लफ़्फ़ाज़ी तै नही कर सकती
, इसका पैमाना पैरामीटर सिर्फ और सिर्फ कुरान है , और बकलोली से हट कर एक ज़ाहिल तरीन शख्स भी जानता है कि जन्नत के अव्वल तरीन शर्त तौहीद तो है ही कम से कम
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किसी मुस्लिम द्वारा "क़ुरआन के हराम-करदा काम को हलाल" जान कर करना हमारे नज़दीक इर्तिदाद है !!
और हम ताग़ूती कोर्ट वाली आपकी दलील को मानते ही नहीं !!
हमें किससे शादी करनी है और किससे नहीं, क़ुरआन में अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल ने खोल कर बता दिया है !!
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2-221-
और (मुसलमानों) तुम मुशरिक औरतों से जब तक ईमान न लाएँ निकाह न करो क्योंकि मुशरिका औरत तुम्हें अपने हुस्नो जमाल में कैसी ही अच्छी क्यों न मालूम हो मगर फिर भी ईमानदार औरत उस से ज़रुर अच्छी है !!
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और मुशरेकीन जब तक ईमान न लाएँ अपनी औरतें उन के निकाह में न दो और मुशरिक तुम्हे कैसा ही अच्छा क्यो न मालूम हो मगर फिर भी ईमानदार औरत उस से ज़रुर अच्छी है !!
और मुशरेकीन जब तक ईमान न लाएँ अपनी औरतें उन के निकाह में न दो !!
और मुशरिक तुम्हें क्या ही अच्छा क्यों न मालूम हो मगर फिर भी बन्दा मोमिन उनसे ज़रुर अच्छा है ये (मुशरिक मर्द या औरत) लोगों को दोज़ख़ की तरफ बुलाते हैं और ख़ुदा अपनी इनायत से बेहिश्त और बख़्शिस की तरफ बुलाता है !!
और अपने एहकाम लोगों से साफ साफ बयान करता है ताकि ये लोग चेते !!
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जब समझाने वाले को बुरा कहा जाता हैं और कुछ बेगैरत मुस्लिम लड़कियां तो गालियां तक देती हैं जब उन्हें समझाओ उन सबको यह सुनाने का हक़ जम्हूरीयत देती है !!
ऐसी #फ़ाहिशा और बेग़ैरत औरत को इसी तरह का निज़ाम परवरिश करता है !!
अगर हुदूद क़ायम रहतीं तो क्या इन जैसी औरतों की हिम्मत होती कि वो अपनी शैतानियत से भरी अय्याशी (Live-in) की ज़िंदगी जी लेतीं और किसी समझाने वाले को ये सब सुनना पड़ता !!
बिल्कुल नहीं !!
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और रहा सवाल निज़ाम बदलने का !!
तो उससे तो हमलोग अपने आप को  क़ासिर मान चुके हैं !!
मगर, इसी कुफ़्रिया set-up में रहते हुए भी हम ऐसी फ़ाहिशा लड़कियों और उनकी हिमायत में खड़े उनके रिश्तेदारों दोस्तों का समाजी बॉयकॉट तो कर ही सकते हैं !! लेकिन,
ज़बर्दस्त बॉयकॉट !!
मुर्तद मानकर !!
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ज़िना करने वाला मर्द तो ज़िना करने वाली औरत या मुशरिका से निकाह करेगा !!
और ज़िना करने वाली औरत भी बस ज़िना करने वाले ही मर्द या मुशरिक से निकाह करेगी !!
और सच्चे ईमानदारों पर तो इस क़िस्म के ताल्लुक़ात हराम हैं !!
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इस आयत में 'निकाह नहीं करता' से मतलब है कि व्यभिचारी (ज़ानी) पुरुष इस योग्य नहीं है
कि उसका निकाह व्यभिचारिणी (ज़ानी) या मुश्रिकह के सिवा किसी और से हो, और व्यभिचारिणी (ज़ानी) स्त्री के लिए अगर कोई व्यक्ति उपयुक्त है तो व्यभिचारी (ज़ानी) या मुशरिक पुरुष, नेक मोमिन उसके लिए उपयुक्त नहीं !!
(सूरह 24 अन-नूर - 03)
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गन्दी औरते गन्दें मर्दों के लिए (मुनासिब) हैं और गन्दे मर्द गन्दी औरतो के लिए और पाक औरतें पाक मर्दों के लिए (मौज़ूँ) हैं और पाक मर्द पाक औरतों के लिए लोग
(सूरह 24अन-नूर आयत 26)
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