Musa Alaih Assalam Ka waqya in Hindi, Musa Alaih Assalam Ka waqya Hindi me
*ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
*शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहेम वाला है*
*सुराह- तूल - माईदा*
*आयत नंबर :-- 21,22,23,24,25.*
*یٰقَوۡمِ ادۡخُلُوا الۡاَرۡضَ الۡمُقَدَّسَۃَ الَّتِیۡ کَتَبَ اللّٰہُ لَکُمۡ وَ لَا تَرۡتَدُّوۡا عَلٰۤی اَدۡبَارِکُمۡ فَتَنۡقَلِبُوۡا خٰسِرِیۡنَ ﴿21﴾*
*قَالُوۡا یٰمُوۡسٰۤی اِنَّ فِیۡہَا قَوۡمًا جَبَّارِیۡنَ ٭ۖ وَ اِنَّا لَنۡ نَّدۡخُلَہَا حَتّٰی یَخۡرُجُوۡا مِنۡہَا ۚ فَاِنۡ یَّخۡرُجُوۡا مِنۡہَا فَاِنَّا دٰخِلُوۡنَ ﴿22﴾*
*قَالَ رَجُلٰنِ مِنَ الَّذِیۡنَ یَخَافُوۡنَ اَنۡعَمَ اللّٰہُ عَلَیۡہِمَا ادۡخُلُوۡا عَلَیۡہِمُ الۡبَابَ ۚ فَاِذَا دَخَلۡتُمُوۡہُ فَاِنَّکُمۡ غٰلِبُوۡنَ ۬ ۚ وَ عَلَی اللّٰہِ فَتَوَکَّلُوۡۤا اِنۡ کُنۡتُمۡ مُّؤۡمِنِیۡنَ ﴿23﴾*
*قَالُوۡا یٰمُوۡسٰۤی اِنَّا لَنۡ نَّدۡخُلَہَاۤ اَبَدًا مَّا دَامُوۡا فِیۡہَا فَاذۡہَبۡ اَنۡتَ وَ رَبُّکَ فَقَاتِلَاۤ اِنَّا ہٰہُنَا قٰعِدُوۡنَ ﴿24﴾*
*قَالَ رَبِّ اِنِّیۡ لَاۤ اَمۡلِکُ اِلَّا نَفۡسِیۡ وَ اَخِیۡ فَافۡرُقۡ بَیۡنَنَا وَ بَیۡنَ الۡقَوۡمِ الۡفٰسِقِیۡنَ ﴿25﴾*
*21. ए मेरे कोम वालो ! इस मुकद्दस जमीन में दाखिल हो जाओ जो अल्लाह ताला ने तुम्हारे नाम लिख दी है और अपनी पुस्त के बल रुगरदानी न करो के फिर नुकसान में जा पढ़ो,*
*22. इन्होंने जवाब दिया के ए मूसा वहां तो जोरावर लोग है और जब तक वो वहां से निकल न जाए हमतो हरगिज वहां न जाएंगे हा अगर वो वहां से निकल जाए फिर तो हम (बखूबी) चले जाएंगे,*
*23. दो सख्सो ने जो खुदातरस लोगो में से थे,जिन पर अल्लाह ताला का फजल था कहा के तुम उनके पास दरवाजे में तो पहुंच जाओ दरवाजे में कदम रखते ही यकीनन तुम गालिब आ जाओगे, और तुम अगर मोमिन हो तो तुम्हे अल्लाह ताला ही पर भरोसा रखना चाहिए,*
*24. कोम ने जवाब दिया के ए मूसा ! जब तक वो वहा है तब तक हम हरगिज वहां न जाएंगे, इस लिए तुम और तुम्हारा परवरदिगार जाकर दोनो ही लड़भिड लो, हम यही बैठे हुए है,*
*25. मूसा (अलैहि सलाम) कहने लगे इलाही मुझे तो बजुज अपने और मेरे भाई के किसी और पर कोई इख्तियार नहीं, पस तू हममें और इन नाफरमानो में जुदाई कर दे,*
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