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*السلام علیکم ورحمۃ اللہ وبرکاتہ*
*ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
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*औरत पर अपने नफ़्स के आदाब.*
🧕👉🏻औरत को चाहिये कि हमेशा अपने घर की चार दिवारी में गोशा नशीन रहे, *(बिला ज़रूरत)* छत पर बार बार न चढ़े,
🧕👉🏻अपनी गुफ्तगू पर पड़ोसियों को आगाह न करे *(यानी इतनी आवाज़ में गुफ्तगू करे कि उस की आवाज़ चार दिवारी से बाहर न जाए)*
🧕👉🏻बिला ज़रूरत पड़ोसियों के पास आया जाया न करे, जब उस का शौहर उस की तरफ देखे तो उसे खुश करे,
🧕👉🏻शौहर की गैर मोजुदगी में उसकी उज़्ज़त की हिफाज़त करे, घर से न निकले,
🧕👉🏻हाँ ! ज़रूरतन अगर किसी काम से निकलना पड़े तो बा पर्दा हो कर निकले,
🧕👉🏻ऐसे रास्ते और जगह से गुज़रे जहा ज़्यादा हुजूम और आमदो रफ्त न हो,
🧕👉🏻अपनी गुरबत वगैरा को छुपाए बल्कि जो उसे जानता हो उस के सामने इनकार कर दे,
🧕👉🏻अपनी तमाम तर कोशिश नफ़्स की इस्लाह और घरेलू मुआमलात की दुरुस्ती में सर्फ करे,
🧕👉🏻नमाज़ रोज़े की पाबन्दी करे,
🧕👉🏻अपने उयुब पर नज़र रखे, दीनी मुआमले में खूब गौरो तफ़क्कुर करे,
🧕👉🏻ख़ामोशी की आदत बनाए,
🧕👉🏻निगाहें नीची रखे,
🧕👉🏻अपने दिल में रब्बे जब्बार का खौफ पैदा करे,
🧕👉🏻कसरत से अल्लाह का ज़िक्र करे,
🧕👉🏻अपने शौहर की फरमा बरदार रहे,
🧕👉🏻उसे रिज़्के हलाल कमाने की तरगिब् दिलाए,
🧕👉🏻तहाइफ वगैरा की ज़्यादा फरमाइश न करे, शर्मो हया को लाज़िम पकड़े,
🧕👉🏻बद ज़बानी व फोहश कलामी न करे,
🧕👉🏻सब्रो शुक्र करे,
🧕👉🏻अपने नफ़्स के मुआमले में ईसार करे,
🧕👉🏻अपनी हालत और खुराक के मुआमले में खुद को तसल्ली दे,
🧕👉🏻जब शौहर का दोस्त घर में आने की इजाज़त चाहे और शौहर घर में मौजूद न हो तो उसे घर में आने की इजाज़त न दे और अपने नफ़्स और शौहर से गैरत करते हुए उसे कसरते कलाम न करे।
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