Hindu Dharm se Tarike lekar Barailwi Dharm Izaad Hua.
हिंदू धर्म सबसे प्राचीन धर्म है, तकरीबन हजारो लाखो साल पुरानी, इस धर्म की प्रमुख चार किताबे है ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्वेद और सामवेद। इस धर्म मे बहुत से देवी देवता भी हुए जिनकी पूजा की जाती है, हिंदू धर्म मे कई अवतार भी हुए। खैर हर कोई इस धर्म के बारे मे जानता है मगर आज यहाँ आप को एक ऐसे धर्म के बारे मे बताऊंगा जिसके मानने वाले को देखे होंगे मगर उनके धर्म के बारे मे शायद आपको मालूम नही होगा।
वह धर्म है बरेलवी धर्म:
इस धर्म के मानने वाले ज्यादातर हिंदुस्तान, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश मे है। बरेलवी धर्म के मानने वाले और हिंदू धर्म के मानने मे ज्यादा फर्क है। मगर हिंदू धर्म बहुत पुराना धर्म है, इस धर्म मे अवतार है, वेद की किताबे है, शास्त्र है, और इनका अपना तरीका है। मगर बरेलवी धर्म का न कोई अवतार है, न इतिहास मालूम है, बल्कि इन लोगो के पास कुछ नही था तो हिंदू धर्म के रीति रिवाजों को अपनाकर एक अलग धर्म बनाया। बरेलवी धर्म का कोई सर पैर मालूम ही नही, इसका डेट ऑफ बर्थ किसी को मालूम नही।
आइये जानते है इस बगैर सर पैर वाले धर्म के बारे मे, इसने कौन कौन से तरीके हिंदू धर्म से लिए है।
हिंदू अपने धार्मिक शास्त्रों को छोड़कर पंडित जी की कही हुई बात और किताबो पर चलते है।
वही बरेलवी कुरान व हदीस को छोड़ कर अपने मौलवियो, इमामो और बुजुर्गो की लिखी हुई किताब व उनके बातिल अकिदे पर चलते है।
(1) हिंदू को अगर कोई पंडित जी रात भर पानी मे रहने को कहे तो वह खडा रह जायेगा।
उसी तरह बरैलवी का मौलवी बरेलवी को पानी मे खड़ा रहने को बोले तो वह खड़ा रहेगा।
(2) हिंदुओ के चार वेद है। ऋग् वेद, अथर्वेद, सामवेद और यजुर्वेद। इन वेदो को छोड़कर वे अपने अपने पंडितो की किताबें पढ़ते है और मूर्ति पूजा करते है।
इसी तरह बरेलवी धर्म वाले भी कुरान व हदीस को छोड़कर अपने अपने बुजुर्गो, इमामो और खानकाहो को पुकारते है। यह बागी अपने चार इमामो की किताब को ही मानते है।
(3) हिंदू मूर्ति पूजा करेंगे और कहेंगे की हम इन्हें रूपक मानते है, इसके जरिये हम ईश्वर के करीब होते है।
इसी तरह बरेलवी भी मजारो पर जाकर बाबाओ, पिरो और सज्जादा नशीं से मांगते है और कहते है के हम इनसे मांगते नही बल्कि इनसे वसीला लेते है, ये हमारी दुवाओ को अल्लाह तक पहुचाते है।
(4) ये खड़ी मूर्ति की पूजा करते है और वो (बरेलवी) पड़ी मूर्ति की।
ये देवी देवता के स्थान पर जाते है और वो क़ब्रिस्तान की जयारत् करने जाते है।
हिंदू मूर्ति को धोकर पीते है तो कहते है की ये गंगा जल से भी पवित्र है।
वही बरेलवी उर्स के मौके पर पक्की कब्र को धोकर पियेंगे तो कहेंगे के यह तो आब ए ज़मज़म से भी पाक है।
(5) ये अपने पूजा स्थलों पर भजन गाते है, वो अपने इबादतगाहो (मजार, दरगाह) पर कव्वालिया गाते है।
(6) ये मंदिरो का दर्शन करने के लिए धाम/ यात्रा करते है, जबकि बरेलवी मजार की जियारत के लिए सफर पर जाते है।
(7) ये मूर्ति, पेड़ों पर कपड़े और माला डालते है , इधर बरेलवी मजारो और दरगाहों पर फूल और चादर चढ़ाते है।
(8) हिंदू मंदिरो मे भजन कीर्तन पढ़ते है उसी तरह बरेलवी मजारो व दरगाहों पर कव्वालियान गाते है और ठुमके लगाते है।
इतना ही नही दोनो की शादियों मे भी बहुत सी समानताएं है।
(1) इनके यहाँ शादी से एक दिन पहले मटकोर पूजा होती है, उसी दिन भोज भी होता है। भोज होने से पहले पंडित जी पूजा कराकर प्रसाद बांट देते है।
बरेलवी धर्म मे भी शादी के एक दिन पहले मटकोर होता है जिसमे ये पहले मिलाद करते है, मिलाद के बाद खड़े होकर कयाम करते है उसके बाद मिठाई पर फ़ातेहाँ पढ़ते है फिर बाँटते है उसके बाद भोज होता है।
(2) हिंदुओ मे जिसकी शादी होती है वह मटकोर के दिन अपने माँ के साथ मंदिर मे पूजा करने जाता / जाती है, इसमे आसपास की बहुत सो औरतें भी शामिल होती है।
वही बरेलवियो मे मटकोर के दिन बहुत सारी औरते एक साथ लड़का या लड़की को लेकर मस्ज़िद मे "ताक " भरने जाती है। इतना ही नही लड़का सारी जिंदगी नमाज पढ़ता हो या न हो मगर बारात जाने से पहले दो रकात् नमाज जरूर पढ़ता है, वह अलग बात है के दुल्हे राजा कभी मस्ज़िद गया न हो।
(3) हिंदू भाईयो के यहाँ शादी मे दुल्हा से धान कुटवाया जाता है, उसी तरह बरेलवियो के यहाँ भी घर - भराव होता है जिसमे चावल उपर से फेंका जाता है और सास ससुर का घर भरा जाता है ।
(4) हिंदुओ मे लड़की की विदाई के वक़्त लड़की का भाई गाड़ी को धक्का देकर आगे बढ़ाता है, ठीक उसी तरह बरेलवी के यहाँ भी लड़की का भाई गाड़ी को धक्का देकर आगे बढ़ाता है।
पर्व व त्योहार मे यक्सानीयत (सिमिलार्लिटीज)
(1) हिंदू धर्म के मानने वाले छठ पूजा (कुछ राज्य मे ही होता हो) मनाते है, बरेलवी भी बीबी पब्नी और बेड़ा नाम का पर्व मनाते है।
(2) हिंदू रक्षा बंधन के मौके पर महाविरि झंडा मनाते है तो दूसरी तरफ झंडे के जैसा ही 10 मुहर्रम को ताजिया मनाया जाता है।
(3) हिंदू सकरात् मनाते है जिसमे तिल का लाइ खाते है तो बरेलवियो के यहाँ शब् ए बारात मनाया जाता है जिसमे हलवा खाते है।
(4) हिंदू महायज्ञ मनाते है, जिसमे बहुत सारी देवी देवताओं की पूजा की जाती है, बरेलवी लोग भी उर्स मनाते है जिसमे सज्जादा नशीं के आगे सजदा करते है और अपनी मुरादें मांगते है। उर्स मे ये लोग दरगाहों और मजारो पर जाते है वहाँ मेला लगता है। मेला मे ज्यादातर लड़के और लड़कियो की भीड़ होती है जहाँ से लड़किया किसी लड़के के साथ भाग जाती है।
तहज़ीज़ व तदफ़ीन / अंतिम संस्कार या क्रिया कर्म मे समानताएँ
(1) हिंदू धर्म मे मरने वाले के यहाँ श्राद होता है उसी तरह
बरेलवियो मे चहारम, दस्वां, बिस्वां, चलिस्वा, बरसी और बरखि होता है मरने वाले के नाम पर।
(2) हिंदू धर्म के धर्मगुरु, संत या आचर्यं भगवा या नारंगी रंग का कपड़ा पहनते है
ठीक उसी तरह बरेलवी लोगो के पीर, मौलवी, सज्जादा नशी व उलेमा चिश्तिया रंग के कपड़े पहनते है।
(3) हिंदू राशि देख कर अपने भाग्य / भवीष्य का फैसला करते है वहीं बरेलवी भी जंतरि देख कर शादी या किसी खास मौके का तारीख तय करते है, वो अपने किस्मत का फैसला जंतरि की तरिखो से करते है।
(4) हिंदू भाई यंत्र बनाते है और उसे दरवाजे के सामने लटका देते है तो दूसरी तरफ लौह ए कुरानी लटका देते है।
(5) ज्यादातर हिंदू भाई जब बाहर से आते है तो देवी देवता का दर्शन करने धाम जरूर जाते है। उसी तरह जब कोई बरेलवी विदेश से आता है तो बाबा के दरबार पर हाजिरी देने जरूर जाता है।
In lo go ka raz khul gaya
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