Suraj bhi Mashrik se nikal kar Magrib me Guroob ho jata hai.
Aaj ki Musalman Nasl Europe ki andhi Taqleed kar rahi hai?European Gulam apne Gulami ko Modern Bata rahe hai.
कीमती चीजो को छुपाया जाता है न के बाजारों मे उसका प्रदर्शन किया जाता है।*
इंग्लैंड की महारानी के ताज मे मुसलमान बादशाहो के हीरे चोरी करके लगाए गए थे।
अप्पी मै मुकम्मल #शरई #पर्दा करना चाहती हूँ मगर मेरे घरवाले इससे मना करते है, मै कैसे मैनेज करू?
Tasneem Nazim Ghazi
( डार्क ऑफ वेस्टर्न ..... यूनिवर्सल ट्रुथ पर एक नज़र ✍ ).....
वह मशरिक से उभरता है , और मग़रिब में डूब कर गर्क हो जाता है ,
यह #सूरज सुबह शाम यह सबक देता हैं कि सीखो , कहाँ से उभरना है और कहाँ गए तो डूब कर अपना वजूद खो दोगे ।।
पश्चिम में जा कर सूरज डूब जाता है तो यह नई नस्लों की क्या बिसात की वेस्टर्न से उभर सकें .... आखिर उन्हें डूब ही जाना है ....
डूब जाना है आज की रात जश्न में ,,
जश्न , उन्माद , जवानी और शराब , रक्स और मौशिकी
सिर्फ इतना ही नही रहता .... उसके बाद का जो दौर शुरू होता है वह भयावह है ।
मौका भी है दस्तूर भी है ,
जाम भी है सुरुर भी है ,
जवां जिस्म बाहों में रँजूर भी है ।।
हैरत होती है जब बिन्ते हव्वा किसी गैर मर्द को यह हक़ देती है कि आज की रात वह उसके जिस्म के जिस हिस्से को छूना चाहे छू सकता है ।।
और लाखों लाख बलात्कार बिन्ते हव्वा और इब्ने आदम की सहमति से मुकम्मल होते हैं ।।
जिस्मो की हवस मिट जाने के बाद इस जश्न का अंत होता है ,
सुबह की विश करते हुए घर जाने के लिए तैयार दोनों लोग एक दूसरे को सुबह की मुबारकबाद देते हैं ?
सूरज हमेशा की मानिंद फिर मशरिक से नमूदार होता है ,
और जिस वक्त सूरज मशरिक से नमूदार
होता है , ठीक उसी वक़्त पूरी एक वेस्टर्न ( मग़रिबी ) गुलाम पीढ़ी पष्तियों की गहराइयों में गर्क हो कर घर लौट रही होती है ।।
अहले हुक़ूक़ इसको आज़ादी कहते हैं ।
"बिन फेरे हम तेरे
और फिर
त्याग त्याग त्याग तो कुबूल है "
पर पूरे मुआशरे के सामने निकाह होकर आए कपल्स अगर मिस अंडर स्टैंडिंग के चलते #शरई तरीके से अलग होना चाहते हैं तो यह अहले सियासत और अहले हुक़ूक़ की नज़र में यौन शोषण है "...?
अल्लामा इकबाल ने सही कहा था कि। हर मग़रिबी तहज़ीब अपने ख़ंजर से खुद ही खुदकशी करेगी "
समझ नही आता कि जिस बात को हम अपने छोटे भाइयों के लिए गवारा नही कर सकते , उस बात को लोग अपनी बेटियों , बहनो और बीबियों के लिए कैसे गवारा कर लेते हैं ?....
एक गैरत मन्द शायर लिखता है कि
" तेरी बाहों में देखो , मैं औरों की बाहें
कहाँ से लाऊंगा मैं , सनम ऐसी निगाहें ?
यह कोई रस्म होगी , कोई दस्तूर होगा ।
मगर दस्तूर यह क्यों मुझे मंजूर होगा ?
.
सूरज तो दरस देता है , अब हम सुनिश्चित करें कि हमारी पीढ़ियों को हम गर्क होने देंगे या उन्हें मग़रिब के उफ़क़ पर नमूदार करके औजे सुरैया के लिए रास्ता हमवार करेंगे ।।।
"मैं कौन ............ ?
सूरज हूँ ज़िन्दगी की रमक छोड़ जाऊंगा
मैं डूब भी गया तो चमक छोड़ जाऊंगा..
मैं ग़ाज़ी ✍
अमेरीका के #हॉस्पिटल मे एक अजीब वाक्या पेश आया जिसके बाद #अस्पताल के #ईसाई डॉक्टर #मुसलमान बन गए।
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