Tauheed Kya Hai?
Tauheed Ki Kya Shart Hai?
Shirk kya hai? Ise karne walo ki kya Sja Hai?
Shirk aur Tauheed me Fark
Tauheed Ki Ahmiyat O Fazilat
Aqeeda-E-Tauheed
अल्लाह से हटकर उसे न पुकारो जो न तुम्हें फायदा पहुँचाए और न तुम्हें नुकसान पहुँचा सके और न तुम्हारा बुरा कर सके, अगर तुमने ऐसा किया तो उस वक्त तुम जालीमो मे शुमार होगे
*कूरान सुराह यूनुस आयत न .106
अफसोस बहूत लोग गुमराह हौगये है इल्म ना होने (लाइल्म) की वजह सॆ फोत शुदा (मुर्दा )लोगो को पुकारते है उनका वसीले सॆ दूवा मांगते है जबकि कूरान और हदीश मे गुमराह कहा
आइये दैखते है फौत शुदा (मुर्दा )लोगो की वसीले के चक्कर कितने कौम को शैतान ने केसे बह्काया और गुमराह हो गये ।
*गैरूल्लह को पुकारना यानी वली अव्लीया को पुकारना* नूह अलयसलाम के जमानेभी पुकारा जाता था ।
◾और (उलटे) कहने लगे कि आपने माबूदों को हरगिज़ न छोड़ना और न *वद* को और *सुआ* को और न *यगूस* और *यऊक़* व *नस्र* को छोड़ना
और उन्होंने बहुतेरों को गुमराह कर छोड़ा और तू (उन) ज़ालिमों की गुमराही को और बढ़ा दे
और उन्होंने बहुतेरों को गुमराह कर छोड़ा और तू (उन) ज़ालिमों की गुमराही को और बढ़ा दे
*कूरान:सुराह नूह आयत न.23,24*
◾हदीस के मुताबिक यह नेक लाेग थे, जिनकाे उस जमाने के मुश्रिकीन पुकारते थे।ओर अल्लाह ने इनका जिक्र *कुरान मे सुराहा नूह आयत न.23,24 मे क्या हॆ*
मुराद *जिस तरह उस वकत के सालेहीन (नेक तकवा परहेजगार ) मान कर वद्द, सुवा, यगूस, यऊक, अौर नस्र काे अल्लाह के शरीक बनाकर पुकारा (पूजा )जाता था।*
अाज कल भी एक समूह (तबका, गिराेह) *अल्लाह के इलावा कब्राें में मदफून अौलिया काे पुकारते हैं।*
उस वकत काल में *वद्द, सुवा, यगूस यऊक, नस्र, थे,*
अाज अम्बिया अलैहिमुस्सलाम, *अली, हसन हुसैन रजियल्लाहु अन्हुम, शैख अब्दुल्कादिर जीलानी रहेमहुल्लाह, दाता, गन्ज बख्श, हज्वेरी, लाल शहबाज कलन्दर, अौर अजमेर के ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती रहेमहुल्लाह काे अल्लाह के इलावा पुकारते हैं।*
उस समय काल में एक नाम *"यगूस"*था
अौर अाज के कलिमागाे मुश्रिक *शैख अब्दुल कादिर जीलानी रहेमहुल्लाह काे "या गौस" पुकारते हैं।*
*लेकिन इस जमाने के लाेग कौमे नूह अलैहिस्सलाम से भी दाे कदम अागे निकल गए।*
पंखे वाली सरकार, पीर ताेती सरकार, पेप्सी वाली सरकार, खंम्बा पीर, अौर हद ताे यह है कि बेगैरती में इतेने डूब चुके हैं कि लन्न वाली सरकार तक के नाम रख कर अकीदत दिखाते हैं।
मुराद *जिस तरह उस वकत के सालेहीन (नेक तकवा परहेजगार ) मान कर वद्द, सुवा, यगूस, यऊक, अौर नस्र काे अल्लाह के शरीक बनाकर पुकारा (पूजा )जाता था।*
अाज कल भी एक समूह (तबका, गिराेह) *अल्लाह के इलावा कब्राें में मदफून अौलिया काे पुकारते हैं।*
उस वकत काल में *वद्द, सुवा, यगूस यऊक, नस्र, थे,*
अाज अम्बिया अलैहिमुस्सलाम, *अली, हसन हुसैन रजियल्लाहु अन्हुम, शैख अब्दुल्कादिर जीलानी रहेमहुल्लाह, दाता, गन्ज बख्श, हज्वेरी, लाल शहबाज कलन्दर, अौर अजमेर के ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती रहेमहुल्लाह काे अल्लाह के इलावा पुकारते हैं।*
उस समय काल में एक नाम *"यगूस"*था
अौर अाज के कलिमागाे मुश्रिक *शैख अब्दुल कादिर जीलानी रहेमहुल्लाह काे "या गौस" पुकारते हैं।*
*लेकिन इस जमाने के लाेग कौमे नूह अलैहिस्सलाम से भी दाे कदम अागे निकल गए।*
पंखे वाली सरकार, पीर ताेती सरकार, पेप्सी वाली सरकार, खंम्बा पीर, अौर हद ताे यह है कि बेगैरती में इतेने डूब चुके हैं कि लन्न वाली सरकार तक के नाम रख कर अकीदत दिखाते हैं।
*सहीह बुखारी हदीश न.4920.*
अब देखते है हज़रत मूसा अ.स (यहूदी) और हजरत ईशा अ.स (नसारा)का कौम के अकीदा
◾आयशा र.अ से रिवायत हॆ उम्मे हबिषा र.अ.और उम्मे सलमा र.अ.ने हब्सा मे एक गिरजाघर देखा जिसमे तस्वीरें थी । जब उन्होने (ﷺ) नबी उसका जिक्र क्या आप ने फरमाया *उनलोगों कि आदत थी नेक मर्द मरता तो उसकी कब्ररो मे मस्जिद और तस्वीर बनादेते थे* ये कयामत के दीन अल्लाह के नज़दीक सबमें बदतरीन (बहूत बुरा ) मह्क्लूक हॆ
*सही बुखारी हदीश न.427*
◾आयशा र.अ और इब्ने अब्बास र.अ.रिवायत हॆ नबी (ﷺ) ने फरमाया लानत हौ *यहूदी और नसारो पर जिन्होने अपने नबी और अँबिया ,अव्लीया के क्ब्ररो को ईबादह गाह बना लिया आप (ﷺ) को भी यही खौफ था उम्मत इस बदतरीन अमल मे मूब्तला ना हौ जाये*
*सही बुखारी हदीश न.435*
पिछले जितने भी कौम गुमराह हुये फौत शुदा (मुर्दा ) लोगो का वसीला की चक्कर मे शैतान ने उन्हे बहकाया
और *अल्लाह* फरमाता है ।
◾हमने हर उम्मत मै रशूल भेजा की लोगो सिर्फ अल्लाह की इबादत करो और *तागूत* सॆ बचो फीर उनमे सॆ किसी को तो अल्लाह ने सीधा राह( रस्ता )हिदायत पर लगाया और बाज लोग गुमराही साबित होगये पस तुम खुद ज़मीन मे चल फिर कर देखलो के झूठलाने वालो का अंजाम कैसा हुवा ?
*कूरान:सुराही नहल आयत न.36*
*तागुत* का मतलब (आग ,दरख्त,शैतान, पत्थर, इन्शान, पक्की क़बर ) *सब इसमे सुमार होता है*
अब दखते है सहाबा र.अ किस तरह वसीला सॆ *अल्लाह* दुवा की
◾अंनस र.अ से रिवायत है जब कभी उमर र.अ के ज़माने में सूखा पड़ता तो उमर र.अ अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब र.अ के दूवा करते और कहते कि ऐ अल्लाह! पहले हम तेरे पास अपने नबी (ﷺ)लाया करते थे। , तो पानी बरसा था। अब हम अपने नबी करीम (ﷺ)के चाचा से दुवा करवाते हैं, तो हम पानी बरसा। अनस र.अ कहा तो बारिश खूब ही बरसी।
*सही बुखारी हदीश न.1010.
इस हदीश साफ जाहिर होता है नबी (ﷺ)की कबर मुबारक नज़दीक होते हुये भी कबर मूबारक छोड़कर सहाबा र.अ नबी (ﷺ)के चाचा जो हायत थे उनसे वसीले सॆ अल्लाह सॆ दूवा की
नबी (ﷺ)ने ऊम्मत को नसीहत की और दरयाभी
नबी (ﷺ) ने फरमाया मेरे उम्मत के लोगो खबरदार हौ जावो तुमसे जो पहले ऊम्मत गुजरा हे वो अपने *अँबिया ओर अव्लीया के कब्ररो को(मस्जिद ) इबादत गाह बना लेते थे मे तुम्हे एसा करनेसे मना करता हूँ*
*सही मुसलिम हदीश न.1188*
*अल्लाह* फरमाता है उनलोगों के लिये नसीहत है जो फौत शुदा (मुर्दो )को वसीला बनाकर पुकारते है
*☝वही जींदा है* जिसके सिवा कोई माबूद बरहक नही ,पस तुम उसी की *इबादत* करते हुये उसी को *पूकारो* तमाम तारीफें *अल्लाह* के लिये है जो पूरे कायनात का *रब है ।*
*कूरान: सुराह गाफीर आयत न .65*
*☝अल्लाह* से दुवा है जो उम्मत शिर्क मे मूब्तला है उन्हें हिदायत नसीब फरमा औऱ उन्हें सिरातल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफ़ीक़ अता फरमा
*आमीन*...........
*आमीन*...........