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Shikari Aur Musalmaan: Aaj Musalmano ka Haal isi Parinde (Bird) ke Jaisa hai?

Musalmano Ke Badtar halat ka Zimmedar kaun hai?

आज मुसलमानो का हाल  इसी परिंदे के जैसा है?


जॉर्ज बर्नाड शॉ” का भी कहना है- ‘‘अगर अगले सौ सालों में इंग्लैंड ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप पर किसी धर्म के शासन करने की संभावना है तो वह इस्लाम है।’’

शिक्षा (तालीम) के नाम पर मुसलमान लड़कियो को बे पर्दा करने का रिवाज बढ़ता जा रहा है।*

यूरोप के #लोकतंत्र जाल मे फंसा पाकिस्तान की मजबूरी।

#इस्लाम से पहले #मक्का मे किसकी #हुकूमत थी और किस #धर्म के मानने वाले थे?

Muslim world me Europe ka Cultural dron, मिस्र मे यूरोप का कल्चर वार

यूरोप का बिकनी जाल जिसके जरिये मुसलमान लड़कियो को फंसाया जा रहा है।

पुराने दौर की बात है। एक शिकारी चिड़िया को पकड़ कर मुनासिब दामो मे बाजार ले जाकर बेचता था।

एक दिन एक दीनदार शख्स का उस बाजार से गुजर हुआ तो उसने उन परिंदो को देखा जो पिंजरे मे कैद थे।
वो ईमानदार शख्स ने सोचा के इन परिंदो को पिंजरे मे रखना और किसी के हाथो बेचना बहुत बड़ा गुनाह है।

इसलिए उसने उन परिंदो को आज़ाद करने के बारे मे सोचा, मगर उसे ख्याल आया के अगर मै इन परिंदो को मूंह मांगी रकम मे खरीद कर आज़ाद कर देता हूँ तो फिर यह शिकारी इसी परिंदे को पकड़ लेगा और पिंजरे मे डाल देगा इस तरह से मेरी मेहनत पर पानी फेड जायेगा।

इसलिए वह सब परिंदो को घर ले गया और उन को  चंद अल्फ़ाज़ सिखाने शुरू कर दिये।

जैसे

हम बाग मे सैर करने नही जायेंगे, अगर गए भी तो शाख और टहनिया पर नही बैठेंगे, अगर बैठ भी गए तो शिकारी को आता देख उड़ जायेंगे, हम कभी शिकारी के झांसे मे नही आयेंगे, कभी दुसरो के फेंके हुए दाने को नही खायेंगे ....... वगैरह

काफी अरसे बाद वह सिखाये हुए बोली बोलने लगा, यह सुनकर नेक दिल आदमी बहुत खुश हुआ के चलो मैंने अपनी मेहनत मे कामयाब हुआ।
वह वही सबकुछ बोलता था जो उसने सिखाया था।

वह अब एक एक करके सारे परिंदे आज़ाद करने शुरू कर दिये। अगले दिन सुबह जब शिकारी बाग मे शिकार करने गया तो उसने देखा के उनमे से कुछ परिंदे इंसानो के जैसे बोल रहे थे। फिर शिकारी सोचने लगा के अब तक मै बगैर बोलने वाले परिंदे बेचता था, अगर इन बोलने वाले परिंदो का शिकार करू तो ज्यादा कीमत मिलेगी।
शिकारी उन परिंदो की तरफ देखा जो बाग मे बैठे गुनगुना रहे थे। मै बाग मे नही जाऊंगा, शाख पर नही बैठूंगा, शिकारी के आते ही उड़ जाऊंगा......

शिकारी ने अपना जाल फैलाया , दाना डाला और चंद लम्हो मे उन आज़ाद परिंदो को फिर पिंजरे मे बंद कर लिया।
अब वह मूंह मांगी कीमत पर बाजार मे बेच दिया।

जब उस नेक शिफत इंसान ने उन परिंदो को पिंजरे मे यह बोलते हुए देखा तो हैरत मे पड़ गया।

उन परिंदो को क्या मालूम था के..

यह बाग क्या होता है?
शिकारी किस बला का नाम है?
शाख और टहनी क्या किस चीज को बोलते है?
उड़ना क्या होता है, और शिकारी कौन है?

कुछ ऐसे ही हालत आज हम मुसलमानो की है। चंद रटे रटाये अल्फ़ाज़ याद कर लिए जो नमाज मे पढ़ लेते है, दुआओ मे गुनगुना लेते है और रमज़ान का महिना आने पर कुरान ए शरीफ पढ़ लेते है।
कहीं सफर पर जाने के लिए, खाना खाने पर पढ़ी जाने वाली दुवाये याद कर लिए हो गया।

हमने कभी कुरान ए करीम को समझा ही नही और नही समझने की कोशिश की।

मुसलमानो ने कभी कुरान का मफहुम् समझा ही नही के

अल्लाह ने हम सब से क्या मुतालाबात किया है?
किन कामो से रोका है और किसका हुक्म दिया है?
क्या जाएज़ है और क्या नाजाएज़ है?
तरक्की का असल मकसद क्या है?
ईमान और हया क्या है और इसकी अहमियत और फजीलत क्या है?
दोस्त कौन है और दुश्मन कौन है?
असल कामयाबी क्या है, आखि़रत की गिरवी रखकर दुनिया बनाना?

जब यह हाल होगा तो शिकारी (बातिल कुव्वतें) हमे देख कर खुश भी होंगे और अपनी सरकाशि, मकर व फरेब का जाल फेंक कर हमारा शिकार करेंगे।

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3 comments:

  1. Masha allah
    Kya khub samajhaya hai aapne

    ReplyDelete
  2. Bahut achi story hai Aaj ke musalmano ke liye

    ReplyDelete

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