Kya Quran Ne Yahoodi Aur Christian se Jhhagre karne ko kaha hai?
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है?
सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है
नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है
*पार्ट नंबर 48
पवित्र कुरआन की वे चौबीस आयतें
20 *पैम्फलेट में लिखी 20वें क्रम की आयत है:
*हे ईमान लानेवालो (मुसलमानो) तुम यहूदियों' और 'ईसाइयों को मित्र न बनाओ। ये आपस में एक दूसरे के मित्र हैं। और जो कोई तुममें से उनको मित्र बनाएगा, वह उन्हीं में से होगा। नि:सन्देह अल्लाह जुल्म करनेवालों को मार्ग नहीं दिखाता।''(कुरआन, सूरा-5, आयत-51)
यहूदी और ईसाई ऊपरी तौर पर मुसलमानों से दोस्ती की बात करते थे लेकिन पीठ पीछे कुरैश की मदद करते और कहते, मुहम्मद से लड़ो हम तुम्हारे साथ हैं। उनकी इस चाल को नाकाम करने के लिए ही यह आयत उतरी जिसका उद्देश्य मुसलमानों को सावधान करना था, न कि झगड़ा कराना। इसके प्रमाण में कुरआन मजीद की यह आयत देखें:-. खुदा उन्हीं लोगों के साथ तुमको दोस्ती करने से मना करता है, जिन्होंने तुमसे दीन के बारे में लड़ाई की और तुमको तुम्हारे घरों से निकाला और तुम्हारे निकालने में औरों की मदद की, तो जो लोग ऐसों से दोस्ती करेंगे, वही ज़ालिम हैं।(कुरआन, सूरा-60, आयत-9)
अल्लाह की यह आयत बुराई पर अच्छाई की जीत ओर समाज मे शांति के लिए उतरी न कि लड़ाई-झगड़ा कराने के लिए।
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
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