Quran Ki Aayat Ka Galat Meaning Samjha kar Logo me Nafrat Failane ki Saazish.
*बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम*
*अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है?
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है
नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।
पार्ट नंबर 44
पवित्र कुरआन की वे चौबीस आयतें
15 पैम्फलेट में लिखी 15वें क्रम की आयत है:
तो अवश्य हम ‘कुफ़ करने वालों को यातना का मज़ा चखाएंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।(कुरआन, सूरा-41, आयत-27)
उस आयत को तो लिखा जिसमें अल्लाह काफ़िरों को दण्डित करेगा, लेकिन यह दण्ड क्यों मिलेगा? इसकी वजह इस आयत के ठीक पहले वाली आयत (जिसकी यह पूरक आयत है) में है, उसे ये छिपा गए। अब इन दोनों आयतों को हम एक साथ दे रहे हैं। पाठक स्वयं देखें कि इस्लाम को बदनाम करने की साज़िश कैसे रची गई है?:
और काफ़िर कहने लगे कि इस कुरआन को सुना ही न करो और (जब पढ़ने लगें तो) शोर मचा दिया करो, ताकि ग़ालिब रहो सो हम भी काफ़िरों को सख्त अज़ाब के मज़े चखाएंगे, और बुरे अमल की जो वे करते थे सज़ा देंगे (कुरआन, सूरा-41, आयत-26, 27)
अब यदि कोई अपनी धार्मिक पुस्तक का पाठ करने लगे या नमाज़ पढ़ने लगे, तो उस समय बाधा पहुँचाने के लिए शोर मचा देना क्या दुष्टतापूर्ण कर्म नहीं है? इस बुरे कर्म की सज़ा देने के लिए ईश्वर कहता है, तो क्या वह झगड़ा कराता है?
*मेरी समझ में नहीं आ रहा कि पाप कर्मों का फल देनेवाली इस आयत में झगड़ा कराना कैसे दिखाई दिया?
16 पैम्फलेट में लिखी 16वें क्रम की आयत है:
*यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का (‘जहन्नम' की) आग। इसी में उनका सदा घर है, इसके बदले में कि हमारी आयतों' का इन्कार करते थे।(कुरआन, सूरा-41, आयत-28)
यह आयत ऊपर पन्द्रहवें क्रम की आयत की पूरक है जिसमें काफ़िरों को मरने के बाद नरक का दण्ड है, जो परलोक की बात है इसका इस लोक में लड़ाई-झगड़ा कराने या घृणा फैलाने से कोई सम्बन्ध नहीं है।
HAMARI DUAA
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
WAY OF JANNAH INSTITUTE RAJSTHAN
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