find all Islamic posts in English Roman urdu and Hindi related to Quran,Namz,Hadith,Ramadan,Haz,Zakat,Tauhid,Iman,Shirk,daily hadith,Islamic fatwa on various topics,Ramzan ke masail,namaz ka sahi tareeqa

Namaj ke Bad Qayam (Salat o Salam) padhne ki haqeeqat, Fajar ki Namaj ke bad Khade hokar Nabi par Salam Padhna Sunnat ya Biddat?

Kya Namaj ke bad Nabi par Salam bhejna jayez hai?

Nabi se mangana aur Hajit ke liye Pukarna kaisa hai?
Namaj ke bad Salata o Salam padhne ki Haqeeqat.
Aala Hazrat Ahemad Raza Khan ka fatwa: Taziyadari haram hai.

Hindu dharm aur Barailawi dharm me Khas batein (Similarities).

Eid Miladunnabi (12 Rabiawwal) manane ki Daleel Quran o Sunnat se.

Jume ka Khutba Dene Ka sahee Tarika.

Shirk kitne qism ka hota hai aur iski Pehchan.

Musalmano Ke yaha Rayez Jahilana Zumle aur uske Mafhoom.

Hindu bhaiyo ke 12 Sawalat aur unke jawab.

_*بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ*_
_*बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम*_

➖➖➖➖➖➖

*हर नमाज़ के बाद पश्चिम-उत्तर छोर पर टेढ़े खड़े होकर,या नबी!सलामु अलैका,या रसूल!सलामु अलैका कहना कैसा है?*_

➖➖➖➖➖➖

✅(क)️इबादात सारी की सारी तौक़ीफियह हैं,इसमे हज़्फ व इज़ाफह करने की किसी को भी इजाज़त नहीं,हर नमाज़ के बअद मस्जिदों मे टेढ़े होकर सलाम भेजने का कोई षुबूत नहीं है,यह बिद्अत है जिससे षवाब की बजाय गुनाह मिलेगा।आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने दुरूद भेजने के अल्फाज़ और त़रीक़ह बतलाया वही काफी है उसी पर अमल करना चाहिए।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(ख)सुन्नत का पूरी दुनियाँ मे एक त़रीक़ह होता है और बिद्अतें हर इलाक़े की अपनी अपनी होती है।

यह तो किताबोसुन्नत मे कहीं नही मिलता कि खड़े हो जाओ और अल्लाह के नबी को पुकारना शुरुअ कर दो,नमाज़ के अन्दर पढ़ते है,इय्याका नअबुदू व इय्याका नस्तईन,कि हम अल्लाह तेरी ही इबादत करते है और तुझ ही से मदद मांगते है और सलाम फेरने के बअद नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को पुकारना शुरू कर देते हैं,यह बात दुरुस्त नहीं है।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅(ग)या नबी!सलामु अलैका,या रसूल!सलामौ अलैका,पढ़ना इसलिए सही नही है कि इसमे नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से खित़ाब है और यह स़ीग़ह नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से आम दुरूद के वक़्त मन्क़ूल नही है।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅(घ)अत्तहिय्यात मे,अस्सलामु अलैका अय्युहन् नबिय्यु!कहना चूँकि आपसे मन्क़ूल है इस वजह से उस वक़्त मे पढ़ने मे कोई क़बाहत नहीं।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅(ङ़)जबकि या नबी!सलामु अलैका,या रसूल!सलामु अलैका,पढ़ने वाला इस फासिद अक़ीदे से पढ़ता है कि आप इसे बराहेरास्त सुनते हैं,यह अक़ीदह फासिदह क़ुर्आन व हदीस के खिलाफ है और इस अक़ीदे से मज़्कूरह खाना साज़ दुरूद पढ़ना भी बिद्अत है,जो षवाब नही गुनाह है।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(च)नमाज़ मे दुरूद व सलाम बैठकर पढ़ना सिखाया गया है जबकि बरेलवी लोग तिरछे खड़े होकर गा-गाकर सलाम पढ़ते हैं,इनका यह अमल शिर्क व बिद्अत पर मब्नी है।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(छ)क़ुर्आन सबसे बेहतर किताब है जिसमे हर नमाज़ के बअद टेढ़े खड़े होकर,या नबी!सलाम अलैका,या रसूल!सलाम अलैका,कहने की,कोई बात नहीं है और रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की सुन्नत मे ऐसी कोई बात मौजूद नहीं है,लिहाज़ह यह काम सरासर बात़िल है,ऐसे लोग अगर तौबह न करें इसी हाल मे मर गये,तो नबी की सिफारिश से महरूम हो जाएँगे और नबी के हौज़े कौषर से भी महरूम हो जाएँगे।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(ज)या नबी!सलामु अलैका कहने वाला हाथ बाँधकर खड़ा होता है,हाथ उठाकर दुआ व फरियाद भी करता है जो सिर्फ अल्लाह का हक़ है इसलिए इसका यह अमल तौहीद ए इबादत मे शिर्क करना हुआ।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅(झ)या नबी सलामु अलैका,या रसूल सलामु अलैका कहने वाले का अगर यही अक़ीदह है कि,नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को इण्डिया से पुकारो तो मदीनह मे सुन लेते हैं तो यही अल्लाह की सिफात मे शिर्क हो गया।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(ञ)बिद्अतियों को हौज़े कौषर का पानी पीने को नही मिलेगा,उन्हे फरिश्ते रोक लेंगे।

{{सही बुखारी,हदीस नम्बर 6576}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(ट)अजब हैं बिद्अतों के मारे,गज़ब की महफिल सजा रहे हैं और बदल के मत़लब क़ुर्आन व सुन्नत और अपना मत़लब बता रहे हैं।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*बिद्आत का रद्द क़ुर्आन व हदीस की रोशनी मे।*_

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅(1)️يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تُقَدِّمُوا بَيْنَ يَدَيِ اللَّهِ وَرَسُولِهِ ۖ وَاتَّقُوا اللَّهَ ۚ إِنَّ اللَّهَ سَمِيعٌ  عَلِيمٌ
{{ऐ ईमान वाले लोगों!अल्लाह और उसके रसूल के आगे न बढ़ो और अल्लाह से डरते रहा करो,यक़ीनन अल्लाह तआला सुनने वाला जानने वाला है।}}

{{सूरह अल्हुजरात,सूरह नम्बर 49,आयत नम्बर 1}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️इसका मत़लब यह है कि दीन के मुआमले मे अपने त़ौर पर कोई फैसलह न करो,न अपनी समझ और राय को तरजीह दो बल्कि अल्लाह और रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की इत़ाअत करो,अपनी त़रफ से दीन मे इज़ाफह या बिद्आत की ईजाद अल्लाह और रसूल से आगे बढ़ने की नापाक जसारत है जो किसी भी साहब ए ईमान के लायक नहीं।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*दीन मे निकाली गई हर बिद्अत गुमराही है और हर गुमराही आग मे ले जाएगी।*_

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(2)हज़रते जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहो ताला अन्ह ने कहा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब खुत्बह देते तो आपकी आँखें सुर्ख हो जातीं,आवाज़ बुलन्द हो जाती और जलाल की कैफियत तारी हो जाती थी हत्ता कि ऐसा लगता जैसे आप किसी लश्कर से डरा रहे है,फरमा रहे है कि वह सुबह या शाम तुम्हें आ लेगा और फरमाते,
✅️بُعِثْتُ أَنَا وَالسَّاعَةُ كَهَاتَيْنِ وَيَقْرُنُ بَيْنَ إِصْبَعَيْهِ السَّبَّابَةِ وَالْوُسْطَى
{{मै और क़यामत इस तरह भेजे गये है और आप अपनी अँगुश्त ए शहादत और दरम्यानी उँगली को मिलाकर दिखाते}}
और फरमाते
✅️أَمَّا بَعْدُ فَإِنَّ خَيْرَ الْحَدِيثِ كِتَابُ اللَّهِ وَخَيْرُ الْهُدَى هُدَى مُحَمَّدٍ وَشَرُّ الْأُمُورِ مُحْدَثَاتُهَا وَكُلُّ بِدْعَةٍ ضَلَالَةٌ
{{अम्मा बअदु,फइन्ना खैरल्हदीसि किताबुल्लाहि वखैरल्हद्यि हदुयु मुहम्मदिन् वशर्रल्उमूरि मुह्दसातुहा व कुल्लु बिद्अतिन् ज़लालह//(हम्द व स़लात)के बअद,बिलाशुबह बेहतरीन हदीस(कलाम)अल्लाह की किताब है और ज़िन्दगी का बेहतरीन तरीक़ह मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का तरीक़ह ज़िन्दगी है और दीन मे बदतरीन काम वह हैं,जो खुद निकाले गए हों और हर नया निकला हुआ काम गुमराही है।}}
फिर फरमाते,
✅️أَنَا أَوْلَى بِكُلِّ مُؤْمِنٍ مِنْ نَفْسِهِ مَنْ تَرَكَ مَالًا فَلِأَهْلِهِ وَمَنْ تَرَكَ دَيْنًا أَوْ ضَيَاعًا فَإِلَيَّ وَعَلَيَّ
{{मैं हर मोमिन के साथ खुद उसकी निस्बत ज़्यादह मुहब्बत और शफक़्क़त रखने वाला हूँ जो कोई माल छोड़ गया तो वह उसके अहल व अयाल का है और जो मोमिन क़र्ज़ या बेसहारा अहल व अयाल छोड़ गया तो मेरी तरफ लौटाया जाय,मेरे ज़िम्मे है।}}

{{सही मुस्लिम,किताबुल्जुम्अह,हदीस नम्बर 867(2005),तखरीज-सुनन इब्ने माजह 45}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(3)हज़रते जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहो अन्ह फरमाते है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अपना खुत्बह यूँ शुरुअ फरमाते कि पहले अल्लाह तआला की हम्दो षना बयान फरमाते जो अल्लाह तआला की शानेगेरामी के लायक़ है फिर फरमाते,
✅️مَنْ يَهْدِهِ اللَّهُ فَلَا مُضِلَّ لَهُ وَمَنْ يُضْلِلْهُ فَلَا هَادِيَ لَهُ إِنَّ أَصْدَقَ الْحَدِيثِ كِتَابُ اللَّهِ وَأَحْسَنَ الْهَدْيِ هَدْيُ مُحَمَّدٍ وَشَرُّ الْأُمُورِ مُحْدَثَاتُهَا وَكُلُّ مُحْدَثَةٍ بِدْعَةٌ وَكُلُّ بِدْعَةٍ ضَلَالَةٌ وَكُلُّ ضَلَالَةٍ فِي النَّارِ
{{मयं यह्दिहिल्लाहु फला मुज़िल्ला लहु वमयं युज़्लिल्हु फला हादिया लहु इन्ना अस़्दक़ल्हदीषि किताबुल्लाहि व अह्सनल्हद्यि हद्यु मुहम्मदिन् वशर्रुल् उमूरि मुह्दषातुहा व कुल्लु मुह्दषतिन् बिद्अतुन् व कुल्लु बिद्अतिन् ज़लालतुन् वकुल्लु ज़लालतिन् फिन्नारु //जिसे अल्लाह तआला राहे रास्त पर ले आए उसे कोई गुमराह करने वाला नहीं और जिसे अल्लाह तआला गुमराह कर दे उसे को राहेरास्त पर लाने वाला नहीं,बिलाशुबह सबसे सच्ची ज़्यादह बात अल्लाह तआला की किताब है और बेहतरीन तरीक़ह मुहम्मद(सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम)का त़रीक़ह है,और बदतरीन काम वह है जिन्हें(शरीयत)मे अपनी त़रफ से जारी किया गया,हर ऐसा काम बिद्अत है और हर बिद्अत गुमराही है और हर गुमराही आग मे ले जाएगी।}}

फिर आप फरमाते,मुझे और क़यामत को इन दो उँगलियों की त़रह भेजा गया है,आप जब क़यामत का ज़िक्र फरमाते तो आपके रुखसार मुबारक सुर्ख हो जाते आवाज़ बुलन्द हो जाती और गुस्से के आसार चेहरे पर नुमाया हो जाते,यूँ लगता जैसे आप किसी लश्कर से डरा रहे है कि तुम पर सुबह हमलह कर देगा या शाम को,जो शख्स माल छोड़ जाय वह तो उसके रिश्तेदारों को मिलेगा और जो आदमी क़र्ज़ या छोटे छोटे बच्चे छोड़ जाय तो वह मेरे सुपुर्द हों और उनके अखराजात और क़र्ज़ वग़ैरह की अदायगी मेरे ज़िम्मे होगी क्योंकि  मोमिनीन से मेरा तअल्लुक़ और रिश्तह तमाम रिश्तों से क़वी और मज़बूत है।

{{सुनन निसाई,किताब सलातुल्ईदैन,हदीस नम्बर 1579,सही।}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(4)अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहो अन्ह ने कहा,
✅️إِنَّ أَحْسَنَ الْحَدِيثِ كِتَابُ اللَّهِ وَأَحْسَنَ الْهَدْيِ هَدْيُ مُحَمَّدٍ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ وَشَرَّ الْأُمُورِ مُحْدَثَاتُهَا وَ إِنَّ مَا تُوعَدُونَ لَآتٍ وَمَا أَنْتُمْ بِمُعْجِزِينَ
{{सबसे अच्छी बात किताबुल्लाह और सबसे अच्छा त़रीक़ह मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का त़रीक़ह है और सबसे बुरी नई बात (दीन मे बिद्अत)पैदह करना है और बिलाशुबह जिसका तुमसे वअदह किया जाता है वह आकर रहेगी और तुम परवरदिगार से बचकर कहीं नहीं जा सकते।}}

{{सही बुखारी,किताबुल् इअतिस़ाम बिल्किताबि वस्सुन्नह,रक़म 7277}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*दीन मे बिद्अत निकालने वाला मरदूद है और जिस अमल पर नबी स्ल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की मुहर न हो वह अमल भी मरदूद है।*_

➖➖➖➖➖➖

✅️(5)हज़रते आइशह रज़ियल्लाहो तआला अन्हा ने कहा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,
✅️«مَنْ أَحْدَثَ فِي أَمْرِنَا هَذَا مَا لَيْسَ مِنْهُ فَهُوَ رَدٌّ
{{मन् अह्दषा फी अम्रिना हाज़ा मा लैसा मिन्हु फहुवा रद्दुन्//जिसने हमारे इस अम्र में कोई ऐसी नई बात शुरू की जो उसमें नहीं तो वह मरदूद है।}}

{{सही मुस्लिम,किताबुल् अक़्ज़ियह,हदीस नम्बर 1718(4492)}}}

➖➖➖➖➖➖

✅️(6)हज़रते आइशह रज़ियल्लाहो तआला अन्हा ने खबर दी
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,
✅️«مَنْ عَمِلَ عَمَلًا لَيْسَ عَلَيْهِ أَمْرُنَا فَهُوَ رَدٌّ
{{मन् अमिला अमलन् लैसा अलैहि अम्रुना फहुवा रद्दुन्//जिसने ऐसा अमल किया हमारा दीन जिसके मुताबिक़ नहीं तो वह मरदूद है।}}

{{सही मुस्लिम,किताबुल् अक़्ज़ियह,हदीस नम्बर 1718(4493)}}

➖➖➖➖➖➖
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने नमाज़ के बअद बैठकर अज़्कार करने व क़ुर्आन की तिलावत करने की फज़ीलत बतलाई है,नमाज़ के बअद खड़े होकर ज़िक्र करना नहीं सिखाया है।*_

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(1)अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,

{{जमाअत के साथ किसी की नमाज़ बाज़ार मे या अपने घर मे नमाज़ पढ़ने से दर्जों मे कुछ ऊपर 20 दर्जे ज़्यादह फज़ीलत रखती है क्योंकि जब एक शख्स अच्छी त़रह वज़ू करता है फिर मस्जिद मे सिर्फ नमाज़ के इरादह से आता है,नमाज़ के सिवा और कोई चीज़ उसे ले जाने का बाइष नहीं बनती तो जो भी क़दम वह उठाता है उससे एक दर्जह उसका बुलन्द होता है या उसकी वजह से 1 गुनाह उसका मुआफ होता है।}}

{{और जब तक एक शख्स अपने मुस़ल्ले पर बैठा रहता है जिस पर उसने नमाज़ पढ़ी है तो फरिश्ते बराबर उसके लिए रहमत की दुआएँ यूँ करते रहते हैं,ऐ अल्लाह!इस पर अपनी रहमतें नाज़िल फरमा,ऐ अल्लाह!इस पर रहम फरमा,यह उस वक़्त तक होता रहता है जब तक वह वज़ू तोड़कर फरिश्तों को तकलीफ न पहुँचाए,जितनी देर तक भी आदमी नमाज़ की वजह से रुका रहता है वह सब नमाज़ ही मे शुमार होता है।}}

{{सही बुखारी,किताबुल् बुयूअ,हदीस नम्बर 2119}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅(2)️हज़रत ए अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह बयान करते हैं रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,

{{जिस शख्स ने किसी मोमिन की दुनियावी मुश्किलात मे से कोई मुश्किल दूर की अल्लाह उसकी रोज़े क़यामत की मुश्किलात मे से कोई सख्ती दूर फरमाएगा और जिसने किसी तंगदस्त के लिए आसानी पैदा की अल्लाह उसके लिए दुनिया और आखिरत मे आसानी पैदा करेगा और जिसने किसी मुसलमान की पर्दहपोशी की अल्लाह दुनियाँ और आखिरत मे उसकी पर्दहपोशी फरमाएगा और अल्लाह अपने बन्दे की मदद फरमाता है जब तक बन्दह अपने भाई की मदद करता रहता है और जो किसी ऐसे रास्तह पर चलता है जिससे वह इल्म हासिल कर सके अल्लाह उसके लिए इसके सबब जन्नत का रास्तह आसान फरमा देता है।}}

{{और जो लोग भी अल्लाह के घरों मे से किसी घर मे जमअ होकर तिलावत किताबुल्लाह करते है और बाहमी पढ़ते पढ़ाते है तो उन पर सकीनत उतर आती है और उन्हें रहमत ढ़ाँप लेती है और उन्हें फरिश्ते घेर लेते है और अल्लाह अपने मलाइकह मुक़र्रबीन मे उनका ज़िक्र फरमाता है और जिस शख्स के अमल उसको पीछे रखते है उसका नसब व खानदान उसको तेज़ नहीं करेगा यअनि आगे नहीं बढ़ाएगा।}}

{{सही मुस्लिम,किताबुज़्ज़िक्र वद्दुआअ वत्तौबता वल्इस्तग़्फार,हदीस नम्बर 2699(6853)}}

➖➖➖➖➖➖
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने दुरूद व सलाम पढ़ने का त़रीक़ह बतला दिया है जो हदीस की किताबों मे दर्ज है।नबी स्ल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की वफात के बअद सहाबह इकराम रज़ियल्लाहो अन्हुम अज्मईन से,या नबी सलामु अलैका,या रसूल सलामु अलैका कहने का कहीं ज़िक्र नहीं मिलता।*_

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(1)अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ियल्लाहो ताला अन्ह ने बयान किया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने मुझे तशह्हुद सिखाया उस वक़्त मेरा हाथ आँहज़रत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की हथेलियों के दरम्यान में था,जिस तरह आप क़ुर्आन की सूरत सिखाया करते थे
✅️«التَّحِيَّاتُ لِلَّهِ،وَالصَّلَوَاتُ وَالطَّيِّبَاتُ،السَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ،السَّلاَمُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللَّهِ الصَّالِحِينَ،أَشْهَدُ أَنْ لاَ إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ،وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ»
{{अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलवातु,वत्तैय्यबातु,अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबिय्यु वरहमतुल्लाहि वबरकातुहु,अस्सलामु अलैना वअला इबादिल् लाहिस्स्वालिहीन,अश्हदु अल्लाइलाहा इल्लल्लाहु वअश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू वरसूलुह}}

आँहज़रत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम उस वक़्त हयात थे,जब आपकी वफात हो गयी तो हम इस तरह पढ़ने लगे
✅️السَّلاَمُ يَعْنِي عَلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ
{{अस्सलामु यानि अलन् नबिय्यि//नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर सलाम हो।}}

{{सही बुखारी,किताबुल इस्तैज़ान,हदीस नम्बर 6265}}

➖➖➖➖➖➖

✅️नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की वफात के बअद सहाबा एकराम रज़ियल्लाहो अन्हुम अज्मईन "अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबिय्यु" की जगह "अस्सलामु अलन्नबिय्यु" कहने लगे।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️(2)अब्दुर्रहमान बिन अबी लैला से सुना उन्होने बयान किया कि एक मर्तबह कअब बिन उजरह रज़ियल्लाहो अन्ह से मेरी मुलाक़ात हुई तो उन्होने कहा क्यों न मैं तुम्हे एक तोहफह पहुँचा दूँ जो मैने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से सुना था मैने अर्ज़ किया जी हाँ,मुझे यह तोहफह ज़रूर इनायत फरमाइये,उन्होने बयान किया कि हमने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से पूछा था,या रसूलुल्लाह!हम आप पर और आपके अहले बैत पर किस त़रह दुरूद भेजा करें,अल्लाह तआला ने सलाम भेजने का त़रीक़ह हमें खुद ही सिखा दिया है।हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया यूँ कहा करो,
✅اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ، كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ،وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ،اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ،كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ،وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
{{अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिवं वअला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इबराहीमा वअला आलि इबराहीमा इन्नका हमीदुम्मजीद,अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिवं वअला आलि मुहम्मदिन् कमा बारकता अला इबराहीमा वअला आलि इबराहीमा इन्नका हमीदुम्मजीद//ऐ अल्लाह!अपनी रहमत नाज़िल फरमा मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर और आले मुहम्मद पर जैसा कि तूने अपनी रहमत नाज़िल फरमाई इब्राहीम पर और आल ए इब्राहीम पर,बेशक तू बड़ी खूबियों वाला और बड़ी बुज़ुर्गी वाला है।ऐ अल्लाह!बरकत नाज़िल फरमा मुहम्मद पर और आल ए मुहम्मद पर जैसा कि तूने बरकत नाज़िल फरमाई इब्राहीम पर और आल ए इब्राहीम पर,बेशक तू बड़ी खूबियों वाला और बड़ी अज़्मत वाला है।}}

{सही बुखारी,किताबु अहादीसिल् अम्बियाअ,हदीस नम्बर 3370,तखरीज-सही बुखारी 6357,मुस्लिम 908,910,अबूदाऊद 976,977,इब्नेमाजह 904}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*किसी भी मस्नून दुआ में अपनी तरफ से मिलावट करने की इजाज़त नहीं है तो मेड इन इण्डिया सलाम बनाना कैसे जायज़ हो सकता है?*_

➖➖➖➖➖➖

✅️नाफेअ कहते हैं कि इब्ने उमर रज़ियल्लाहो ताला अन्ह के पहलू में बैठे हुए एक शख्स को छींक आई तो उसने कहा
✅️الْحَمْدُ لِلَّهِ وَالسَّلَامُ عَلَى رَسُولِ اللَّهِ
{{अल हम्दुलिल्लाहि,वस्सलामु अला रसूलिल्लाह//तमाम तअरीफ अल्लाह के लिए है और सलाम है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर}}

इब्ने उमर रज़ियल्लाहो ताला अन्ह ने कहा कहने को तो मैं भी,"अल हम्दुलिल्लाहि,वस्सलामु अला रसूलिल्लाहि" कह सकता हूँ लेकिन इस तरह कहना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हमें नहीं सिखाया है,आपने हमें बताया है कि हम
✅️الْحَمْدُ لِلَّهِ عَلَى كُلِّ حَالٍ
{{अल हम्दुलिल्लाहि अला कुल्लि हाल//हर हाल में सब तारीफें अल्लाह ही के लिए हैं।}}
कहें।

इमाम तिर्मिज़ी रहमतुल्लाह अलैह कहते है यह हदीस गरीब है,हम इसे स़िर्फ ज़ियाद बिन रबीअ की रिवायत से जानते हैं।

{{जामेअ तिर्मिज़ी,अब्वाबुत अदब,हदीस नम्बर 2738,तखरीज-इस्नादह हसन।}}

➖➖➖➖➖➖
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

 _*या नबी सलामु अलैका या रसूल सलामु अलैका कहने वाला तौहीदे इबादत व तौहीद ए सिफात मे शिर्क करता है,दलायल हस्ब ज़ैल है।*_

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*इबादत की तमाम अक़्साम(जैसे दुआअ,फरियाद,क़ियाम वग़ैरह)सिर्फ़ अल्लाह तआला के लिए ही खास करना चाहिए,यही तौहीद ए उलूहियत या तौहीद ए इबादत है।*_

➖➖➖➖➖➖

✅(1)️قُلْ إِنَّ صَلَاتِي وَنُسُكِي وَمَحْيَايَ وَمَمَاتِي لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
{{क़ुल् इन्ना सलाती व नुसुकी वमह्याया वममाति लिल्लाहि रब्बिल्आलमीन्//कह दीजिए कि मेरी नमाज़,मेरी क़ुरबानी,मेरा जीना और मेरा मरना सिर्फ अल्लाह ही के लिए है जो तमाम जहानों का रब है।(162)}}
✅️لَا شَرِيكَ لَهُ ۖ وَبِذَٰلِكَ أُمِرْتُ وَأَنَا أَوَّلُ الْمُسْلِمِينَ
{{ला शरीका लहू,वबिज़ालिका उमिर्तु वअना अव्वलुल्मुस्लिमीन्//उसका कोई शरीक नहीं,इसी का मुझे हुक्म दिया गया है और मैं पहला मुतीअ होने वाला हूँ।(163)}}

{{सूरह अल अन्आम,सूरह नम्बर 6,आयत नम्बर 162-163}}

➖➖➖➖➖➖

燐 _*नमाज़ की तरह का क़ियाम सिर्फ अल्लाह तआला ही के लिए होना चाहिए।*_

➖➖➖➖➖➖

✅️(2)حَافِظُوا عَلَى الصَّلَوَاتِ وَالصَّلَاةِ الْوُسْطَىٰ وَقُومُوا لِلَّهِ قَانِتِينَ
{{हाफिज़ु अलस्सलवाति वस्सलातिल्वुस्ता वक़ूमू लिल्लाहि क़ानितीन्//नमाज़ों की हिफाज़त करो और दरम्यानी नमाज़ की और अल्लाह के लिए बाअदब खड़े रहा करो।(238)}}

{{सूरह अल बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 238}}

➖➖➖➖➖➖

✅(3)️सैय्यिदिना अनस रज़ियल्लाहो ताला अन्ह बयान करते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की ज़ियारत से बढ़ कर कोई शख्स भी सहाबा के यहाँ ज़्यादह महबूब न था इसके बावजूद

{{वह आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के तशरीफ लाने पर खड़े नहीं होते थे क्योंकि वह जानते थे कि आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम इसे नापसंद फरमाते हैं।}}

{{अल् आदाबुल्मुफ्रिद लिल इमाम बुखारी,हदीस नम्बर 946,सही।}}

➖➖➖➖➖➖

燐 _*दुआ सिर्फ़ अल्लाह ही से करनी चाहिए और दुआ करना इबादत ही है।*_

➖➖➖➖➖➖

✅(4)️فَادْعُوا اللَّهَ مُخْلِصِينَ لَهُ الدِّينَ وَلَوْ كَرِهَ الْكَافِرُونَ
{{फद्उल्लाहा मुख्लिसीना लहुद्दीन//तुम अल्लाह को पुकारो उसके लिए दीन को खालिस करके।(14)}}

{{सूरह अल मुअमिन्(ग़ाफिर),सूरह नम्बर 40,आयत नम्बर 14}}

➖➖➖➖➖➖

✅️(5)हज़रते नोमान बिन बशीर रज़ियल्लाहो ताला अन्ह से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया
✅️الدُّعَاءُ هُوَ الْعِبَادَةُ
{{अद्दुआउ हुवल्इबादतु//दुआ इबादत ही है।}}
✅️قَالَ رَبُّكُمْ ادْعُونِي أَسْتَجِبْ لَكُمْ
{{क़ाला रब्बुकुम अद्ऊनी अस्तजिब् लकुम//तुम्हारे रब ने फरमाया,मुझे पुकारो मैं क़ुबूल करूँगा।}}

{{सूरह ग़ाफिर,सूरह नम्बर 40,आयत नम्बर 60}}

{{सुनन अबू दाऊद,किताबुल वित्र,हदीस नम्बर 1479,तखरीज-इस्नादह सही,सुनन इब्ने माजह 3828,जामेअ तिर्मिज़ी 2969}}

➖➖➖➖➖➖

燐 _*फरियाद सिर्फ अल्लाह ही से करनी चाहिए।*_

➖➖➖➖➖➖

✅(6)️إِذْ تَسْتَغِيثُونَ رَبَّكُمْ فَاسْتَجَابَ لَكُمْ أَنِّي مُمِدُّكُم بِأَلْفٍ مِّنَ الْمَلَائِكَةِ مُرْدِفِينَ
{{इज़् तस्तग़ीषूना रब्बकुम् फस्तजाबा लकुम//जब तुम अपने रब से फरियाद कर रहे थे तो उसने तुम्हारी फरियाद सुन ली।(9)}}

{{सूरह अल अन्फाल,सूरह नम्बर 8,आयत नम्बर 9}}

➖➖➖➖➖➖

✅(7)️وَأَنَّ الْمَسَاجِدَ لِلَّهِ فَلَا تَدْعُوا مَعَ اللَّهِ  أَحَدًا
{{वअन्नल्मसाजिदा लिल्लाहि फला तद्ऊ मअल्लाहि अहदा//और यह मस्जिदें सिर्फ अल्लाह ही के लिए खास हैं,पस अल्लाह तआला के साथ किसी और को न पुकारो।}}

{{सूरह जिन्न,सूरह नम्बर 72,आयत नम्बर 18}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*मदद सिर्फ अल्लाह ही से तलब करनी चाहिए।*_

➖➖➖➖➖➖

✅(8)️إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
{{इय्याका नअबुदू वइय्याका नस्तईन//हम खास तेरी ही इबादत करते है और खास तुझ ही से मदद मांगते है।(4)}}

{{सूरह अल फातिहह,सूरह नम्बर 1,आयत नम्बर 4}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

 _*अल्लाह तआला की सिफात मखलूक़ की सिफात की मानिन्द नहीं।*_

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️अल्लाह तआला सुनता है तो लोग सुनने की ताक़त रखने के बावजूद उस तरह नहीं सुन सकते जैसे अल्लाह सुनता है,इस त़रह की सिफत तौहीद ए सिफात मे दाखिल है।

➖➖➖➖➖➖

✅(1)️لَيْسَ كَمِثْلِهِ شَيْءٌ ۖ وَهُوَ السَّمِيعُ الْبَصِيرُ
{{लैसा कमिष्लिही शैउन,वहुवस् समीउल्बस़ीर//उसकी मिष्ल कोई चीज़ नहीं और वह सुनने वाला देखने वाला है।(11)}}

{{सूरह अश्शूरा,सूरह नम्बर 42,आयत नम्बर 11}}

➖➖➖➖➖➖

✅(2)️فَلَا تَضْرِبُوا لِلَّهِ الْأَمْثَالَ ۚ إِنَّ اللَّهَ يَعْلَمُ وَأَنتُمْ لَا تَعْلَمُونَ
{{फला तज़्रिबु लिल्लाहिल् अम्षाला इन्नल्लाहा यअलमु व अन्तुम ला तअलमून्//अल्लाह के लिए मिषालें मत बयान करो,बिलाशुबह अल्लाह तआला जानता है और तुम नहीं जानते।(74)}}

{{सूरह अन्नह्ल,सूरह नम्बर 16,आयत नम्बर 74}}

➖➖➖➖➖➖

✅(3)️وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ
{{वलम् यकुल्लहू कुफुवन् अहद्//उसका कोई हमसर नहीं।(4)}}

{{सूरह इख्लास,सूरह नम्बर 112,आयत नम्बर 4}}

➖➖➖➖➖➖

✅(4)️قَدْ سَمِعَ اللَّهُ قَوْلَ الَّتِي تُجَادِلُكَ فِي زَوْجِهَا وَتَشْتَكِي إِلَى اللَّهِ وَاللَّهُ يَسْمَعُ تَحَاوُرَكُمَا ۚ إِنَّ اللَّهَ سَمِيعٌ بَصِيرٌ
{{क़द् समिअल्लाहु क़ौलल्लती तुजादिलुका फी ज़ौजिहा वतश्तकी इलल्लाहि,वल्लाहु यस्मऊ तहावुराकुमा,इन्नल्लाहा समीउम् बसीर्//यक़ीनन अल्लाह तआला ने उस औरत की बात सुन ली जो तुझसे अपने शौहर के बारे में तकरार कर रही थी और अल्लाह तआला के आगे शिकायत कर रही थी,अल्लाह तआला तुम दोनों के सवाल जवाब सुन रहा था,बेशक अल्लाह तआला सुनने वाला देखने वाला है।(1)}}

{{सूरह अल मुजादिलह,सूरह नम्बर 58,आयत नम्बर 1}}

➖➖➖➖➖➖

✅️(5)हज़रते आइशा रज़ियल्लाहो ताला अन्हा से रिवायत है उन्होंने फरमाया सब तअरीफें अल्लाह के लिए हैं जो तमाम आवाज़ो को सुनता है,तकरार करने वाली खातून नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हुई और मै कमरे के एक कोने मे थी,वह अपने ख़ाविन्द की शिकायत कर रही थी और मुझे उसकी बात सुनाई नहीं दे रही थी,अल्लाह तआला ने यह आयत नाज़िल फरमा दी,
✅️قَدْ سَمِعَ اللَّهُ قَوْلَ الَّتِي تُجَادِلُكَ فِي زَوْجِهَا وَتَشْتَكِي إِلَى اللَّهِ وَاللَّهُ يَسْمَعُ تَحَاوُرَكُمَا ۚ إِنَّ اللَّهَ سَمِيعٌ بَصِيرٌ

{{सुनन इब्ने माजह,किताबुस् सुन्नह हदीस नम्बर 188,तखरीज-सही,निसाई 1460,सही बुखारी क़ब्ल हदीस 7386,मज़ीद दलायल-सुनन अबू दाऊद 2214}}

➖➖➖➖➖➖
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

 _*क़ब्र के पास व क़ब्रिस्तान के पास सलाम पढ़ने का ज़िक्र।*_

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*कब्रों की तरफ मुँह करके नमाज़ पढ़ना मना है।*_

➖➖➖➖➖➖

✅️(1)हज़रते अबू मरसद ग़नविय्यि रज़ियल्लाहो ताला अन्ह ने कहा,रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया
✅️لَا تَجْلِسُوا عَلَى الْقُبُورِ وَلَا تُصَلُّوا إِلَيْهَا
{{ला तज्लिसु अलल्क़ुबूरि वला तुस़ल्लू इलैहा//कब्रों पर न बैठो और न उनकी तरफ(रुख करके)नमाज़ पढ़ो।}}

{{सही मुस्लिम किताबुल्जनायज़,हदीस नम्बर 972(2250),तखरीज-सुनन अबूदाऊद 3229,सुनन निसाई 759}}

➖➖➖➖➖➖

燐 _*नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की क़ब्र के पास सलाम पढ़ना।*_

➖➖➖➖➖➖

✅️(2)अब्दुल्लाह बिन दीनार ने कहा मैंने अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहो ताला अन्ह को नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की क़ब्र के पास खड़े हुए देखा और वह

{{नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,अबू बक्र रज़ियल्लाहो तआला अन्ह व उमर रज़ियल्लाहो तआला अन्ह पर दुरूद पढ़ते थे।}}

{{फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम हदीस नम्बर 98,तखरीज-इस्नादह सही।}}

➖➖➖➖➖➖

✅️(3)नाफेअ से रिवायत है बेशक इब्ने उमर रज़ियल्लाहो ताला अन्ह जब सफर से वापस आते तो मस्जिद मे दाखिल होते,फिर क़ब्र के पास आकर फरमाते

{{अस्सलामु अलैका या रसूलुल्लाह!अस्सलामु अलैका या अबा बकर!अस्सलामु अलैका या अबताह}}

{{फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,हदीस नम्बर 100,तखरीज-इस्नादह सही।}}

➖➖➖➖➖➖

燐 _*नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की क़ब्र की तरफ रुख करके दुआ न करें।*_

➖➖➖➖➖➖

✅(4)शेखुल इस्लाम इब्ने तैमियह रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं

और जब नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर सलाम कहे तो क़िब्ला रुख होना चाहिए,दुआ मस्जिद में करे जैसा कि सहाबा एकराम करते थे इसमें कोई इख्तेलाफ नहीं है और क़ब्र की तरफ मुँह करके दुआ न करे।

{{अल इख्तेयारात अल इल्मियह}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*क़ब्रिस्तान में पढ़ी जाने वाली दुआ।*_

➖➖➖➖➖➖

✅(5)️हज़रते बुरैदह रज़ियल्लाहो ताला अन्ह से रिवायत है उन्होंने फरमाया,रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम सहाबा एकराम को सिखाया करते थे कि वह जब क़ब्रिस्तान में जाएँ,उनमें से जो शख्स दुआ करता वह यूँ कहता
✅️«السَّلَامُ عَلَيْكُمْ أَهْلَ الدِّيَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُسْلِمِينَ، وَإِنَّا إِنْ شَاءَ اللَّهُ بِكُمْ لَاحِقُونَ، نَسْأَلُ اللَّهَ لَنَا وَلَكُمُ الْعَافِيَةَ»
{{अस्सलामु अलैकुम अह्लद्दियारि मिनल् मुअमिनीना वल् मुस्लिमीना,वइन्ना इँशा अल्लाहु बिकुम लाहिक़ूना,नस्अलुल्लाहा लना वलकुमुल् आफियता//तुम पर सलामती हो ऐ मोमिनों और मुसलमानों की बस्ती वालों!हम भी इँशाअल्लाह तुमसे आ मिलने वाले हैं,हम अल्लाह से अपने लिए और तुम्हारे लिए आफियत का सवाल करते हैं।}}

{{सुनन इब्ने माजह,अब्वाब माजा फिल् जनायज़,हदीस नम्बर 1547,तखरीज-सही मुस्लिम 975}}

➖➖➖➖➖➖
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम उम्मतियों का दुरूद व सलाम खुद नहीं सुनते बल्कि फरिश्ते उन तक पहुँचाते हैं।*_

➖➖➖➖➖➖

✅हज़रते अबू हुरैरह रज़ियल्लाहो ताला अन्ह से मरवी है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,

{{अपने घरों को क़ब्रिस्तान मत बनाओ और न मेरी क़ब्र को ईद बनाओ,और मुझ पर दुरूद पढ़ो,तुम जहाँ कहीं भी होंगे तुम्हारा दुरूद मुझको पहुँच जाएगा।}}

{{सुनन अबूदाऊद,किताबुल मानसिक,हदीस नम्बर 2042,तखरीज-इस्नादह हसन।}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम बयान करते है कि,

{{तहक़ीक़ अल्लाह तआला ने कुछ फरिश्ते मुक़र्रिर कर रखे हैं जो ज़मीन मे हर वक़्त चलते फिरते रहते है वह मुझे मेरी उम्मत की त़रफ से सलाम पहुँचाते हैं।}}

{{सुनन निसाई,किताबुस्सहू,हदीस नम्बर 1283,तखरीज-इस्नादह सही,इब्नेहिब्बान(मवारिद)2392}}

➖➖➖➖➖➖

✅अब्दुल्लाह इब्ने मसूद रज़ियल्लाहो ताला अन्ह से रिवायत है,नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,अल्लाह के फरिश्ते ज़मीन में सैर करते हैं वह मुझे मेरी उम्मत का सलाम पहुँचाते हैं।

{{फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,लिल इमाम इस्माईल बिन इस्हाक़ अल क़ाज़ी(199-282 हिजरी),हदीस नम्बर 21,तखरीज-इस्नादह सही।}}

➖➖➖➖➖➖

燐 _*दुरूद की आवाज नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को पहुँचने वाली रिवायत की तहक़ीक़।*_

➖➖➖➖➖➖

✅️अबू दरदा रज़ियल्लाहो ताला अन्ह ने कहा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया

{{जुमा वाले दिन मुझ पर कसरत से दुरूद पढ़ा करो यह ऐसा दिन है जिसमें फरिश्ते हाज़िर होते हैं,नहीं है कोई आदमी जो मुझ पर दुरूद पढ़ता हो,मगर मुझ तक उसकी आवाज पहुँच जाती है वह जहाँ कहीं भी हो,हमने कहा,आपकी वफात के बाद भी तो आपने फरमाया मेरी वफात के बाद भी,बेशक अल्लाह तआला ने ज़मीन के ऊपर अम्बिया के जिस्मों को खाना हराम कर दिया है।}}

{{जिलाउल इफ्हाम,सफह नम्बर 96 लिल इमाम इब्ने क़य्यिम।}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️इमाम ईराक़ी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं,बिलाशुबह इसकी सनद सही नहीं।

{{अल क़ौलुल बदीअ फिस्सलाह अला हबीब अश्शसीअ,सफह नम्बर 159}}

➖➖➖➖➖➖
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*दुरूद व सलाम इन मक़ामात पर पढ़ना  षाबित है।*_

➖➖➖➖➖➖

✅(1)आज़ान के कलिमात दुहराने के बअद दुरूद पढ़े।

{{सही मुस्लिम,किताबुस्सलाह,हदीस नम्बर 384(849)}}

✅(2)मस्जिद मे दाखिल होते वक़्त सलाम पढ़े।

{{सुनन अबूदाऊद,किताबुस्सलाह,हदीस नम्बर 465,मुस्लिम 713}}

✅(3)नमाज़ मे अत्तहिय्यात के बअद।

{{सही बुखारी,हदीस नम्बर 3370}}

✅(4)मज्लिसों मे।

{{मुस्नद अहमद,9965,सही।}}

✅(5)नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का ज़िक्र सुनने पर।

{{फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,लिल इमाम इस्माईल बिन इस्हाक़ अल क़ाज़ी(199-282 हिजरी),हदीस नम्बर 32,तखरीज-इस्नादह हसन,तिर्मिज़ी 3546,निसाई अमल अल्यौम वल्लैलह 56,अहमद 1736,त़बरानी अल् मोअजम अल् कबीर 2885,इब्नेहिब्बान अल् मवारिद 2388}}

✅(6)अल्लाह से दुआ माँगने के त़रीक़ह मे है कि पहले अल्लाह की बुज़ुर्गी व तअरीफ बयान करे,फिर दुरूद पढ़े फिर दुआ करे।

{{फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,लिल इमाम इस्माईल बिन इस्हाक़ अल क़ाज़ी(199-282 हिजरी),हदीस नम्बर 106,तखरीज-इस्नादह हसन,अबूदाऊद 1481,तिर्मिज़ी 3477,इब्नेखुज़ैमह 709,710,इब्नेहिब्बान 510 अल् मवारिद}}

✅(7)नमाज़ ए जनाज़ह मे सूरह फातिहह की क़िर्आत के बअद दुरूद शरीफ पढ़ें।

{{फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,लिल इमाम इस्माईल बिन इस्हाक़ अल क़ाज़ी(199-282 हिजरी),हदीस नम्बर 94,तखरीज-इस्नादह सही,इब्ने अबी शैबह 1379}}

✅(8)पहले तशह्हुद मे भी अत्तहिय्यात के बअद दुरूद पढ़ा जा सकता है।

{{सुनन निसाई,हदीस नम्बर 1721}}

✅(9)दुआए क़ुनूत के आखिर मे भी दुरूद पढ़ना षाबित है।

{{सही इब्नेखुज़ैमह,हदीस नम्बर 1100}}

✅(10)हर खुत़्बे मे नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर दुरूद पढ़ना चाहिए।

{{ज़वायद अब्दुल्लाह बिन अहमद अला मुस्नद इमाम अहमद हदीस नम्बर 837,व सनदह सही,फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,लिल इमाम इस्माईल बिन इस्हाक़ अल क़ाज़ी(199-282 हिजरी),हदीस नम्बर 105,तखरीज-इस्नादह ज़ईफ।}}

✅(11)नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की क़ब्र पर(के पास खड़े होकर)सलाम या अस्सलामु अलैकुम कहना सही है,की दलील।

{{फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,लिल इमाम इस्माईल बिन इस्हाक़ अल क़ाज़ी(199-282 हिजरी),हदीस नम्बर 98-100,तखरीज-इस्नादह सही।}}

{{मज़ीद दलायल-मोत़ा इमाम मालिक,रिवायत यह्या बिन यह्या,हदीस नम्बर 398,मुसन्नफ इब्ने अबी शैबह 1792}}

✅(12)सई के दौरान मे सफा व मरवह पहाड़ी पर चढ़कर दुरूद पढ़ना षाबित है।

{{फज़लुस सलात अलन् नबिय्यि सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,लिल इमाम इस्माईल बिन इस्हाक़ अल क़ाज़ी(199-282 हिजरी),हदीस नम्बर 87,तखरीज-इस्नादह सही,मुसन्नफ इब्ने अबी शैबह,हदीस नम्बर 29630}}

➖➖➖➖➖️➖️
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम या ख़िज़्र अलैहिस्सलाम की मौत के बअद की ज़िन्दगी दुनियावी नहीं है बल्कि बरज़खी ज़िन्दगी है।*_

➖➖➖➖➖➖

✅️हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहो ताला अन्ह ने फरमाया कि आखिर उम्र में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हमें इशा की नमाज़ पढ़ाई,जब आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने सलाम फेरा तो खड़े हो गये और फरमाया कि
✅️«أَرَأَيْتَكُمْ لَيْلَتَكُمْ هَذِهِ، فَإِنَّ رَأْسَ مِائَةِ سَنَةٍ مِنْهَا، لاَ يَبْقَى مِمَّنْ هُوَ عَلَى ظَهْرِ الأَرْضِ أَحَدٌ»
{{अराऐतकुम लैलताकुम हाज़िहि,फइन्ना रअसा मिअति सनतिन मिन्हा ला यब्क़ा मिम्मन् हुआ अला ज़ह्रिल अर्ज़ी अहद//तुम्हारी आज की रात वह है कि इस रात से 100 बरस के आखिर तक कोई शख्स जो ज़मीन पर है वह बाक़ी नहीं रहेगा।}}

{{सही बुखारी,किताबुल इल्म,बाबुस्समरि हिल्इल्मि,हदीस नम्बर 116,564,601,सही मुस्लिम 6479,सुनन अबू दाऊद 4348,जामेअ तिर्मिज़ी 2251}}

➖➖➖➖➖➖

✅️चुनाँचे सबसे आखिरी सहाबी अबू तुफैल आमिर बिन वासलह रज़ियल्लाहो ताला अन्ह का ठीक 100 साल बअद 110 साल की उम्र में इन्तेक़ाल हुआ।

➖➖➖➖➖➖

✅️नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की मौत हो चुकी है।

{{सही बुखारी,हदीस नम्बर 3667,3668}}

➖➖➖➖➖➖

✅️नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की रूह मुबारक अर्शे इलाही के क़रीब जन्नुल् फिरदौस के बुलन्द तरीन मक़ाम पर मौजूद है।

{{सही बुखारी,किताबुल जनायज़,हदीस नम्बर 1386}}
➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️आलम ए बरज़ख से निकलकर कोई शख्स इस दुनियाँ मे नहीं आ सकता।

{{सूरह मोमिनून,सूरह नम्बर 23,आयत नम्बर 99,100,सूरह मुनाफिक़ून,सूरह नम्बर 63,आयत नम्बर 10,11,सूरह इब्राहीम,आयत नम्बर 44,सूरह अल् ऐराफ,सूरह नम्बर 7,आयत नम्बर 53,सूरह सज्दह,सूरह नम्बर 32,आयत नम्बर 12,सूरह अल् अन्आम,सूरह नम्बर 6,आयत नम्बर 27,28,सूरह मोमिनून,सूरह नम्बर 23,आयत नम्बर 107,108,सूरह मोमिन,सूरह नम्बर 40,आयत नम्बर 11,12,सूरह बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 28,सूरह फात़िर,सूरह नम्बर 35,आयत नम्बर 37}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️मरने के बअद किसी नबी,वली,शहीद की रूह दुनियाँ मे वापिस नहीं आ सकती।

{{सूरह यासीन,सूरह नम्बर 36,आयत नम्बर 20-27,सुनन अबूदाऊद,किताबुस्सुन्नह,हदीस नम्बर 4751,जामेअ तिर्मिज़ी,अब्वाबुल् जनायज़,हदीस नम्बर 1071}}

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

燐 _*बरेलवी मज़हब की एक और बिद्अत स़लाते ग़ौषियह अदा करने का त़रीक़ह।*_

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

✅️हर रकआत मे 11-11 बार सूरह इखलास़ पढ़े और 11 बार स़लात व सलाम पढ़े,फिर बग़दाद की त़रफ जानिब शिमाली 11 क़दम चले,हर क़दम पर मेरा नाम लेकर अपनी हाजत अर्ज़ करे और यह अशआर पढ़े,क्या मुझे कोई तकलीफ पहुँच सकती है जबकि आप मेरे लिए बाइषे हौस़लह हों और क्या मुझ पर दुनियाँ मे ज़ुल्म हो सकता है,जबकि आप मेरे लिए मददगार हों।

{{जाअल्हक़,अज़ मुफ्ती बरेलवी अहमद यार,सफह नम्बर 200}}

और इसे बयान करने के बअद जनाब अहमद यार गुजराती लिखते है कि मअलूम हुआ कि बुजुर्गों से बअद वफात मदद माँगना जायज़ और फायदेमन्द है।

➖️➖️➖️➖️➖️➖️

Share:

Allah taala ke 99 Namo ka zikr aur unke matlab.

Allah taala ke kitne nam hai aur un namo ka matlab?
Allah taala ke 99 Namo ke matlab.

_*بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ*_
_*बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम*_
🌿🌿🌿🌿🌿
➖➖➖➖➖➖

🟥 _*अल्लाह के नामों का बयान।*_

✅️हज़रते अबू हुरैरह रज़ियल्लाहो ताला अन्ह ने बयान किया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,

{{अल्लाह तआला के 99 नाम हैं याअनि एक कम सौ जो शख्स उन सबको महफूज़ रखेगा वह जन्नत मे दाखिल होगा।}}

{{सही बुखारी,किताबुल शुरूत़,हदीस नम्बर 2736,तखरीज-सही बुखारी6410,7392,तिर्मिज़ी 3507}}

➖➖➖➖➖➖

✅️अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह कहते है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया

✅️إِنَّ لِلَّهِ تَعَالَى تِسْعَةً وَتِسْعِينَ اسْمًا مِائَةً غَيْرَ وَاحِدٍ مَنْ أَحْصَاهَا دَخَلَ الْجَنَّةَ

{{इन्ना लिल्लाहि तआला तिस्अतन् व तिस्ईनस्मन् मियतन् ग़ैरा वाहिदिन् मन् अह्साहा दखलल् जन्नता//

अल्लाह तआला के 99 नाम हैं,जो उन्हें शुमार करेगा वह जन्नत मे जाएगा।}}

🍁(1)هُوَ اللَّهُ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ

{{सूरह इख्लास 112/1,त़ाहा 20/8,नम्ल 27/62,हश्र 59/22-23}}
🍁(2)الرَّحْمَنُ
{{बक़रह 2/163}}
🍁(3)الرَّحِيمُ
{{आल इमरान 3/129}}
🍁(4)الْمَلِكُ
{{मुअमिन 40/116}}
🍁(5)الْقُدُّوسُ
{{हश्र 59/23}}
🍁(6)السَّلَامُ
{{हश्र 59/23}}
🍁(7)الْمُؤْمِنُ
{{हश्र 59/23}}
🍁(8)الْمُهَيْمِنُ
{{हश्र 59/23}}
🍁(9)الْعَزِيزُ
{{बक़रह 2/260}}
🍁(10)الْجَبَّارُ
{{हश्र 59/23}}
🍁(11)الْمُتَكَبِّرُ
{{हश्र 59/23}}
🍁(12)الْخَالِقُ
{{हश्र 59/24}}
🍁(13)الْبَارِئُ
{{हश्र 59/24}}
🍁(14)الْمُصَوِّرُ
{{हश्र 59/24}}
🍁(15)الْغَفَّارُ
{{साद 38/66}}
🍁(16)الْقَهَّارُ
{{रअद 13/16}}
🍁(17)الْوَهَّابُ
{{साद 38/9}}
🍁(18)الرَّزَّاقُ
{{ज़ारियात 51/58}}
🍁(19)الْفَتَّاحُ
{{सबा 34/26}}
🍁(20)الْعَلِيمُ
{{बक़रह 2/32}}
🍁(21)الْقَابِضُ
{{सही इब्नेहिब्बान 808}}
🍁(22)الْبَاسِطُ
{{बक़रह 2/245}}
🍁(23)الْخَافِضُ
{{इब्नेहिब्बान 808}}
🍁(24)الرَّافِعُ
{{ज़ुखरुफ 43/32}}
🍁(25)الْمُعِزُّ
{{इब्नेहिब्बान 808}}
🍁(26)الْمُذِلُّ
{{आल इमरान 3/26}}
🍁(27)السَّمِيعُ
{{शूरा 42/11}}
🍁(28)الْبَصِيرُ
{{बक़रह 2/233}}
🍁(29)الْحَكَمُ
{{अन्आम् 6/114}}
🍁(30)الْعَدْلُ
{{अन्नहल 16/90}}
🍁(31)اللَّطِيفُ
{{मुल्क 67/14}}
🍁(32)الْخَبِيرُ
{{तहरीम 66/3}}
🍁(33)الْحَلِيمُ
{{अहज़ाब 33/51}}
🍁(34)الْعَظِيمُ
{{वाक़ेअह 56/74}}
🍁(35)الْغَفُورُ
{{हिज्र 15/49}}
🍁(36)الشَّكُورُ
{{फात़िर 35/34-35}}
🍁(37)الْعَلِيُّ
{{मुअमिन,ग़ाफिर 40/12}}
🍁(38)الْكَبِيرُ
{{लुक़मान 31/30}}
🍁(39)الْحَفِيظُ
{{सबा 34/21}}
🍁(40)الْمُقِيتُ
{{निसाअ 4/85}}
🍁(41)الْحَسِيبُ
{{ग़ाशियह 88/25-26}}
🍁(42)الْجَلِيلُ

🍁(43)الْكَرِيمُ
{{अल इन्फित़ार 82/6}}
🍁(44)الرَّقِيبُ
{{निसाअ 4/1}}
🍁(45)الْمُجِيبُ
{{हूद 11/61}}
🍁(46)الْوَاسِعُ
{{बक़रह 2/247}}
🍁(47)الْحَكِيمُ
{{सबा 34/1}}
🍁(48)الْوَدُودُ
{{हूद 11/90}}
🍁(49)الْمَجِيدُ
{{हूद 11/73}}
🍁(50)الْبَاعِثُ
{{हज्ज 22/7}}
🍁(51)الشَّهِيدُ
{{हज्ज 22/17}}
🍁(52)الْحَقُّ
{{हज्ज 22/63}}
🍁(53)الْوَكِيلُ
{{निसाअ 4/81}}
🍁(54)الْقَوِيُّ
{{हज 22/40}}
🍁(55)الْمَتِينُ
{{ज़ारियात 51/58}}
🍁(56)الْوَلِيُّ
{{शूरा 42/28}}
🍁(57)الْحَمِيدُ
{{फात़िर 35/15}}
🍁(58)الْمُحْصِي
{{जिन्न 72/28}}
🍁(59)الْمُبْدِئُ
{{युनुस 10/4}}
🍁(60)الْمُعِيدُ
{{रूम 30/27}}
🍁(61)الْمُحْيِي
{{हदीद 57/2}}
🍁(62)الْمُمِيتُ
{{हदीद 57/2}}
🍁(63)الْحَيُّ
{{त़ाहा 20/111}}
🍁(64)الْقَيُّومُ
{{त़ाहा 20/111}}
🍁(65)الْوَاجِدُ
{{निसाअ 4/64}}
🍁(66)الْمَاجِدُ
{{बुरूज 85/15}}
🍁(67)الْوَاحِدُ
{{रअद 13/16}}
🍁(68)الصَّمَدُ
{{इखलास 112/2}}
🍁(69)الْقَادِرُ
{{अन्आम 6/65}}
🍁(70)الْمُقْتَدِرُ
{{कहफ 18/45}}
🍁(71)الْمُقَدِّمُ
{{यासीन 36/12}}
🍁(72)الْمُؤَخِّرُ
{{सही बुखारी 834}}
🍁(73)الْأَوَّلُ
{{हदीद 57/3}}
🍁(74)الْآخِرُ
{{हदीद 57/3}}
🍁(75)الظَّاهِرُ
{{हदीद 57/3}}
🍁(76)الْبَاطِنُ
{{हदीद 57/3}}
🍁(77)الْوَالِيَ
{{रअद 13/11}}
🍁(78)الْمُتَعَالِي
{{रअद 13/09}}
🍁(79)الْبَرُّ
{{सूरह त़ूर,52/28}}
🍁(80)التَّوَّابُ
{{सूरह अल् हुजरात,49/12}}
🍁(81)الْمُنْتَقِمُ
{{माइदह 5/95}}
🍁(82)الْعَفُوُّ
{{निसाअ 4/99}}
🍁(83)الرَّءُوفُ
{{बक़रह 2/143}}
🍁(84)مَالِكُ الْمُلْكِ
{{आल इमरान 3/26,इब्नेहिब्बान 808}}
🍁(85)ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ
{{रहमान 55/27}}
🍁(86)الْمُقْسِطُ
{{युनुस 10/47}}
🍁(87)الْجَامِعُ
{{आल इमरान 3/9}}
🍁(88)الْغَنِيُّ
{{निसाअ 4/131}}
🍁(89)الْمُغْنِي
{{नूर 24/32}}
🍁(90)الْمَانِعُ
{{सही बुखारी 844}}
🍁(91)الضَّارُّ
{{जिन्न 72/21}}
🍁(92)النَّافِعُ
{{इब्नेहिब्बान 808}}
🍁(93)النُّورُ
{{नूर 24/35}}
🍁(94)الْهَادِي
{{फुर्क़ान 25/31}}
🍁(95)الْبَدِيعُ
{{अन्आम 6/101}}
🍁(96)الْبَاقِي
{{रहमान 55/26-27}}
🍁(97)الْوَارِثُ
{{क़सस28/58}}
🍁(98)الرَّشِيدُ
{{कहफ 18/10}}
🍁(99)الصَّبُورُ
{{सही इब्नेहिब्बान  808,सही बुखारी 7378}}

{{🍁1-अल्लाह इस्म ज़ात सब नामो से अशरफ व अअला,
🍁2-अर् रहमान बहुत रहम करने वाला,
🍁3-अर् रहीम मेहरबान,
🍁4-अल् मलिकु बादशाह,
🍁5-अल् क़ुद्दूसु निहायत पाक,
🍁6-अस् सलामु सलामती देने वाला,
🍁7-अल् मुअमिनु यक़ीन वाला,
🍁8-अल् मुहैमिन् निगहबान,
🍁9-अल् अज़ीज़ु ग़ालिब,
🍁10-अल् जब्बारु तसल्लुत वाला,
🍁11-अल् मुतकब्बिरु बड़ाई वाला,
🍁12-अल् खालिक़ु पैदह करने वाला,
🍁13-अल् बारिउ पैदा करने वाला,
🍁14-अल् मुसव्विरु सूरत बनाने वाला,
🍁15-अल् गफ्फारु बहुत बख्शने वाला,
🍁16-अल् क़ह्हारु क़हर वाला,
🍁17-अल् वह्हाबु बहुत देने वाला,
🍁18-अर् रज़्ज़ाक़ु रोज़ी देने वाला,
🍁19-अल् फत्ताहु फैसलह चुकाने वाला,
🍁20-अल् अलीमु जानने वाला,
🍁21-अल् क़ाबिज़ु रोकने वाला,
🍁22-अल् बासित़ु छोड़ देने वाला,फैलाने वाला,
🍁23-अल् खाफिज़ु पस्त करने वाला,
🍁24-अर् राफिउ,बुलन्द करने वाला,
🍁25-अल् मुइज़्ज़ु इज़्ज़त देने वाला,
🍁26-अल् मुज़िल्लु ज़िल्लत देने वाला,
🍁27-अस्समीउ सुनने वाला,
🍁28-अल् बसीरु देखने वाला,
🍁29-अल् हकीमु फैसलह करने वाला,
🍁30-अल् अद्लु इँसाफ वाला,
🍁31-अल् लत़ीफु बन्दों पर शफ्क़त करने वाला,
🍁32-अल् खबीरु खबर रखने वाला,
🍁33-अल् हलीमु बुर्दबार,
🍁34-अल् अज़ीमु बुज़ुर्गी वाला,
🍁35-अल् गफूरु बहुत बख्शने वाला,
🍁36-अश् शकूरु क़द्र करने वाला,
🍁37-अल् अलिय्यु ऊँचा,
🍁38-अल् कबीरु बड़ा,
🍁39-अल् हफीज़ु निगहबान,
🍁40-अल् मुक़ीतु त़ाक़त व क़ुव्वत वाला,
🍁41-अल् हसीबु हिसाब लेने वाला,
🍁42-अल् जलीलु बुज़ुर्ग,
🍁43-अल् करीमु करम वाला,
🍁44-अर् रक्रीबु मुत़्त़लअ रहने वाला,
🍁45-अल् मुजीबु क़ुबूल करने वाला,
🍁46-अल् वासिउ कुशादगी और वुस्अत वाला,
🍁47-अल हकीमु हिकमत वाला,
🍁48-अल् वदूदु बहुत चाहने वाला,
🍁49-अल् मजीदु बुज़ुर्गी वाला,
🍁50-अल् बाइषु ज़िन्दह करके उठाने वाला,
🍁51-अश् शहीदु निगरान,हाज़िर,
🍁52-अल् हक़्क़ु सच्चा,
🍁53-अल् वकीलु कारसाज़,
🍁54-अल् क़विय्यु त़ाक़तवर,
🍁55-अल् मतीनु मज़बूत,
🍁56-अल् वलिय्यु मददगार व मुहाफिज़,
🍁57-अल् हमीदु लायक़ ए हम्द,
🍁58-अल् मुह्सिउ शुमार करने वाला,
🍁59-अल्मुब्दुऊ आग़ाज़ करने वाला है,
🍁60-अल्मुईदु दुबारह पैदा करने वाला है,
🍁61-अल्मुह्यू ज़िन्दगी देने वाला है,
🍁62-अल् मुमीतु मारने वाला,
🍁63-अल् हय्यु ज़िन्दह,
🍁64-अल् क़्य्युमु क़ायम रहने व क़ायम रखने वाला,
🍁65-अल् वाजिदु पाने वाला,
🍁66-अल् माजिदु बुज़ुर्गी वाला,
🍁67-अल् वाहिदु अकेला,
🍁68-अल् समदु बेनियाज़,
🍁69-अल् क़ादिरु क़ुदरत वाला,
🍁70-अल् मुक़्तदिरु त़ाक़तवर,पकड़ने वाला,
🍁71-अल् मुक़द्दमु पहला,
🍁72-अल् मुअख्खरु पिछला,
🍁73-अल् अव्वलु पहला,
🍁74-अल् आखिरु पिछला,
🍁75-अल् ज़ाहिरु ज़ाहिर,
🍁76-अल् बात़िनु पोशीदह,
🍁77-अल् वालिउ मालिक,मुख्तार,
🍁78-अल् मुतआलु बरतर,
🍁79-अल् बर्रु भलाई वाला,
🍁80,अल् तव्वाबु तौबह क़ुबूल करने वाला,
🍁81-अल् मुन्तक़िमु इन्तिक़ाम लेने वाला,
🍁82-अल् अफुव्वु दरगुज़र करने वाला,
🍁83-अल् रऊफु शफक़त वाला,
🍁84-अल् मालिकुल् मुल्कु तमाम जहान का मालिक,
🍁85-ज़ुल् जलालि वल् इकरामि इज़्ज़त व जलाल वाला,
🍁86-अल् मुक़्सितु इँसाफ करने वाला,
🍁87-अल् जामिउ जमअ करने वादा,
🍁88-अल् गनिय्यु तवंगर व बेनियाज़,
🍁89-अल् मुग़्नी बानियाज़,
🍁90-अल् मानेउ रोकने वाला,
🍁91-अज़् ज़ार्रु नुक़सान पहुँचाने वाला,
🍁92-अन् नाफेउ नफअ पहुँचाने वाला,
🍁93-अन्नूरु रौशन,
🍁94-अल् हादिउ हिदायत बख्शने वाला,
🍁95-अल् बदीउ अज़ सरे नौ पैदह करने वाला,
🍁96-अल् बाक़ियु क़ायम रहने वाला,
🍁97-अल् वारिषु वारिष,
🍁98-अर् रशीदु खैर व भलाई वाला,
🍁99-अस् सबूरु बुर्दबार।}}

इमाम तिर्मिज़ी रहमतुल्लाह अलैह कहते है यह हदीस गरीब है,---और हम अकसर व बेशतर रिवायात को जिनमे अस्मा ए इलाही का ज़िक्र है,इस हदीस के सिवा किसी हदीस को सनद के ऐतेबार से सही नही पाते,आदम बिन अबी अयास ने यह हदीस इस सनद के अलावह दूसरी सनद से अबूहुरैरह रज़ियलालाहो अन्ह से और उन्होने नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से रिवायत की है और इसमे अस्माअ का ज़िक्र किया है लेकिन उस हदीस की सनद सही नही है।

{{जामेअ तिर्मिज़ी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 3507,तखरीज-इस्नादह ज़ईफ,दारुद्दअवात,99 नामो के ज़िक्र के साथ यह हदीस ज़ईफ है।,सही इब्नेहिब्बान,किताबुर् रक़ाइक़ि,हदीस नम्बर 808}}

➖➖➖➖➖➖

🟥 _*अन्य अस्माए हुस्नाअ।*_

➖➖➖➖➖➖
➖➖➖➖➖➖

🍁(1)अल् अहदु(एक,तन्हा,अकेला)
{{इख्लास  112/1,इब्नेहिब्बान 808}}
🍁(2)-अल् अअला(सबसे बुलन्द)
{{अअला 87/1}}
🍁(3)-अल् अक्रमु(बड़ा करीम)
{{अलक़ 96/3}}
🍁(4)-अल् इलाहु(मअबूद,जिसकी परस्तिश की जाती हो)
{{अन्नम्ल् 27/62}}
🍁(5)-अल् अकबरु(सबसे बड़ा)
{{सुनन दारक़ुत्नी 2/50}}
🍁(6)-अत् तामु(पूरा करने वाला)
{{अस् सफ् 61/8 से इस्तिद्लाल }}
🍁(7)-अल् जव्वादु(सबसे ज़्यादह नवाज़ने वाला)
{{सिलसिलह अस्सहीहह लिल् अल्बानी 169/4}}
🍁(8)-अल् जमीलु(खूबसूरत,हुस्न ए कषीर वाला)
{{सही मुस्लिम 147}}
🍁(9)-अल् हाफिज़ु(हिफाज़त करने वाला,निगहबान)
{{युसुफ 12/64}}
🍁(10)-अल् हफिय्यु(बड़ा मेहरबान)
{{मरियम 19/47}}
🍁(11)-अल् ख़ल्लाक़ु(बेहतरीन पैदा करने वाला)
{{यासीन् 36/81}}
🍁(12)-अद् दह्रु(ज़माने वाला)
{{सही बुखारी 6181}}
🍁(13)-अद् दाइमु(हमेशा से है और रहेगा)
{{सही मुस्लिम 2246}}
🍁(14)-अद् दय्यानु(बद्लह लेने वाला,मुहासबह करने वाला)
{{अल् फातिहा 1/ 3 से इस्तिद्लाल।}}
🍁(15)-ज़ुत़्त़ौलि(फज़्ल व करम करने वाला)
{{ग़ाफिर 40/3}}
🍁(16)-ज़ुल् मआरिज्(बुलन्द दरजात वाला)
{{अल् मआरिज् 70/3}}
🍁(17)-ज़ुल् फज़्ल(फज़्ल वाला)
{{बक़रह 2/105}}
🍁(18)-अर् रब्बु(पालनहार)
{{अन्आम 6/164}}
🍁(19)-अर् रफीउ(बहुत बुलन्द ,बुलन्दी देने वाला)
{{ग़ाफिर(अल् मुअमिन्)40/15}}
🍁(20)-अर् रफीक़ु(दोस्त,नरमी वाला)
{{सही बुखारी 6927}}
🍁(21)-अज़् ज़ारिउ(खेती उगाने वाला)
{{वाक़ेअह 56/63-64}}
🍁(22)-अल् सैय्यदु(सरदार)
{{सुनन अबू दाऊद 4806,सही।}}
🍁(23)-अस् सुब्बूहु(बहुत पाकीज़गी वाला)
{{सफ 61/1}}
🍁(24)-अस्सित्तीरु (पर्दह डालने वाला)
🍁(25)-अश् शाकिरु(क़द्रदान)
{{बक़रह 2/158}}
🍁(26)-अश् शदीदु(सख्ती करने वाला)
{{अल् रअद 13/13}}
🍁(27)-अश् शफीउ(सिफारिशी)
{{अन्आम 6/51}}
🍁(28)-अश् शाफियू(शिफा अत़ा करने वाला)
{{सही बुखारी 5675}}
🍁(29)-अस् सानिउ(कारीगर)
{{अन्नम्ल 27/88}}
🍁(30)-अत् तैय्यिबु(पाक)
{{सही मुस्लिम 1015}}
🍁(31)-अल् आलिमु(मालिक ए इल्म)
{{तग़ाबुन् 64/18}}
🍁(32)-अल् अल्लामु(सब कुछ जानने वाला)
{{अल् माइदह 5/109}}
🍁(33)-अल् ग़ालिबु(ग़ल्बह पाने वाला)
{{युसुफ12/21}}
🍁(34)-अल् ग़ाफिरु(मुआफ करने वाला)
{{ग़ाफिर(अल् मुअमिन्)40/3}}
🍁(35)-अल् ग़ैय्यूरु(इन्तिहाई ग़ैरतमन्द)
{{सही बुखारी 5223}}
🍁(36)-अल् फअआलु(कर ग़ुज़रने वाला)
{{अल् बरूज  85/14-16}}
🍁(37)-अल् फात़िरु(पैदा करने वाला)
{{फातिर 35/1}}
🍁(38)-अल् फालिक़ु(फाड़ निकालने वाला)
{{इन्आम  6/95-96}}
🍁(39)-फारिजल् हम्मि(मसायब व मुश्किलात को टालने वाला)
{{मुस्तदरक अल हाकिम 515/1}}
🍁(40)-अल् क़ाहिरु(ग़ालिब व ज़बरदस्त त़ाकतवर)
{{अन्आम 6/18}}
🍁(41)-अल् क़दीरु(त़ाक़तवर)
{{बक़रह 2/ 20}}
🍁(42)-अल् क़रीबु(इन्तिहाई क़रीब व नज़दीक)
{{बक़रह  2/186}}
🍁(43)-अल् क़ाबिलु(क़ुबूल करने वाला)
{{ग़ाफिर(अल् मुअमिन्)40/3}}
🍁(44)-अल् क़ाइमु(निगहबान)
{{अल् रअद 13/ 33}}
🍁(45)-अल् काफिउ(काफी)
{{अल् ज़ुमर 39/36}}
🍁(46)-अल् कफीलु(ज़ामिन,गवाह){{अन्नह्ल16/91}}
🍁(47)-अल् काशिफु(खोलने वाला,दूर करने वाला)
{{अल् अन्आम 6/ 17}}
🍁(48)-अल् मुबीनु(आशकारा,बयान करने वाला)
{{अन्नूर  24/25}}
🍁(49)-अल् मुहीत़ु(अहात़ह करने वाला,हिफाज़त करने वाला)
{{अन्निसाअ  4/126}}
🍁(50)-अल् मुस्तआनु(मदद व हिमायत करने वाला)
{{अल् अम्बिया 21/ 112}}
🍁(51)-अल् मलीकु(बादशाह )
{{अल् क़मर् 54/ 54-55}}
🍁(52)-अल्मौला(हामी,आक़ा)
{{अल् हज्ज 22/ 78}}
🍁(53)-अल् मुअत़िउ(देने वाला)
{{सही बुखारी 844}}
🍁(54)-अल् मुह्सिनु(एहसान करने वाला)
{{सही जामेअ सगीर लिल् अल्बानी 1824}}
🍁(55)-मुक़ल्लिबुल्क़ुलूबि
{{सही बुखारी 7391}}
🍁(56)-अल् मन्नानु(एहसान करने वाला)
{{आल इमरान 3/ 164}}
🍁(57)-अल् मुन्जिउ(निजात देने वाला)
{{अल् अम्बिया 21/ 88}}
🍁(58)-अल् मुदब्बिरु(तदबीर करने वाला)
{{सज्दह  32/ 5}}
🍁(59)-अल् मुब्रिमू (फैसलह करने वाला)
🍁(60)-अन् नसीरु(मददगार)
{{अल् फुर्क़ान 25/ 31}}
🍁(61)-अल् वित्रु(तन्हा व यक्ता)
{{सही मुस्लिम 2677}}
🍁(62)-अल् वाक़ि(मसायब से बचाने वाला)
{{अल् रअद 13/ 34}}

➖➖➖➖➖➖

🍁नोट-अल्लाह तआला के षाबित शुदह नामों मे से कोई भी 99 नाम याद किए जा सकते है,अस्माए हुस्नह मे से सिर्फ एक नाम"अल्लाह"इस्म ज़ाती नाम है,बाक़ी सब सिफाती नाम हैं,जन्नत मे दाखिल होने के लिए यह भी ज़रूरी है कि उन नामों के मअना व मफ्हूम को समझा जाय फिर इस पर खुलूस ए दिल से अमल की भी कोशिश की जाय।

➖➖➖➖➖➖
Copied

Share:

Parda aur Hijab: Ghar me Sharai parde ka Nizam kaisa hona chahiye? Ghar me Kya Devar bhabhi aur Sali Ek Sath baith kar Khana Kha Sakte hai?

Ghar me Auraten kis kis se parda karegi?

Kya Ghar me rahne wali khawateen Ghar ke mardo se bhi Parda karegi, Kin logo ke sath baith kar khana kha sakti hai aur kin ke sath nahi?

Gharo me Parda kis se aur Kaise kare? 

السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ

️: مسز انصاری

پیروانِ دعوتِ محمد عربیﷺ !!
آپ سب كو معلوم ہونا چاہيے كہ شرعئی نصوص عورت كا نامحرم مرد سے اور مرد کا نامحرم عورت سے پردہ كرنا واجب کرتی ہیں ، اللہ سبحانہ و تعالى كا فرمان ہے:

اور آپ مومن عورتوں كو كہہ ديجئے كہ وہ بھى اپنى نگاہيں نيچى ركھيں اور اپنى شرمگاہوں كى حفاظت كريں، اور اپنى زينت كو ظاہر نہ كريں، سوائے اسكے جو ظاہر ہے، اور اپنے گريبانوں پر اپنى اوڑھنياں ڈالے رہيں، اور اپنى آرائش كو كسى كے سامنے ظاہر نہ كريں، سوائے اپنے خاوندوں كے، يا اپنے والد كے، يا اپنے سسر كے، يا اپنے بيٹوں كے، يا اپنے خاوند كے بيٹوں كے، يا اپنے بھائيوں كے، يا اپنے بھتيجوں كے، يا اپنے بھانجوں كے، يا اپنے ميل جول كى عورتوں كے، يا غلاموں كے، يا ايسے نوكر چاكر مردوں كے جو شہوت والے نہ ہوں، يا ايسے بچوں كے جو عورتوں كے پردے كى باتوں سے مطلع نہيں، اور اس طرح زور زور سے پاؤں مار كر نہ چليں كہ انكى پوشيدہ زينت معلوم ہو جائے، اے مسلمانو! تم سب كے سب اللہ كى جانب توبہ كرو، تا كہ تم نجات پا جاؤ [ النور /٣١ ]

یہ آيت عورت كے پردہ كے وجوب كى صریح دلیل ہے ۔

قابلِ ذکر بات یہ ہے کہ عورت کے پردے کے حوالے سے اکثر لوگ ستر اور حجاب کے مابین فرق نہیں سمجھتے ، جبکہ شریعت ِاسلامیہ میں ستر و حجاب دونوں کے الگ الگ احکام ہیں ۔ بالغ عورت كا اپنے محارم مردوں سے مثلا والد، بيٹا، اور بھائى كے سامنے مكمل بدن ستر ہے، صرف وہى ظاہر كر سكتى ہے جو غالبا ظاہر رہتى ہوں، مثلا چہرہ بال اور گردن، دونوں بازو، اور قدم  ، جبکہ عورت کا حجاب اس کے ستر سے بالکل مختلف ہے ، حجاب سے مراد وہ پردہ ہے جسے عورت گھر سے باہر نامحرم سے کرتی ہے ۔

اجنبی مردوں سے پردہ حجاب کہلاتا ہے جس کے بارے میں شریعت کے خاص احکامات ہیں ، یعنی گھر سے باہر نکلتے وقت عورت اپنے پورے جسم کو چھپانے کے لیے جلباب یعنی بڑی چادر ( یا برقع ) اوڑھے گی اور چہرے پر بھی نقاب ڈ الے گی تاکہ سوائے آنکھ کے چہرہ چھپ جائے، یہی شرعئی پردہ ہے جسے بوقتِ ضرورت گھروں میں نامحرم مردوں کی موجودگی میں بھی عورت پر واجب ہے ، ارشاد باری تعالیٰ ہے کہ :

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِىُّ قُل لِّأَزْوَ‌ٰجِكَ وَبَنَاتِكَ وَنِسَآءِ ٱلْمُؤْمِنِينَ يُدْنِينَ عَلَيْهِنَّ مِن جَلَـٰبِيبِهِنَّ ۚ ذَ‌ٰلِكَ أَدْنَىٰٓ أَن يُعْرَ‌فْنَ فَلَا يُؤْذَيْنَ ۗ...﴿٥٩﴾...سورۃ الاحزاب

''اے نبیؐ! اپنی بیویوں ، بیٹیوں اور مسلمان عورتوں سے کہہ دو کہ اپنے اوپر اپنی چادروں کے پلو لٹکا لیا کریں ۔ یہ زیادہ مناسب طریقہ ہے تاکہ وہ پہچان لی جائیں اور اُنہیں کوئی نہ ستائے۔ اللہ تعالیٰ بخشنے والا مہربان ہے۔''

جن جوائنٹ فیملیز میں شرعئی پردہ کیا جاتا ہے وہاں بھی گھر کی عورتیں نا محرم مردوں(جیٹھ ، دیور وغیرہ) سے ہر عورت کو مکمل شرعئی پردہ کرنا ہوگا ۔
وہ صرف اپنے ”کمرہ“ میں ”بلا پردہ“ رہ سکتی ہے۔ کمرہ سے باہر دیگر مردوں کی موجودگی کے اوقات میں اسے ہر ممکنہ پردہ کرنا اسی طرح واجب ہوگا جس طرح وہ گھر سے باہر نکلتے وقت پردہ کرتی ہے ۔

اس ضروری وضاحت کے بعد، موضوع کو اس طرف لانا بھی ضروری ہے کہ گھروں میں شرعئی پردہ گو کہ نہایت قابلِ ستائش فعل ہے، لیکن گھر میں اس شرعئی پردے کے نفاذ کے ساتھ ساتھ گھروں کے بزرگوں پر لازم ہے کہ اس نظم و نسق کے تقاضوں پر بھی توجہ دیں  ، ایسا نا ہو کہ شرعئی پردے کی پابندیاں صرف عورتوں پر خاص کر دی جائیں اور ساری مشقتیں عورتوں کے حصہ میں ڈال دی جائیں اور گھر کے مرد حضرات بلا روک ٹوک یا کسی پابندی کا خیال نا رکھتے ہوئے گھروں میں آزادانہ آئیں جائیں یا گھومتے پھریں ۔ لہٰذا گھروں میں شرعئی پردہ کیا جائے یا گھروں سے باہر، یہ بات جان لینی چاہیے کہ پردہ کے احکامات صرف عورتوں پر لازم لاگو نہیں کیے گئے بلکہ نہیں بلکہ مردوں کو بھی پردہ کرنے حکم دیا گیا ہے۔ ”سورۃ النور " میں ﷲ تعالیٰ نے حکم دیا ہے
” مسلمان مردوں سے کہہ دیجئے کہ اپنی نگاہیں نیچی رکھیں”۔ …[ النور /٣۰ ]
نیز ایک مرد کو دو عورتوں کے درمیان چلنے سے بھی منع فرمایا ہے۔

اگر گھر میں جوان یا شادی شدہ دیور جیٹھ وغیرہ بھی رہتے ہوں تو پہلی بات یہ کہ ایسا ہونا نہیں چاہئے ، جوائینٹ فیملی ہو اور شرعئی پردہ کی پابندی ہو تو گھر کے بڑوں کو اس شرعئی پردے کی پابندی اس طرح عائد کرنی چاہیے کہ گھر کی بہوؤوں پر کوئی مشقت نا پڑے اور وہ اپنے گھریلو کاموں کو سہولت اور آسانی سے انجام دے سکیں ۔ اس کے لیے ضروری ہے کہ درج ذیل چند باتوں کا خیال رکھا جائے ۔

- ہر شادی شدہ جوڑے کو الگ گھر یا علیحدہ پورشن ملنا چاہئے جہاں وہ آزادانہ زندگی گزار سکیں ،
- اگر علیحدہ پورشن کی سہولت یا استطاعت نا ہو اور ایک ہی گھر میں جوائنٹ فیملی سسٹم کے تحت کئی جوان شادی شدہ بھائی رہتے ہوں تو ایسی صورت میں مرد حضرات گھر میں آزادانہ گھومنے سے اجتناب کریں، خصوصًا ان اوقات میں جب عورتوں کا کھانا پکانے کا وقت ہو یا گھر کے دوسرے خاص کام ہوں ۔

- مرد حضرات گھر میں بلا اجازت داخل نا ہوں، تاکہ نا محرم بھابھی سے بے پردگی کا احتمال نہ ہو ۔

گھروں میں داخل ہوتے وقت یا کسی کے کمرے میں داخل ہوتے وقت اجازت لینا اسلام کی تعلیم ہے ، اللہ تعالیٰ کا فرمان ہے :

﴿یَا أَیُّہَا الَّذِیْنَ آمَنُوا لِیَسْتَأْذِنکُمُ الَّذِیْنَ مَلَکَتْ أَیْْمَانُکُمْ …﴾
(النور: 58)

اے ایمان والو! اجازت لے کر آئیں تم سے جو تمہارے ہاتھ کے مال ہیں۔ (غلام)

اس آیت میں اقارب اور نابالغ بچوں کو بھی استیذان کی تعلیم ہے، اور اجازت لیے بغیر کسی کو اندر آنے کی اجازت نہیں ہے۔ اور استیذان کا طریقہ یہ ہے کہ دروازے کے عین سامنے نا کھڑا ہوا جائے  ، نبی کریمﷺ جب کسی کے ہاں تشریف لے جاتے تو دروازے کے عین سامنے کھڑے نہ ہوتے ۔ اجازت لینے کا حکم اگر چہ ﴿یَا أَیُّہَا الَّذِیْنَ آمَنُوا﴾ سے شروع کیا گیا ہے، جو مردوں کے لیے استعمال ہوتا ہے، مگر عورتیں بھی اس حکم میں داخل ہیں، قرآن حکیم میں اللہ جل شانہ حکم فرماتا ہے :

یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا لَا تَدۡخُلُوۡا بُیُوۡتًا غَیۡرَ بُیُوۡتِکُمۡ حَتّٰی تَسۡتَاۡنِسُوۡا وَ تُسَلِّمُوۡا عَلٰۤی اَہۡلِہَا ؕ ذٰلِکُمۡ خَیۡرٌ لَّکُمۡ لَعَلَّکُمۡ تَذَکَّرُوۡنَ ﴿۲۷﴾فَاِنۡ لَّمۡ تَجِدُوۡا فِیۡہَاۤ اَحَدًا فَلَا تَدۡخُلُوۡہَا حَتّٰی یُؤۡذَنَ لَکُمۡ ۚ وَ اِنۡ قِیۡلَ لَکُمُ ارۡجِعُوۡا فَارۡجِعُوۡا ہُوَ اَزۡکٰی لَکُمۡ ؕ وَ اللّٰہُ بِمَا تَعۡمَلُوۡنَ عَلِیۡمٌ ﴿۲۸﴾

’’اے لوگو جو ایمان لائے ہو! اپنے گھروں کے سوا دوسرے گھروں میں داخل نہ ہوا کرو جب تک کہ گھر والوں کی رضا نہ لے لو اور گھر والوں پر سلام نہ بھیج لو. یہ طریقہ تمہارے لیے بہتر ہے‘ توقع ہے کہ تم اس کا خیال رکھو گے. پھر وہاں اگر کسی کو نہ پاؤ تو داخل نہ ہو جب تک کہ تم کو اجازت نہ دے دی جائے‘ اور اگر تم سے کہا جائے کہ واپس چلے جاؤ تو واپس ہو جاؤ‘ یہ تمہارے لیے زیادہ پاکیزہ طریقہ ہے. اور جو کچھ تم کرتے ہو اللہ اسے خوب جانتا ہے.‘‘

استیذان کی حکمت یہ ہے کہ ہر انسان اپنے گھر میں سکون و راحت چاہتا ہے جو اسی وقت مل سکتا ہے جب کہ انسان کسی دوسرے شخص کی غیر متوقع مداخلت کے بغیر اپنے گھر میں اپنی بنیادی سہولت اور ضرورت کے مطابق آزادی سے رہے ، لہٰذا واجب ہے کہ جب کوئی عورت کسی عورت کے پاس جائے، یا کوئی مرد کسی مرد کے پاس جائے تو اجازت طلب کرے ، اگر اپنی ماں بہنوں یا دوسری محارم عورتوں کے پاس جائے تو بھی اجازت طلب کرے ، اور گھر میں صرف بیوی کی موجودگی کی صورت میں مرد کو لائق ہے کہ پاؤں کی آہٹ یا گلے کی کھنکار سے یا کسی اور طرح سے اپنی آمد کی خبر دے ۔

لہٰذا جن گھروں میں شرعئی پردے کیے جاتے ہیں اس گھر کے بزرگ گھر میں یہ نظام نافذ کریں کہ گھر میں آنے والے مہمان دستک دے کر اجازت لے کر اندر داخل ہوں تاکہ پردہ دار خواتین کی پردہ داری رہے ۔

- نیز ایک ہی دسترخوان پر کھانا کھاتے ہوئے بھی مکمل پردے کا اہتمام ضروری ہے ، ایک جگہ جمع ہوکر کھانے میں اختلاط سے اور نامحرم مرد و عورت کا ایک دوسرے کے آمنے سامنے بیٹھ کر کھانے سے بچنے کے لیے ضروری ہے کہ نامحرم مردوں کے دسترخوان کے لیے علیحدہ جگہ مخصوص کی جائے تاکہ گھر کی عورتیں سہولت اور اطمینان سے ایک جگہ مل بیٹھ کر کھانا کھائیں ۔

امید ہے اس تحریر میں گھروں اور گھروں سے باہر ستر و حجاب کو لیکر مخلوط رجحانات کے نقصان اور منظم شرعئی پردہ داری کے تقاضوں کو پورا کرنے کے فوائد پر سیر حاصل روشنی ڈالی گئی۔

اللہ تعالیٰ ہم سب کو شرعئی احکامات کو سمجھنے اور اس پر عمل کرنے کی توفیق عطا فرمائے ۔۔۔۔
آمین یارب العالمین ۔۔۔۔

فقط واللہ تعالیٰ اعلم بالصواب

Share:

Mai Ek Sharif ladki Hoo Jald Bewkoof Ban jaya karti thi magar....

Mai hamesha Logo ke Apne jaisa samajhti thi magar......?

Kya sare log ek jaise hote hai? Mujh jaise?

میرے بابا مجھے ہمیشہ کہا کرتے ہیں کہ خاندانی اور کمی لوگوں میں فرق ہوتا ہے.

میں چڑ جاتی تھی میں کہتی  تھی  سب لوگ برابر ہوتے ہیں.. لیکن جب میں باہر نکلی  مختلف لوگوں سے میرا سامنا ہوا تو پھر مجھے احساس ہوا نسل ہی انسان کی حقیقت کو نمایاں کرتی ہے. ایک خاندانی انسان ضروری نہیں پیسے اور شہرت کہ نام پے خاندانی ہو ایک خاندانی انسان تو اپنی چھوٹی چھوٹی خصلتوں سے پہچانا جاتا ہے.....

حضرت علی علیہ السلام سے کسی نے کہا فلاں شخص بہت نمازی اور پرہیزگار ہے تو آپ نے فرمایا " مجھے یہ مت بتاؤ کہ کتنا پرہیزگار اور نمازی ہے مجھے یہ بتاؤ اس کہ معاملات کیسے ہیں......"

ایک سادہ سی لڑکی ہوں. میں جلد بےوقوف بن جاتی تھی.
میں آسانی سے لوگوں کی باتوں میں آ جاتی تھی.

مجھے اچھے اور غلط کی سمجھ نہیں آتی تھی, مجھے لگتا تھا ہر شخص کے ارادے نیک ہیں اور ہر شخص سچ بولتا ہے......

ہماری پرورش جیسی ہوئی ہوتی ہے ہم لوگوں کو بھی ویسا ہی سمجھتے ہیں۔

کیونکہ میں نے اپنی زندگی کا زیادہ تر حصہ اپنے گھر میں گزارا, لیکن جب دنیا داری میں قدم رکھا گھر سے باہر تو احساس ہوا بابا تو سچ کہتے ہیں.

خاندانی اور کمی لوگوں میں فرق ہوتا ہے!!!!

Copied

Share:

New world Order ya Jewish world order: Yahudiyo ko jisne panah diya use hi rahne ke liye jagah nahi.

Yahudiyo ko jisne panah diya usne usi ko pahle Bhagaya.

Spain me jab Musalmano ne yahudiyo ko Rahne ke liye jagah di FIR Musalmano ki hukumat khatm ho gayi.
Umar Mukhtar: the Lion of Desert.

Palestinian ke Haque ki aawaz kyu nahi uthata UN, Us aur Europe?

Islam ko badnam karne ke liye France aur Sweden ki sajish.

Muslim country me Kaise Islamic nijami nafiz ho sakta hai?

European Shikari (Hunter) aur Musalman Parinde (Birds)

Kya Quran me Gair Muslimon ko marne ka hukm hai?
Muslim Ladkiyo ke liye Magrib ki Khatarnak Sajish.

#اہل_ایمان کے بدترین دوشمن #یہود ہیں۔اور اگرقریب ترین کسی کو پاوگے دوستی میں تو وہ #نصاری ہیں#سورہ_معاہدہ۔

یہود کل بھی یہود تھے آج بھی وہی ہیں لیکن فرق اب یہ ہے۔کہ آج یہودی عیسائیوں پر مسلط ہوچکے ہیں۔#یہودئیت نے #عیسائیت کو فتع کرلیا ہے اس لئے آج عیسائیت یہودیئت کی آلہ کار بن چکا ہے۔
پہلے ایسا نہیں تھا۔جب تک #پوپ یعنی #کیتولک کا کنٹرول تھا یورپ پر اس وقت پورے یورپ میں #سود خرام تھا۔ کہی انٹرسٹ یعنی سود کا کاروبار تک نہیں ہوسکتا تھا۔
پھر کنٹرول کے بعد یہودیوں نے

  White anglo sexon protestant

کی ذریعے اجازت حاصل کیا۔ کیونکہ یہ تو پہلے سے انکے ساتھ ملے ہوئے تھے۔ جس کے بارے میں #علامہ_اقبال فرماتا ہے،

#فرنگ_کی_رگیں_جاپنجہ_یہود_میں۔

پہلے تو #ہزار #بارہ_سو_سال عیسائیوں کی طرف سے یہودیوں پر ظلم وستم ہوتا رہا۔

یہ۔پورے یورپ میں #یہودیوں کو سر چھپانے کیلئے جگہ نہیں تھا۔

انکو اگر کہی پر سہارا ملا تو وہ مسلمانوں کی ذریعے

#سپین میں ملا تھا۔
#بن_گوریان نے خود لکھا ہے اپنی کتاب میں کہ ہمیں اگر کہی آرام ملا سکون ملا
  تو وہ #ہسپانیہ میں مسلمانوں کے ہاں ملا۔

کیونکہ پھر وہاں سے اس نے ترتیبات کیئے عیسائیوں کیلئے اور سب کچھ.اور دوسرا کام یہ کیا کہ عیسائیوں کا روخ اپنے کی بجائے مسلمانوں کے حلاف کر دیا ۔اسکو کہتے ہے چالاکی۔

حلانکہ #عمرؓ جب یروشلم آیا تو عیسائیوں نے یہ شرط رکھ دیا کہ ہمارے ساتھ ایسا معاہدہ کرلیا جائے کہ یہاں یعنی #یروشلم پر یہودیوں کو آباد نہیں کیا جائی گا۔سوائے مذہبی رسومات ادا کرنے کے۔

میں مانتا ہو کہ سب سے بڑا دوشمن ہمارہ  نفس ہے جو ہمارے اندر ہے ۔لیکن دوسرا خارجی یعنی باہر والا دوشمن یہودی ہے۔ جو پہلے #آرڈر_آف_دی_ایلومناٹی 1776 میں قائم کیا گیا تھا۔ یہودیوں کی سازش۔ اور آج ایک New world order کا نقشہ بنا کر آچکے ہیں۔

لیکن جس وقت #حضورؐ کے زمانے یہود مسلمانوں کی محالفت کر رہے تھے اس وقت عیسائی اور یہودیوں کی اپس میں #دوشمنی تھی۔ آج عیسائی اور یہودی ایک پیچ پر ہیں۔

#اب_عرب_تو_گئے عربوں کے ہاتھ سے تو خدا نے #عالم_اسلام کی #قیادت چین لی۔

لیکن ایک #سالڈ_مسلم_بلاک یہودیوں کی #نیو_ورلڈ_آرڈر کی انکھوں میں لٹک رہی ہے۔ایران ،پاک, افغان، اور روس سے آزاد مسلم ممالک۔ انکو ایک ایک کرکے بجا دینگے۔

#ڈاکٹر_اسرار
#تحریر_و_انتخاب_اینیجنئر_عالمگیر_خان_وزیر۔
#جاری_ہے
۔۔۔

Share:

Mithe Gunah: Gunah ke kam karne me Logo ko itni Khushi kyu milti hai?

Mithe Gunah kis Gunah ko kahte hai?
Gunah ke kamo me Hame itni lajjat kyu milti hai aur Khushi kyu milti hai?

میٹھے گناہ
میٹھے گناہوں کو جانتے ہیں آپ،،،،،،، ؟
ایسے گناہ جو آپ کو دنیا میں سکون دیں ،،،،،
دنیاوی رنگینیوں میں آپ کو مکمل طور پر غرق کر دیں،،،،
،باربار بھی گناہ کرنے پر آپ کو شرمندگی نہ ہو ،،،،، آپ کو پتا ہو کہ یہ گناہ ہے مگر آپ بے دھڑک وہ گناہ کر گزریں،،،،،

انسان جب کوئی گناہ کرے اور اسکی پکڑ نہ ہو مگر وہ یہ سمجھنے کے بجائے کہ اللّٰہ نے اسکے گناہوں کا راز رکھ کر اسے لوگوں کی نظروں میں گرنے سے بچایا ہے وہ مزید گناہ کرتا ہے اللہ پھر بھی اسکا راز رکھتا ہے مگر وہ بنا ندامت کرتا ہی رہے اور پھر کرتا ہی چلا جائے تو پھر اسے وہ گناہ میٹھے لگنے لگ جاتے ہیں،،،،،،

گناہوں کی لذت کبھی کم نہیں ہوتی بلکہ بڑھتی  ہی چلی جاتی ہے،،،، ان میٹھے گناہوں کی بدولت آپ کو دنیا میں جنت کا گماں ہوتا ہے،،،،،،

دنیا اگر جنت لگنے لگ جائے وہ بھی گناہوں کی بدولت تو سمجھ لیں آپ کے لیے خسارے ہی خسارے ہیں آخرت میں ،،،،،،،

میٹھے گناہوں کی لذت اور عادت سے بچائیں خود کو،،،، دنیاوی سکون کو گناہوں میں نہیں اپنے اللّٰہ کے ذکر میں تلاش کریں .
سکون کو چھوٹی چھوٹی نیکیوں میں ڈھونڈیں،،،،

گناہ ہو گیا تو خیر ہے ہو جائے مگر اس یقین کے ساتھ اللّٰہ سے توبہ کریں کے دوبارہ وہ گناہ نہ کریں کیونکہ آپ کا اللہ بہت ہی مہربان اور بے حد رحیم ہے،،،، لاکھ دفعہ بھی گناہ کر کے اس کے سامنے جائیں تو وہ آپ کو معاف کرتا ہے باشرط کہ آپ کر مرتبہ سچی توبہ کریں کیونکہ میٹھے گناہوں سے اک ندامت کا احساس اور آنسو ہی کافی ہے آپ کے اللہ کے لیے اور آپ کا اللہ تو رحمت کی صفات سے مالامال ہے۔۔۔۔۔۔!⁦

Share:

Nikah ke maksad se Ladka Ladki ko Dekh sakta hai aur Bat kar sakta hai?

Waise Mard jo Auraton ko Gunah ke kamo ke liye taiyyar karte hai?
Kya Nikah ke liye Ladki ki Ladka dekh sakta hai aur Usse bat kar sakta hai?

السلام علیکم ورحمةاللہ ۔۔۔۔۔

بغرض نکاح نامحرم سے دل کا معلق ہونا کوئی حرج کی بات نہیں ہے بشرطیکہ شرعئی حدود و قیود کی پابندی کی جائے اور نکاح کے لیے کوشش کی جائے ۔

اور جو مرد عورت کو چھپ چھپ کر یا تنہائی میں ملنے پر ابھارے ، تو عورت کو جان لینا چاہیے وہ اللہ کی حدود کو توڑ رہا ہے ، ایسا مرد خود بھی آگ پر چلتا ہے اور عورت کو بھی آگ کے راستے پر چلاتا ہے ۔

پس نادان ہیں اور عظیم خسارے میں ہیں وہ دونوں مرد و عورت جو عارضی دنیا کے وقتی مزوں کی خاطر آگ کو اپنے اوپر حلال کر لیتے ہیں ۔ اور بےشک ہر جن و انس کو عنقریب اپنے رب کے سامنے حاضر ہونا ہے ، جہاں اگر باز پرس ہوگئی تو خسارہ ہی خسارہ ہے ، اور بے شک جہنم کا ٹھاٹیں مارتا آگ کا سمندر اللہ تعالیٰ نے ایسے ہی لوگوں کے لیے تیار کیا ہے جو اللہ کی بنائی ہوئی حدودوں کو تجاوز کرتے ہیں ۔

اللہ سے دعا ہے کہ ہم مسلمان تو بن گئے ہیں لیکن اللہ ہمیں مومن بھی بنادے جو گناہوں سے ڈرنے والا متقی اور پرہیزگار ہوتا ہے ۔۔۔۔
آمین یارب العالمین
🖊: مسز انصاری

Share:

Translate

youtube

Recent Posts

Labels

Blog Archive

Please share these articles for Sadqa E Jaria
Jazak Allah Shukran

Most Readable

POPULAR POSTS