Palestine ka Sath kaun dega?
फिलिस्तिनियो को आतंकी कौन बता रहा है?
फिलिस्तिनियो के साथ कौन खड़ा है? इस्राएल को ईसाई देश क्यो समर्थन दे रहे है?
ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कम से कम 33 बार इसराइल के लिए किया है.
" तुम मेरा पानी ले लो, मेरे पेड़ो को जला दो, मेरे घरों को तबाह कर दो, नौकरियां छीन लो, मां बाप की हत्या कर दो, मेरे देश में धमाके करो, हमे भूखा रखो, अपमानित करो लेकिन हमे इन सबके बदले एक रॉकेट दागने के लिए दोषी ठहराओ "
उपर जो आप सब ने पढ़ा अगर वैसा ही हाल आपका का हो जाए तो आप क्या करेंगे?
अगर बिजली काट दी जाए, घरों को तबाह कर दिया जाए और रोज़ दिन रात आपके आशियाने पर मिसाइल और हेलीकोपट्रो से बॉम्बारी किया जाए तो आप क्या सोचेंगे और क्या करेंगे?
इससे भी ज्यादा बद्तरीन हालात है अरब के एक छोटे से खितते मे बसा फिलिस्तीन का।
जो ज़मीन फिलिस्तीन के लोगो का था उस पर जबरदस्ती यहूदियों ने कब्ज़ा करके अपना नया देश इस्राएल बनाया 1948 मे।
"We Should Fight The information war this time with zionist, salebi and west propganda machine, keep commenting, writing & breaking lies they spread. Don't need to be sorry, conddemn, its time to support Palestine, Mujahiden, Freedom fighters & our Supporters."
मस्ज़िद ए अक्सा फिलिस्तीन से दुनिया के मुसलमानो का क्या ताल्लुक़ है?
आज मुस्लिम दुनिया का रहनुमा कौन है और किधर है?
फिलिस्तीन मे अरब कब से आबाद है और मकबूजा फिलिस्तीन (इस्राएल) कब बना?
दहशतगर्द इस्राएल कब बना, किसने बनाया से यहूदि स्टेट?
इस्राएल क्या पूरी तरह से अरब देश पर हमला करके उसे कब्ज़े मे ले लेगा?
इस्राएल अब ज़मीनी जंग शुरू करने जा रहा है उधर आतंकवादि अमेरिका ने इस्राएल का साथ देते ही हथियारो से लैश जहाज़ भेजा है, जिसमे एंटी क्रूज़ मिसाइल, गोला बारूद, एंटी शिप मिसाइल है।
यह शुरू होने से पहले यूरोप और इस्राएल मिलकर अफवाहों का बाजार गरम कर रहा था फिलिस्तिनियो के खिलाफ, ताकि गैर मुस्लिम दुनिया, मीडिया और तथकथित बुद्धिजीवी को अपने साथ ला सके। अगर इन लोगो को अपने खेमे मे रखेंगे तो ये लोग हमारे ज़ुल्म व ज्यादती, फिलिस्तिनियो के क़तलेआम पर मीडिया मे बहस के दौरान हमारी हिमायत करेंगे और मजलुम फिलिस्तीनईयो को आत्यचरि और आतंकवादि साबित करवा देंगे।
इस तरह से ये अभी इंफोर्मेशन वार शुरु किया है ताकि हमारे ज़ुल्म की इंतेहा पर पर्दा डाला जा सके। यूरोपियन मीडिया और हिंदी मीडिया चाहे उदारवादी हो या दक्षिणपंथी सबने फिलिस्तीन पर हो रहे ज़ुल्म को न दिखा कर फिलिस्तीन के लोगो के हाथ मे कंकर और पत्थर को दिखा रहे है।
लेबनान के इलाको पर भी आतंकवादि इस्राएल ने बॉम्बारी की और अब ज़मीनी आतंकियो के जरिये अगल बगल के सारे देशो पर हमला करेगा लेकिन मानवाधिकार का लबादा ओढ़ने वाला अमेरिका और यूरोपीय देश इसमे इस्राएल को हर तरह से चाहे सामरिक,आर्थिक या राजनीतिक मदद कर रहा है।
अब तक 1000+ फिलिस्तिनि शहीद हुए और 2500 ज़ख़्मी है। वहाँ के अस्पताल मुर्दा घर बन गए।
लेबनान मे 50 लाख फिलिस्तिनि रहते है। पहले ये ग़ज़ा पर बॉम्ब बरसाया फिर अब मिस्र, जोर्डन और दूसरे मुल्को पर। इसे इजरायली सनक कह सकते है जिसे अपने आप पर बहुत घमंड है।
इस्राएल ने ग़ज़ा पट्टी पर फॉस्फोरस बॉम्ब भी गिराया है जिसे अमेरिका ने दुनिया को इसे इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाया हुए है।
मिस्र को आतंकवादि देश इस्राएल ने धमकी दिया के वह ग़ज़ा मे रहने वालो को अपने यहाँ पनाह न दे।
जिसने दुसरो के ज़मीन को कब्ज़ा करके खुद बसा आज वही फिलिस्तिनि लोगो को मार कर भाग रहा है लेकिन UNSC और मानवाधिकार की रट लगाने वाला, चीन कि विगर मुसलमानो पर तंकिद करने वाला इस्राएल को हथियार दे रहा है ताकि वह ग़ज़ा और फिलिस्तिनियो का सफाया कर सके। इसे बड़ा अपराध और क्या हो सकता है? इस्राएल जिसे ब्रिटेन ने पैदा किया और अमेरिका ने भरण पोषण किया। अब वह फिलिस्तिनियो के नर संहार के लिए हथियार और सियासी मदद कर रहा है।
फ्रांस, जर्मनी , इटली, ब्रिटेन और अमेरिका इनमें से कोई भी यहुदी देश नहीं है बावजूद इसके ये खुलेआम इज़रायल के साथ खड़े हैं। यहां तक की अमेरिका ने आतंकी इज़रायल के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए व्हाइट हाउस में नीली और सफेद रंग की रौशनी की..
क्या इस्राएल अकेले 1948 से यह सब कर रहा है?
इस्राएल को ईसाई देशो से मदद मिलती है, चाहे वह लेफ्ट हो या राइट। अमेरिका मे यहूदि लॉबी काफी जड़े जमाये हुए है। इस्राएल को मुसलमानो का जनसंहार करने के लिए लेफ्ट, लिबरल, डेमोक्रेट सभी तबके के लोग अपने अपने तरीके से मदद करता है।
मगर इन सब के बीच मुस्लिम देशों का रवैया क्या है?
अगर आप फिलिस्तीन की आज़ादी चाहते है और इजरायली सामान खरीद कर इस्तेमाल भी करते है तो समझ जाए के आप फिलिस्तिनियो का खून बहाने, मस्जिदो पर बॉमबारी करने की फंडिंग कर रहे है। साथ साथ आप झूठ भी बोल रहे है के मै क़ीबला ए अव्वल की हीफाज़त चाहता हूँ।
57 मुस्लिम देश होते हुए भी फिलीस्तीन यतीमों की तरह अकेला मुसलमानों के बैतूल मुकद्दस की हीफाजत के लिए अपनी और अपने मुस्तकबिल के खून को पानी की तरह बहाए जा रहा है।
जो मजाहेदीन आतंकियो से मुकाबला करने की सोच रहे है उसे अमेरिका और दूसरे ईसाई देशों ने आतंकवादि कहा है?
हम आह भी करते है तो हो जाते है बदनाम
वह क़त्ल भी करते है तो चर्चा नही होता।
Western Ideology:
1) Ukraine has the right to defend
2) Israel has the right to invade
जो अपने मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ रहा है उसे ईसाई देशो ने दहशत गर्द का लकब् दिया लेकिन जो दुसरो के ज़मीन को नजायेज कब्ज़ा कर वहाँ के बाशिंदों को कसाई की तरह मार रहा है उसे यह ईसाई देश मदद कर रहे है।
अरब देशों ने फिलिस्तीन को उसके हाल पर छोड़ कर तेल बेचने और शाही खज़ाना भरने मे मसरूफ है
उसे बड़े बड़े होटलो और नंगी औरतों के साथ रहने से वक़्त ही नही बच रहा है के वह ग़ज़ा के लोगो के बारे मे सोचे। उसने पहले से आतंकी इस्राएल के आगे घुटने टेक दिये है।
इन सब मे आम मुसलमानो को क्या करना चाहिए?
मुसलमानो को यह बात समझ लेना चाहिए के कोई भी अगर आपकी मदद कर रहा है तो उसके पीछे अपना मकसद छिपा रहता है? चाहे देशी लिब्रल्स हो या नामनिहाद् औरतो के आज़ादी के मतवाले। वह आपकी पहचान मिटाकर एक अलग दुनिया मे रखना चाहते है जहाँ आप उसकी मर्ज़ी से ही कुछ कर सकते है। आप दुसरो के ज़ुल्म पर मजलुमो का साथ देंगे, लेकिन जब आप पर ज़ुल्म होगा तो आप खुद को अकेला पाएंगे।
आप के साथ कोई खडा नही होगा। युक्रेन के साथ कितने ईसाई देश खड़े है, और सारी दुनिया को यह कह रहे के युक्रेनी लोगो का साथ दे, लेकिन यहूदि देश ने फिलिस्तीन पर हमला किया तो कितने देश आपके साथ खड़े हुए?
मुसलमान दुसरो को इंसाफ दिलाने वाला क्यों जब खुद पर ज़ुल्म होता है तो अकेला रह जाता है उसका कोई साथ नही देता। यहाँ तक के नामनिहाद् इस्लामिक मुल्क कहने वाला भी।
अमेरिका अफगानिस्तान पर हमला किया मनवाधिकार के लिए,
इराक पर हमला किया झूठा अफवाह फैला करके, उसके पास विनाशकारी हथियार है।
वियतनाम पर हमला किया वहाँ अपना कठपुतली सरकार बनाने के लिए
वगैरह बहाने बनाकर।
दुनिया भर मे सारे देशों पर हमला करके उसे बर्बाद करने वाला सारी दुनिया को लोकतंत्र और मनवाधिकार का सबक सिखाता है। जब वह खुद दुसरो पर हमला करता है तो क्या वह अपना बनाया हुआ ग्लोबल ऑर्डर भूल जाता है, या उसका बनाया नियम उसे इसकी पूरी आज़ादी देता है?
आज जब ग़ज़ा पर आतंकी इस्राएल हमला किया तो उसका साथ देने सलेबी मुमलिक तैयार है लेकिन मुसलमानो पर हुकमरानी करने वाले सलेबी और सह्युनि एजेंट छिप कर इस्राएल का साथ दे रहे है।
इसलिए के ग्लोबल ऑर्डर के वह जाल मे फंसे हुए है। अमेरिका के बनाये हुए जाल मे फंसे हुए है जिसका नतीजा फिलिस्तिनियो को चुकाना पड़ रहा है।
आम मुसलमानो को सलेबियो की तरफ से शुरू हुआ डिजिटल वार का जवाब देना चाहिए, यह इंफोर्मेशन वार फिलिस्तिनियो के खिलाफ शुरू किये है ताकि खुद को मीडिया मे डिजिटल मजलुम साबित करे।
मुसलमान अरबो से उम्मीद न लगाए वह अपने खज़ाने को देख रहे है, लिहाज़ा आप सब फिलिस्तिनि माँ, बहनो, भाईयो के लिए दुआ करे और उनकी आज़ादी के इस मुहिम मे साथ दे।
आप वहा जा नही सकते, आप के पास उसे देने के लिए न हथियार है न पैसे लेकिन आप दुआ कर सकते है मासूम फिलिस्तिनियो के लिए, लोगो से उनका साथ देने के लिए कह सकते है।
इस्राएल फिलिस्तीन के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने मे बहुत माहिर है, वो नरसंहार करने से पहले "प्रोपगैंडा वार" करता जिसका साथ यूरोप से लेकर एशिया तक के Columnist, Reporters, Anchors, Actor, Artist aur Leaders साथ देते है। इसलिए किसी भी वीडियो को देख कर अपनी राय न बनाये। बल्कि आपके पास इतिहास और 1948 से अबतक हुई घटनाएं मौजूद है उस पर नज़र दौराये। 1948 से अबतक बेशुमार मासूमो का क़त्लआम करने वाला आतंकी इस्राएल और उसका साथ देने वाला ईसाई देश एक वीडियो क्लिप से बेगुनाह साबित नही हो सकता है।
किसी नामनिहाद् सेकुलर के बहकावे मे आकर उसके प्रोपगैंडा को कामयाब न बनाये। सलेबी मीडिया पूरे जोर शोर से इस्राएल के लिए "इंफोर्मेशन वार" शुरू किये हुए है जिनमे से कुछ ये है। BBC, CNN, The Guardian, washington Post, NewYork Times, Times of Israel, ABC वगैरह से होशियार रहे। ये इस्राएल के आतंक को लोकतन्त्र और मनवाधिकार के चादर मे डाल कर आपको स्विकार करने के लिए कहेंगे।
आज फ़लस्तीनी मसला एक भावनात्मक मुद्दा हो चुका है, और पूरी दुनिया में ही नहीं, या फिर अरब देशों या फ़लस्तीन के लोग मे ही नहीं, मुसलमानों में ही नहीं, जिस पर भी इंग्लैंड के उपनिवेशवाद या अमेरिका के साम्राज्यवाद का असर पड़ा है, या जो कोई भी शोषित हैं, उनमें ये फ़लीस्तीनीयों के लिए समर्थन धीरे धीरे फैल रहा है."
यह निहथे लोगो और आतंकवादि राज्य के बीच,
तानाशाह और विस्तारवादी रवैय्या और स्वराज के बीच लडाई है।
यह वैसा ही जंग है जैसे महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोष, भगत सिंह, वीर कुंवर सिंह, खुदीराम बोस, बाल गंगाधर तिलक, बटुकेश्वर दत्त, लाला राजपत् राय जैसे महापुरुषो ने लडी थी ईस्ट इंडिया कंपनी, ब्रिटिश साम्राज्य और उपनिवेशवाद के खिलाफ अपनी खुद मुखतारी और आज़ादी के लिए।
फिर कोई अगर फिलिस्तीन के फ्रीडम फाइटर को अपनी ज़मीन के लिए लड़ने, मुहिम चलाने पर आतंकवादि और क्रूर कहता है तो यह बात अंग्रेजो ने भी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कही थी। अंग्रेजो ने भी हिंदुस्तान के जाबाज सिपाहियों को स्वराज के लिए गद्दार और दहशत गर्द कहा था और रॉलेक्ट् एक्ट बनाये थे, फांसी पर चढ़ाया था खुदीराम बोस को।