Ab Bhi insan Aise khaufnak bimari se Sabak nahi liya.
Coronavirus Se sari duniya kya sikh sakti hai?
Abhi bhi insan ke andar mai, meri marji meri Zindagi wala Ghamand maujood hai.
मेरी क़लम से
*अब भी मुझमें , मैं बाक़ी है*
थमी हुई ज़िंदगी...
सन्नाटे की चादर...
गहराता अंधेरा...
और एक मायूसी की आहट...
कहने को हम अपनों के साथ हैं, अपने दोस्तों के साथ हैं , घरवालों का साथ है जो हमारा सबसे मज़बूत सहारा हैं ,
लेकिन फिर भी एक अनजाने ख़ौफ़ ने हर दिल को लरज़ा दिया , लॉकडाउन और इस कोरोना वायरस की दहशत मे इस बात का एहसास हुआ कि इंसानी ज़िंदगी कितनी मजबूर है उस ज़ात के सामने जो इस ज़मीन ओ आसमान का मालिक है, रोक दिया उसने उस तेज़ रफ़्तार को जिसने हम इंसानो को ये भुला दिया था कि हम कौन हैं . अपनी ताक़त और समझदारी के घमंड मे हम भूल गए थे उस रब को। एहसास दिला ही दिया उसने कि ताक़तवर कौन है?
कोरोना वायरस, बेशक एक बीमारी की सूरत मे आया लेकिन इंसान को सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम कितने लाचार हैं , हमारी हैसियत क्या है और हाँ.... हमारे हाथ में क्या है ?
कहने को हमने बहुत तरक्की कर ली लेकिन क्या इस एक छोटे से कोरोना वायरस से लड़ पाए?
सारी दुनिया थम गई ... सारी ताक़तें जमा हो गईं लेकिन अफ़सोस जीत ना सकीं .. सच तो ये है की लड़ने की हिम्मत ना कर सकीं और ख़ुद को छुपा लिया इस लॉकडाउन के पर्दे मे .. सोचिए क्यूँ ???
क्यूंकि ये अल्लाह का हुक्म था या यूं कहें कि उसका अज़ाब था, जिसने इंसान के हाथ बाँध दिए एक अनदेखी ज़ंजीर से .. महसूस कीजिए उस ताक़त को जो अकेला मालिक है बिना किसी की दख़ल के इस दुनिया को चलाता है.. जब चाहे एक कुन में बर्बाद कर सकता है पर अफ़सोस अब भी मुझमे ... मैं बाक़ी है।
अब्दुल हमीद मदनी
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