Plassey aur Buxar ki ladai me kaun jayada khatarnak tha.
Plassey aur Buxar ki ladai ko ek dusre se compare karein.
Comparative estimate of the Battles of Plassey and Buxar.
प्लासी और बक्सर के युद्धों का तुलनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
प्लासी और बक्सर के युद्ध में से कौन ज्यादा निर्णायक साबित हुए?
प्लासी और बक्सर के युद्ध में से कौन ज्यादा महत्वपूर्ण है?
प्लासी और बक्सर के युद्धों के कारणों और परिणामों की व्याख्या करें।
---------------------------------
प्लासी और बक्सर की लड़ाई भारतीय इतिहास में बहुत ही अहमियत रखता है। इन युद्धों के फलस्वरूप ही बंगाल का हरा भरा धनी प्रांत अंग्रेजो के चंगुल में फैंस गया। जिसको आधार बनाकर अंग्रेज भारत के भाग्यविधाता बन गए। दोनो ही युद्ध का अपना अपना महत्व है। एक ने बंगाल में अंग्रेजो को पैर पसारने का मौका दे दिया तो दूसरे ने अंत में कंपनी के शासन की बेरियो को बंगाल पर जकड़ दिया।
इन दोनो युद्धों का तुलनात्मक मूल्यांकन युद्धों के स्वरूप, लड़ाई में शामिल होने वाली ताकतें और नतीजे को देखते हुए किया जा सकता है।
दोनो युद्धों का स्वरूप: बहुत से विद्वानों ने तो प्लासी के युद्ध को युद्ध माना ही नही है। एक विद्वान के अनुसार , " प्लासी की घटना एक हुल्लड़ और भगदड़ थी, युद्ध नही " इस कथन में बहुत कुछ सत्यता प्रतीत होती है। नवाब सिराजुदौला एक साजिश का शिकार बना था। अगर मीर जाफर ने ईमानदारी से नवाब का साथ दिया होता और मदद की होती तो भारत का इतिहास ही कुछ अलग होता। अंग्रेजो ने इस लड़ाई को अपने बहादुरी और ताकत से नही जीता था , बल्कि मीर जाफर और रायदुर्लभ जैसे गद्दारों की वजह से जीता था।
अगर मीरमदन युद्ध में वीरगति प्राप्त नहीं करता तो युद्ध का नतीजा दूसरा भी हो सकता था, क्योंकि उनकी मौत के बाद युद्ध का संचालन गद्दारों के द्वारा होने लगा और उनलोगो ने नवाब के साथ धोखा किया। इसके विपरित बक्सर का युद्ध एक वास्तविक युद्ध था जिसमे विपक्षी सेनाएं बहादुरी से लड़ी, यद्यपि अंग्रेजी सेना तादाद में बहुत कम थी फिर भी भारतीय सेना अंग्रेजो की कुशल एवं प्रशिक्षित सेना और सेनापतित्व के सामने नहीं टिक सकी।
वैसे इस लड़ाई में मुगल बादशाह शाह आलम ने पूरा सहयोग नही दिया , फिर भी बंगाल और अवध की सेनाओं ने भीषण युद्ध किया , लेकिन उनकी हार हुई । अतः सैनिक दृष्टिकोण से बक्सर का युद्ध ज्यादा महत्वपूर्ण था।
दोनो युद्धों में भाग लेने वाली शक्तियां: प्लासी का युद्ध बंगाल के दुर्बल शासक सिराजुदौला और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच लड़ा गया था। सिराजुदौला असहाय था क्योंकि उसका सेनापति मीर जाफर और दूसरे प्रमुख लोग पहले से ही अंग्रेज से मिल गए थे।
नवाब युद्ध करने के लिए तैय्यार नही था , बल्कि इसे अंग्रेजो ने उसपर जबरदस्ती थोप दिया था। दूसरी तरफ बक्सर के युद्ध में अंग्रेजो के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाकर उत्तरी भारत की महत्वपूर्ण हस्तियां - बंगाल , अवध का नवाब और मुगल सम्राट लड़ रही थी।
यह युद्ध जल्दी से और बिना सोचे समझे नही लड़ा गया था बल्कि पूरे तैयारी के साथ ही दोनो दल मैदान में उतरे हुए थे।
इस तरह प्लासी के लड़ाई में जहां अंग्रेजो को सिर्फ बंगाल के नवाब का ही सामना करना पड़ा था जो युद्ध के लिए तैयार नहीं था, वहीं बक्सर के युद्ध में उन्हें तीनों शक्तियों से मुकाबला करना पड़ा था और इसमें वे विजयी रहें। छल, कपट, धोखा और गद्दारी के मुकाबले बक्सर का युद्ध सैनिक कुशलता द्वारा लड़ा गया ।
दोनो युद्धों के परिणाम: दोनो युद्धों के परिणाम भी एक दूसरे से अलग थे। प्लासी के युद्ध का असर सिर्फ बंगाल पर ही पड़ा ।
सिराजुदौला की जगह मीर जाफर बंगाल का नवाब बन गया और अंग्रेजो का सीधा हस्तक्षेप बंगाल की राजनीति में हो गया।
एक विद्वान ने ठीक ही लिखा है की " प्लासी का युद्ध केवल उसके बाद होने वाली घटनाओं के कारण ही महत्वपूर्ण है। बंगाल अंग्रेजो के अधीन हो गया और फिर कभी आजाद न हो सका"
प्लासी के बाद अंग्रेज व्यापारिक एकाधिकार से राजनीति एकाधिकार की तरफ बढ़े, लेकिन बक्सर के युद्ध के परिणाम ज्यादा व्यापक निकलें।
रमजे म्योर के अनुसार , " बक्सर के युद्ध ने अंततः कंपनी के शासन की बेड़ियों को बंगाल पर जकड़ दिया।"
इतिहासकार सरकार और दत्त भी मानते हैं के "........ प्लासी की लड़ाई के मुकबले बक्सर के फल ज्यादा निर्णायक हुए ...... अगर प्लासी में बंगाल के नवाब की हर हुई तो बक्सर में अवध की बड़ी शक्तियों और मुगल बादशाह की शक्ति के हार की घोषणा की।"
प्लासी के युद्ध ने सिर्फ बंगाल के राजनीति को ही प्रभावित किया , लेकिन बक्सर के युद्ध ने पूरे उत्तरी भारत की राजनीति ही बदल दिया। बंगाल युद्ध के नतीजे के बाद अवध का नवाब और मुगल बादशाह भी अंग्रेजो के रहम ओ करम पर जीने लगे ।
अब अंग्रेज वास्तविक अर्थ में शासक बन बैठे।
उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट हो जाता है की प्लासी के युद्ध की अपेक्षा बक्सर का युद्ध ज्यादा निर्णायक साबित हुआ और इसका अंजाम भी ज्यादा खतरनाक हुए।
प्लासी के युद्ध ने जिस घटनाक्रम को शुरू किया था बक्सर ने उसे पूरा कर दिया।
एक ने अंग्रेजो को भारतीय राजनीति में पैर पसारने का मौका दिया तो दूसरे ने उसे भाग्यविधाता (शासक) बना दिया।
बेशक बक्सर का युद्ध ज्यादा महत्वपूर्ण था , लेकिन इससे प्लासी के युद्ध का महत्व कम नहीं हो जाता है। वस्तुतः दोनो ही एक दूसरे के पूरक थे।
अगर दोनो युद्धों में से एक भी अंग्रेजो के विपक्ष में गया होता यानी दोनो में से कोई एक भी युद्ध हरा होता तो भारतीय इतिहास का रूप ही दूसरा होता।
प्लासी का युद्ध 23 जून 1757
बक्सर युद्ध 23 अक्टूबर 1764
No comments:
Post a Comment