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Musalman Auratein Hijab aur Nakab kyu pahanti hai?

Musalman Auratein Hijab aur Parda kyu karti hai?

Meri Hijab Meri Marji, My Hijab is My Crown

आज की यह तहरीर कपड़े के उस टुकड़े के मुतल्लिक है जिसे आप लोग हिजाब कहते है। सबसे पहले तो उनलोगो का शुक्रिया जिन्होंने मुझे इस उनवान पे लिखने की हिम्मत दी।

हिजाबोफोबिया
कुछ जगहों पर मुसलमान औरतों को हिजाब नही लेने दिया जाता है क्योंकि वह उन्हें शिद्दत पसंद और दहशत गर्द समझते है।

जैसे स्विट्जरलैंड, फ्रांस और श्रीलंका वगैरह मुल्को में, जहां औरतों की आजादी के बड़े बड़े ठिकेदार बैठे है मगर वहां मुस्लिम औरतों को नकाब पहनने की आजादी नहीं है। इन देशों में हिजाब और पर्दा पर पाबंदी है।

ऐसी खबरें मैं जब भी सुनता हूं तो मेरा भी दिल आम मुसलमानो की तरह कट कर रह जाता है , मैं सोचने पर मजबूर हो जाता हू के जिन देशों ने औरतों की आजादी और मजहबी आजादी का बेड़ा उठा रखा है फिर इन देशों में एक मुसलमान औरत को नकाब और हिजाब पहनने पर पाबंदी क्यो?

क्या एक मुस्लिम औरतें वही पहनेगी जो यूरोप सिखाएगा?

क्या अब मुस्लिम औरतों का फैसला वह लोग करेंगे जो औरतों को सिर्फ और सिर्फ काम करने और पैसे कमाने की मशीन समझ रखे है?

क्या मुस्लिम औरतें भी यूरोप के चंगुल में फंस कर उसके डर से और दुनिया की वाहवाही के लिए जबरदस्ती बिकनी पहनेगी ?

क्या यही है औरतों की आजादी और मजहबी आजादी?

कुछ देशों ने इसे आतंकवादी ड्रेस करार दिया है इसी वजह से यहां पर हिजाब और नकाब पर पाबंदी लगा दी गई है मगर इसपर किसी मीडिया और औरतों की आजादी के ठिकेदारो ने कुछ नहीं बोला क्योंकि उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ मुसलमान औरतों को अपनी हवस का शिकार बनाना और इस कौम में बेहयाई और फहाशी फैलाना है।

मुझे समझ नही आता के फैक्ट्स की बातें करने  वालो को भी एक कपड़े का टुकड़ा में आतंकवाद कैसे झलकता जाता है?

और खास बात यह है की एक हिजाब करने वाली औरत को सिर्फ बाहर वालो से नही लड़ना पड़ता जो उसे दहशत गर्द करार देते है बल्कि दोस्तो, रिश्तेदारों और घरवालों से भी लड़ना पड़ता है ।

जब कोई बड़ी हिम्मत करके इस्लाम का हुक्म मानने की कोशिश कर भी ले तो वह कहते है।

यह तो भाई हज करके आगई।
हम भी देखते है यह कितने दिन और हिजाब करती है?
तुम ज्यादा मासूम और हसीन बनने की कोशिश न करो।
तुम खुद को क्या साबित करने की कोशिश करती हो इस हिजाब में? वगैरह वगैरह

एक जुमला जो हमेशा मुस्लिम ख़्वातीन के लिए इस्तेमाल किया जाता है ताकि इसके जरिए मुसलमानो को जलील किए जाएं। वह है इस्लाम ने औरतों को जंजीर में कैद कर रखा है उसे खुली हवा में अपनी मर्जी से सांस तक नहीं लेने दिया जाता है, औरतों को बच्चा पैदा करने की मशीन समझा जाता है ।

पश्चिमी मीडिया ने एक प्रोपगेंडा फैलाया के दिन ए इस्लाम सिर्फ मर्दों के हक़ की बात करता है, औरतों के लिए इस्लाम में कोई जगह ही नहीं है।

इस्लामिक निजाम को औरतों का विरोधी बताया गया, इस्लाम को लेकर मुस्लिम औरतों के दिलो में नफरत डालने को कोशिश की गई।

यकीन जाने यह इतना मुश्किल नहीं है बल्कि इस्लाम का कोई भी तरीका इतना मुश्किल नहीं है जितना मुश्किल हम मुसलमानो ने बना दिया है।

मुझे बहुत अफसोस होता है जब अल्लाह के खातिर हर
काम करने से  पहले खुद को सोचते है के दूसरे लोग क्या कहेंगे और मैं कैसा लगूंगा?

ऐसे में एक बात सच है के हमने इस्लाम को लास्ट ऑप्शन समझ रखा है?

वह जिस ने हमें बनाया और वह जिस से ज्यादा हम से मुखलिस कोई नही है... हम उस से सब से कम मुखलीस है क्योंकि हम सबसे पहले खुद को तरजीह देते है।

आज मैं अपनी बात उन लोगो तक पहुंचाना चाहता हू जो अपने गुमाहो के ढेर को देख कर ना उम्मीद होने के बजाए छोटी छोटी नेकिया शुरू कर देता है।

मुस्लिम ख़्वातीन से गुजारिश

हिजाब भी अल्लाह के हुक्म मानने के इजहार का एक तरीका है। इस पर्दे का मजाक नही बनाए।
अगर हिजाब नही करने की वजह आपके दोस्त, रिश्तेदार और सहेलियां है तो बराए मेहरबानी खुद पर जुल्म मत करें क्योंकि आपके करीबी लोग कब्र में काम नहीं आयेंगे।
अगर वह आप का मुकम्मल शरई पर्दा करने पर मजाक उड़ाता है तो माजरत... के बुराई हिजाब में नही उन लोगो में है जो आपको उससे  रोकते है।

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