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Youtube Yahudiyo ke Propganda ko failane ke liye Dr Israr Ahmed ka Channel delete kiya?

रूस के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाला अमेरिकन सोशल मीडिया फेसबुक डॉक्टर इसरार अहमद के चैनल को यूटूब से क्यों हटाया गया है?

यूटूब ने क्यों डॉक्टर इसरार अहमद पर लगाया बैन और उनके ऑफिशियल चैनल को रिमूव कर दिया है?

आमतौर पर ऐसा कहा जाता है के हर दुनिया मे सबसे ज्यादा उदार और आज़ाद ख्याल शासन व्यवस्था है तो वह यूरोप का है।
लेकिन क्या सच मे ऐसा ही है या फिर दिखावे वाली शान है?

फ्रांस मे चार्ली हेब्दो हर साल और हमेशा मुसलमानो के आखिरी नबी मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम पर कार्टून तैयार करता है ( नजोबिल्लाह) और इसे यूरोप दुनिया के सामने अभिवायक्ति की आज़ादी यानी बोलने की आज़ादी (फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेसन) का नाम दिया जाता है।

यूरोप हमेशा इस्लाम उसके रसूल और मुसलमानो के ईमान ओ अक़ीदा की बेहूर्मति करके दुनिया के सामने उदार सिस्टम साबित करता है।

जब भी कोई इस्लाम या गुस्ताख ए रसूल पर  कुछ बोलता है या किताब लिखता है तो अमेरिका, इंग्लैंड उसे नोबेल पुरस्कार देकर उसकी हौसला अफ़ज़ाई करता है।

इस तरह इस्लाम के खिलाफ जितनी भी साजिशें की जाती है या मुसलमानो को जलील करने के लिए उनके तहजीब का मज़ाक बनाया जाता है वह सब यूरोपियन शासन व्यवस्था( यहूदि व नसरानी) मे उदार सिस्टम कहलाता है। यानी जितना आप इस्लाम विरोधी कंटेंट पब्लिश (प्रकाशित) करेंगे उतना ही आप उदार, आज़ाद ख्याल और आधुनिक कहलाएंगे।

सलमान रुश्दी, तारेक फतेह, तस्लीमा नसरीन जैसे गुस्ताख ए रसूल लोग यूरोप के सबसे बड़े सेलिब्रेटीज है।

फिलिस्तीन (Palestine) जिंस पर इंग्लैड ने जबरदस्ती मुसलमानो के ज़मीन पर यहूदियों का देश बना दिया जिसे इसराइल कहते है।

आज वही फिलिस्तिनि दर दर भटक रहे है, अपने ही देश मे पराये बन गए, कभी जिनका अपना देश हुआ करता था आज वही लोग गुलामो से बदतर शरणार्थी वाली जिंदगी जी रहे है।

यह है यूरोप का वह धुंधला उदार सिस्टम जिसे दुनिया गले लगा रही है।

आज वही इसराइल वहाँ के मुसलमानो पर बम गिरा रहा है, ड्रोन से हमला कर रहा है और वहाँ पर यहूदियों को दुनिया के  कोने कोने से लाकर बसा रहा है।

लेकिन इन सारे मामले पर अमेरिका जो लोकतंत्र और मनवाधिकार का ठीकेदार है पूरी तरह से खामोश तमाशा देख रहा है और इसराइल को हथियार और आर्थिक मदद कर रहा है।

न्यूज़ीलैंड के अल नूर मस्जिद मे एक ईसाई ने जुमे के दिन बंदूक से 50 से ज्यादा नमाजियो को आँख बंद करके मौत के नींद सुला दिया मगर मनवाधिकार के ठिकेदारो की आवाज़ भी नही निकली।

नार्वे मे लोगो की भीड़ ने कुरान को आग मे जलाने की साजिश की और मुसलमानो के खिलाफ खुलेआम नफरत का इज़हार किया तब भी लोकतंत्र का गहवारा कहे जाने वाले इंग्लैंड और यूरोप खामोश रहा।

लाखो मुसलमानो को सीरिया और इराक मे हवाई हमला, ड्रोन और मिसाइल से मारने वाला अमेरिका खुद को इंसानियत का मसीहा कहता है।

अफगानिस्तान मे 20 सालों तक अफ़्ग़ानियो का खून बहाने वाला अमेरिका और उसका नाटो खुदको क्रांतिकारी और अफगानी जो अपने वतन की आज़ादी के लिए लड़ रहा था उस आतंकवादी (दहशतगर्द) कहा गया। दुनिया अफ़्ग़ानियो को ज़ालिम, कट्टरपंथी, राक्षस, क्रूर, दकियानुसी, चरमपंथी और पुराने ख्यालो वाला कहती थी।

सिर्फ इतना ही नही अगर कोई उन वतन परस्त अफ़्ग़ानियो जो अपने मुल्क की खातिर बाहरी दुश्मनो से लड़ रहे थे उनके हिमायत मे या तारीफ मे कोई कुछ बोल देता या सोशल मीडिया पे पोस्ट करता तो उस हेट स्पीच और दहशतगर्द बता कर उसे हटा दिया जाता था।

क्या यह उन, लोगो की आज़ादी नही थी?

क्या किसी वतन परस्त की तारीफ करने से दहशत गर्द हो जाता है?

क्या यह फ्रीडम और स्पीच के दायरे मे नही आता था?
क्या यह अमेरिका और यूरोप तय करेगा के मुसलमानो को क्या बोलना चाहिए और क्या नही?

क्या अब फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस् मुसलमानो के लिए रूल बनायेगा के उस क्या पोस्ट करना है?

जब युक्रेन पर रूस ने हमला किया तो युक्रेन वाले रूस के खिलाफ लड़ने लगे तो इस तरह से युक्रेनि भी तो आतंकवादी हुए।

फिर फेसबुक और सिलिकॉन वेली से दूसरे सोशल मीडिया वाले यह क्यों कहने लगे के " अगर कोई रूस के खिलाफ दूसरे लोगो को हिंसा करने के लिए कहता है, हिंसक बयां देता है, हिंसक पोस्ट करता है तो फेसबुक उसे स्पोर्ट करेगा" ?

क्या यह इससे आतंकवाद नही फैलता है?
क्या यह भड़काऊ भाषण से सामाजिक सौहाद्र नही बिगड़ेगा?
क्या फेसबुक इसलिए युक्रेन के समर्थन मे बोल रहा ही क्योंके वह एक ईसाई देश है?
इस तरह से
अफगानिस्तान मे अपने मुल्क के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी और फ्रीडम फाइटर क्यों नही हो सकते है?

फेसबुक क्यों इनके हिमायत वाले कंटेंट को ब्लॉक करता है?

इसी तरह इस्लामी विद्वान डॉक्टर इसरार अहमद के ऑफिशियल चैनल को क्यों ब्लॉक किया गया?

क्या फेसबुक मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है?
अगर नही तो युक्रेन के समर्थन मे रूस के लिए हिंसक पोस्ट करने की इजाज़त क्यों?

जबकि एक आलिम के ब्यान मे इसे हिंसा नजर आती है ऐसा क्यो?

एक स्कॉलर के बयान मे ऐसा क्या है जिससे ब्लॉक करना पड़ा जबकि दुनिया मे सबसे जयादा दहशत फैलाने वाला अमेरिका आज दुसरो को इंसानियत का दर्स देता है?

इंसानियत का खून करने वाला आज मुसलमानो को मानवता का पाठ पढ़ा रहा है?

दुनिया मे सबसे जयादा दहशत फैलाने वाला अमेरिका आज मुसलमानो को दहशत गर्द साबित कर रहा है?

उदार सिस्टम का समर्थक और इज़हार ए ख्याल पर बोलने वाला यूरोप डॉक्टर इसरार अहमद के जुबान को क्यों बंद करना चाहता है?

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