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Palestine: Filisteen me Maujuda halat aur Ek Musalaman ka Kirdar.

Israel aur Christian Countries ne Ab tak Hamas ke bare me Kitne Jhooth bole hai?

Israel ka Propganda war Palestinian ke Khilaf.

ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।

अगर आप फिलिस्तीन की आज़ादी चाहते है और इजरायली सामान खरीद कर इस्तेमाल भी करते है तो समझ जाए के आप फिलिस्तिनियो का खून बहाने, मस्जिदो पर बॉमबारी करने की फंडिंग कर रहे है। साथ साथ आप झूठ भी बोल रहे है के मै क़ीबला ए अव्वल की हीफाज़त चाहता हूँ। जितना यहूद ओ नसारा और अरबो का फिलिस्तिनियो के खून से हाथ रंगे है उतना ही आप भी शामिल है इसमे।

फिलिस्तीन के साथ कौन खडा है?

अमेरिका किन तरीको से दहशत गर्द इस्राएल की मदद कर रहा है।

यह इस्लाम के खिलाफ सलेबी और सह्युनियो का एलान ए जंग।

मस्ज़िद ए अक्सा मे नमाज पढ़ने की फ़ज़ीलत।

अरब बादशाहो का क़ीबला ए अव्वल वाइट हाउस है।

इजरायल जमीन खरीद कर नही, जमीन हथिया कर कायम हुआ है?

फिलिस्तिनि बाप ने शायर की बात आज पूरी कर दी।

बच्चे है, उस को यूँ न अकेले कफन मे डाल
एक आध् गुड़िया, चंद खिलौने कफन मे डाल

नाज़ुक है कोंपलो की तरह मेरा शेर ख्वार
सर्दी बड़ी शदीद है, दुहरे कफन मे डाल

कपड़े उसे पसंद नही है, खुले खुले
छोटी सी लाश है, इसे छोटे कफन मे डाल

नन्हा सा है पाओं, वह छोटा सा हाथ है
मेरे जिगर के टुकड़ो के टुकड़े कफन मे डाल

मुझे भी दफन कर दे मेरे लख्त ए जिगर के साथ
सीने पे मेरे रख इसे, मेरे कफन मे डाल

डरता बहुत है कीड़े मकोड़े से इस का दिल
काग़ज़ पर लिख यह बात और इस के कफन मे डाल

मिट्टी मे खेलने से लूथर जायेगा सफेद
नीला सजेगा इस पे सो नीले कफन मे डाल

ईसा की तरह आज कोई म्युजेज़ा दिखा
यह फिर से जी उठे, इसे ऐसे कफन मे डाल।

सोता नही है यह मेरी आगोश के बगैर
फारस' मुझे भी काट के इस के कफन मे डाल
शायर: रहमान फारसी

अब तक ग़ज़ा मे क्या हुआ?

फिलिस्तिनियो का नरसंहार मे नजाएज़ इस्राएल का कौन मददगार?

सवाल यह नही होना चाहिए के अब तक ग़ज़ा मे क्या हुआ? बल्कि सवाल अब इंसानियत के
और UN के थिकेदारो से होना चाहिए के क्या नही हुआ?

पिछली रात जो फिलिस्तिनियो पर गुजरी वह उनके लिए किसी क़यामत से कम नही थी।
30 से ज्यादा टैंको के साथ इजरायली आतंकियो ने ग़ज़ा मे गोले बरसाए और फिलिस्तिनियो का जनसंहार किया। इसी वज़ह से इंटरनेट को बंद कर दिया और जो रेपोर्टर्स उसकी सच्चाई दुनिया को दिखा रहा था उसको भी यहूदियों ने मार दिया। आसमान और जमीन फिल्स्तिनियो पर गिराए जा रहे गोले और बॉम्ब से खून की मानिंद लाल हो चुका था।

वेस्टर्न मीडिया जो हमेशा प्रेस की आज़ादी की बात करता है वह ब्रिटिश राजभक्त बना बैठा है। BBC, cnn, वॉशिंगटन पोस्ट, WSJ, The Guardian वगैरह और हिंदी पट्टी के मीडिया नेतन्याहु का अनुनायि बना हुआ है।। अल जज़ीरा जो इस्राएल के हमलो को दुनिया के सामने दिखा रहा था उसके रिपोर्टर पर बोम्बरी कर दिया, रिपोर्ट करते हुए tv पर उन्होंने खुद अपने परिवार और बच्चो के मौत की खबर सुनाई। अब तक इस्राएल के आतंक को सामने लाने की वज़ह से 31 रिपोर्टर अपनी जान से हाथ धो बैठे है। अल जजीरा पर अमेरिका और यूरोपियन देश दबाओ डाल रहा है के उसका स्क्रिप्टेड न्यूज़ लिखे जो इस्राएल के प्रोपगैंडा को फैलाये।

बिजली, पानी, खाना, दवाइयाँ, राहत की समाने यह सब पहले से हि बन्द थी लेकिन कल रात मुकम्मल तौर पर इंटरनेट, नेटवर्क, और बिजली सप्लाई बंद कर दिया गया। दहशत गर्द इस्राएल ने झूठा इलज़ाम लगाया के अगर बिजली बंद है तो फ्रीडम फाइटर्स कैसे हमले कर रहे है, वह अपने ज़ुल्मो पर पर्दा डालने के लिए यह कह रहा है के अस्पतालो मे हमास छिपा हुआ है इसलिए वह होस्पितालो पर बॉमबारी कर रहा है।

वह बोलता है के मेरा लडाई हमास से है तो हॉस्पिटल पर क्यो बॉम्ब गिराकर मरीजों, डॉक्टरों और बच्चो को मार रहा है।

जब उसकी लडाई हमास से है तो फिलिस्तीन का ज़मीन खाली क्यो नही करता है?

वह खुद दूसरे के ज़मीन पर बसा है और दूसरे को मारकर लोगो से सहानुभूति लेने के लिए कहता है के हमास आतंकवादि है।

क्या दूसरे को आतंकवादि कह देने से उसका ज़ुल्म माफ हो जाता है?

वह स्कूलों, पार्को, रिहायशी इलाको, अस्पतालो, मस्ज़िदों और चुर्चो पर बॉम्ब गिराकर बोलता है के हमास से हमारी लडाई है।
हमास की हुकूमत ग्ज़ा पर है तो वह वेस्ट बैंक को राख मे क्यो बदल रहा है?
वह हमास से लड़ रहा है तो लेबनान पर क्यों हेलिकॉप्टर से बॉम्ब गिरा रहा है?
वह सीरिया पर बॉम्ब मार कर हमास के ठिकाने पर हमला करने की बात करता है।
वह चर्च और मस्ज़िद पर हमला कर रहा है और बोलता है हमास से लडाई है फिलिस्तीन के लोगो से नही।

वह फिलिस्तिनियो पर सफेद फॉस्फोरस गिरा रहा है जिसके इस्तेमाल पर UN पाबंदी लगा रखा है और बोलता है हमास पर हमला कर रहे है।
आम लोगो का खाना,पानी, दवा, बिजली, इंटरनेट बंद कर रखा है और बोलता है हमास से लडाई है।

अब तक 7500 से ज्यादा लोग शहीद हुए, 20 हजार ज़ख़्मी है, 10000+ कैदी है और 15 लाख से ज्यादा बेघर होचुके है और उन्हे अपना घर छोड़कर जाना पड़ा। क्या ये सारे लोग हमास के थे?

क्या 1.5 मिलियन लोगो का कोई घर नही था? जिसने उन यहूदियों को बसने की जगह दी आज वही बेघर है।
इसे बावजूद भी अमेरिका कहता है के हमे इन आंकड़ो पर भरोसा नही। मानवाधिकार को अपने विरोधियो के खिलाफ इस्तेमाल करने वाला फिलिस्तिनियो को खून। से नहला रहा है।

अबतक यहूदि दहशत गर्दो ने कितने अफवाह फैलाये है यूरोप के साथ मिलकर।

पहले इस्राएल ने कहा के हमास ने 40 बच्चे को मार डाला, उसके साथ बाद इसका फैक्ट चेक हुआ तो पता चला के जिस तस्वीर की बुनियाद पर यह दावा किया जा रहा है वह AI का बनाया हुआ है।

फिर सह्युनि दहशत गर्दो ने प्रोपगैंडा के तहत यह झूठ फैलाना शुरू किया के हमास कैदियों के साथ अच्छा सुलूक नही कर रहा है जबकि यह भीं उसका झूठ पकडा गया। हमास ने जब 2 कैदी रिहा किये तो उसमे एक ज़ईफ् खातून ने बताया के हमास का हमारे साथ बहुत अच्छा सुलूक था, वह जो खाना खाते थे वही मुझे भी खिलाते थे।
इस्राएल सफेद फॉस्फोरस गिरा कर इससे इंकार कर जाता है, हॉस्पिटल पर बोम्बारी करके इंकार कर जाता है और हमास पर इलज़ाम लगाता है के उसके लोगो के पास से रासायनिक हथियार बनाने के सबूत मिले है।

ये झूठ फैलाना सलेबियो और सह्युनियो के प्रोपगैंडा वार का हिस्सा है, जिसमे जरिये लोगो मे अपना समर्थन  बढ़ाना चाहता है, वह लोगो से हमदर्दी हासिल करने के लिए यह सब कर रहा है। ईसाई और यहूदियो ने जितने भी हमले किये है उससे पहले झूठ फैलाया है इंफोर्मेशन वार किया। इराक की तरक्की उसे पसंद नही आई तो उसके खिलाफ रासायनिक हथियार जिससे 45 मिनट मे दुनिया खत्म हो जाने का खतरा बता कर सद्दाम हुसैन को फांसी की सज़ा दे दिया। लेकिन इस्राएल को आर्थिक, सामरिक, राजनीतिक, कुत्निज्ञा, नैतिक मदद करने वाला ईसाई यूरोपियन देश अमेरिका आज भी इस्राएल को हथियार दे रहा है।

फिलिस्तिनियो के क़त्ल ए आम पर अरबो ने अब तक क्या किया?

अरब को था जिस अजमत पर नाज़
वह अजमत धरी की धरी रह गयी।
हुआ गर्क पेट्रोल जोश जिहाद
हया तेल की धार मे बह गयी।

बेहद अफसोस के साथ यह बताना पड़ रहा है के ग़ज़ा मे पिछली रात क्या हुआ किसी को मालूम नही, वहाँ यहूदियों ने इंटरनेट मुकम्मल तौर पर बंद कर दिया, और बॉमबारी मे पुरा आसमान और ज़मीन खून के मानिंद लाल हो चुका है। अब वहाँ क्या होगा बाहरी दुनिया को पता नही चलेगा। इसी बीच सऊदी अरब ने अमेरिका से रिश्ते खत्म करने की धमकी देकर और ग्जा पर हो रहे बॉमबारी की निंदा करके अपने क़ौम का बहुत बड़ा क़र्ज़ चुका दिया है। इससे 3 दिन पहले 9 अरब देशों ने संयुक्त ब्यान मे इस्राएल के हमले की निंदा करके के फिलिस्तिनियो पर एहसान किया था।

इसी बीच सऊदी अरब सूडान के पुलिस और फौज के बीच होने वाले झड़प को खत्म करने की रियाद मे बैठक बुलाई है।
सऊदी अरब युक्रेन के लिए जंग खत्म करने की सिफारिश की है।
सऊदी हुकमरानो ने रियाद मे Music फेस्टिवल की मेजबानी की बहुत कोशिशे की थी जिसमे कामयाबी मिल गयी उसे।

आज 28-10-2023 से सऊदी अरब मे Music फेस्टिवल शुरू होने का रहा है, जिसमे बड़े बड़े सिंगर, पॉप सिंगर, रैपर और musician शामिल होंगे। इसके अलावा लाखो की तादाद मे विदेश से टिकट खरीद कर इस फेस्टिवल मे शामिल होंगे। देशी विदेशी मेहमां उस मनोरंजन का लुत्फ़ उठाएंगे। इस शो मे सबसे ज्यादा टिकट यूरोप के लोग बुक किये है जहाँ ईसाई आबादी सबसे ज्यादा है। सऊदी अरब ने फिलिसितनियो के क़त्ल ए आम पर और खाना, पीना, दवा, बिजली, इंटरनेट सबकुछ बंद करने की खुशी मे ईसाइयों और यहूदियों के सारे मिलकर जश्न मनाने का एक बहुत बड़ा प्रोग्राम रखा। ताकि सलेबी, सह्युनि और अरबी सब एक साथ मिलकर मौशिकी का लुत्फ़ ले।  वहाँ सलेबी और सह्युनियो का बहुत ही गर्मजोशी से इस्तकबाल किया जायेगा। फिलिस्तिनियो पर इस्राएल की बॉमबारी का जश्न रियाद मे मनाया जा रहा है। कहते है के करबला मे कूफ़ा वाले कैसे मुसलमान थे के हुसैन राजीआलाहु अनहु का साथ नही दिये वह आज देख ले के फिलिस्तिनियो के क़त्ल ए आम की खुशी मे कौन मुस्लिम हुकमराँ मुजरा का एहतेमाम कर रहा है। 

लोग हैरान होकर पूछते हैं कि नबी ﷺ के नवासे पर जब क़र्बला मे ज़ुल्म हो रहा था तो कूफ़ा वाले खामोश कैसे थे?

शायद ऐसे ही जैसे आज फिलिस्तीन पर हैं..

सऊदी अरब जुनूबि कोरिया के महौलीयात् तब्दीली पर बैठक किया। 

दो साल पहले UAE, मोरोक्को, जोर्डन ने नजाएज़ इस्राएल को तस्लिम कर लिया था और अपना राजदूत वहाँ भेज दिया।
अभी तक अफगानिस्तान मे तालीबान हुकूमत को किसी ने तसलिम नही किया, इसलिए के अमेरिका उसे इसकी इजाज़त नही दिया, जबकि अफगानिस्तान किसी दूसरे के ज़मीन पर नही बना है, इस्राएल जो अरबो का क़त्ल ए आम करके बसाया गया है।
अरब अपने मौज मस्ती और अय्याशी मे मशगुल है, उसे फिलिस्तिनियो की मस्जिद ए अक्सा की कोई परवाह नही।

आम मुसलमान, उलेमा और मुहल्ले के इमाम जो सिर्फ दुआओ तक ही महदूद है क्या वह इससे ज्यादा कुछ नही कर सकते?

गंगा जमुनी तहजीब वाले मुसलमानो को लगता है के हम तो हिंदुस्तान मे बैठे है, हमे फिलिस्तीन से क्या मतलब, जिसका वहाँ घर है वह समझे, वह जाने, यही सोच अरब के रईस हुक्मरानो का है। वह मुसलमानो का रहनुमा बनने का शौक रखते है, हमेशा शीया सुन्नी का मामला लेकर खूब इसपर बहस और सियासत करते है। मगर जहाँ यहूद व नसारा से मुकाबले की बात आती है वो सब जो सुन्नी मुसलमानो का रहनुमा बनने के झूठी दावे करते है गायब हो जाते है। क्योंके असल मे इनका मुसलमानो से इनका कोई लेना देना नही है।

इनको तेल और गैस से जो पैसे आते है उसमे ये खुश है, सोने के गाड़ियों, आलीशान महल और सोने की टॉयलेट तक इनके पास मौजूद है। इनको फिलिस्तीन से कोई मतलब नही, जब सबकुछ हो जायेगा तो कुछ माली मदद दे देंगे। अभी फिलिस्तीन मे जितनी तेजी से दवाएं, खाने की सामान ये सब नही पहुँच रही है उतनी तेजी से सलेबि इस्राएल को हथियार, टैंक, मोर्टार, तोप, मिसाइल वगैरह भेज रहा है।

मस्जिद ए अक्सा सिर्फ फिलिस्तिनियो का नही है और न सिर्फ ग़ज़ा के लोगो का है बल्कि पूरे उम्मत ए मुस्लेमा की ज़िम्मेदारी है के वह फिलिस्तिनियो के साथ खड़े हो। यह आलम ए इस्लाम का मामला है।
यह जंग सलेबी और सह्युनियो का मुसलमानो के खिलाफ है?

हक़ और बातिल की जंग में करने के कई काम हैं
आज सह्युनि और सलेबी मुसलमानो के खिलाफ एक साथ है, वह किसी भी कीमत भी फिलिस्तिनियो को आज़ादी नहीं देना चाहते, अमेरिकी सदर ने एक बार कहा थे के "अगर मिडिल ईस्ट मे कोई इस्राएल नही होता तो अपनी हितो की रक्षा के लिए एक इस्राएल का  खोज करना होता". इससे आप ईसाइयों के मंसूबे को समझ सकते है। वह वही पर सबसे ज्यादा ज़ुल्म करता है जहाँ मुसलमान है और तेल निकलता है।

आम मुसलमानो को मगरिब् की चिकनी बातो मे नही आना चाहिए, ये जो ग्लोबल ऑर्डर और तरह तरह के नियम बनाये है वह सब उसके हथकंडे है जिसकी बुनियाद पर दुसरो पर पाबंदी लगाता है, एक महसा अमिनि और मलाला की खबर पर पुरा ईसाई गिरोह जाग गया था उसकी हीफाज़त और आज़ादी के लिए वही फिलिस्तीन पर चुप है, और यहूदियों को हथियार भेज रहा है। क्या उसे ग़ज़ा के हालत मालूम नही।

जो आम मुसलमान कर सकते है
क़लम...  और
सोशल मीडिया... के जरिये

इनमें से जिस काम मे आप महारत या ताक़त रखते हों और वासाएल मौजूद हों उसके ज़रिए अपने फिलिस्तीनी भाइयों की ज़रूर मदद करें,आम मुसलमानो ने ही अपने सलाहियत के मुताबिक सह्युनि कंपनी का बॉयकॉट किया जिससे लोग बेदार हुए। इसी तरह सारे मुसलमानो को इसके बारे मे बताये, उसे जागरूक करे। याद रखे के मुसलमान एक जिस्म की तरह है, जिस्म के किसी भी हिस्से मे चोट लगती है, ज़ख़्म होता है तो पूरे जिस्म मे दर्द महसूस होती है।

इससे कोई फर्क नही के कोई काला है या उजला, अफ़रिका का है या अरब का, अरबी है या मिसरी, हिंदी है या चीनी। सब उम्मत ए मुहम्मदिया है। इस्लाम मे अमल की बुनियाद पर किसी का मर्तबा ऊँचा या नीचा होता है। मस्जिद ए अक्सा पर अरबो का क्या रवैय्या रहा है वह बताने की जरूरत नही , हम एक मुसलमान भाई के लिए यह सब कर रहे है। अरबो का क़ीबला ए अव्वल फ़िरंगीयो का वाइट हाउस है। जिन्होंने फिरंगियों के कॉलोनीयअल् हुकूमत को देखा है उन्हे बखूबी पता है।

नापाक वज़ूद इस्राएल जो आज कर रहा है या 1948 से करता आरहा है... सिर्फ अमेरिका की हिमायत से, ब्रिटेन, फ्रांस की हिमायत से। अगर सलेबी सह्युनि को मदद करना बन्द कर दे तो आज झुक जायेगा। जैसे कुछ होता है अमेरिका हथियार भेजना शुरू कर देता है।
इसमे असल मुज़रिम कौन है? अमेरिका. जिसके बारे मे बात करने से मीडिया, हुकमराँ और माहेरिन डरते है, मीडिया इस पर बात नही करता क्योंके उसे अमेरिका के तरफ से मिले हुए इनाम का भी लाज रखना।
लिहाज़ा आम मुसलमानो को सोचना होगा के अरबो का, तुर्किये का, पाकिस्तान का, मिस्र का सबसे करीबी पार्टनर् कौन है? वह अमेरिका है, इस्राएल को मदद कौन देता है वह अमेरिका है। लिहाज़ा अगर जादूगर की जान तोते मे है तो जादूगर को मारने से नही मरेगा बल्कि तोता को पकड़ना होगा,। तोते की गर्दन जब कटेगी तब ये तागुत् खत्म होगा। इसके लिए आल्मी सतह पर मुस्लिम दुनिया को चीन और रूस के खेमे मे जाना। होगा।

पहले अपने दुश्मन को पहचाने। कौन है जिसकी ताकत पर इस नजाएज़ वज़ूद को नाज़ है? अगर अरबो और दुनिया के सारे मुसलमानो को उपर लिखी हदीस याद होती तो शायद आज फिलिस्तीन का यह हाल नही होता।

हमास के फ्रीडम फाइटर्स मे 80% यतीम है। जिनके माँ बाप, भाई बहन या पूरे खानदान को इस्राएल, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी वगैरह यहूद व नसरानी ने बॉम्ब गिराकर मार डाला। आज बॉमबारी को देखते हुए जो बच्चा बड़ा होगा वह कोई पबजी का खिलाडी नही बनेगा बल्कि वो स्वतंत्रता सेनानी बनेगा जिसे अमेरिका और उसके अनुयायी देश आतंकवादि कहेगा लेकिन उनलोगो को इससे कोई फर्क नही पड़ता क्योंके उन्होंने मिट्टी की गोलिया से नही खेली है, सलेबी सह्युनि गोला बरूदो को देखते हुए बड़ा हुआ है, अपनी आँखो के सामने अपने प्यारो को दम तोड़ते हुए देखा होगा।

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United State of America se Dosti ka Dam bharne wala Arab Palestine ke mamle ko kaise Dekhte hai?

मोमिन को है अल्लाह की ताकत पर भरोसा
इब्लिस् को यूरोप की मशीनों का सहारा। 

 ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।

अगर आप फिलिस्तीन की आज़ादी चाहते है और इजरायली सामान खरीद कर इस्तेमाल भी करते है तो समझ जाए के आप फिलिस्तिनियो का खून बहाने, मस्जिदो पर बॉमबारी करने की फंडिंग कर रहे है। साथ साथ आप झूठ भी बोल रहे है के मै क़ीबला ए अव्वल की हीफाज़त चाहता हूँ। 


इस्राएल से जंग मे सारे सलेबी मुसलमानो के खिलाफ इकट्ठे क्यों हो जाते है? इस्राएल को हराने के लिए अमेरिका को शिकश्त देनी होगी। 

शहादत है मत़लूब मक़सूद मोमिन
ना माले ग़नीमत ना किश्वर कुशाई।

इस्राएल को हराने के लिए सिर्फ इस्राएल को हराना काफी नही होगा बल्कि ये जंग अमेरिका और सलेबी ताकतो से  करनी होगी।
अरबो का क़ीबला अव्वल कौन है वाइट हाउस या मस्जिद अकसा।

क्या मस्ज़िद ए अक्सा सिर्फ फिलिस्तीन के मुसलमानो का है?

अरबो के खज़ाने की चाबी यहूद ओ नसारा के पास है.

अल्लाह फिलिस्तीन की गैबी मदद क्यों नही कर रहा।

मुसलमानो को समझना होगा के, ये डेमोक्रेसी, लिबर्टी, आज़ादी, बेहयाई, यूरोप का बनाया हुआ हथकंडा है जो मुसलमानो को इसमे उलझा कर रखने के लिए बनाया गया है एक महसा अमिनि की आज़ादी के लिए जो यूरोप और उसकी कंपनिया साथ देने लगी आज वही फिलिस्तिनि माँ बहनो के लिए खामोश क्यो है? 5000 से ज्यादा बच्चो को मार कर, हॉस्पिटल पर बॉम्ब गिराकर, सफेद फॉस्फोरस गिराकर फिलिस्तिनि माँ बहनो की गोद उजारने वाला यूरोप को इस्राएल से कोई रंजिश नही। मलाला के एक गोली पर मीडिया और उसका नामनिहाद् डेमोक्रेसी,महिला अधिकार का नँगा नाच करने वाला ग़ज़ा के औरतों पर मूंह क्यों बंद कर लिया?

दुनिया मे कोई UN और डेमोक्रेसी नही है, बस गुंडा राज है, इस आलमी दहशत गर्दी और बदमाशी का सरगना अमेरिका और नापाक वज़ूद इस्राएल है।

नापाक वज़ूद इस्राएल जो आज कर रहा है या 1948 से करता आरहा है... सिर्फ अमेरिका की हिमायत से, ब्रिटेन, फ्रांस की हिमायत से। अगर सलेबी सह्युनि को मदद करना बन्द कर दे तो आज झुक जायेगा। जैसे ही कुछ होता है अमेरिका हथियार भेजना शुरू कर देता है।

इसमे असल मुज़रिम कौन है? अमेरिका. जिसके बारे मे बात करने से मीडिया, हुकमराँ और माहेरिन डरते है, मीडिया इस पर बात नही करता क्योंके उसे अमेरिका के तरफ से मिले हुए इनाम का भी लाज रखना।

लिहाज़ा आम मुसलमानो को सोचना होगा के अरबो का, तुर्किये का, पाकिस्तान का, मिस्र का सबसे करीबी पार्टनर् कौन है? वह अमेरिका है, इस्राएल को मदद कौन देता है वह अमेरिका है। लिहाज़ा अगर जादूगर की जान तोते मे है तो जादूगर को मारने से नही मरेगा बल्कि तोता को पकड़ना होगा,। तोते की गर्दन जब कटेगी तब ये तागुत् खत्म होगा। इसके लिए आल्मी सतह पर मुस्लिम दुनिया को चीन और रूस के खेमे मे जाना होगा।

पहले अपने दुश्मन को पहचाने। कौन है जिसकी ताकत पर इस नजाएज़ वज़ूद को नाज़ है?

‎इस्राएल की ग़ज़ा पर अमेरिका, यूरोपीय यूनियन का दिया हुआ हथियार से मस्ज़िदों, अस्पतालो और घरों पर दिन रात बोम्बारी जारी है। पानी, खुराक, दवा, की शदीद किल्लत है। इस हालत मे भी अरब और बाकी मुस्लिम दुनिया खामोश है, यह अमेरिका, और उसके पड़ोसी सलेबी देश सब के सब अरबो के सबसे पर ट्रेड पार्टनर् है, सबसे अच्छे दोस्त। फिलिस्तीन के लोगो ने मुस्लिम दुनिया से कहा है के अपने अपने मुल्क मे अमेरिकी दूतावास बंद करे। अवाम अमेरिका और दूसरे ईसाई देश के दूतावास के सामने मुज़ाहिरा करे।

आज मुसलमानों के अंदर तीन किस्म के लोग मौजूद है।

 
1. पहला शासक वर्ग - यह वो लोग है जो यहूदियों और सलेबियो के बनाये तागुती निज़ाम के आगे सजदा करते है, इन हुक्मरानो को क़ीबला ए अव्वल से कोई मतलब नही है, इनका क़ीबला ए अव्वल सलेबियो का वाइट हाउस है। लिहाज़ा हुकमराँ बगैर जंग के ही घुटने टेक दिये है इसलिए इनसे कोई उम्मीद नही करे, इसमे सदर, वज़ीर, संसद, विधायक, अफसर, सिपाही और फौज का सर्बराह सब शामिल है। पाकिस्तान का फौजी सर्बराह राहिल शरीफ, परवेज़ मुसर्रफ, बाजवा या आसिम मुनिर् सबका क़ीबला ए अव्वल वॉशिंगटन है। अवाम का नुमाइंदा चाहे कोई हो सब अमेरिका से डॉलर लेकर हथियार डाले है। परवेज़ मुसर्रफ जिसने लाल मस्ज़िद पर सफेद फॉस्फोरस गिराया था, मौजूदा आसिम मुनिर् जिसने अरबो डॉलर लिया है अमेरिका से इस्राएल को तसलिम करने के लिए। ये पैसे लगा और इस्राएल को मान्यता देगा।
अरब मे सारे हुकमराँ अमेरिका के नियुक्त किये हुए गोवर्नर् के तौर पर काम कर रहे है। अरबो को अय्याशी से वक़्त ही नही मिलता है।

2. दूसरा किस्म है अति उदारवादी / लिब्रल्स मुनाफ़िक् - जो हमेशा बैलेंसिंग करने मे लगा रहता है। ये तबका हमेशा इस्लाम के खिलाफ रहता है लेकिन अपना इस्लाम विरोधी तस्वीर न बने इसलिए कभी कभी एक दो मौके पर मुसलमानो को लॉलीपॉप देते रहता है, मुसलमान जज़्बाती होते है ये सब को पता है इसलिए वो गर्म हवा देकर मुसलमानो का समर्थन आसानी से हासिल कर लेते है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, यूटूब ये सारे प्लेटफॉर्म जो हमेशा बोलने की आज़ादी और आज़ाद ख्याल होने का दावा करते है, मग्रिबि मुमालिक सारी दुनिया को इंसानियत का सबक सिखाने मे लगा रहता है मगर जहाँ मुसलमान पर ज़ुल्म हो रहा हो, फिलिस्तीन के लोगो पर बॉम्बारि हो रहा है, वहाँ आतंकी इस्राएल के लिए हथियारे तो पहुँच रही लेकिन गजा के लोगो के लिए दवाएं और खाने की चिजे नही जा रही है। दवा किसको चाहिए जो ज़ख़्मी है, लेकिन ईसाई देश हथियार किसलिए भेज रहा है, मस्ज़िदों, अस्पतालो पर मिसाइल मारने के लिए। इसमे मीर ज़ाफर, मीर सादिक जैसे लोग मिल जायेंगे। ये लोग बात है हमेशा डेमोक्रेसी, आज़ादी, UN, की बात करेंगे। इनकी आज़ादी कुरान जलाने मे, नबी की शान मे गुस्ताखी करने ओर है। अगर की फिलिस्तीन मे हो रहे बॉम्बादी पर इस्राएल के खिलाफ प्रदर्शन करे तो आतंकवादि गती विधि बताया जाता है। मुसलमानों से यह कहा जाता है के आप को फिलिस्तीन से का मतलब है, आप तो यहाँ है? लेकिन अगर ईरान मे अमेरिका के समर्थन से औरतें  सड़को पर उतर कर प्रदरशन करे तो भारत मे मीडिया पर उसके समर्थन मे बाल काटे जाते है, यूरोप का नेता और मुखिया इसे महिला अधिकार और आज़ादी से जोड़ता है वहाँ की कंपनी स्टरलिंक फ्री मे देने की बात करती है। फिलिस्तीन मे फतह पार्टी का नेता यासिर अरफत और मौजूदा महमूद अब्बास इसी सोच के समर्थक है। यासिर अरफत इजरायली समर्थक नेता था, जिसने अपने खाते मे करोडो डॉलर जमा किये थे, अमेरिका ने उस यह सब इनाम मे दिया था। यासिर अराफत हमजिंस परस्त था। हम जिंसप्रसत वही जो लूत अलैहे सलाम के कौम मे थी। यासिर अराफत का बॉयफ्रेंड जब सेहरा सीना मे किसी हादसे मे जख्मी हो गया तो अमेरिका ने उसे बचाने की बहूत कोशिश की लेकिन वह बच नही सका। इसके बाद यासिर अरफत भी डिप्रेसन मे चला गया, इससे निकालने के लिए अमेरिका ने उसके ईसाई सेक्रेटरी से शादी कर दी। जब उसका इंतकाल हुआ तो उसके खज़ाने के लिए सोहा (ईसाई सेक्रेटरी) और PLO मे झगडा हो गया। सोहा ने कहा के वह सब बैंक बैलेंस मेरे है।
मौजूदा फिलिस्तिनि हाकिम महमूद अब्बास भी इजरायली दहशत गर्द, फिलिस्तिनियो का कातिल एरियल शेरोन का जिगरी दोस्त है। इस्राएल अपने दुश्मनो का इंतेखाब भी खुद करता है। वेस्ट बैंक पर हमास की हुकुमत नही है लेकिन इस्राएल वेस्ट बैंक पर भी बॉम्बरी करता है। लेबनान, सीरिया इन देशो पर हमास नही है वहाँ भी मिसाइल मारता है, इराक मे हमास नही था वहाँ भी उसने बॉम्बारि की थी, जब पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करने वाला था तब वहाँ भी ये नापाक वज़ूद बॉम्बारि करने वाला था लेकिन इसकी चाल नही। चली।
आज हमास फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए कदम बढ़ाया है तो ईसाई और यहूदियों को हमास दहशत गर्द लग रहा है, लेकिन इस्राएल 1948 से नजाएज़ बसा हुआ है, हज़ारो फिलिस्तिनियो का क़तल ए आम किया फिर भी अमेरिका कुछ नही बोला बल्कि यूरोप की अंधी। हिमायत हासिल है उसे। दुनिया की सारी मनवाधिकार एजेंसिया चुप है। इस्राएल अपने लोगो को हथियार बाँट रहा है, अरबो को मारने के लिए। मगर इसे कोई चरमपंथ और कटरपंथ नही कहेगा।

3. तीसरे किस्म मे वह मुसलमान है जिनके पास न हुकूमत की चाबी है न खज़ाने की चाबी आज वही फिलिस्तीन के लिए सबसे बढ़चढ़ कर काम कर रहे है। ऐसे मुसलमानो के पास ना अरबो के जैसा खज़ाना है ना नेताओ के जैसा इक्तदार। लेकिन ये अपना फर्ज समझते है इसलिए इस्राएल  और उसके समर्थक अमेरिका और दूसरे ईसाई देशो का फिलिस्तीन व हमास के खिलाफ प्रोपगैंडा का जवाब दे रहे है, ऑनलाइन प्लेटफोर्मस् पर सलेबियो और सह्युनियो के झुठो और अफवाहों का पर्दाफाश कर रहे है।
ईसाई कंपनिया भी इस्राएल का साथ दे रही है शैडो बेनिंग के तहत इंफोर्मेशन वार मे।
यहूदियों को इंग्लैंड ने निकाला,
फ्रांस ने निकाला
हंगरी और इटली ने निकला
एडोल्फ हिटलर ने ज़र्मनी से खडेरा

पनाह दिया मुसलमान, जिसने अपने यहाँ से भगाया आज वही फिलिस्तिनियो के खिलाफ इस्राएल के साथ है।
इस्राएल पहले 40 बच्चो का झूठ फैलाया के हमास ने मार दिया, लेकिन ये अफवाह फैलाया गया। जिसे फैलाने मे यूरोप के राजनेता भी शामिल है। इस्राएल खुद होस्पिटल पर बोम्बारी करके फिलिस्तिनियो की नस्ल कशी कर रहा है लेकिन यूरोप इस पर चुप है क्योंके इस्राएल को उसी ने पैदा किया।
अब इस्राएल ने झूठ फैलाया के हमास के पास से रासायनिक हथियार बनाने के सबूत मिले है, यह इस्राएल का सबसे घठिया चाल है जो इराक मे सद्दाम हुसैन के खिलाफ अमेरिका ने अफवाह फैलाया के 45 मिनिट मे दुनिया खत्म कर सकता है, जिस अफवाह से अमेरिका ने इराक मे सद्दाम हुसैन को मार दिया। ये सब चाले सलेबियो और सह्युनियो के तरफ से मुसलमानो के खिलाफ चली जाती है। जो कोई भी अपने हक की बात करता है उसे अमेरिका अपना दुश्मन समझता है। मीडिया के जरिये प्रोपगैंडा ट्रायल करके उसे गुनाहगार साबित करता है। इस्राएल आज हमास के खिलाफ यही हथकंडा अपनानां चाहता है। वह 10000 + कैदी, 6 हजार से ज्यादा को मार कर, 20 हजार से ज्यादा को घायेल कर खुद को क्लीन चीट दे रहा है इस अफवाह के सहारे। आज इसी तबके के मुसलमानो ने इजरायली क़त्ल ए आम को स्पांसेर करने वाली कंपनी मेडोनलस्, पिज़्ज़ा, कोका कोला, बर्गेर, वगैरह कंपनियों का बॉयकॉट करके अपने फिलिस्तीन के लिए कुछ किया है। यूरोप के प्रोपगैंडा न्यूज़ और इंफोर्मेशन वार का सही जवाब इन्ही मुसलमानो ने दिया है।
आप ज़ुल्म के खिलाफ बोले
बोल नही सकते तो लिखे
लिख नही सकते तो ज़ालिम का साथ नही दे
जो लिख रहा है उसकी हौसला अफ़ज़ाई करे।
जो बोल रहा है उसका साथ दे।
ज़ालिम के खिलाफ मजलुम की मदद करे।
जब ज़ुल्म हो रहा हो तो खामोश रह कर ज़ालिम का हौसला न बढ़ाये।
जो कोई भी फिलिस्तीन और मुजाहिदीन के लिए कर सकते है करे। ऐसे वक़्त मे आपकी खामोशी ज़ालिम को ताकत देती है, मजलुम की मदद करने के साथ साथ ज़ालिम और उसका साथ देने वाले का भी। बॉयकॉट करे।
यही तीसरे किस्म के मुसलमान फिलिस्तीन के साथ खड़े है, बाकी पहले और दूसरे तबके के लोग रस्म अदायेगी करते है।

UN जो मनवाधिकार और शांति की बात करता है और अमेरिका इसका दुल्हा है, उसने ही यह पागल कूत्ता इस्राएल को अरबो के जमीन पर फिलिस्तिनियो का खून बहाने के लिए हथियार और पैसे दिये है, फिर अमेरिका ही ग्लोबल ऑर्डर की बात करता है। ये दोहरा मापदंड दुनिया ने देखा है और दोहरी पॉलिसी सिर्फ मुसलमानो के लिए ही है, लिहाज़ा आल्मी निज़ाम (वर्ल्ड ऑर्डर) का बॉयकॉट करे। क्योंके ये मुसलमानो पर होते ज़ुल्म पर खामोश रहता है और फिलिस्तीन विरोधी  आवाज़ को बढ़ावा देता,UN जो अमेरिका का कठपुतली है उसे (USA) सबकुछ करने का लाइसेंस है और इसी ने नजाएज़ इस्राएल को फिलिस्तिनियो का क़त्ल ए आम करने के लिए लाइसेंस दिये हुआ है।

 बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम 

सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा

Israel is terrorist state.
IDF is terrorist Orgnization.
Netanyahu is Head of Terrorist
USA is Terrorist Suppliar
USA + NATo are Major Factory of Terrorist.
UK is Mother of Terrorist.
Europe are Mastermind of Terrorist.

57 मुस्लिम मुमालिक मे फिलिस्तीन के साथ कौन?

इस्लामी क्रांति से पहले ईरान तुर्की के बाद दूसरा मुस्लिम बहुल देश था, जिसने अपने शासक मोहम्मद रज़ा पहलवी के हुकूमत में इसराइल को मान्यता दी थी.

लेकिन अब गुल्फ में ईरान एकदम अलग राह पर है और वो इसराइल को मान्यता देने से इनकार करता है. जबकि सुन्नी अरब देश UAE, जोर्डन, मिस्र, मोरोक्को ने इस्राएल से हाथ मिला लिया है। खास यह है के हमास पहले सउदी अरब का लाडला हुआ करता था लेकिन हमास को इस्राएल से फिलिस्तीन को आज़ाद कराने के लिए जो चाहिए था वह सउदी अरब दे नही सका, जैसे हथियार, ट्रेनिंग, वितीय मदद, गोला बारूद, छोटे छोटे पुर्जे जिसे आज हमास रॉकेट बना रहा है।

सउदी अमेरिका के सहारे चल रहा है इसलिए उसने अमेरिका के नाराज होने के कारण हमास की मदद नही किया, फिर हमास ईरान का रुख किया। आखिर मे अरब के धनी देश इस्राएल को तस्लीम कर ही लिए।
UAE, मोरक्को, बहरीन और सूडान जैसे अरब और सुन्नी मुस्लिम देशों ने साल 2020 और 2021 के बीच इसराइल के साथ संबंधों को सुधार लिया है.

इन देशों का सऊदी अरब के साथ करीबी रिश्ता रहा है. ऐसी भी ख़बरें हैं कि सऊदी अरब भी इसराइल के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए समझौते पर चर्चा कर रहा है. लेकिन इस्राएल के बोम्बारी ने इस बातचित् को रोक रखा है,लेकिन आगे चलकर  सउदी अरब भी इस्राएल का ट्रेड पार्टनर् बन जायेगा जो फिलिस्तिनियो के लाशो पर सउदी इस्राएल अपने रिश्तों का महल सजायेगा। क्योंके सउदी ने इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर जो अमेरिका का प्रोजेक्ट है उसमे भाग लिया है। अरबो ने फिरंगियों के हाथ पर बैत कर रखा है, लिहाज़ा वह यहूद ओ नसारा की पैरवी करते है, उसी की इताअत करते है। अभी फिलिस्तीन मे ग्ज़ा के लोगो पर बॉम्बारी हो रही है, अरब के हुकमराँ होटलो, पार्को, कलबो मे अय्याशी करने मे मसरूफ है। आप वहाँ के अवाम और बादशाह की सरगर्मियों पर नज़र डाले, किसी को इसकी कोई परवाह नही, चाहे वह मरे, कटे, नस्ल कशी हो कुछ मतलब नही।

अल्लाह हमे ऐसी दौलत न दे जिससे हमारा ईमान खतम हो जाए, या अल्लाह मुसलमानो को मुनाफ़िकत से बचा, फिलिस्तीन को आज़ाद करा, मस्ज़िद ए अक्सा की हीफाजत कर।  जालिमो का खात्मा कर, फिलिस्तिनियो की मदद फरमा और इस्राएल को हस्ती से मिटा दे। आमीन

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Palestine: Allah Gaib se madad kyo nahi kar raha hai, Palestine par Yahud o nasara ka ittehad Musalamano ke Khilaf.

Yahud o Nasara ka ittehad Musalmano ke Khilaf. 

आज यहूद व नसारा मुसलमानो के खिलाफ एक है लेकिन मुसलमान हुकमराँ फिरंगियों के जूते चाटने मे लगे है। 

आज मुस्लिम हकमराँ फिलिस्तीन के मामले पर इतने बेबस कैसे हो गए? 

ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।

जब मुसलमानो ने कुरान व हदीस को भुला दिया तो  गैब् की मदद कैसे आयेगी? 

गैब् से मदद कब आयेगी?

नजाएज़ इस्राएल कैसे वज़ूद मे आया और मुस्लिम हूकमरा क्या कर रहे थे? 

फिलिस्तीन मे अरब कब से आबाद है? मस्ज़िद। ए अक्सा की तारीख। 

आज इस्राएल के लिए यहूद ओ नसारा मुसलमानो के खिलाफ एक है? 

अरबो के खज़ाने की चाबी फिरंगियों के पास है? 

गैबी मदद न स्पेन के वक़्त आई, न सलतनत ए उस्मानिया को बचाने आई, न इस्राएल के क़याम के वक्त रोकने आई, न बाबरी मस्ज़िद के वक्त आई, न इराक व शाम के वक़्त आयी, न म्यांमार के रोहिंगिया मुसलमानो के लिए आई, न गुजरात मे मुसलमानों के क़त्ल ए आम के वक्त आई।

मुहल्ले के मौलाना, इमाम को मजलुम मुसलमानो के लिए दुआ करने को कहा जाए तो सबसे पहले  वह तैयार नही होते हाथ उठाकर दुआ करने के लिए।

आज फिलिस्तीन मे क्या हो रहा है यह किसी को बताने की जरूरत नही लेकिन जुमे के दिन इमाम को कह दिया जाए गजा के लोगो के लिए दुआ करने को तो लगता है इन कठमुल्लो पर पहाड़ टूट पड़ा। इनको पता नही है के फिलिस्तीन मे क्या हो रहा है, क्या करना चाहिए वहां के लोगो के लिए, फिलिस्तीन मुसलमानो के लिए क्या अहमियत रखता है, मुसलमानो का क़ीबला ए अव्वल कहाँ है, मस्ज़िद ए अक्सा से मुसलमानो का क्या ताल्लुक है, मस्ज़िद ए अक्सा की अहमियत क्या है? वगैरह

क्या ये सब इन मुहल्ले के कठमुल्लो को मालूम नही है?
क्या फिलिस्तीन और इस्राएल (1948) का तारीख पता नही है?

सारी दुनिया मे आज फिलिस्तिनियो के लिए लोग सड़को पर उतरे है, लंदन मे ब्रिटिश PM के दफ्तर के सामने नमाज़े पढ़ी जा रही है, यूरोप मे लाखो की तादाद मे सब सड़को पर मुज़ाहिरा कर रहे है हुकूमत के खिलाफ लेकिन हिंदुस्तान के कठमुल्लो से दुआ करने की गुजारिश की  जा रही है तो इनके पसीने निकलना शुरू हो जाता है।

सारी दुनिया के हुकमराँ दहशत गर्द इस्राएल के साथ है और अवाम फिलिस्तीन के साथ।
क्या यहाँ के आलिमो, उलेमाओ, मौलवियो को पता नही फिलिस्तीन के बारे मे?
इनको खुतबा मे मस्ज़िद ए अक्सा पर बोलने से किसने रोका है?
मगर ये तो अपने मुहल्ले के इमाम है न तो दुनिया मे और जगह क्या हो रहा है उससे इनको क्या मतलब।
ये कठमुल्ले तो अपने मुहल्ले के मसाएल मे ही उलझे हुए है, लोगो की इसलाह इनसे कैसे होगी?

फिर भी मुसलमानों को मस्ज़िदों और घरों मे बैठ कर गैब् की मदद का इंतज़ार है।

गैबी मदद जंग ए बदर मे आई, जब 1000 के मुकाबले 313 मैदान ए जंग मे उतरे।
गैब् की मदद जंग ए खंदक मे आई अल्लाह के आखिरी नबी मुहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम पेट पर दो पत्थर बांधे खुद खंदक् खोदी और जंग मे उतरे।

घरों मे, चाय के होटलो मे, tv के सामने बैठ कर गैब् की मदद का इंतज़ार?
तागुत् के निजाम पर राज़ी, घरों मे फहाशि और फिर भी गैबी मदद का इंतज़ार?
अल्लाह के निज़ाम को नाफ़िज करने की जद्दोजेहद करने के बजाए नात् ख्वानी, कुरान ख्वानी, महफ़िल ए मिलाद, शराब् व जूए के अड्डे पर बैठ कर, गाने बजाने वाले या तस्बीह के दाने को दस बीस लाख मर्तबा घुमाकर गैबी मदद का इंतज़ार?

आफाकी दिन को चंद इबादत मे महसुर करके गैबी मदद का इंतज़ार?
मुसलमानों को दिन का दाई बनाने के बजाए मज़ारों पर सज़्ज़ादा नशी, तिकटोक का डांसर, रीलस मुज़रा करने वाला, tv के आगे फिल्म का हीरो बना देने के बाद गैबी मदद का इंतज़ार?
सबकुछ अल्लाह के जिम्मे लगाकर खुद अय्याशियो मे मसरूफ होकर दिन से किनारा कशी इख़्तियार करने पर गैबी मदद का इंतज़ार?
अपने हक के लिए खड़े होने से डरने वाले फरिश्तो की मदद का इंतज़ार?

ऐसी सूरत मे गैबी मदद नही सिर्फ अज़ाब ही आते है, हम गद्दार, बेईमान, नाकाबिल्, नालाएक, मुनाफ़िक़, फिरंगियों के निज़ाम पर फिरंगियों के इशारे पर काम करने वाला हुकमराँ, कुफ्फार् की अज़ारा दारी, इफ्लास, ज़ल्ज़ले, सैलाब, नजाएज़ मुनाफा खोरी, झूठ, वज़न मे कमी, मिलावट की शक्ल मे भुगत रहे है।

पहले अपने हक और दीन ए इस्लाम के लिए खड़े तो हो फिर देखे अल्लाह मदद करता है या नही.

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Palestine: Muslim Hukmaran, Arab Badshaho ka Qibla-E-Awwal White House hai na ke Maszid-E-Aksa.

Muslim Hukmaraan ka Qibla-E-Awwal White House hai na ke Maszid-E-Aksa.

Arab Badshaho ka Darul Hukumat Washington Hai.

ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।

अरबो का मुहफ़िज अमेरिका फिलिस्तिनियो को मारने के लिए हथियार भेज रहा है।  

अरबो के खज़ाने की चाबी यूरोप के पास है। 

इजरायल जमीन खरीद कर नही, जमीन हथिया कर कायम हुआ है?

आज मुस्लिम हकमरा इतने बेबस और लाचार क्यो है?


मुस्लिम हुकमराँ भी अमेरिकी मस्नुवात (प्रोडक्ट) है लिहाजा इसका बॉयकॉट करे। 

फिलिस्तिनियो के लिए जो मुहब्बत और हिमायत यूरोप के ईसाई देशो मे देखने को मिल रहा है, और जिस तरह का समर्थन मिल रहा है वैसा समर्थन ख्वाजा के हिंदुस्तान,काएद ए आज़म के पाकिस्तान, नमनिहाद् खलिफ्तुल् मुस्लेमीन एर्दोगन के तुर्किये मे नही मिला। अरबो का तो छोर ही दीजिये, उनके ख़ज़ाने की चाबी फिरंगियों के पास है लिहाज़ा वह अपाहिज हुकमराँ क्या कर सकते है? यूरोप के हुक्मरानो की मिलीभगत इस्राएल के साथ है, लेकिन अवाम फिलिस्तीन के साथ।

मुस्लिम हुकमरा  इस्राएल के साथ मगर अवाम फिलिस्तीन के साथ। 

जितना फिलिस्तिनियो के खून का ज़िम्मेदार आतंकी इस्राएल और ईसाई देश है उतना ही ज़िम्मेदार UAE जैसे अरब मुमालिक है, फिलिस्तिनियो को मारने के लिए अमेरिका ने जो हथियार भेजे है वह UAE के बंदरगाह पर उतरा वहाँ से दहशतगर्द यहूदियों के यहाँ जायेगा। 

हमे रहजनो से गिला नही तेरी रहबरी का सवाल है।

फिलिस्तिनियो के नरसंहार को ईसाई देशों का समर्थन हासिल है, US के सेनाटर् इस क़तलेआम को "Holly war" बता रहा है, वह इसे इस्लाम और मुसलमानो के खिलाफ क्रुशेड कहता है लेकिन तथाकथित इंसानी हुकूक और लोकतन्त्र का रक्षक इस पर न सिर्फ खामोश है बल्कि इसका साथ भी दे रहा है। 

Western Ideology:

1) Ukraine has the right to defend 

2) Israel has the right to invade

आज जब अमेरिका के समर्थन से नजाएज़ वज़ूद इस्राएल फिलिस्तीन के लोगो का जीना हराम कर रखा है। मस्ज़िद, हॉस्पिटल, स्कूल, चर्च हर जगह बॉम्बारी कर रहा है तब वह सारी एजेंसिया जो अमेरिका के साथ मिलकर दुनिया मे सबको तानाशाह का सर्टिफिकेट और लिब्रल्स का तमगा दिया करती थी गाएब् हो गए। कौन तानाशाह है?
जिसने अमेरिका की बात नही मानी या वह जिसने अपने तरीके से निज़ाम बनाया इसलिए अमेरिका और दूसरे ईसाई देशो को पसंद नही।

अगर आप इस्राएल के खिलाफ है और फिलिस्तीन की आज़ादी चाहते। है, लेकिन इस्राएल का बनाया हुआ सामान इस्तेमाल करते है तो आप का यह कहना के "मै फिलिस्तीन की आज़ादी चाहता हूँ" बकवास है। इसलिए के आप इस्राएल को फिलिस्तिनियो के क़त्ल ए आम मे मदद कर रहे है। आप फिलिस्तीन के लोगो के खून के प्यासे है। आप पिज़्ज़ा, बर्गर् नही खा रहे है बल्कि अपने फिलिस्तिनि भाईयो का गोश्त चबा रहे है। वह यही समान बेचकर उसी पैसे से ग़ज़ा के लोगो का खून बहा रहा है, मस्ज़िदों पर बॉम्ब गिरा रहा है।

अमेरिकी इजरायली समानो का बॉयकॉट करे, जो क़ातिल दहशतगर्द इस्राएल को पैसे से मदद कर रहा है। यह बात जेहन मे रखे के Mac Donalds, पिज्जा, हट, डोमिनोस्, KFC, पेप्सी, बर्गर, कोकाकोला ये सब मुसलमानो के खून के प्यासे है। इसके साथ साथ UN, EU के अलावा मुस्लिम मुमालिक पर काबिज हुकमराँ भी अमेरिका प्रोडक्ट्स है लिहाज़ा इसका भी बॉयकॉट करे।

यह ग्लोबल ऑर्डर सिर्फ वही काम कैसे करता है जहाँ अमेरिका चाहता है,। अमेरिका के हित का ख्याल रखते हुए UN कैसे किसी पर पाबंदी लगाता है और हटाता है।
यह 1945 मे जीते हुए देशो का बनाया हुआ एक संगठन है जो सिर्फ अमेरिका,ब्रिटेन, फ्रांस और दूसरे ईसाई देशो के फायदे के लिए काम करता है, अमेरिका के इशारे पर किसी बेगुनाह को भी दहशत गर्द करार देता है और इस्राएल जैसा नापाक वज़ूद वाला देश को अमेरिका का साथ मिलने पर मस्ज़िदों और हॉस्पिटल पर बॉम्बारी करके 5000+ लोगो को मार देता है व 10+ हजार से ज्यादा को ज़ख़्मी करके भी सेल्फ डिफेंस का नारा देता है।

यह UN, या इसका मनवाधिकार, लोकतन्त्र, प्रेस, फ्री स्पीच का हक तब ही मिलता है जब इस्लाम और मुसलमान के खिलाफ कुछ करना हो।

UN के फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेसन मे कुरान जलाना, कुरान का मज़ाक बनाना, इस्लाम के पैगंबर का कार्टून बनाना, मुसलमानो के खिलाफ हेट स्पीच देना, मुसलमान औरतों के लिए हिजाब बैन करना व वेस्टर्न कपड़े अनिवार्य करना, यूरोप का कल्चर थोपना शामिल है।

UN के फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेसन मे फिलिस्तीन के लिए आवाज़ बुलंद करना, गजा के समर्थन मे रैली निकालना, दहशत गर्द इस्राएल और IDF को दहशत गर्द स्टेट/संगठन और नेतन्याहु को युद्ध् अपराधी ठहराना, मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच, सड़को पर फिलिस्तीन के लिए प्रदर्शन करना, इजरायली बोम्बारी का  मीडिया मे दिखाना शामिल नही, इसका कोई हल नही है।

अमेरिका दूसरे देशो को तानाशाह कहता है, क्योंके वहाँ वह अपने हिसाब से हुकमराँ बैठा नही पाता है, अगर हुकमराँ उसके हिसाब से काम करने से इंकार कर देता है तो सांसदो को खरीद फरोख्त करके सरकार गिरा दी जाती है  या CIA के जरिये मरवा दिया जाता है।

ग़ज़ा वालो के लिए मदद के दरवाजे बन्द करने वाला और उनको दहशत गर्द यहूदियों के बॉम्बारी से मरने देने वाला मिसरी सदर फतह अल सीसी इस्लाम दुश्मन अमेरिका का कठपुतली है। यह वही जेनरल है जिसने जम्हूरियत के रास्ते और लोगो का चुनी हुई सरकार मोहम्मद् मुरसी जो सेकुलर सोच यहूदियों व ईसाइयों का कठपुतली नही था, इसलिए यहूद व नसारा ने सीसी को आगे करके मिस्र मे अपने एजेंट की हुकूमत कायम करवा दी। अब आप समझ सकते है के यूरोप क्यो डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी चिल्लाता है, जबकि चुनी हुई सरकार अगर उसके हिसाब से काम नही करता हो तो उसका तख्तापल्ट करवा देता, सांसदो की खरीद बिक्री, जसुसो से प्लेन क्रैश करवा दिया जाता है। वगैरह तरकीब अपनाते है अपने कठपुतली सरकार बैठाने मे।

पाक वज़ीर ए आज़म इमरान खान के बारे मे भी आपको मालूम होगा, कैसे वहाँ अमेरिका ने डॉलर पर बिकने वाले सांसदो को खरीद कर अपनी कंपनी (शहबाज़ शरीफ) को हुकूमत दे दिया।

तुर्किये सदर एरदोगन का सेना के जरिये तख्तापल्ट करवाने के नाकाम कोशिश की थी 2017 मे।

इराक के बाथ पार्टी की सरकार सद्दाम हुसैन के खिलाफ किस तरह अफवाह और झूठ फैला कर हमला करके सद्दाम हुसैन सहित पूरे खानदान को मार दिया, सद्दाम हुसैन के वक़्त इराक बहुत ही अमीर मुल्क था, वहाँ तेल निकलता था जिस पर कबज़ा करने के लिए अमेरिका ने झूठा खबर फैलाया के इराक के पास रासायनिक हथियारों का जखीरा है जिससे सारी दुनिया को खतरा है। जबकि यह अफवाह था, अमेरिका का प्रोपगैंडा था जो तेल के स्रोतो पर कब्ज़ा करना और अपने नजाएज़ औलाद इस्राएल की मदद करना था।

अमेरिका ने इराक के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने अफगानिस्तान के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने लीबिया के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने सीरिया के बारे मे झूठ बोला।
अमेरिका ने कुवैत के बारे मे झूठ बोला।
अमेरिका युक्रेन के बारे मे झूठ बोल रहा है,
अमेरिका अब फिलिस्तीन के बारे मे झूठ बोल रहा है।

ये सब मुल्को के बारे मे अमेरिका ने इस तरह से झूठ बोला के सारी दुनिया अफवाह को ही सच मान ली और सोशल मीडिया व डिजिटल मीडिया पर तो यूरोप का कब्ज़ा है ही।

अब अमेरिका हमास और ईरान के बारे मे झूठ बोल रहा है। ये यहूद ओ नसारा की पुरानी आदत है झूठ बोलना, अफवाह फैलाना, आर्थिक बॉयकॉट करना.

मुसलमानो पर मुसल्लत नामनिहाद् हुकमराँ और फौजी कुव्वत का न सिर्फ बॉयकॉट करे बल्कि इन के खिलाफ सड़को पर प्रदर्शन करे, ये अमेरिका का भेजा गया गोवर्नर के तौर पर काम कर रहा है। एक इंकलाब की जरूरत है मुस्लिम दुनिया के अंदर, इस्लामी इंकलाब की।

इराक से लेकर सीरिया तक मे अमेरिका ने मुसलमानों का खून बहाया और वह दुनिया को मनवाधिकार का टिकट भी बेचता है क्यो?

 इसलिए के यह ग्लोबल ऑर्डर नही यहूद ऑर्डर है, जिसको 1945 मे बनाया गया ईसाइयों के द्वारा। कभी आप ने सोचा के अरब बादशाहो की बादशाहत कैसे टिकी हुई है अभी तक, जब अमेरिका लोकतंत्र की रट लगाए हुए है। इसलिए के अमेरिका को लोकतन्त्र से कोई मतलब नही, उसे वैसा हुकमराँ चाहिए जो उसके इशारे पर पर काम करे, दुनिया मे सबसे ज्यादा तेल और गैस अरबो के पास है जिसे ब्लैक गोल्ड (काला सोना) कहते है, लेकिन वहाँ पर अमेरिका ने हमला नही किया, इसलिए के अरब के बादशाहो की हीफाजत की ज़िम्मेदारी अमेरिका की है, अमेरिका वहाँ से तेल निकाल कर ले जाता है बदले मे सऊदी अरब, UAE, क़तर, बहरीन, कुवैत, जोर्डन, ओमान जैसे मुल्को को अपनी सेना देता है, बादशाह की हीफाजत के लिए।

यानी ऐसा बादशाह जो अमेरिका के फौजी ताकत पर अपनी हुकूमत चलाता हो वह फिलिस्तीन और मस्ज़िद ए अक्सा को कैसे आज़ाद करा सकता है?

लिहाज़ा ये अरब मुल्क के हुकमराँ काफी डरे हुए रहते है, इनके पास बेशुमार दौलत और सोने चांदी है लेकिन अपनी फौज या हथियार नही। जो कुछ भी है वह सिर्फ अमेरिका का है, वह जब चाहे तब अपना फौज बुला लेगा और बादशाह की बादशाहत खत्म। इसलिए अरब फिलिस्तीन के मामले पर नही बोलते, क्योंके इस्राएल जो के अमेरिका का नजाएज़ बेटा है, और अमेरिका अरबो को इशारे पर नचाता है, इस्राएल की हर तरह से मदद करता है ताकि अरब कभी फिलिस्तीन के बारे मे न सोचे।  ये अरब के हुकमराँ अपाहिज बादशाह है जिसका क़ीबला ए अव्वल वाइट हाउस है।

मिस्र के पास अपनी फौज है जिसका नाम ब्लैक कोबरा है, उसने 1975 मे कैंप डेविड समझौता करके इस्राएल को तसलीम कर लिया, 2020 मे UAE, जॉर्डन, मोरोक्को ने इस्राएल को मान्यता दिया।

ईरान से अमेरिका और इस्राएल इसिलिए नफरत करता है, क्योंके ईरान भी 1979 से पहले उसी तरह अमेरिका का कठपुतली था जैसे आज अरब मुमालिक है। वहाँ राजा पहलवी को हटाकर खमेनई ने इस्लामी रेवोल्यूशन करके एक नया सिस्टम बनाया जिससे अमेरिका और दूसरे ईसाई देश ईरान से चिढ़ गए, क्योंके इस्लामी इंकलाब जिसे ईरान कहता है, के बाद ईरान मे वैसा सिस्टम नही बचा जिससे वह अरबो के तरह इशारे पर नचाये, ईरान ने अपना फौज, साइंटिस्ट, इंजीनियर, इंटेलिजेंस और हर तरह से जदीद निज़ाम तैयार किया, इसे साथ साथ उसने पाकिस्तान के जैसा इतना फौज के बदौलत सरकार बनाने और गिराने वाला दीमक को भी दाखिल नही होने दिया और न सांसदो की खरीद बिक्री करके 5 साल मे 10 बार सरकार बनाने के लिए जगह छोरा, जिससे कोई विदेशी दखल अंदाजी करे।

इसी वज़ह से ईसाई देश और नापाक वज़ूद ईरान से चिढ़ा रहता है, कभी उसके साइंसिदान को कभी इंजीनियर को इस्राएल ड्रोन से मारते रहता है, क्योंके वहाँ कठपुतली सरकार बनाने मे नही बनती है, जहाँ सरकार उसके हिसाब से नही है वहाँ तख्तापल्ट करता है, जहाँ सरकार उसका है और अवाम साथ नही तो कोई बात नही।

लिहाज़ा अरब मुमालिक अमेरिका का इसलिए कठपुतली बना हुआ है, जिसकी कीमत फिलिस्तीन के लोगो को चुकानी पड़ती है। 1948 से फिलिस्तीन आज तक आज़ाद नही हुआ अरबो के राजनीतिक विफलता के कारण।

इस्राएल अपना दुश्मन भी बहुत सोच समझकर बनाता है, ताकि उससे कुछ न हो सके। आज अरबो के पास फौज नही, लेकिन ईरान के पास है, अमेरिका अरबो का हमदर्द तो है लेकिन फिलिस्तीन के लोगो का खून का प्यासा भी है, जो कोई भी फिलिस्तीन के आज़ादी की आवाज़ उठायेगा वह अमेरिका के खिलाफ जायेगा, इसलिए अरब मुल्क फिलिस्तीन को भूल कर अमेरिका की चाटुकारिता कर रहे है ताकि मेरा आका नाराज न हो जाए। 

अरबो ने यहूद वो नसारा को मुहफ़िज बनाया जिसकी कीमत वह फिलिस्तिनियो का खून बहाकर वसूलता है। अरबो की सियासी समझ भी उसी लायक है। जब नई ताकतें उभर रही है तो अरबो को चीन रूस के खेमे मे जाना चाहिए, इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर को बन्द कर देना चाहिए, अमेरिका से सारी निर्भरता खत्म कर लेनी चाहिए, अरबो को ईसाई मुल्को के भरोसे नही रहना चाहिए और रूस से हथियार खरीदने चाहिए, रूस और चीन फिलिस्तीन के मामले पर हमेशा साथ देता आया है और। देगा, क्योंके अमेरिका जो के ज़ाहिर मे सेकुलर, बातीन मे सलेबी है। वेस्टर्न देश की नीतियां हमेशा इस्लाम विरोधी, मुसलमान विरोधी आधारित रही है, चाहे ब्रिटिश का दौर हो, उससे पहले का या आज ईसाई ऑर्डर का। लिहाज़ा मस्जिद ए अक्सा की हीफाजत के लिए अरबो को अपनी पॉलिसी बदलनी होगी, क्योंके अवाम को सबकुछ पता चलने लगा है, अरब चाहे जितना अमेरिका का दोस्ती का कर्ज उतारे वह हमेशा नापाक वज़ूद इस्राएल का ही साथ देगा, अमेरिका के बदौलत ही ये नापाक वजूद फिलिस्तिनियो पर ज़ुल्म करता है, अगर फिलिस्तीन को आज़ाद कराना है तो चीन रूस के ब्लॉक मे जाना होगा, मस्ज़िद ए अक्सा की आज़ादी के लिए हमे ये सोच कर कुछ भी करना। होगा के यह लडाई सिर्फ इस्राएल से नही अमेरिका और नाटो से है, क्योंके ये नापाक वजूद अमेरिका के बगैर मदद के ज्यादा देर टिक भी नही सकता और सारी मदद ईसाइयों से ही मिलती है। 

अमेरिका और दूसरे ईसाई देश इस्राएल को हर तरह की मदद कर रहे है, चाहे वह सामरिक,आर्थिक हो या राजनीतिक। लिहाजा अरब व दूसरे मुसलमान हुक्मरानो और तंजीमो को भी चाहिए के लंबी जंग की तैयारी शुरू करे। जिन मुल्को को पास पैसे है वह आर्थिक मदद और राजनीतिक मदद करे, जिनके पास हथियार है वह खुफिया महकमा से मदद करे, मुजहदीन को जंगी तरबियत दे, उसे खुफिया सूचना दे, मीडिया, स्तंभकार, ब्लॉग्गर व दूसरे तरीके से फ्रीडम फाइटर्स की हौसला अफ़ज़ाई करे, उनकी सॉफ्ट तरीके से मदद करे। आज इस्राएल सिर्फ हथियारो और फौज से ही नही लड़ रहा है बल्कि डिजिटल वार भी कर रहा है, जिसमे फिलिस्तीन और मुज़हीदीन के खिलाफ अफवाह व झूठा खबर फैलाना शामिल है, लोगो को गुमराह करना जैसे हथकंडे मौजूद है।

जब वेस्ट के मीडिया का झूठा प्रोपगैंडा पकडा गया तो ईसाई देश के नेता और राजनेता खुद इस्राएल का मुखपत्र बन कर एजेंडे के तहत तैयार किया गया अफवाह फैला रहा है, इसमे हिंदी मीडिया और नामनिहाद् सेकुलR,लिब्रल्स रिपोर्टर शामिल है। आखिर अमेरिका को इतना डर किससे है के खुद झूठा प्रचार कर रहा है । 

आज ट्विट्टर, फेसबुक, इंस्टाग्राम हर जगह शैडो बेनिंग हो रहा है फिलिस्तीन के समर्थन पर इसलिए अपना प्लेटफॉर्म तैयार करे। 

इस्राएल फिलिस्तीन के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने मे बहुत माहिर है, वो नरसंहार करने से पहले "प्रोपगैंडा वार" करता जिसका साथ यूरोप से लेकर एशिया तक के Columnist, Reporter, Anchor, Actor, Artist aur Leader, ब्लॉग्गर देते है। इसलिए किसी भी वीडियो को देख कर अपनी राय न बनाये। 1948 का इतिहास देखे। 

हमे अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाना होगा क्योंके यह सलेबियो का सबसे बड़ा हथियार है ज़ालिम को मजलुम बनाने का। कभी भी फिलिस्तीन को आज़ाद कराने के लिए सलेबी और सह्युनि दोनो से मुकाबला करना होगा, इमाम मेहदी के वक्त यह सलेबी साथ देंगे लेकिन उससे पहले यह उम्मत ए मुहमद्दिया के खिलाफ सारी क़ौमों को इकट्ठा करेंगे। उपर वाली आयत को आज मुसलमानो ने भुला दिया इसलिए आज ऐसी हाल है। 

इस्राएल लेबनान, सीरिया, वेस्ट बैंक। हर इलाके मे बोम्बारी कर रहा है, मस्ज़िद, हॉस्पिटल, स्कूल,कॉलेज सब पर बोम्बारी कर रहा है लेकिन अमेरिका इस्राएल को युद्ध अपराध के लिए ज़िम्मेदार नही मानता है, युक्रेन मे रूस ने जितने लोगो को नही। मारे उससे ज्यादा नेतन्याहु ने फिलिस्तिनियो को मारा है, ग़ज़ा में कल सुबह से जारी इसराइली बमबारी में अभी तक 430 लोगों की जान गई है.

ग़ज़ा में सात अक्टूबर के बाद से अब तक मरने वालों की संख्या 5087 तक पहुंच गई है. इनमें 2,055 बच्चे, 1,119 औरते और 217 बुजुर्ग हैं. फ़लस्तीनी अधिकारियों ने कहा है कि 15 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं. 10 हजार से ज्यादा को बंधक बनाया है।
यह सबके बावजूद पुतिन पर युद्ध अपराध का वारंट जारी हो गया लेकिन ईसाई देश इस्राएल के लिए राइट ऑफ डिफ़ेंस की राग आलाप रहा है।

इस्राएल ने फिलिस्तीन पर सफेद फॉस्फोरस गिराए। जिसका सबूत UN ने खुद दिया, लेकिन यहूद व ईसाइयों के ग्लोबल ऑर्डर मे कोई जुर्म नही है यह सब, मगर अरबो को अमेरिका के इशारे पर ही नाचना है, अरबो की अयाशी ने मजलुम फिलिस्तिनियो को कमज़ोर बना दिया।

या अल्लाह ज़ालिम हुकमराणो को बर्बाद कर दे, मजलुम फिलिस्तीनईयो की मदद फरमा, इस्राएल को हस्ती से मिटा दे,। यहूद आ नसारा के सजिशो को नाकाम कर और मुसलमानों के खून के प्यासे नसरनियो को तबाह कर दे, या अल्लाह मस्जिद ए अक्सा की हीफाजत कर।  आमीन

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Modern Muashera aur Musalmano Ki Gairat : Aurat Kya Hai Aur Kya Nahi hai?

Aaj ka Modern Muashera aur Musalmano ki Gairat.


اَلسَلامُ عَلَيْكُم وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ

عورت کیا ہے ، کیا نہیں ہے :
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️: مسز انصاری

اگر ایک حکمران کو اس بات کا اندازہ ہوجائے کہ مرد و عورت کے اختلاط سے اس کی سلطنت میں کتنی خرابیاں پیدا ہوسکتی ہیں ، اس اختلاط سے اس کی سلطنت کی تعمیر میں حصہ لینے والے جوان مٹی کا ڈھیر بن سکتے ہیں، گھروں کے قوام ذہنی انتشار کا شکار ہوکر ملکی معیشت میں اپنا کردار ادا کرنے سے معذور ہوسکتے ہیں تو واللہ حکمران ملکی قوانین کو مرتب کرتے ہوئے سب سے پہلے مردو زن کے بیچ میں لمبی لمبی فصیلیں کھڑی کردے گا ۔۔۔۔

اور اگر ایک مرد کو اس بات کا اندازہ ہوجائے کہ مرد و زن کے اختلاط سے اس کے گھر میں کتنی خرابی پیدا ہوسکتی ہے جو نسلوں تک کو تباہ و برباد کرنے کی طاقت رکھتی ہے ، اس کے بچے صدقہ جاریہ کے بجائے گناہ جاریہ بن کر ہر لمحہ اس کی قبر کو آگ سے بھرتے رہیں گے اور یہ گناہ جاریہ نسلوں میں سفر کرے گا، تو واللہ وہ اپنی گھر کی عورتوں کو جاہل رکھنے میں مکمل عافیت محسوس کرے گا لیکن انہیں دورِ جدید کی ترقیوں سے شیطان کا آلہ کار نہیں بننے دے گا ۔

ہر عورت اپنے نفس پر گرفت رکھنے کے لیے اتنی طاقت نہیں رکھتی کہ شیطان کے ہتھکنڈوں سے بچ جائے ۔ شیطان اسی جگہ نقب لگاتا ہے جو کسی ملک یا کسی گھر کی خوشحالی کے لیے شہ رگ کی حیثیت رکھتا ہو، عورت گھر آباد بھی کرسکتی ہے اور برباد بھی، فطری طور پر بھی عورت کمزور ہوتی ہے اور ایمان کے لحاظ سے بھی کمزور ہوتی ہے، ہم نے قرآن حافظ عورتوں کو اپنے حجاب نظرِ آتش کرتے دیکھا ہے، ہم نے وہ عورتیں بھی دیکھی ہیں جنہوں نے قرآن و سنت کی حلاوت چکھنے کے باوجود شیطان کی پیروی اختیار کی، وہ عورتیں بھی ہیں جو دعوتِ دین کی آڑ میں شیطان کی کامیابیوں کا سبب بنیں، ایسی بھی عورتیں ہیں جنہوں نے جہنم کی گرمی کو محسوس کرنے کے باوجود بھی دنیا کے عارضی دھوکہ میں آکر اپنے ایمانوں کی قیمتی متاع شہوتوں کی راہوں میں گُم کردیں، وہ عورتیں بھی ہیں جو رات کو اپنے شوہروں کی شفیق اور امان والی آغوشوں میں سوتی ہیں اور دن کی روشنی میں جب ان کے مرد اپنی عزتوں کو بھروسہ اور اعتماد کے ساتھ تنہا چھوڑ کر کسبِ معاش کے نکلتے ہیں تو یہی عورتیں غیر کی آغوشوں میں چلی جاتی ہیں، والدین کی سرپرستی میں پنپنے والی وہ عورتیں بھی ہم نے دیکھی ہیں جن کے لیے جسم کی راحت تقویٰ و پرہیزگاری پر غالب آجاتی ہیں ۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔

یہ ساری عورتیں ہر دور میں دیکھی گئی ہیں مگر جتنی کثرت آج کے دور میں ہے وہ ماضی میں کبھی نہیں رہی، اور اس کا سبب سوشل میڈیا ہے ۔۔۔۔۔
سوشل میڈیا تلبیس ابلیس کا گھات ہے جہاں سے وہ مسلمان عورتوں کو جہنم کے سرٹیفیکیٹ جاری کرتا ہے ۔ پس اپنی عورتوں کی سوشل میڈیا پر سرگرمیوں سے باخبر رہیے، انہیں گھر کی چاردیواری میں محفوظ نہیں سمجھیے کیونکہ شیطان موبائل کی صورت میں آپ کی عورتوں کا لُٹیرا ہے ۔۔۔۔۔۔۔۔۔

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Musalmano ko Palestine ke liye Kya karna chahiye? Musalmano par Zulm magar Muslim Hukamran Khamosh.

Muslim Hukamran Filisteen Ke Sath kyu khade nahi hai?

Aaj Musalamno ke tadad itni Jyada hote hue bhi kyo us par Zulm ho raha hai?
Jab Koi Musalmano ke Zameen Par Kabza kar le to Musalmano ko kya karna chahiye?
 

اَلسَلامُ عَلَيْكُم وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ‎

️: مسزانصاری

جب دشمن کسی مسلمان خطہ ارضی میں گھس آئے اور وہاں کے جملہ باسیوں پر بلا مرد و ظن ، بوڑھے اور بچوں کی تفریق کے دھاوا بول دے تو اس خطہ کے تمام تر رہنے والوں پر قتال (جہاد فی سبیل اللہ) فرض عین ہوجاتا ہے ۔ اور اگر اس خطہ کی مسلمان قوم کمزور ہے اور دشمن کے مقابلہ میں آلاتِ حرب سے بھی تہی دست ہے کہ دشمن سے مقابلہ کرسکے تو پھر انکے قریب والوں پہ انکی مناصرت میں جہاد فرض عین ہوجاتا ہے۔

سلطنتِ اسلامیہ موجودہ تقسمیات میں کئی ملکوں میں منقسم ہے تاہم امت مسلمہ جسدِ واحد ہے یعنی مشرق سے لے کر مغرب تک ایک ہی ہے ، اسی لیے اہل اسلام پر واجب ہے کہ اسلاف کی عظیم روایات کو زندہ و جاوید رکھنے ، جہاد فی سبیل اللہ کے لیے ، اسلام کی مناصرت اور اس کے حکم پر قائم رہنے کے لیے اپنے ایمانی عزائم کو جگائیں ، آلاتِ حرب اور تمام تر جنگی ساز و سامان کے ساتھ باطل طاقتوں اور قوتوں کے خلاف نبرد آزما ہونے کے لیے میدان میں اتریں ، ماضی کے اوراق ہمیں بتاتے ہیں کہ ہر دور میں فتنے ایمان کے بالمقابل مغلوب ہوئے ہیں، مسلم امّہ کی طاقت ایمان کی بلندی ہے اور تمام طاقت کا سرچشمہ اللہ تعالیٰ وحدہ لاشریک کی بابرکت ذات ہے ۔

اللہﷻ کی رحمتیں اور سلامتی نازل ہو محسنِ انسانیت نبی اکرم محمد صلی اللہ علیہ وسلم اور ان کے آل و اصحاب پر، اللہﷻ تعالیٰ کی فتح و نصرت اترے اہلِ فلسطین پر اور اللہﷻ مسلم امّہ کو وہن کی بیماری سے شفاء کاملہ و عاجلہ عطا فرمائے ۔۔۔۔
اَلَّلھُمَ انصُر المُجَاہِدینَ فِی کُل مَکان
اَلَّلھُمَ انصُر المُجَاہِدینَ فِی غَزہ
اَلَّلھُمَ انصُر المُجَاہِدینَ فِی فَلسطِین
اَلََلھُم انصُر کَنَصر یُوم البَدر
یاربُ العَالمین یاقَوی
یارَبُ المُستضعَفِین
یارَبُ المُجَاہِدین
آمین یارب
العالمین

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Palestine: Arbo ke khazane ki Chabi firangiyo ke Pas hai, wah kaise Palestine ki Madad karenge?

Duniya ka Double standerd Palestine ke mamle par.

السلام علیکم ورحمتہ اللہ وبرکاتہ

ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।

शायद अरबो और दूसरे मुस्लिम हुकमरानो ने ये हदीस को भुला दिया और दौर ए ज़दीद मे खुद को आज़ाद ख्याल, मॉडर्न, सेकुलर कहलाने के लिए उन्ही के सफो मे खड़े हो गए जहाँ मुसलमानों के खिलाफ सिर्फ साजिशे की जाती है।

इसी भूल का नतीजा इस्राएल का वजूद मे आना, फिलिस्तीन के लोगो का खून बहना, ग़ज़ा पर दहशत गर्द इस्राएल का बॉम्बारी, हॉस्पिटल, स्कूल और पब्लिक पैलेस पर मिसाइल मारना है।


फिलिस्तीन पर EU, UN, USA, UK, लिबर्ल्स व दुनिया का दोहरा मापदंड क्यो?

कैसा लगे गा अगर तुम्हारे घर पर मैय्यत पड़ी हो, माँ बाप, भाई बहन, शौहर बीवी बच्चे बोम्बारी कर के मार दिये जाए और बगल के घर मे शादी की गीतें लगाई जा रही हो, ठुमके लगाए जा रहे हो।

यह बिल्कुल ऐसा ही है जैसे आज 8 दिनों से फिलिस्तीन मे मजलुमो पर गोलिया चलाई जा रही है। पानी, बिजली, खाना, इंटनरेट सब कुछ बंद कर दिया गया हो, मजिदो पर बॉम्ब गिराया जा रहा हो, अस्पताले मुर्दा घर बना हो। पुरा शहर पे क़यामत बरपा हुई हो।

ग़ज़ा पर बॉम्ब गिराया जा रहा है और यहाँ के मुसलमान क्रिकेट देखने मे मसरूफ है। याद रखो अगर तुमने आज ग़ज़ा के लोगो को नज़र अंदाज किया है लेकिन वह तो शहीद हुए मगर तुम्हारा ठिकाना क्या होगा तुम्हे खुद मालूम नही।

कब तुम्हारा लिंच कर दिया जायेगा झूठा बीफ के इल्ज़ाम मे, कब तुम पर दहशत गर्द का इल्जाम लगाकर सारी उम्र जेलो मे रखा जायेगा कोई खबर गिरी करने वाला भी नही होगा।

कब JSR के नारे लगवाए जायेंगे और तब्रेज़ अंसारी के जैसा मौत नसीब होगी मालूम नही होगा। फिर उस वक़्त दूसरे जगह के मुसलमान tv और रीलस मे मसरूफ होंगे।

तुम्हारे मौत पर मातम मनाने वाला भी कोई नही होगा, मौत किसकी किस हाल मे होगी पता नही।

चौक्के और छक्के पर तालियां लगाने वालो अपने ईमान का जायेज़ ले, क्या हमारी गैरत मर गयी है?
क्या हमारा ज़मीर मर गया है?
क्या हम ज़मीर फरोश बन गए?
क्या हम मुसलमान कहलाने लायक है?

Western (Christnity) Ideology:

1) Ukraine has the right to defend 

2) Israel has the right to invade

आज यहूद वो नसारा मुसलमानो के खिलाफ एकजुट है, लेकिन मुसलमान मुसलमानो के साथ खडा नही, मस्ज़िद ए अक्सा के साथ नही।

अमेरिकी सदर बाइडन ने अपने इसराइल दौरे की शुरुआत दुनिया के सामने यह दिखाते हुए की के अमेरिका यहूदियों के साथ खड़ा है. यह लिखे जाने तक अब तक अमेरिका के विदेश मंत्री, और सदर, ब्रिटेन के वज़ीर ए आज़म और ईसाई देशो का बनाया हुआ तंजीम EU (यूरोपियन यूनियन) की सदर इस्राएल का दौरा कर चुकी है। यानी ईसाइयों के नेता इस्राएल को यह महसूस कराना चाहते है के हमसब आप के साथ है।

अमेरिका ने एक बार फिर खुद को इंसानियत के ख़िलाफ़ वाले खेमे में खड़ा किया है. ये शर्म की बात है कि उनसे कई ज़िंदगियां बचाने के इनकार कर दिया है."

इससे पहले दहशतगर्द इस्राएल ने अमेरिकी सदर का इस्तकबाल करने की खुशी मे ग़ज़ा के एक बैप्टिस्ट हॉस्पिटल पर बॉम्बारि किया जिसमे 900+ मासूमो की जानें गयी और बेशुमार ज़ख़्मी हुए।

अमेरिकी सदर Jospeh Biden जिसके स्वागत मे इस्राएल ने ग़ज़ा के एक हॉस्पिटल पर मिसाइल मारा जिसमे 900 से ज्यादा मरीज, डॉक्टर, नर्स शहीद हुए।

इजरायली नरसंहार को ईसाई देशों का समर्थन हासिल है, US के सेनाटर् इस क़तलेआम को "Holly war" बता रहा है, वह इसे इस्लाम और मुसलमानो के खिलाफ क्रुशेड कहता है लेकिन तथाकथित इंसानी हुकूक और लोकतन्त्र का रक्षक इस पर न सिर्फ खामोश है बल्कि इसका साथ भी दे रहा है। क्या आज कोई इसे यहूदि आतँकवाद या ईसाई आतँकवाद कह सकता है?

Israel is terrorist state. 

IDF is terrorist Orgnization. 

Netanyahu is Head of Terrorist

USA is Terrorist Suppliar

NATo is Major Factory of Terrorist. 

UK is Mother of Terrorist. 

Europe are Mastermind of Terrorist. 

ईसाई मुमालिक ने सफतौर पर 1948 से इस्राएल का साथ देते आया है। 1948 मे ब्रिटेन ने इस्राएल नाम का एक नजाएज़ मुल्क अरबो की ज़मीन पर बनाया और वहा दुनिया भर से यहूदियों को ले जाकर यहूदि बस्तियाँ बसाई जा रही है , फिलिस्तीन के लोगो को उनके ही ज़मीन से भगाया जाने लगा। लेकिन अरबो की सियासत का तर्ज नही बदला, जिसने अरबो की ज़मीन पर कब्ज़ा करके यहूदियों को बसाया और जब जब फिलिस्तीन के लोगो पर ज़ुल्म होता है यूरोप का ईसाई देश हर तरह से इस्राएल की मदद करता है।

लेकिन ये सबके बीच अरब मुमालिक किधर है?

फिलिस्तीन मसला अरबो के सियासी नाकामी और अपाहिज तरिक ए हुकूमत का नतीजा है। 

कहाँ है वह अरब मुमालिक, जिन्हे मुसलमानो का रहबर बनने का शौक है?

ओआईसी में जो 57 मुमालिक हैं, उसमें आधे से ज्यादा अमेरिका के बहुत क़रीबी दोस्त हैं. फिर वो तुर्की, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, जॉर्डन, सऊदी अरब, UAE, मिस्र, मोरक्को. ये लंबी लिस्ट है.

अरब के हुकमराँ फ़लस्तीनियों के समर्थन में कुछ बोलकर रस्मअदायगी कर लेते हैं. जहाँ तक तुर्की की बात है तो उसने सबसे पहले इस्राएल को तसलीम किया था, अरबो के पास धन है बल नही। अरबो की अय्याशी, आराम पसंद की वज़ह। से आज फिलिस्तीन गुलाम है यहूदियों का।

सऊदी अरब ख़ुद को मक्का-मदीना का रखवाला बताता है. ओआईसी का दफ्तर भी जेद्दा में है. ईरान ही ऐसा देश है जिसकी नीति हमेशा से फ़लस्तीन के पक्ष में और इसराइल के ख़िलाफ़ रही है."

सऊदी अरब के आम लोगों की हिमायत फ़लस्तीनियों के साथ बहुत ही मज़बूत है.
ईरान ख़ुद को क्रांतिकारी स्टेट मानता है, इसलिए वो फ़लस्तीनियों के समर्थन में बोलता है।
तुर्की या सऊदी अरब से इसराइल का कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला है। अरबो का सबसे वफादार दोस्त 1948 से अमेरिका रहा है, लेकिन जब जब इस्राएल ने फिलिस्तीन पर ज़ुल्म किया तब तब अमेरिका और दूसरे ईसाई मुमालिक दहशत गर्द इस्राएल का साथ दिया। लेकिन अरबो को उस कोई फर्क नही पड़ा और वे ऐसे ही ईसाइयों के साथ दोस्ती करते आये।

अरबो का मुहाफ़िज़ अमेरिका, इस्राएल को पैदा करने वाला और बड़ा करने वाला भी अमेरिका है। एक तरफ अरबो से तेल और गैस लूटने के लिए साथ है तो दूसरी तरफ इस्लाम मुखलिफ् रिवायत की वज़ह से इस्राएल के साथ है।

अरबो के पास जो कुछ है उसका चाबी अमेरिका के पास है, उसके बगैर इजाज़त के UAE, सउदि अरब, ओमान, बहरीन, कुवैत जैसे अरब मुमालिक कुछ नही कर सकते है, क्योंके अरबो की अपना फौज नही है बल्कि अमेरिका की सेना को भारे पर रखे हुए है भला ऐसे अपाहिज बादशाह क्या कर सकता है? अगर वह कुछ करने की सोचेगा भी तो फौज साथ नही देगी। अमेरिका हथियार और फौज से इस्राएल को मदद करता है, अरब देश किस फौज से लड़ेंगे?

किधर है वह सुन्नी मुसलमानो का रहनुमा ?
किधर है वह OIC का हेड जो अपनी मन मर्ज़ी से दूसरे मुस्लिम मुमालिक को अलग थलग करने मे लगा रहता है।
कहाँ है वह 40 देश के आर्मी चीप  जो UN के कहने पर शांति सेना भेजता है?
कही ये OIC (Orgnization of Israels Co -Opration) to nahi.

किधर है वह अरब मुमालिक जो अमेरिका की चाकरी करने और मुखबिरी करने मे लगा रहता है, उसका दोस्त अमेरिका और ब्रिटेन किधर है? जिसने उस्मानिया सलतनत से आज़ादी के लिए अंग्रेजो का साथ दिया था?

अगर जंग लंबी चली तो क्या करे?

अमेरिका और दूसरे ईसाई देश इस्राएल को हर तरीके की मदद कर रहे है, चाहे वह सामरिक, आर्थिक हो या कूटनीतिज्ञ।  अरब व दूसरे मुसलमान हुक्मरानो और तंजीमो को भी चाहिए के लंबी जंग की तैयारी शुरू करे।
जिन मुल्को के पास पैसे है वह आर्थिक मदद और राजनीतिक मदद करे, जिनके पास हथियार है वह खुफिया महकमा से मदद करे, मुजाहेडीन को जंगी तरबियत दे, उसे खुफिया सूचना दे, मीडिया, स्तंभकार, ब्लॉग्गर व दूसरे तरीके से फ्रीडम फाइटर्स की हौसला अफ़ज़ाई करे, उनकी सॉफ्ट तरीके से मदद करे।

आज इस्राएल सिर्फ हथियारो और फौज से ही नही लड़ रहा है बल्कि डिजिटल वार भी कर रहा है, जिसमे फिलिस्तीन और मुज़हीदीन के खिलाफ अफवाह व झूठा खबर फैलाना शामिल है, लोगो को गुमराह करना जैसे हथकंडे मौजूद है।

यहूदि और ईसाई झूठ अफवाह फैलाने मे बहुत माहिर है,।
अमेरिका ने इराक के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने सद्दाम हुसैन के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने लीबिया के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने अफगानिस्तान के बारे मे झूठ बोला
अब अमेरिका फिलिस्तीन के मामले पर झूठ बोल रहा है।

फलस्तीनियों के नरसंहार को रोकने के लिए अरब मुस्लिम देश यदि इस्राइल से जंग नहीं लड़ सकते तो कम से कम इस्राइल को तेल, गैस सप्लाय बंद करें.

इस्राइल से व्यापार बंद करें. अपने यहां से इस्राइल सफिर (राजदूत) को निकालें.
UN में जंग रोकने और इस्राइल पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव लाएँ. यदि अमेरिका  ब्रिटेन वीटो करते हैं तो उनसे भी रिश्ते खत्म करें.

दुनिया अफगानिस्तान की तालीबान सरकार के बारे मे तरह तरह की बातें कर रही थी, समावेशी नही है, उदार नही है, औरतों की आज़ादी नही है, इंसानि हुकुक का ख्याल नही है, आज वही अमेरिका, UN, नामनिहाद् लोकतन्त्र के रखवाले ढोंगी जो कल तक तालीबान को दर्स देता था आज वह इस्राएल के ज़ुल्मो पर खामोश क्यो है?
अमेरिका जो बोलता है दुनिया और उसके पिछलग्गू मुल्क उसी को दोहराते है, फिरंगियों का राजभक्त और USA का अनुयाई बनकर उसी की प्रचार करते है।

अफगानिस्तान मे तालीबान की सरकार को तसलीम करे, उनसे रिश्ते बनाये, कम से कम UN मे एक वोट तो बढ़ेगा, ये करने से कौन रोक रहा है, लेकिन मुस्लिम हुकमराँ को जब तक अमेरिका इजाज़त नही दे देता तब तक ये कुछ नही करते। दूसरी तरफ उसी अमेरिका के तरफ से इस्राएल को खुली छुट मिली है।

अमेरिका दुनिया के हर कोने मे दो विरोधियो को पैदा करता है मगर अमेरिका का दोनो से दोस्ती रहता है, एक समझता है के वह मेरा है, दूसरा उसे अपना खासम खास दोस्त समझता है। लेकिन दोनो को इसी कसमकश् मे रख कर वह अपना मकसद पूरा करते रहता है। वह कभी किसी का नही हो सकता, जिसने समझ गया उसने अमेरिका का साथ छोड़ दिया, जिसने समझ कर भी उसको गले लगाया उसने खून के आंसू रोया, बार बार धोका खाया और जिसने नही समझा उसने ज़हर को पानी का घूँट समझ कर पिया।

यही पॉलिसी  ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश सम्राज्य की थी, यही रोमन सलतन्त् की थी और मॉडर्न दौर मे अमेरिका का भी यही तरीका रहा है। Divide and Rule उसके बाद Use and throw.

कम से कम मुस्लिम अरब देशों से इतनी उम्मीद की जा सकती है. अगर इतना भी नहीं कर सकते तो चुल्लू भर पानी में डूब मरें.

आज अवाम फिलिस्तीन के साथ खडा है लेकिन मुस्लिम हुकमरां इस्राएल के साथ।

मिस्र, और पाकिस्तान की फौज पहले से ही अपने आका अमेरिका से डॉलर लेकर सोगया, तुर्किये जो NATO का मेंबर है, वहाँ के सदर Erdogan जो बर्रे सगीर ले मुसलमानो का खलिफ्तुल् मुस्लेमीन बना था आज सिर्फ ब्यान जारी कर रहा है।

जब मुसलमानो पर ज़ुल्म होता है तो दुनिया सारी इंसानी हुकुक, UN चार्टर भूल जाती है, लेकिन जहाँ गैरो के साथ कुछ होता है तो सारी एजेंसिया अचानक हरकत मे आजाती है कैसे?

फिलिस्तिनियो के लिए जो मुहब्बत और हिमायत यूरोप के ईसाई देशो मे देखने को मिल रहा है, और जिस तरह अवाम का समर्थन मिल रहा है वैसा समर्थन ख्वाजा के हिंदुस्तान, काएद ए आज़म के पाकिस्तान, नमनिहाद् खलिफ्तुल् मुस्लेमीन एरदोगन के तुर्किये मे नही मिला। अरबो का तो छोर ही दीजिये, उनके ख़ज़ाने की चाबी फिरंगियों के पास है लिहाज़ा वह अपाहिज हुकमराँ क्या कर सकते है? यूरोप के हुक्मरानो की मिलीभगत इस्राएल के साथ है, लेकिन अवाम फिलिस्तीन के साथ।

ऐ अबाबिल् को भेज कर खाना ए काबा की हीफाजत करने वाले अल्लाह, फरिशतो को नंगी तलवार देकर बद्र के मैदान मे उतारने वाले रब, मूसा को फ़िरौन के यहाँ पालने वाले मालिक, युसुफ को कुवें से निकालने वाले खालिक, ईसा को जिंदा आसमान पर उठाने वाले करीम, इब्राहिम को आग से बचाने वाले रहमान, युनुस को मछली के पेट से निकालने वाले रहीम फिलिस्तीन के मजलुमो, मुज़हदिनो, माओं, बहनो, की मदद फरमा। या अल्लाह तेरे लश्कर बहुत सारे है अपने किसी लश्कर को भेज कर मस्ज़िद ए अक्सा की हीफाजत फरमा और दुश्मनो को नेसत् व नाबूद कर दे, उसे तबाह कर दे। आमीन

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Palestine: Yahud O Nasara Ek Sath, Palestine ko Kaun de raha hai Madad?

Aaj Palestinian ke  Sath kaun hai?

एक रिवायत है के अल्लाह के नबी ने फरमाया के उस वक़्त तुम्हारी क्या कैफियत होगी जब तुम्हारे खिलाफ दुनिया की सारी क़ौमे एक दूसरे को ऐसे दावत देगी जैसे खाने के मेज पर दावत दी जाती है? सहाबा ने पूछा क्या उस वक़्त हमारी तादाद कम होने की बिना पर होगा? अल्लाह के नबी ने फरमाया नही बल्कि उस वक्त तुम्हारी तादाद बहुत ज्यादा होगी लेकिन तुम्हारे दिलो मे "वहम" डाल दिया जायेगा। सहाबा ने अर्ज़ किया अल्लाह के नबी "वहम" क्या चीज है? अल्लाह के नबी ने फरमाया "दुनिया से मुहब्बत और जिहाद से नफरत".

ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।
 

यहूद ओ नसारा एक साथ - फिलिस्तीन को किसका साथ?

मानवाधिकार पर उपदेश देने वाला अमेरिका इस्राएल के आतंक पर खामोश क्यो है?

फिलिस्तीन मे अरब कब से आबाद है?

मुसलमानो का रहबर अहले अरब फिलिस्तिनियो पर हो रहे ज़ुल्म पर खामोश क्यो?

मस्ज़िद ए अकसा से मुसलमानो का क्या ताल्लुक़ है?

फिलिस्तिनियो के लिए जो मुहब्बत और हिमायत यूरोप के ईसाई देशो मे देखने को मिल रहा है, और जिस तरह का समर्थन मिल रहा है वैसा समर्थन ख्वाजा के हिंदुस्तान, काएड ए आज़म के पाकिस्तान, नमनिहाद् खलिफ्तुल् मुस्लेमीन के तुर्किये मे नही मिला। अरबो का तो छोर ही दीजिये, उनके ख़ज़ाने की चाबी फिरंगियों के पास है लिहाज़ा वह अपाहिज हुकमराँ क्या कर सकते है? यूरोप के हुक्मरानो की मिलीभगत इस्राएल के साथ है, लेकिन अवाम फिलिस्तीन के साथ।

अमेरिका का बनाया हुआ UNO फिलिस्तिनियो का हक देने मे नाकाम रहा, अमेरिका से अरबो की दोस्ती फिलिस्तिनियो के खून बहाने पर टिका है।
आज वह 57 मुस्लिम मुमालिक किधर है?

शहादत है मत़लूब मक़सूद मोमिन 

ना माले ग़नीमत ना किश्वर कुशाई।

निहायत अहम सवाल।

फिलिस्तीन के मुसलमानो के साथ कौन खडा है?

जवाब आया... पहले खुद के मसाएल तो हल करें, हमारे आसपास  बहुत से मजलुम है पहले उसकी बात करे फिर फिलिस्तीन की सोचेंगे?

लेकिन इस्लाम कहता है। मोमिन एक जिस्म की मानिंद है जैसे जिस्म का कोई भी हिस्सा तकलीफ मे होता है तो पुरा जिस्म भी तकलीफ मे होता है। दीन ए इस्लाम मे सरहद की कोई अहमियत नही, मुसलमान दुनिया के किसी भी खितते मे हो वह एक जिस्म है।

फिर सवाल किया गया के मजलुम तो पूरी दुनिया मे है
फिर हम फिलिस्तीन को क्यो अहमियत दे?

बात यहाँ ज़ुल्म के साथ साथ क़ीबला ए अव्वल का है, उस मुकद्दस जगह की है जहाँ से हमारे आखिरी नबी को मेराज का सफर कराया गया।

सबसे पहले उनके दुखो को समझे जहाँ यहूदियों ने उसका पानी, बिजली, खाना, इंटनरेट सबकुछ बंद कर रखा है, दिन रात बॉम्बारी हो रही है, घरों, स्कूलों, अस्पातालो और कॉलेजों पर बॉम्ब गिरा कर तबाह कर दिया, फिलिसीटीनियो के कंधो पर शहीदो के मैय्यत है।

सारी दुनिया मे 5 वक़्त की नमाज होती है। फजर, ज़ोहर, अशर, मगरिब् और ईशा लेकिन ग़ज़ा के लोग इसके साथ साथ जनाज़े की भी नमाज पढ़ते है।

जहाँ एक जनाज़े को क़ब्रिस्तान तक पहुचाने मे कितने जनाज़े की जरूरत होती है।

वे हमारे जिस्म के टुकड़े है  जो अभी सबसे जयादा दुनिया मे ज़ुल्म सह रहे है.. वे हमारे बच्चे है जिनके माँ बाप शहीद हो चुके है और उनके मैय्यत पर भूखे प्यासे रोये जा रहे है.. उनको कोई दिलासा देने वाला नही, उनको आज चुप कराने वाला कोई नही, जो जिंदा है उनके पास खाने के लिए कुछ नही और जो शहीद हो गए उनको कंधा देने वाला कोई नही।

वह हमारी बा हया पर्दा दार बच्चिया है जिनकी इज़्ज़ते महफूज नही, यहूद ओ नसारा उनके जिस्मो से खेल रहे है। क्या आपको गैरत नही आती?

आने वाली नस्लें ये तारीख याद रखेगी एक वक़्त था जब मुसलमान इतने बेगैरत हो गए थे के मजलुम मुसलमान भाई बहन चींख रहे थे। मर्द शहीद हो रहे थे, बच्चो को बॉम्बारी करके नस्ल क्शी की जा रही थी, पर्दा दार औरतों को बे पर्दा किया जा रहा था, जवान लड़कियो की इज़्ज़त लूटी जा रही थी लेकिन 57 मुमालिक होते हुए कोई मदद के लिए नही आया।

जो शहीद हुए वह जन्नत मे जायेंगे, लेकिन तुम किस शकल को लेकर जन्नत मे जाओगे।

जज़्बाती और जल्दबाजी मे कोई कदम नही उठाये,आज के मुसलमानो से सब्र नही होती वे जज़्बात मे बहक जाते है तैयारी मुश्किल लगती है।

अल्लाह किसी शख्स को उसकी ताक़त से ज्यादा ज़िम्मेदारी नही सौंपता

हुकमरानो पर दबाओ डालें के वह कुछ करें, क्योंके हुकुमती सतह पर ही कारवाई किये जा सकते है

माली (आर्थिक) मदद करे लेकिन पहले तहकिक कर लें के वह एदारा फर्जी न हो, क्योंके पैसे के लालची, दयुस्, पुजारियो को एहसास नही होता के यह मजलुमो का पैसा है।

लोगो को आगाह करे, इसकी खबर दूसरे भाईयो तक पहुचाये, पैसे से मदद करने की सलाहियात् हर किसी की नही होती लिहाजा जबरदस्ती नही करे, और तरीके भी है मदद करने के।

सोशल मीडिया पर एक अंदाज़ से लोगो को आगाह करे, एहसास ए उम्मत पैदा करे। सिर्फ सोशल मीडिया ही नही, मस्ज़िदों मे इमाम से दुआ करने को कहे, मदरसो मे उलेमा को इसकी इत्तला करे ताकि वह लोग मजलुमो के लिए दुआ कर सके।

दोस्तो, रिश्तेदारों, फैमिली मे इस पर बहस करे, अगर आप की बातो पर कोई ध्यान नही दे रहा है तो सवाल करे बड़ों से के फिलिस्तीन के लिए हम क्या कर सकते है?
दुसरो से सवाल करे, उनको यह बुरी बात भी नही लगेगी और इस तरह ऐसे मौजू पर गुफ्तगु भी हो जाती है।
बच्चो से भी इस पर चर्चा करे, उनके जेहन मे डाले , उनको क़िस्से कहानियों की तरह तारीख बताये। ताकि  उनके जेहन मे अभी से दिलचस्पी बढे इसके बारे मे जानंने की।

यहूद व नसारा के बनाये हुए सामान् का बॉयकॉट करे, आज इस्राएल के साथ पुरा नसरानी खडा है, वह इसलिए के हम उम्मत ए मुहम्मदिया है। यहूदियों पर सबसे ज्यादा ज़ुल्म हुआ तो वह ईसाइयों ने किया यूरोप मे, लेकिन आज मुसलमानो के खिलाफ दोनो एक साथ है, स्पेन के 800 सालों की मुसलमानो की हुकूमत यहूदियों की वज़ह से ही खत्म हुई।

ट्विटेर का मालिक एलन मुस्क ने इस्राएल का साथ देते हुए वहां फ्री ऑफ कोस्ट सर्विस देने की बात कही है।

खाना पहुचाने वाली कंपनिया Mac Donald यहूदियों को फ्री मे खाना खिलाने का एलान किया है, जबकि इसकी जरूरत फिलिस्तीन के लोगो को थी लेकिन उसने यहूदियों का साथ दिया, आज गजा के लोग खाने खाने को मोहताज है।

युक्रेन के मामले मे ईसाई सोशल मीडिया ने एलान किया था के जो कोई भी रूस के खिलाफ जंग के लिए उक्सायेगा उसको फेसबुक बढ़ावा देगा, लेकिन आज इजरायली आतंकियो के हमले पर फिलिस्तिनियो के हक की आवाज़ उठाने वालो की id ब्लॉक कर रहा है, आपको रोका जा रहा है ग़ज़ा के लोगो के उपर यहूदियों के होते ज़ुल्मो को दुनिया के सामने रखने पर।

आपको ब्लॉक कर दिया जा रहा है फिलिस्तीन के दुआ करने पर।

जितनी भी कंपनिया Google, Facebook, Twitter, Instagram, YouTube, etc ये सब ईसाइयों की है और अमेरिकन कंपनी है, अमेरिका के साथ साथ पुरा ईसाई मुमालिक यहूदियों के साथ है मुसलमानो के क़त्ल ए आम मे शामिल। ये कंपनिया इंफोर्मेशन वार कर रही है, इस्राएल को ये कंपनिया और वेस्टर्न मीडिया मजलुम साबित करने मे लगी है।

ईसाइयों की मीडिया, ईसाइयों की यूनियन EU, ईसाइयों का बनाया हुआ ग्लोबल ऑर्डर (UN) आज सब इस्राएल की मुखबिरी कर रहा है। ये यहूदियों की प्रोपगैंडा न्यूज़ को फैला रहा है।

जज़्बाती नारे कभी न लगाए ।
इजरायली कंपनी का हमेशा के लिए बॉयकॉट करे, पहले उसके प्रोडक्ट की तहकिक कर ले।

सालों तक मुस्लिम विरोधी / इस्लाम मुखलिफ् आंदोलनों को सरकारी समर्थन देना अमेरिका, UK, Israel दूसरे यहूद व नसारा की ज़िंदगी का हिस्सा रहा है.

इस क़त्ल ए आम मे कौन इस्राएल का साथ दे रहा है?

जितना फिलिस्तिनियो के खून का ज़िम्मेदार आतंकी इस्राएल और ईसाई देश है उतना ही ज़िम्मेदार UAE जैसे अरब मुमालिक है, #Palestenian को मारने के लिए अमेरिका ने जो हथियार भेजे है वह UAE के बंदरगाह पर उतरा वहाँ से दहशतगर्द यहूदियों के यहाँ जायेगा। अहले अरब ने फिलिस्तीन के खून का सौदा अपनी हुकुमत और पैसे से कर लिया है।

इजरायली नरसंहार को ईसाई देशों का समर्थन हासिल है, अमेरिका के सेनाटर् इस क़तलेआम को "Holly war" बता रहा है, वह इसे इस्लाम और मुसलमानो के खिलाफ क्रुशेड कहता है लेकिन तथाकथित इंसानी हुकूक और लोकतन्त्र का रक्षक इसपर न सिर्फ खामोश है बल्कि इसका साथ भी दे रहा है। क्या कोई इसे यहूदि आतँकवाद या ईसाई आतँकवाद कह सकता है?

मुसलमानो के खिलाफ पहले इंग्लैंड अब अमेरिका और उसका बनाया हुआ UNO काम करता रहा है।

इस्राएल और ईसाइयों का प्रोपगैंडा वार।

इस्राएल फिलिस्तीन के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने मे बहुत माहिर है, वो नरसंहार करने से पहले "प्रोपगैंडा वार" करता जिसका साथ यूरोप से लेकर एशिया तक के Columnist, Reporter, Anchor, Actor, Artist aur Leader, Speaker,Scholar देते है। इसलिए किसी भी वीडियो को देख कर अपनी राय न बनाये।

जब वेस्ट के मीडिया का झूठा प्रोपगैंडा पकडा गया तो ईसाई देश के नेता और राजनेता खुद इस्राएल का मुखपत्र बन कर एजेंडे के तहत तैयार किया गया अफवाह फैला रहा है, इसमे हिंदी मीडिया और नामनिहाद् सेकुलR, लिब्रल्स रिपोर्टर शामिल है।

आखिर अमेरिका को इतना डर किससे है के खुद झूठा प्रचार कर रहा है ।

प्रोपगैंडा न्यूज़ फैलाने मे यूरोप पुराना खिलाडी है
मुसलमानो के खिलाफ।

जिस तरह इस्राएल 1948 से मुसलमानों पर बॉम्बारी कर रहा है उस पर आजतक UNO ने चिंता ज़ाहिर नही किया, मनवाधिकार पर भाषण देने वाला, लोकतन्त्र की गुजार लगाने वाला ब्रिटेन अमेरिका फिलिस्तीन मे क़त्ल ए आम पर क्यो खामोश हो जाता है।

ये सलेबी मुल्को का उसूल की बुनियाद ही मुसलमानो के खून बहाने पर है।

अहले अरब ईसाई मुल्को के गोद मे जाकर बैठा है, अरब के बादशाह कोई खुदमुख्तार बादशाह नही है बल्कि वो अमेरिका का बैठाया हुआ गोवर्नोर है, जो अपने हुकमराँ के इशारे पर, हुकूमत के फरमान पर काम करता है।

57 मुस्लिम मुमालिक मे से अवाम फिलिस्तिनियो के साथ है, लेकिन मुस्लिम हुकमरां इजरायली एजेंटो के साथ है जो छुप छुप कर मुनाफीको के जैसा काम कर रहा है।

मुसलमान अपने हुकूमत से मुतालबा करे, सऊदी अरब, इराक, लीबिया, UAE तेल पैदा करने वाले कतर गैस निकालने वाले मुल्क है। लेकिन ये फिलिस्तिनियो के खून के भी प्यासे है। अरबो के पास अपना फौज नही है, वे ईसाइयों के फौज को अपना मुहाफ़िज़ बनाये हुए है। इस तरह से वे फिलिस्तिनियो की मदद करने के बजाए अमेरिका से अपनी हुकुमत के बदले फिलिस्तिनियो के खून का सौदा किये हुए है।

अगर वे चाहते तो आल्मी मार्केट मे तेल और गैस की सप्लाई को बन्द कर सकते थे, जिससे दुनिया जल्द से जल्द इस्राएल के आतंक को खत्म करने की कोशिश शुरू करती।
इस्राएल सिर्फ ग़ज़ा पर बॉम्बारी नही कर रहा है बल्कि वह ग़ज़ा और पूरे फिलिस्तीन को दुनिया के नक्शे से मिटाने की कोशिश कर रहा है।

अरबो ने अपनी सियासत का मरकज़ अमेरिका बना रखा है, जिसे दुनिया की दूसरी कुव्वते चीन व रूस इससे अलग है। जब भी फिलिस्तीन का मामला हुआ ईसाइयों ने आतंकी इस्राएल का साथ दिया। फिलिस्तिनियो पर बॉम्ब गिराने वाला IDF को आज तक अमेरिका ने  दहशत गर्द तस्लीम क्यों नही किया?

फिलिस्तिनियो का साथ कभी यूरोप ने नही दिया, जब जब अरबो ने इस्राएल से और अमेरिका से करीबी बढ़ाया अरबो को नुकसान ही हुआ है। अरबो को चाहिए के ईसाइयों और यहूदियों के मुल्क से रिश्ते खत्म कर लें।

आज अमेरिका का दोस्त सऊदी अरब, क़तर, तुर्किये, पाकिस्तान, UAE, बहरीन, जोर्डन, ओमान जैसे मुस्लिम देश है लेकिन ये ईसाई मुल्क इस्राएल के साथ खडा है। ये मुल्को को अमेरिका से हटकर चीन से रिश्ते बनाना चाहिए। जिस वक़्त इस्राएल ग़ज़ा के लोगो पे सफेद फॉस्फोरस गिरा रहा है जिसे UN ने पाबंदी लगाया हुआ है उस वक़्त अमेरिका मनवाधिकार और प्रेस की आज़ादी भूल कर इस्राएल को हथियार और पैसे दे रहा है फिलिसितनियो को खत्म करने के लिए।
यह अमेरिका का बनाया हुआ वर्ल्ड ऑर्डर आज तक फिलिस्तिनियो को उनका हक दिलाने मे नाकाम रहा क्योंके यह ग्लोबल ऑर्डर नही Zewish ऑर्डर है।

हमे तो अपनो ने लूटा गैरो मे कहाँ दम था
मेरी कश्ती थी वहाँ डूबी जहाँ पानी कम था।

ऐ अबाबिल् को भेज कर खाना ए काबा की हीफाजत करने वाले अल्लाह, फरिशतो को नंगी तलवार देकर बद्र के मैदान मे उतारने वाले रब, मूसा को फ़िरौन के यहाँ पालने वाले मालिक, युसुफ को कुवें से निकालने वाले खालिक, ईसा को जिंदा आसमान पर उठाने वाले करीम, इब्राहिम को आग से बचाने वाले रहमान, युनुस को मछली के पेट से निकालने वाले रहीम फिलिस्तीन के मजलुमो, मुज़हदिनो, माओं, बहनो, की मदद फरमा। या अल्लाह तेरे लश्कर बहुत सारे है अपने किसी लश्कर को भेज कर मस्ज़िद ए अक्सा की हीफाजत फरमा और दुश्मनो को नेसत् व नाबूद कर दे, उसे तबाह कर दे। आमीन

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Palestine: Aap kiske Sath hai Freedom Fighter ke ya Terrorist State Israel ke? Palestine liberation.

Palestine ka Sath kaun dega?

फिलिस्तिनियो को आतंकी कौन बता रहा है?
फिलिस्तिनियो के साथ कौन खड़ा है? इस्राएल को ईसाई देश क्यो समर्थन दे रहे है?

ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।

अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कम से कम 33 बार इसराइल के लिए किया है.

" तुम मेरा पानी ले लो, मेरे पेड़ो को जला दो, मेरे घरों को तबाह कर दो, नौकरियां छीन लो, मां बाप की हत्या कर दो, मेरे देश में धमाके करो, हमे भूखा रखो, अपमानित करो लेकिन हमे इन सबके बदले एक रॉकेट दागने के लिए दोषी ठहराओ "

उपर जो आप सब ने पढ़ा अगर वैसा ही हाल आपका का हो जाए तो आप क्या करेंगे?

 
अगर बिजली काट दी जाए, घरों को तबाह कर दिया जाए और रोज़ दिन रात आपके आशियाने पर मिसाइल और हेलीकोपट्रो से बॉम्बारी किया जाए तो आप क्या सोचेंगे और क्या करेंगे?

इससे भी ज्यादा बद्तरीन हालात है अरब के एक छोटे से खितते मे बसा फिलिस्तीन का।
जो ज़मीन फिलिस्तीन के लोगो का था उस पर जबरदस्ती यहूदियों ने कब्ज़ा करके अपना नया देश इस्राएल बनाया 1948 मे।

"We Should Fight The information war this time with zionist, salebi and west propganda machine, keep commenting, writing & breaking lies they spread. Don't need to be sorry, conddemn, its time to support Palestine, Mujahiden, Freedom fighters & our Supporters."

मस्ज़िद ए अक्सा फिलिस्तीन से दुनिया के मुसलमानो का क्या ताल्लुक़ है?

आज मुस्लिम दुनिया का रहनुमा कौन है और किधर है?

फिलिस्तीन मे अरब कब से आबाद है और मकबूजा फिलिस्तीन (इस्राएल) कब बना?

दहशतगर्द इस्राएल कब बना, किसने बनाया से यहूदि स्टेट?

इस्राएल क्या पूरी तरह से अरब देश पर हमला करके उसे कब्ज़े मे ले लेगा?

इस्राएल अब ज़मीनी जंग शुरू करने जा रहा है उधर आतंकवादि अमेरिका ने इस्राएल का साथ देते ही हथियारो से लैश जहाज़ भेजा है, जिसमे एंटी क्रूज़ मिसाइल, गोला बारूद, एंटी शिप मिसाइल है।

यह शुरू होने से पहले यूरोप और इस्राएल मिलकर अफवाहों का बाजार गरम कर रहा था फिलिस्तिनियो के खिलाफ, ताकि गैर मुस्लिम दुनिया, मीडिया और तथकथित बुद्धिजीवी को अपने साथ ला सके। अगर इन लोगो को अपने खेमे मे रखेंगे तो ये लोग हमारे ज़ुल्म व ज्यादती, फिलिस्तिनियो के क़तलेआम पर मीडिया मे बहस के दौरान हमारी हिमायत करेंगे और मजलुम फिलिस्तीनईयो को आत्यचरि और आतंकवादि साबित करवा देंगे।
इस तरह से ये अभी इंफोर्मेशन वार शुरु किया है ताकि हमारे ज़ुल्म की इंतेहा पर पर्दा डाला जा सके। यूरोपियन मीडिया और हिंदी मीडिया चाहे उदारवादी हो या दक्षिणपंथी सबने फिलिस्तीन पर हो रहे ज़ुल्म को न दिखा कर फिलिस्तीन के लोगो के हाथ मे कंकर और पत्थर को दिखा रहे  है।

लेबनान के इलाको पर भी आतंकवादि इस्राएल ने बॉम्बारी की और अब ज़मीनी आतंकियो के जरिये अगल बगल के सारे देशो पर हमला करेगा लेकिन मानवाधिकार का लबादा ओढ़ने वाला अमेरिका और यूरोपीय देश इसमे इस्राएल को हर तरह से चाहे सामरिक,आर्थिक या राजनीतिक मदद कर रहा है।

अब तक 1000+ फिलिस्तिनि शहीद हुए और 2500 ज़ख़्मी है। वहाँ के अस्पताल मुर्दा घर बन गए।

लेबनान मे 50 लाख फिलिस्तिनि रहते है। पहले ये ग़ज़ा पर बॉम्ब बरसाया फिर अब मिस्र, जोर्डन और दूसरे मुल्को पर। इसे इजरायली सनक कह सकते है जिसे अपने आप पर बहुत घमंड है।

इस्राएल ने ग़ज़ा पट्टी पर फॉस्फोरस बॉम्ब भी गिराया है जिसे अमेरिका ने दुनिया को इसे इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाया हुए है।

मिस्र को आतंकवादि देश इस्राएल ने धमकी दिया के वह ग़ज़ा मे रहने वालो को अपने यहाँ पनाह न दे।

जिसने दुसरो के ज़मीन को कब्ज़ा करके खुद बसा आज वही फिलिस्तिनि लोगो को मार कर भाग रहा है लेकिन UNSC और मानवाधिकार की रट लगाने वाला, चीन कि विगर मुसलमानो पर तंकिद करने वाला इस्राएल को हथियार दे रहा है ताकि वह ग़ज़ा और फिलिस्तिनियो का सफाया कर सके। इसे बड़ा अपराध और क्या हो सकता है? इस्राएल जिसे ब्रिटेन ने पैदा किया और अमेरिका ने भरण पोषण किया। अब वह फिलिस्तिनियो के नर संहार के लिए हथियार और सियासी मदद कर रहा है।

फ्रांस, जर्मनी , इटली, ब्रिटेन और अमेरिका इनमें से कोई भी यहुदी देश नहीं है बावजूद इसके ये खुलेआम इज़रायल के साथ खड़े हैं। यहां तक की अमेरिका ने  आतंकी इज़रायल के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए व्हाइट हाउस में नीली और सफेद रंग की रौशनी की..

क्या इस्राएल अकेले 1948 से यह सब कर रहा है?

इस्राएल को ईसाई देशो से मदद मिलती है, चाहे वह लेफ्ट हो या राइट। अमेरिका मे यहूदि लॉबी काफी जड़े जमाये हुए है। इस्राएल को मुसलमानो का जनसंहार करने के लिए लेफ्ट, लिबरल, डेमोक्रेट सभी तबके के लोग अपने अपने तरीके से मदद करता है।

मगर इन सब के बीच मुस्लिम देशों का रवैया क्या है?

अगर आप फिलिस्तीन की आज़ादी चाहते है और इजरायली सामान खरीद कर इस्तेमाल भी करते है तो समझ जाए के आप फिलिस्तिनियो का खून बहाने, मस्जिदो पर बॉमबारी करने की फंडिंग कर रहे है। साथ साथ आप झूठ भी बोल रहे है के मै क़ीबला ए अव्वल की हीफाज़त चाहता हूँ।

57 मुस्लिम देश होते हुए भी फिलीस्तीन यतीमों की तरह अकेला मुसलमानों के बैतूल मुकद्दस की हीफाजत के लिए अपनी और अपने मुस्तकबिल के खून को पानी की तरह बहाए जा रहा है।
जो मजाहेदीन आतंकियो से मुकाबला करने की सोच रहे है उसे अमेरिका और दूसरे ईसाई देशों ने आतंकवादि कहा है?

हम आह भी करते है तो हो जाते है बदनाम
वह क़त्ल भी करते है तो चर्चा नही होता।

Western Ideology:
1) Ukraine  has the right to defend
2) Israel  has the right to invade

जो अपने मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ रहा है उसे ईसाई देशो ने दहशत गर्द का लकब् दिया लेकिन जो दुसरो के ज़मीन को नजायेज कब्ज़ा कर वहाँ के बाशिंदों को कसाई की तरह मार रहा है उसे यह ईसाई देश मदद कर रहे है।

अरब देशों ने फिलिस्तीन को उसके हाल पर छोड़ कर तेल बेचने और शाही खज़ाना भरने मे मसरूफ है
उसे बड़े बड़े होटलो और नंगी औरतों के साथ रहने से वक़्त ही नही बच रहा है के वह ग़ज़ा के लोगो के बारे मे सोचे। उसने पहले से आतंकी इस्राएल के आगे घुटने टेक दिये है।

इन सब मे आम मुसलमानो को क्या करना चाहिए?

मुसलमानो को यह बात समझ लेना चाहिए के कोई भी अगर आपकी मदद कर रहा है तो उसके पीछे अपना मकसद छिपा रहता है? चाहे देशी लिब्रल्स हो या नामनिहाद् औरतो के आज़ादी के मतवाले। वह आपकी पहचान मिटाकर एक अलग दुनिया मे रखना चाहते है जहाँ आप उसकी मर्ज़ी से ही कुछ कर सकते है। आप दुसरो के ज़ुल्म पर मजलुमो का साथ देंगे, लेकिन जब आप पर ज़ुल्म होगा तो आप खुद को अकेला पाएंगे।

आप के साथ कोई खडा नही होगा। युक्रेन के साथ कितने ईसाई देश खड़े है, और सारी दुनिया को यह कह रहे के युक्रेनी लोगो का साथ दे, लेकिन यहूदि देश ने फिलिस्तीन पर हमला किया तो कितने देश आपके साथ खड़े हुए?

मुसलमान दुसरो को इंसाफ दिलाने वाला क्यों जब खुद पर ज़ुल्म होता है तो अकेला रह जाता है उसका कोई साथ नही देता। यहाँ तक के नामनिहाद् इस्लामिक मुल्क कहने वाला भी।

अमेरिका  अफगानिस्तान पर हमला किया मनवाधिकार के लिए,
इराक पर हमला किया झूठा अफवाह फैला करके, उसके पास विनाशकारी हथियार है।
वियतनाम पर हमला किया वहाँ अपना कठपुतली सरकार बनाने के लिए
वगैरह बहाने बनाकर।

दुनिया भर मे सारे देशों पर हमला करके उसे बर्बाद करने वाला सारी दुनिया को लोकतंत्र और मनवाधिकार का सबक सिखाता है। जब वह खुद दुसरो पर हमला करता है तो क्या वह अपना बनाया हुआ ग्लोबल ऑर्डर भूल जाता है, या उसका बनाया नियम उसे इसकी पूरी आज़ादी देता है?

आज जब ग़ज़ा पर आतंकी इस्राएल हमला किया तो उसका साथ देने सलेबी मुमलिक तैयार है लेकिन मुसलमानो पर हुकमरानी करने वाले सलेबी और सह्युनि एजेंट छिप कर इस्राएल का साथ दे रहे है।

इसलिए के ग्लोबल ऑर्डर के वह जाल मे फंसे हुए है। अमेरिका के बनाये हुए जाल मे फंसे हुए है जिसका नतीजा फिलिस्तिनियो को चुकाना पड़ रहा है।

आम मुसलमानो को सलेबियो की तरफ से शुरू हुआ डिजिटल वार का जवाब देना चाहिए, यह इंफोर्मेशन वार फिलिस्तिनियो के खिलाफ शुरू किये है ताकि खुद को मीडिया मे डिजिटल मजलुम साबित करे।

मुसलमान अरबो से उम्मीद न लगाए वह अपने खज़ाने को देख रहे है, लिहाज़ा आप सब फिलिस्तिनि माँ, बहनो, भाईयो के लिए दुआ करे और उनकी आज़ादी के इस मुहिम मे साथ दे।

आप वहा जा नही सकते, आप के पास उसे देने के लिए न हथियार है न पैसे लेकिन आप दुआ कर सकते है मासूम फिलिस्तिनियो के लिए, लोगो से उनका साथ देने के लिए कह सकते है।

इस्राएल फिलिस्तीन के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने मे बहुत माहिर है, वो नरसंहार करने से पहले "प्रोपगैंडा वार" करता जिसका साथ यूरोप से लेकर एशिया तक के Columnist, Reporters, Anchors, Actor, Artist aur Leaders साथ देते है। इसलिए किसी भी वीडियो को देख कर अपनी राय न बनाये। बल्कि आपके पास इतिहास और 1948 से अबतक हुई घटनाएं मौजूद है उस पर नज़र दौराये। 1948 से अबतक बेशुमार मासूमो का क़त्लआम करने वाला आतंकी इस्राएल और उसका साथ देने वाला ईसाई देश एक वीडियो क्लिप से बेगुनाह साबित नही हो सकता है।

किसी नामनिहाद् सेकुलर के बहकावे मे आकर उसके प्रोपगैंडा को कामयाब न बनाये। सलेबी मीडिया पूरे जोर शोर से इस्राएल के लिए "इंफोर्मेशन वार" शुरू किये हुए है जिनमे से कुछ ये है। BBC, CNN, The Guardian, washington Post, NewYork Times, Times of Israel, ABC वगैरह से होशियार रहे। ये इस्राएल के आतंक को लोकतन्त्र और मनवाधिकार के चादर मे डाल कर आपको स्विकार करने के लिए कहेंगे।

आज फ़लस्तीनी मसला एक भावनात्मक मुद्दा हो चुका है, और पूरी दुनिया में ही नहीं, या फिर अरब देशों या फ़लस्तीन के लोग मे ही नहीं, मुसलमानों में ही नहीं, जिस पर भी इंग्लैंड के उपनिवेशवाद या अमेरिका के साम्राज्यवाद का असर पड़ा है, या जो कोई भी शोषित हैं, उनमें ये फ़लीस्तीनीयों के लिए समर्थन धीरे धीरे फैल रहा है."

यह निहथे लोगो और आतंकवादि राज्य के बीच,

तानाशाह और विस्तारवादी रवैय्या और स्वराज के बीच लडाई है।

यह वैसा ही जंग है जैसे महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोष, भगत सिंह, वीर कुंवर सिंह, खुदीराम बोस, बाल गंगाधर तिलक, बटुकेश्वर दत्त, लाला राजपत् राय जैसे महापुरुषो ने लडी थी ईस्ट इंडिया कंपनी, ब्रिटिश साम्राज्य और उपनिवेशवाद के खिलाफ अपनी खुद मुखतारी और आज़ादी के लिए।

फिर कोई अगर फिलिस्तीन के फ्रीडम फाइटर को अपनी ज़मीन के लिए लड़ने, मुहिम चलाने पर आतंकवादि और क्रूर कहता है तो यह बात अंग्रेजो ने भी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कही थी। अंग्रेजो ने भी हिंदुस्तान के जाबाज सिपाहियों को स्वराज के लिए गद्दार और दहशत गर्द कहा था और रॉलेक्ट् एक्ट बनाये थे, फांसी पर चढ़ाया था खुदीराम बोस को।

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Democracy aur Musalman: Jamhuriyat aur Magribi tahzeeb ne Deen Ki jagah le li hai Musalamno ke andar.

Musalmano yah Democracy tumhara Nijam nahi hai, Yah Jinka Nijam hai Usool w zawabt, marzi bhi unhi ki chalegi.

Ye Jamhuriyat (Democracy) aur Magribi Tahjib ne Deen ki jagah le li hai.

Islam ke Khilaf European Propganda, Quran Jalana. 

Kya Watan se Muhabbat karna Iman ka hissa hai? 

Misr se shuru hua Fahaashi aaj Muslim duniya par kabza kar rakha hai? 

Spain ki tarikh: jahan 800 Saal ki hukumat ke bad aaj Firangiyo ka kabza hai. 

Kaisi Aazadi hai Jahan Musalmano ke Gharo ko Buldoz kar ke Jashn manayi jati hai? 

मुस्लिम मुमालिक ने इस्लाम को अपना दस्तूर माना लेकिन उस पर अमल नही
मगरीबि मुल्को ने अपना दस्तूर अकल को माना, तो उस पर अमल भी किया।
ज़ाहिर सी बात है के आने वाली नई नस्लें इस्लाम को लेकर बद्गुमानिया पालती और मगरीबि ख्यालात को सही और ज़दीद।

तुम्हारी तहज़ीब अपने ख़ंजर से आप ही ख़ुद-कुशी करेगी।
जो शाख़-ए-नाज़ुक पे आशियाना बनेगा ना-पाएदार होगा.

कुछ लोग सुबह शाम, उठते बैठते साइंस और टेक्नोलॉजी  मे मगरीब की मिशाल देते है, मगर तकलीद उनके फशक् व फुजूर, बेहयाई, फ़हाशि, हमजिंसीयत की करते है। ऐसे लोगो की मिशाल उस शख्स की तरह है जो हर वक्त कुत्ते की वफादारी की तारीफ करे मगर कुत्ते से सिर्फ भौकना सीखे।

कुछ नाम नेहाद, जदीद, आज़ाद ख्याल मुसलमान जो तौहीद से हटकर इल्हाद के तरफ जा चुके है ऐसो को मुसलमान कहना ही नही चाहिए और ये मुसलमान कहलाने मे शर्म महसूस करते है। ये इस्लाम को छोड़कर मगरीब के बेहया तहजीब के चिराग से रौशनी हासिल करने को रौशन ख्याली समझते है।

इस्लामी निजाम के खिलाफ लोगो को भड़काने, नफरत दिलाने और माइंड सेट बनाने के लिए यूरोप का देसी लिबरलस्, मुनाफ़िक्स, नामनिहाद हुकुक निस्वा के  जरिये एक मुहिम चलाया जा रहा है। वह इसलिए के  मगरीबि हुकमराँ इस्लामी निजाम से खौफज़दा है। वह समझते है के ऐसा न हो के हमारे अंदर भी लोग इस्लामी निजाम का दावा करे।

पहले मगरिब् का फलसफा था के मज़हब हर शख्स का जाती मसला है, रियासत (State) मज़हब से अलग रहेगी। इसलिए पहले लोगो को इस फल्सफ़े के तहत मज़हब - दिन से दूर किया, अब इन का नया फलसफा है के मज़हब जाती जिंदगी मे भी नही होनी चाहिये  इसलिए मज़हब को जाती जिंदगी से भी खतम करने की मुहिम शुरू की गयी है। लिहाजा पहले रियासती और अब इन्फरादि सतह पर भी किसी का कोई मज़हब नही होना चाहिए।

देसी लिबराल्स और मुनफिकिं की थ्योरी

अफ़ग़ानिस्तान अमेरिका का मसला हो तो अमेरिका के साथ, इस्राएल फिलिस्तीन का मामला हो तो इस्राएल इनको हक पर नज़र आता है, यूरोप कुरान जलाने को आज़ादी बताये और इस्लाम विरोधी प्रोपगैंडा करे तो वह आधुनिक और आज़ादी ख्याल, अमेरिका ईरान के साइंसदाँ पर मिसाइल गिराए तो अमेरिका उदारवाद और ईरान कटरपंथ, मुसलमान कुरान जलाने का विरोध करे तो शरणार्थी और चरमपंथी, मुस्लिम रियासत मे औरतों को हिजाब पहनने को कहा जाए तो तुच्छ, दकियानुसी, कट्टरपंथी और महिला विरोधी, नारीवादि tv पर अपना बाल काटने शुरू कर देते है और इस्लामी को महिला विरोधी बताते है। फ्रांस अपने यहाँ मुसलमान औरतो को अबाया, हिजाब, बुर्का पर पाबंदी लगाए तो वह मॉडर्न, आज़ाद ख्याल और मजहबी रवादारी, वह अरबी को गोलिया मारे तो वतन प्रस्त। मुसलमान किसी मसले पर इकट्ठा हो जाए और इतेफाक रखे तो कट्टरपंथी और शिद्दत पसंद। 

आपको कमज़ोर इस तरह से किया गया, कि आपको लगता रहा कि आप ही तो ताकतवर हैं, लेकिन अंजाम ये हुआ कि ताकत तो कब की छिन चुकी थी,बस रह गया था ,तो बस एक नाम ,जो अब छीना जा रहा है,बाद कड़वी है मगर आपको किसी दूसरे ने नही बल्कि आपको कमज़ोर किया आपकी अना ने,आपकी लापरवाही ने, आपकी तरबियत ने और रही सही कसर पूरी की है मुनआफ़ीक़ो ने।

इस दुनिया मे हर शख्स उतना ही परेशान है,
जितना उसकी नजर मे दुनिया की अहमियत।

मगरिब् को असल खतरा यह है के कहीँ लोग इस्लाम की तरफ न देखने लगे वह इसलिए के हर रोज यूरोप मे आलिम, मुफक्कीर्, फलसाफि, मुवास्सिर् कुरान व् हदीस पढ़ कर इस्लाम कुबूल कर रहा है....  लेकिन मुस्लिम घरानो मे बे हया, बेशर्म और बे गैरत बनने को ही असल तरक्की समझा जा रहा है। अगर हम अंग्रेजी कल्चर (मागरिबि ) के पीछे पीछे चलते रहे तो तबाही व् बर्बादी हमारे घरों का रूख जरूर करेगी। अगर कौम के लोग कुर्सी, पैसे और इक्तदार  के लिए दिन और तहजीब का मज़ाक बनाने और मुस्लिम खवातीन अंग्रेजी भेड़ियों के बहकावे मे गुमराह होती रही तो आने वाली नस्ल भेड़िया से ज्यादा डरपोक और खिंजीर से भी ज्यादा बे हया बन जायेगी।

औरत यमन से मदीना का सफर करे, खूबसूरत और जवान हो, सोने चंदियो के गहने से सजी हो मगर उस खातून की तरफ या उसके गहने की तरफ किसी गैर मर्द को आँख उठाकर देखने तक की जसारत् न हो... तो वह हैरत ज़दा होकर पूछे के यह कौन लोग है और यहाँ किस तरह का नेजाम् है तो पता चले के
खलीफा उमर फारूक राजिअल्लाहु अनहु है और यह नेजाम्  " निजाम ए इस्लाम " है।


مسلمانو! جمہوریت تمہارا نظام نہیں ہے۔ یہ جن کا نظام ہے اصول و ضوابط، احکام اور مرضی بھی انہی کی چلے گی۔

عالمی کفری برادری جمہوریت کا بہت پرچار تو بہت کرتی ہے لیکن اس کے ذریعے اسلامی قوتوں کا مستفید ہونا گوارا نہیں کرتے۔ ۱۹۹۲ء میں الجزائر میں اسلامک سالویشن فرنٹ، ۲۰۰۶ء میں فلسطین میں حماس اور ۲۰۱۲ء میں مصر میں اخوان المسلمون الیکشن جیتے یا جمہوریت کے راستے اقتدار میں پہنچے تو وہاں امریکا اور مغربی ممالک نے فوجی عناصر کے ہاتھوں جمہوریت کی بساط لپیٹ دی تھی۔ اہلِ مغرب کو معلوم ہے کہ ہماری تہذیب کا سرچشمہ ہمارا دین اسلام ہے۔ اس لیے ان کی توپوں کا رُخ ہمارے دین کی طرف ہے اور خلافت و شریعت تو درکنار جمہوریت کے راستے سے بھی اسلامی نظام نافذ ہونا انہیں شدید ناگوار گزرتا ہے۔

جمہوریت اور مغربی تہذیب نے "دین" کی جگہ لے لی ہے :

✦ سیاست، معیشت اور معاشرت میں کوئی قوم جن اصولوں اور جس نظام پر چلتی ہے وہی اس کا "دین" ہوتا ہے۔

افراد اور قوموں کی اپنی کوئی نہ کوئی تہذیب ہوتی ہے جس سے ان کی بہت گہری وابستگی ہوتی ہے۔ پھر اس تہذیب کا کسی نظام سے بھی بڑا گہرا تعلق ہوتا ہے۔ اس لیے کہیں کہیں تہذیب سے مذہب سے بھی بڑھ کر جذباتی تعلق ہوتا ہے۔

اِس وقت مغربی تہذیب کی یہی مثال ہے، جس کا نظامِ جمہوریت سے گہرا تعلق ہے اور اس نے مذہب و دین کی جگہ لے لی ہے۔ اہلِ مغرب مذہب سے کہیں زیادہ اپنی تہذیب کے بارے میں حساس ہوتے ہیں۔ انہوں نے سیاست، معیشت اور معاشرت میں کسی نہ کسی مذہب کی جگہ "جمہوری و مغربی تہذیب کا دین" نافذ کر رکھا ہے اور ساری دنیا پر اسی دجالی نظام و تہذیب کا غلبہ دیکھنا چاہتے ہیں۔

جس طرح کسی بادشاہ کی آمد سے پہلے اس کے غلام یا کارندے اس کی آمد کا اعلان کرتے ہیں، اسی طرح دجال کے خروج سے پہلے اس کے ایجنٹ (اقوامِ متحدہ اور مغربی ممالک) اس کی تہذیب برپا کرکے اس کی آمد کا شور مچا رہے ہیں۔

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