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Palestine: Muslim Hukmaran, Arab Badshaho ka Qibla-E-Awwal White House hai na ke Maszid-E-Aksa.

Muslim Hukmaraan ka Qibla-E-Awwal White House hai na ke Maszid-E-Aksa.

Arab Badshaho ka Darul Hukumat Washington Hai.

ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।

अरबो का मुहफ़िज अमेरिका फिलिस्तिनियो को मारने के लिए हथियार भेज रहा है।  

अरबो के खज़ाने की चाबी यूरोप के पास है। 

इजरायल जमीन खरीद कर नही, जमीन हथिया कर कायम हुआ है?

आज मुस्लिम हकमरा इतने बेबस और लाचार क्यो है?


मुस्लिम हुकमराँ भी अमेरिकी मस्नुवात (प्रोडक्ट) है लिहाजा इसका बॉयकॉट करे। 

फिलिस्तिनियो के लिए जो मुहब्बत और हिमायत यूरोप के ईसाई देशो मे देखने को मिल रहा है, और जिस तरह का समर्थन मिल रहा है वैसा समर्थन ख्वाजा के हिंदुस्तान,काएद ए आज़म के पाकिस्तान, नमनिहाद् खलिफ्तुल् मुस्लेमीन एर्दोगन के तुर्किये मे नही मिला। अरबो का तो छोर ही दीजिये, उनके ख़ज़ाने की चाबी फिरंगियों के पास है लिहाज़ा वह अपाहिज हुकमराँ क्या कर सकते है? यूरोप के हुक्मरानो की मिलीभगत इस्राएल के साथ है, लेकिन अवाम फिलिस्तीन के साथ।

मुस्लिम हुकमरा  इस्राएल के साथ मगर अवाम फिलिस्तीन के साथ। 

जितना फिलिस्तिनियो के खून का ज़िम्मेदार आतंकी इस्राएल और ईसाई देश है उतना ही ज़िम्मेदार UAE जैसे अरब मुमालिक है, फिलिस्तिनियो को मारने के लिए अमेरिका ने जो हथियार भेजे है वह UAE के बंदरगाह पर उतरा वहाँ से दहशतगर्द यहूदियों के यहाँ जायेगा। 

हमे रहजनो से गिला नही तेरी रहबरी का सवाल है।

फिलिस्तिनियो के नरसंहार को ईसाई देशों का समर्थन हासिल है, US के सेनाटर् इस क़तलेआम को "Holly war" बता रहा है, वह इसे इस्लाम और मुसलमानो के खिलाफ क्रुशेड कहता है लेकिन तथाकथित इंसानी हुकूक और लोकतन्त्र का रक्षक इस पर न सिर्फ खामोश है बल्कि इसका साथ भी दे रहा है। 

Western Ideology:

1) Ukraine has the right to defend 

2) Israel has the right to invade

आज जब अमेरिका के समर्थन से नजाएज़ वज़ूद इस्राएल फिलिस्तीन के लोगो का जीना हराम कर रखा है। मस्ज़िद, हॉस्पिटल, स्कूल, चर्च हर जगह बॉम्बारी कर रहा है तब वह सारी एजेंसिया जो अमेरिका के साथ मिलकर दुनिया मे सबको तानाशाह का सर्टिफिकेट और लिब्रल्स का तमगा दिया करती थी गाएब् हो गए। कौन तानाशाह है?
जिसने अमेरिका की बात नही मानी या वह जिसने अपने तरीके से निज़ाम बनाया इसलिए अमेरिका और दूसरे ईसाई देशो को पसंद नही।

अगर आप इस्राएल के खिलाफ है और फिलिस्तीन की आज़ादी चाहते। है, लेकिन इस्राएल का बनाया हुआ सामान इस्तेमाल करते है तो आप का यह कहना के "मै फिलिस्तीन की आज़ादी चाहता हूँ" बकवास है। इसलिए के आप इस्राएल को फिलिस्तिनियो के क़त्ल ए आम मे मदद कर रहे है। आप फिलिस्तीन के लोगो के खून के प्यासे है। आप पिज़्ज़ा, बर्गर् नही खा रहे है बल्कि अपने फिलिस्तिनि भाईयो का गोश्त चबा रहे है। वह यही समान बेचकर उसी पैसे से ग़ज़ा के लोगो का खून बहा रहा है, मस्ज़िदों पर बॉम्ब गिरा रहा है।

अमेरिकी इजरायली समानो का बॉयकॉट करे, जो क़ातिल दहशतगर्द इस्राएल को पैसे से मदद कर रहा है। यह बात जेहन मे रखे के Mac Donalds, पिज्जा, हट, डोमिनोस्, KFC, पेप्सी, बर्गर, कोकाकोला ये सब मुसलमानो के खून के प्यासे है। इसके साथ साथ UN, EU के अलावा मुस्लिम मुमालिक पर काबिज हुकमराँ भी अमेरिका प्रोडक्ट्स है लिहाज़ा इसका भी बॉयकॉट करे।

यह ग्लोबल ऑर्डर सिर्फ वही काम कैसे करता है जहाँ अमेरिका चाहता है,। अमेरिका के हित का ख्याल रखते हुए UN कैसे किसी पर पाबंदी लगाता है और हटाता है।
यह 1945 मे जीते हुए देशो का बनाया हुआ एक संगठन है जो सिर्फ अमेरिका,ब्रिटेन, फ्रांस और दूसरे ईसाई देशो के फायदे के लिए काम करता है, अमेरिका के इशारे पर किसी बेगुनाह को भी दहशत गर्द करार देता है और इस्राएल जैसा नापाक वज़ूद वाला देश को अमेरिका का साथ मिलने पर मस्ज़िदों और हॉस्पिटल पर बॉम्बारी करके 5000+ लोगो को मार देता है व 10+ हजार से ज्यादा को ज़ख़्मी करके भी सेल्फ डिफेंस का नारा देता है।

यह UN, या इसका मनवाधिकार, लोकतन्त्र, प्रेस, फ्री स्पीच का हक तब ही मिलता है जब इस्लाम और मुसलमान के खिलाफ कुछ करना हो।

UN के फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेसन मे कुरान जलाना, कुरान का मज़ाक बनाना, इस्लाम के पैगंबर का कार्टून बनाना, मुसलमानो के खिलाफ हेट स्पीच देना, मुसलमान औरतों के लिए हिजाब बैन करना व वेस्टर्न कपड़े अनिवार्य करना, यूरोप का कल्चर थोपना शामिल है।

UN के फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेसन मे फिलिस्तीन के लिए आवाज़ बुलंद करना, गजा के समर्थन मे रैली निकालना, दहशत गर्द इस्राएल और IDF को दहशत गर्द स्टेट/संगठन और नेतन्याहु को युद्ध् अपराधी ठहराना, मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच, सड़को पर फिलिस्तीन के लिए प्रदर्शन करना, इजरायली बोम्बारी का  मीडिया मे दिखाना शामिल नही, इसका कोई हल नही है।

अमेरिका दूसरे देशो को तानाशाह कहता है, क्योंके वहाँ वह अपने हिसाब से हुकमराँ बैठा नही पाता है, अगर हुकमराँ उसके हिसाब से काम करने से इंकार कर देता है तो सांसदो को खरीद फरोख्त करके सरकार गिरा दी जाती है  या CIA के जरिये मरवा दिया जाता है।

ग़ज़ा वालो के लिए मदद के दरवाजे बन्द करने वाला और उनको दहशत गर्द यहूदियों के बॉम्बारी से मरने देने वाला मिसरी सदर फतह अल सीसी इस्लाम दुश्मन अमेरिका का कठपुतली है। यह वही जेनरल है जिसने जम्हूरियत के रास्ते और लोगो का चुनी हुई सरकार मोहम्मद् मुरसी जो सेकुलर सोच यहूदियों व ईसाइयों का कठपुतली नही था, इसलिए यहूद व नसारा ने सीसी को आगे करके मिस्र मे अपने एजेंट की हुकूमत कायम करवा दी। अब आप समझ सकते है के यूरोप क्यो डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी चिल्लाता है, जबकि चुनी हुई सरकार अगर उसके हिसाब से काम नही करता हो तो उसका तख्तापल्ट करवा देता, सांसदो की खरीद बिक्री, जसुसो से प्लेन क्रैश करवा दिया जाता है। वगैरह तरकीब अपनाते है अपने कठपुतली सरकार बैठाने मे।

पाक वज़ीर ए आज़म इमरान खान के बारे मे भी आपको मालूम होगा, कैसे वहाँ अमेरिका ने डॉलर पर बिकने वाले सांसदो को खरीद कर अपनी कंपनी (शहबाज़ शरीफ) को हुकूमत दे दिया।

तुर्किये सदर एरदोगन का सेना के जरिये तख्तापल्ट करवाने के नाकाम कोशिश की थी 2017 मे।

इराक के बाथ पार्टी की सरकार सद्दाम हुसैन के खिलाफ किस तरह अफवाह और झूठ फैला कर हमला करके सद्दाम हुसैन सहित पूरे खानदान को मार दिया, सद्दाम हुसैन के वक़्त इराक बहुत ही अमीर मुल्क था, वहाँ तेल निकलता था जिस पर कबज़ा करने के लिए अमेरिका ने झूठा खबर फैलाया के इराक के पास रासायनिक हथियारों का जखीरा है जिससे सारी दुनिया को खतरा है। जबकि यह अफवाह था, अमेरिका का प्रोपगैंडा था जो तेल के स्रोतो पर कब्ज़ा करना और अपने नजाएज़ औलाद इस्राएल की मदद करना था।

अमेरिका ने इराक के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने अफगानिस्तान के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने लीबिया के बारे मे झूठ बोला
अमेरिका ने सीरिया के बारे मे झूठ बोला।
अमेरिका ने कुवैत के बारे मे झूठ बोला।
अमेरिका युक्रेन के बारे मे झूठ बोल रहा है,
अमेरिका अब फिलिस्तीन के बारे मे झूठ बोल रहा है।

ये सब मुल्को के बारे मे अमेरिका ने इस तरह से झूठ बोला के सारी दुनिया अफवाह को ही सच मान ली और सोशल मीडिया व डिजिटल मीडिया पर तो यूरोप का कब्ज़ा है ही।

अब अमेरिका हमास और ईरान के बारे मे झूठ बोल रहा है। ये यहूद ओ नसारा की पुरानी आदत है झूठ बोलना, अफवाह फैलाना, आर्थिक बॉयकॉट करना.

मुसलमानो पर मुसल्लत नामनिहाद् हुकमराँ और फौजी कुव्वत का न सिर्फ बॉयकॉट करे बल्कि इन के खिलाफ सड़को पर प्रदर्शन करे, ये अमेरिका का भेजा गया गोवर्नर के तौर पर काम कर रहा है। एक इंकलाब की जरूरत है मुस्लिम दुनिया के अंदर, इस्लामी इंकलाब की।

इराक से लेकर सीरिया तक मे अमेरिका ने मुसलमानों का खून बहाया और वह दुनिया को मनवाधिकार का टिकट भी बेचता है क्यो?

 इसलिए के यह ग्लोबल ऑर्डर नही यहूद ऑर्डर है, जिसको 1945 मे बनाया गया ईसाइयों के द्वारा। कभी आप ने सोचा के अरब बादशाहो की बादशाहत कैसे टिकी हुई है अभी तक, जब अमेरिका लोकतंत्र की रट लगाए हुए है। इसलिए के अमेरिका को लोकतन्त्र से कोई मतलब नही, उसे वैसा हुकमराँ चाहिए जो उसके इशारे पर पर काम करे, दुनिया मे सबसे ज्यादा तेल और गैस अरबो के पास है जिसे ब्लैक गोल्ड (काला सोना) कहते है, लेकिन वहाँ पर अमेरिका ने हमला नही किया, इसलिए के अरब के बादशाहो की हीफाजत की ज़िम्मेदारी अमेरिका की है, अमेरिका वहाँ से तेल निकाल कर ले जाता है बदले मे सऊदी अरब, UAE, क़तर, बहरीन, कुवैत, जोर्डन, ओमान जैसे मुल्को को अपनी सेना देता है, बादशाह की हीफाजत के लिए।

यानी ऐसा बादशाह जो अमेरिका के फौजी ताकत पर अपनी हुकूमत चलाता हो वह फिलिस्तीन और मस्ज़िद ए अक्सा को कैसे आज़ाद करा सकता है?

लिहाज़ा ये अरब मुल्क के हुकमराँ काफी डरे हुए रहते है, इनके पास बेशुमार दौलत और सोने चांदी है लेकिन अपनी फौज या हथियार नही। जो कुछ भी है वह सिर्फ अमेरिका का है, वह जब चाहे तब अपना फौज बुला लेगा और बादशाह की बादशाहत खत्म। इसलिए अरब फिलिस्तीन के मामले पर नही बोलते, क्योंके इस्राएल जो के अमेरिका का नजाएज़ बेटा है, और अमेरिका अरबो को इशारे पर नचाता है, इस्राएल की हर तरह से मदद करता है ताकि अरब कभी फिलिस्तीन के बारे मे न सोचे।  ये अरब के हुकमराँ अपाहिज बादशाह है जिसका क़ीबला ए अव्वल वाइट हाउस है।

मिस्र के पास अपनी फौज है जिसका नाम ब्लैक कोबरा है, उसने 1975 मे कैंप डेविड समझौता करके इस्राएल को तसलीम कर लिया, 2020 मे UAE, जॉर्डन, मोरोक्को ने इस्राएल को मान्यता दिया।

ईरान से अमेरिका और इस्राएल इसिलिए नफरत करता है, क्योंके ईरान भी 1979 से पहले उसी तरह अमेरिका का कठपुतली था जैसे आज अरब मुमालिक है। वहाँ राजा पहलवी को हटाकर खमेनई ने इस्लामी रेवोल्यूशन करके एक नया सिस्टम बनाया जिससे अमेरिका और दूसरे ईसाई देश ईरान से चिढ़ गए, क्योंके इस्लामी इंकलाब जिसे ईरान कहता है, के बाद ईरान मे वैसा सिस्टम नही बचा जिससे वह अरबो के तरह इशारे पर नचाये, ईरान ने अपना फौज, साइंटिस्ट, इंजीनियर, इंटेलिजेंस और हर तरह से जदीद निज़ाम तैयार किया, इसे साथ साथ उसने पाकिस्तान के जैसा इतना फौज के बदौलत सरकार बनाने और गिराने वाला दीमक को भी दाखिल नही होने दिया और न सांसदो की खरीद बिक्री करके 5 साल मे 10 बार सरकार बनाने के लिए जगह छोरा, जिससे कोई विदेशी दखल अंदाजी करे।

इसी वज़ह से ईसाई देश और नापाक वज़ूद ईरान से चिढ़ा रहता है, कभी उसके साइंसिदान को कभी इंजीनियर को इस्राएल ड्रोन से मारते रहता है, क्योंके वहाँ कठपुतली सरकार बनाने मे नही बनती है, जहाँ सरकार उसके हिसाब से नही है वहाँ तख्तापल्ट करता है, जहाँ सरकार उसका है और अवाम साथ नही तो कोई बात नही।

लिहाज़ा अरब मुमालिक अमेरिका का इसलिए कठपुतली बना हुआ है, जिसकी कीमत फिलिस्तीन के लोगो को चुकानी पड़ती है। 1948 से फिलिस्तीन आज तक आज़ाद नही हुआ अरबो के राजनीतिक विफलता के कारण।

इस्राएल अपना दुश्मन भी बहुत सोच समझकर बनाता है, ताकि उससे कुछ न हो सके। आज अरबो के पास फौज नही, लेकिन ईरान के पास है, अमेरिका अरबो का हमदर्द तो है लेकिन फिलिस्तीन के लोगो का खून का प्यासा भी है, जो कोई भी फिलिस्तीन के आज़ादी की आवाज़ उठायेगा वह अमेरिका के खिलाफ जायेगा, इसलिए अरब मुल्क फिलिस्तीन को भूल कर अमेरिका की चाटुकारिता कर रहे है ताकि मेरा आका नाराज न हो जाए। 

अरबो ने यहूद वो नसारा को मुहफ़िज बनाया जिसकी कीमत वह फिलिस्तिनियो का खून बहाकर वसूलता है। अरबो की सियासी समझ भी उसी लायक है। जब नई ताकतें उभर रही है तो अरबो को चीन रूस के खेमे मे जाना चाहिए, इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर को बन्द कर देना चाहिए, अमेरिका से सारी निर्भरता खत्म कर लेनी चाहिए, अरबो को ईसाई मुल्को के भरोसे नही रहना चाहिए और रूस से हथियार खरीदने चाहिए, रूस और चीन फिलिस्तीन के मामले पर हमेशा साथ देता आया है और। देगा, क्योंके अमेरिका जो के ज़ाहिर मे सेकुलर, बातीन मे सलेबी है। वेस्टर्न देश की नीतियां हमेशा इस्लाम विरोधी, मुसलमान विरोधी आधारित रही है, चाहे ब्रिटिश का दौर हो, उससे पहले का या आज ईसाई ऑर्डर का। लिहाज़ा मस्जिद ए अक्सा की हीफाजत के लिए अरबो को अपनी पॉलिसी बदलनी होगी, क्योंके अवाम को सबकुछ पता चलने लगा है, अरब चाहे जितना अमेरिका का दोस्ती का कर्ज उतारे वह हमेशा नापाक वज़ूद इस्राएल का ही साथ देगा, अमेरिका के बदौलत ही ये नापाक वजूद फिलिस्तिनियो पर ज़ुल्म करता है, अगर फिलिस्तीन को आज़ाद कराना है तो चीन रूस के ब्लॉक मे जाना होगा, मस्ज़िद ए अक्सा की आज़ादी के लिए हमे ये सोच कर कुछ भी करना। होगा के यह लडाई सिर्फ इस्राएल से नही अमेरिका और नाटो से है, क्योंके ये नापाक वजूद अमेरिका के बगैर मदद के ज्यादा देर टिक भी नही सकता और सारी मदद ईसाइयों से ही मिलती है। 

अमेरिका और दूसरे ईसाई देश इस्राएल को हर तरह की मदद कर रहे है, चाहे वह सामरिक,आर्थिक हो या राजनीतिक। लिहाजा अरब व दूसरे मुसलमान हुक्मरानो और तंजीमो को भी चाहिए के लंबी जंग की तैयारी शुरू करे। जिन मुल्को को पास पैसे है वह आर्थिक मदद और राजनीतिक मदद करे, जिनके पास हथियार है वह खुफिया महकमा से मदद करे, मुजहदीन को जंगी तरबियत दे, उसे खुफिया सूचना दे, मीडिया, स्तंभकार, ब्लॉग्गर व दूसरे तरीके से फ्रीडम फाइटर्स की हौसला अफ़ज़ाई करे, उनकी सॉफ्ट तरीके से मदद करे। आज इस्राएल सिर्फ हथियारो और फौज से ही नही लड़ रहा है बल्कि डिजिटल वार भी कर रहा है, जिसमे फिलिस्तीन और मुज़हीदीन के खिलाफ अफवाह व झूठा खबर फैलाना शामिल है, लोगो को गुमराह करना जैसे हथकंडे मौजूद है।

जब वेस्ट के मीडिया का झूठा प्रोपगैंडा पकडा गया तो ईसाई देश के नेता और राजनेता खुद इस्राएल का मुखपत्र बन कर एजेंडे के तहत तैयार किया गया अफवाह फैला रहा है, इसमे हिंदी मीडिया और नामनिहाद् सेकुलR,लिब्रल्स रिपोर्टर शामिल है। आखिर अमेरिका को इतना डर किससे है के खुद झूठा प्रचार कर रहा है । 

आज ट्विट्टर, फेसबुक, इंस्टाग्राम हर जगह शैडो बेनिंग हो रहा है फिलिस्तीन के समर्थन पर इसलिए अपना प्लेटफॉर्म तैयार करे। 

इस्राएल फिलिस्तीन के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने मे बहुत माहिर है, वो नरसंहार करने से पहले "प्रोपगैंडा वार" करता जिसका साथ यूरोप से लेकर एशिया तक के Columnist, Reporter, Anchor, Actor, Artist aur Leader, ब्लॉग्गर देते है। इसलिए किसी भी वीडियो को देख कर अपनी राय न बनाये। 1948 का इतिहास देखे। 

हमे अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाना होगा क्योंके यह सलेबियो का सबसे बड़ा हथियार है ज़ालिम को मजलुम बनाने का। कभी भी फिलिस्तीन को आज़ाद कराने के लिए सलेबी और सह्युनि दोनो से मुकाबला करना होगा, इमाम मेहदी के वक्त यह सलेबी साथ देंगे लेकिन उससे पहले यह उम्मत ए मुहमद्दिया के खिलाफ सारी क़ौमों को इकट्ठा करेंगे। उपर वाली आयत को आज मुसलमानो ने भुला दिया इसलिए आज ऐसी हाल है। 

इस्राएल लेबनान, सीरिया, वेस्ट बैंक। हर इलाके मे बोम्बारी कर रहा है, मस्ज़िद, हॉस्पिटल, स्कूल,कॉलेज सब पर बोम्बारी कर रहा है लेकिन अमेरिका इस्राएल को युद्ध अपराध के लिए ज़िम्मेदार नही मानता है, युक्रेन मे रूस ने जितने लोगो को नही। मारे उससे ज्यादा नेतन्याहु ने फिलिस्तिनियो को मारा है, ग़ज़ा में कल सुबह से जारी इसराइली बमबारी में अभी तक 430 लोगों की जान गई है.

ग़ज़ा में सात अक्टूबर के बाद से अब तक मरने वालों की संख्या 5087 तक पहुंच गई है. इनमें 2,055 बच्चे, 1,119 औरते और 217 बुजुर्ग हैं. फ़लस्तीनी अधिकारियों ने कहा है कि 15 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं. 10 हजार से ज्यादा को बंधक बनाया है।
यह सबके बावजूद पुतिन पर युद्ध अपराध का वारंट जारी हो गया लेकिन ईसाई देश इस्राएल के लिए राइट ऑफ डिफ़ेंस की राग आलाप रहा है।

इस्राएल ने फिलिस्तीन पर सफेद फॉस्फोरस गिराए। जिसका सबूत UN ने खुद दिया, लेकिन यहूद व ईसाइयों के ग्लोबल ऑर्डर मे कोई जुर्म नही है यह सब, मगर अरबो को अमेरिका के इशारे पर ही नाचना है, अरबो की अयाशी ने मजलुम फिलिस्तिनियो को कमज़ोर बना दिया।

या अल्लाह ज़ालिम हुकमराणो को बर्बाद कर दे, मजलुम फिलिस्तीनईयो की मदद फरमा, इस्राएल को हस्ती से मिटा दे,। यहूद आ नसारा के सजिशो को नाकाम कर और मुसलमानों के खून के प्यासे नसरनियो को तबाह कर दे, या अल्लाह मस्जिद ए अक्सा की हीफाजत कर।  आमीन

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