Palestine ka Asal Dushman kaun America ya Napak Wazud Israel?
United State of America se Dosti ka Dam bharne wala Arab Palestine ke mamle ko kaise Dekhte hai?ऐ ईमान वालो तुम यहूदियों और नासराणियो को यार व मददगार न बनाओ, ये दोनो खुद ही एकदूसरे के यार ओ मदद गार है। और तुम मे से जो शख्स उनकी दोस्ती का दम भरेगा तो फिर वह उन्ही मे से होगा। यकिनन अल्लाह जालिम लोगो को हिदायत नही देता।
अगर आप फिलिस्तीन की आज़ादी चाहते है और इजरायली सामान खरीद कर इस्तेमाल भी करते है तो समझ जाए के आप फिलिस्तिनियो का खून बहाने, मस्जिदो पर बॉमबारी करने की फंडिंग कर रहे है। साथ साथ आप झूठ भी बोल रहे है के मै क़ीबला ए अव्वल की हीफाज़त चाहता हूँ।
इस्राएल से जंग मे सारे सलेबी मुसलमानो के खिलाफ इकट्ठे क्यों हो जाते है? इस्राएल को हराने के लिए अमेरिका को शिकश्त देनी होगी।
ना माले ग़नीमत ना किश्वर कुशाई।
इस्राएल को हराने के लिए सिर्फ इस्राएल को हराना काफी नही होगा बल्कि ये जंग अमेरिका और सलेबी ताकतो से करनी होगी।
अरबो का क़ीबला अव्वल कौन है वाइट हाउस या मस्जिद अकसा।
क्या मस्ज़िद ए अक्सा सिर्फ फिलिस्तीन के मुसलमानो का है?
अरबो के खज़ाने की चाबी यहूद ओ नसारा के पास है.
अल्लाह फिलिस्तीन की गैबी मदद क्यों नही कर रहा।
मुसलमानो को समझना होगा के, ये डेमोक्रेसी, लिबर्टी, आज़ादी, बेहयाई, यूरोप का बनाया हुआ हथकंडा है जो मुसलमानो को इसमे उलझा कर रखने के लिए बनाया गया है एक महसा अमिनि की आज़ादी के लिए जो यूरोप और उसकी कंपनिया साथ देने लगी आज वही फिलिस्तिनि माँ बहनो के लिए खामोश क्यो है? 5000 से ज्यादा बच्चो को मार कर, हॉस्पिटल पर बॉम्ब गिराकर, सफेद फॉस्फोरस गिराकर फिलिस्तिनि माँ बहनो की गोद उजारने वाला यूरोप को इस्राएल से कोई रंजिश नही। मलाला के एक गोली पर मीडिया और उसका नामनिहाद् डेमोक्रेसी,महिला अधिकार का नँगा नाच करने वाला ग़ज़ा के औरतों पर मूंह क्यों बंद कर लिया?
दुनिया मे कोई UN और डेमोक्रेसी नही है, बस गुंडा राज है, इस आलमी दहशत गर्दी और बदमाशी का सरगना अमेरिका और नापाक वज़ूद इस्राएल है।
नापाक वज़ूद इस्राएल जो आज कर रहा है या 1948 से करता आरहा है... सिर्फ अमेरिका की हिमायत से, ब्रिटेन, फ्रांस की हिमायत से। अगर सलेबी सह्युनि को मदद करना बन्द कर दे तो आज झुक जायेगा। जैसे ही कुछ होता है अमेरिका हथियार भेजना शुरू कर देता है।
इसमे असल मुज़रिम कौन है? अमेरिका. जिसके बारे मे बात करने से मीडिया, हुकमराँ और माहेरिन डरते है, मीडिया इस पर बात नही करता क्योंके उसे अमेरिका के तरफ से मिले हुए इनाम का भी लाज रखना।
लिहाज़ा आम मुसलमानो को सोचना होगा के अरबो का, तुर्किये का, पाकिस्तान का, मिस्र का सबसे करीबी पार्टनर् कौन है? वह अमेरिका है, इस्राएल को मदद कौन देता है वह अमेरिका है। लिहाज़ा अगर जादूगर की जान तोते मे है तो जादूगर को मारने से नही मरेगा बल्कि तोता को पकड़ना होगा,। तोते की गर्दन जब कटेगी तब ये तागुत् खत्म होगा। इसके लिए आल्मी सतह पर मुस्लिम दुनिया को चीन और रूस के खेमे मे जाना होगा।
पहले अपने दुश्मन को पहचाने। कौन है जिसकी ताकत पर इस नजाएज़ वज़ूद को नाज़ है?
इस्राएल की ग़ज़ा पर अमेरिका, यूरोपीय यूनियन का दिया हुआ हथियार से मस्ज़िदों, अस्पतालो और घरों पर दिन रात बोम्बारी जारी है। पानी, खुराक, दवा, की शदीद किल्लत है। इस हालत मे भी अरब और बाकी मुस्लिम दुनिया खामोश है, यह अमेरिका, और उसके पड़ोसी सलेबी देश सब के सब अरबो के सबसे पर ट्रेड पार्टनर् है, सबसे अच्छे दोस्त। फिलिस्तीन के लोगो ने मुस्लिम दुनिया से कहा है के अपने अपने मुल्क मे अमेरिकी दूतावास बंद करे। अवाम अमेरिका और दूसरे ईसाई देश के दूतावास के सामने मुज़ाहिरा करे।
आज मुसलमानों के अंदर तीन किस्म के लोग मौजूद है।
1. पहला शासक वर्ग - यह वो लोग है जो यहूदियों और सलेबियो के बनाये तागुती निज़ाम के आगे सजदा करते है, इन हुक्मरानो को क़ीबला ए अव्वल से कोई मतलब नही है, इनका क़ीबला ए अव्वल सलेबियो का वाइट हाउस है। लिहाज़ा हुकमराँ बगैर जंग के ही घुटने टेक दिये है इसलिए इनसे कोई उम्मीद नही करे, इसमे सदर, वज़ीर, संसद, विधायक, अफसर, सिपाही और फौज का सर्बराह सब शामिल है। पाकिस्तान का फौजी सर्बराह राहिल शरीफ, परवेज़ मुसर्रफ, बाजवा या आसिम मुनिर् सबका क़ीबला ए अव्वल वॉशिंगटन है। अवाम का नुमाइंदा चाहे कोई हो सब अमेरिका से डॉलर लेकर हथियार डाले है। परवेज़ मुसर्रफ जिसने लाल मस्ज़िद पर सफेद फॉस्फोरस गिराया था, मौजूदा आसिम मुनिर् जिसने अरबो डॉलर लिया है अमेरिका से इस्राएल को तसलिम करने के लिए। ये पैसे लगा और इस्राएल को मान्यता देगा।
अरब मे सारे हुकमराँ अमेरिका के नियुक्त किये हुए गोवर्नर् के तौर पर काम कर रहे है। अरबो को अय्याशी से वक़्त ही नही मिलता है।
2. दूसरा किस्म है अति उदारवादी / लिब्रल्स मुनाफ़िक् - जो हमेशा बैलेंसिंग करने मे लगा रहता है। ये तबका हमेशा इस्लाम के खिलाफ रहता है लेकिन अपना इस्लाम विरोधी तस्वीर न बने इसलिए कभी कभी एक दो मौके पर मुसलमानो को लॉलीपॉप देते रहता है, मुसलमान जज़्बाती होते है ये सब को पता है इसलिए वो गर्म हवा देकर मुसलमानो का समर्थन आसानी से हासिल कर लेते है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, यूटूब ये सारे प्लेटफॉर्म जो हमेशा बोलने की आज़ादी और आज़ाद ख्याल होने का दावा करते है, मग्रिबि मुमालिक सारी दुनिया को इंसानियत का सबक सिखाने मे लगा रहता है मगर जहाँ मुसलमान पर ज़ुल्म हो रहा हो, फिलिस्तीन के लोगो पर बॉम्बारि हो रहा है, वहाँ आतंकी इस्राएल के लिए हथियारे तो पहुँच रही लेकिन गजा के लोगो के लिए दवाएं और खाने की चिजे नही जा रही है। दवा किसको चाहिए जो ज़ख़्मी है, लेकिन ईसाई देश हथियार किसलिए भेज रहा है, मस्ज़िदों, अस्पतालो पर मिसाइल मारने के लिए। इसमे मीर ज़ाफर, मीर सादिक जैसे लोग मिल जायेंगे। ये लोग बात है हमेशा डेमोक्रेसी, आज़ादी, UN, की बात करेंगे। इनकी आज़ादी कुरान जलाने मे, नबी की शान मे गुस्ताखी करने ओर है। अगर की फिलिस्तीन मे हो रहे बॉम्बादी पर इस्राएल के खिलाफ प्रदर्शन करे तो आतंकवादि गती विधि बताया जाता है। मुसलमानों से यह कहा जाता है के आप को फिलिस्तीन से का मतलब है, आप तो यहाँ है? लेकिन अगर ईरान मे अमेरिका के समर्थन से औरतें सड़को पर उतर कर प्रदरशन करे तो भारत मे मीडिया पर उसके समर्थन मे बाल काटे जाते है, यूरोप का नेता और मुखिया इसे महिला अधिकार और आज़ादी से जोड़ता है वहाँ की कंपनी स्टरलिंक फ्री मे देने की बात करती है। फिलिस्तीन मे फतह पार्टी का नेता यासिर अरफत और मौजूदा महमूद अब्बास इसी सोच के समर्थक है। यासिर अरफत इजरायली समर्थक नेता था, जिसने अपने खाते मे करोडो डॉलर जमा किये थे, अमेरिका ने उस यह सब इनाम मे दिया था। यासिर अराफत हमजिंस परस्त था। हम जिंसप्रसत वही जो लूत अलैहे सलाम के कौम मे थी। यासिर अराफत का बॉयफ्रेंड जब सेहरा सीना मे किसी हादसे मे जख्मी हो गया तो अमेरिका ने उसे बचाने की बहूत कोशिश की लेकिन वह बच नही सका। इसके बाद यासिर अरफत भी डिप्रेसन मे चला गया, इससे निकालने के लिए अमेरिका ने उसके ईसाई सेक्रेटरी से शादी कर दी। जब उसका इंतकाल हुआ तो उसके खज़ाने के लिए सोहा (ईसाई सेक्रेटरी) और PLO मे झगडा हो गया। सोहा ने कहा के वह सब बैंक बैलेंस मेरे है।
मौजूदा फिलिस्तिनि हाकिम महमूद अब्बास भी इजरायली दहशत गर्द, फिलिस्तिनियो का कातिल एरियल शेरोन का जिगरी दोस्त है। इस्राएल अपने दुश्मनो का इंतेखाब भी खुद करता है। वेस्ट बैंक पर हमास की हुकुमत नही है लेकिन इस्राएल वेस्ट बैंक पर भी बॉम्बरी करता है। लेबनान, सीरिया इन देशो पर हमास नही है वहाँ भी मिसाइल मारता है, इराक मे हमास नही था वहाँ भी उसने बॉम्बारि की थी, जब पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करने वाला था तब वहाँ भी ये नापाक वज़ूद बॉम्बारि करने वाला था लेकिन इसकी चाल नही। चली।
आज हमास फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए कदम बढ़ाया है तो ईसाई और यहूदियों को हमास दहशत गर्द लग रहा है, लेकिन इस्राएल 1948 से नजाएज़ बसा हुआ है, हज़ारो फिलिस्तिनियो का क़तल ए आम किया फिर भी अमेरिका कुछ नही बोला बल्कि यूरोप की अंधी। हिमायत हासिल है उसे। दुनिया की सारी मनवाधिकार एजेंसिया चुप है। इस्राएल अपने लोगो को हथियार बाँट रहा है, अरबो को मारने के लिए। मगर इसे कोई चरमपंथ और कटरपंथ नही कहेगा।
3. तीसरे किस्म मे वह मुसलमान है जिनके पास न हुकूमत की चाबी है न खज़ाने की चाबी आज वही फिलिस्तीन के लिए सबसे बढ़चढ़ कर काम कर रहे है। ऐसे मुसलमानो के पास ना अरबो के जैसा खज़ाना है ना नेताओ के जैसा इक्तदार। लेकिन ये अपना फर्ज समझते है इसलिए इस्राएल और उसके समर्थक अमेरिका और दूसरे ईसाई देशो का फिलिस्तीन व हमास के खिलाफ प्रोपगैंडा का जवाब दे रहे है, ऑनलाइन प्लेटफोर्मस् पर सलेबियो और सह्युनियो के झुठो और अफवाहों का पर्दाफाश कर रहे है।
ईसाई कंपनिया भी इस्राएल का साथ दे रही है शैडो बेनिंग के तहत इंफोर्मेशन वार मे।
यहूदियों को इंग्लैंड ने निकाला,
फ्रांस ने निकाला
हंगरी और इटली ने निकला
एडोल्फ हिटलर ने ज़र्मनी से खडेरा
पनाह दिया मुसलमान, जिसने अपने यहाँ से भगाया आज वही फिलिस्तिनियो के खिलाफ इस्राएल के साथ है।
इस्राएल पहले 40 बच्चो का झूठ फैलाया के हमास ने मार दिया, लेकिन ये अफवाह फैलाया गया। जिसे फैलाने मे यूरोप के राजनेता भी शामिल है। इस्राएल खुद होस्पिटल पर बोम्बारी करके फिलिस्तिनियो की नस्ल कशी कर रहा है लेकिन यूरोप इस पर चुप है क्योंके इस्राएल को उसी ने पैदा किया।
अब इस्राएल ने झूठ फैलाया के हमास के पास से रासायनिक हथियार बनाने के सबूत मिले है, यह इस्राएल का सबसे घठिया चाल है जो इराक मे सद्दाम हुसैन के खिलाफ अमेरिका ने अफवाह फैलाया के 45 मिनिट मे दुनिया खत्म कर सकता है, जिस अफवाह से अमेरिका ने इराक मे सद्दाम हुसैन को मार दिया। ये सब चाले सलेबियो और सह्युनियो के तरफ से मुसलमानो के खिलाफ चली जाती है। जो कोई भी अपने हक की बात करता है उसे अमेरिका अपना दुश्मन समझता है। मीडिया के जरिये प्रोपगैंडा ट्रायल करके उसे गुनाहगार साबित करता है। इस्राएल आज हमास के खिलाफ यही हथकंडा अपनानां चाहता है। वह 10000 + कैदी, 6 हजार से ज्यादा को मार कर, 20 हजार से ज्यादा को घायेल कर खुद को क्लीन चीट दे रहा है इस अफवाह के सहारे। आज इसी तबके के मुसलमानो ने इजरायली क़त्ल ए आम को स्पांसेर करने वाली कंपनी मेडोनलस्, पिज़्ज़ा, कोका कोला, बर्गेर, वगैरह कंपनियों का बॉयकॉट करके अपने फिलिस्तीन के लिए कुछ किया है। यूरोप के प्रोपगैंडा न्यूज़ और इंफोर्मेशन वार का सही जवाब इन्ही मुसलमानो ने दिया है।
आप ज़ुल्म के खिलाफ बोले
बोल नही सकते तो लिखे
लिख नही सकते तो ज़ालिम का साथ नही दे
जो लिख रहा है उसकी हौसला अफ़ज़ाई करे।
जो बोल रहा है उसका साथ दे।
ज़ालिम के खिलाफ मजलुम की मदद करे।
जब ज़ुल्म हो रहा हो तो खामोश रह कर ज़ालिम का हौसला न बढ़ाये।
जो कोई भी फिलिस्तीन और मुजाहिदीन के लिए कर सकते है करे। ऐसे वक़्त मे आपकी खामोशी ज़ालिम को ताकत देती है, मजलुम की मदद करने के साथ साथ ज़ालिम और उसका साथ देने वाले का भी। बॉयकॉट करे।
यही तीसरे किस्म के मुसलमान फिलिस्तीन के साथ खड़े है, बाकी पहले और दूसरे तबके के लोग रस्म अदायेगी करते है।
UN जो मनवाधिकार और शांति की बात करता है और अमेरिका इसका दुल्हा है, उसने ही यह पागल कूत्ता इस्राएल को अरबो के जमीन पर फिलिस्तिनियो का खून बहाने के लिए हथियार और पैसे दिये है, फिर अमेरिका ही ग्लोबल ऑर्डर की बात करता है। ये दोहरा मापदंड दुनिया ने देखा है और दोहरी पॉलिसी सिर्फ मुसलमानो के लिए ही है, लिहाज़ा आल्मी निज़ाम (वर्ल्ड ऑर्डर) का बॉयकॉट करे। क्योंके ये मुसलमानो पर होते ज़ुल्म पर खामोश रहता है और फिलिस्तीन विरोधी आवाज़ को बढ़ावा देता,UN जो अमेरिका का कठपुतली है उसे (USA) सबकुछ करने का लाइसेंस है और इसी ने नजाएज़ इस्राएल को फिलिस्तिनियो का क़त्ल ए आम करने के लिए लाइसेंस दिये हुआ है।
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा
Israel is terrorist state.
IDF is terrorist Orgnization.
Netanyahu is Head of Terrorist
USA is Terrorist Suppliar
USA + NATo are Major Factory of Terrorist.
UK is Mother of Terrorist.
Europe are Mastermind of Terrorist.
57 मुस्लिम मुमालिक मे फिलिस्तीन के साथ कौन?
इस्लामी क्रांति से पहले ईरान तुर्की के बाद दूसरा मुस्लिम बहुल देश था, जिसने अपने शासक मोहम्मद रज़ा पहलवी के हुकूमत में इसराइल को मान्यता दी थी.
लेकिन अब गुल्फ में ईरान एकदम अलग राह पर है और वो इसराइल को मान्यता देने से इनकार करता है. जबकि सुन्नी अरब देश UAE, जोर्डन, मिस्र, मोरोक्को ने इस्राएल से हाथ मिला लिया है। खास यह है के हमास पहले सउदी अरब का लाडला हुआ करता था लेकिन हमास को इस्राएल से फिलिस्तीन को आज़ाद कराने के लिए जो चाहिए था वह सउदी अरब दे नही सका, जैसे हथियार, ट्रेनिंग, वितीय मदद, गोला बारूद, छोटे छोटे पुर्जे जिसे आज हमास रॉकेट बना रहा है।
सउदी अमेरिका के सहारे चल रहा है इसलिए उसने अमेरिका के नाराज होने के कारण हमास की मदद नही किया, फिर हमास ईरान का रुख किया। आखिर मे अरब के धनी देश इस्राएल को तस्लीम कर ही लिए।
UAE, मोरक्को, बहरीन और सूडान जैसे अरब और सुन्नी मुस्लिम देशों ने साल 2020 और 2021 के बीच इसराइल के साथ संबंधों को सुधार लिया है.
इन देशों का सऊदी अरब के साथ करीबी रिश्ता रहा है. ऐसी भी ख़बरें हैं कि सऊदी अरब भी इसराइल के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए समझौते पर चर्चा कर रहा है. लेकिन इस्राएल के बोम्बारी ने इस बातचित् को रोक रखा है,लेकिन आगे चलकर सउदी अरब भी इस्राएल का ट्रेड पार्टनर् बन जायेगा जो फिलिस्तिनियो के लाशो पर सउदी इस्राएल अपने रिश्तों का महल सजायेगा। क्योंके सउदी ने इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर जो अमेरिका का प्रोजेक्ट है उसमे भाग लिया है। अरबो ने फिरंगियों के हाथ पर बैत कर रखा है, लिहाज़ा वह यहूद ओ नसारा की पैरवी करते है, उसी की इताअत करते है। अभी फिलिस्तीन मे ग्ज़ा के लोगो पर बॉम्बारी हो रही है, अरब के हुकमराँ होटलो, पार्को, कलबो मे अय्याशी करने मे मसरूफ है। आप वहाँ के अवाम और बादशाह की सरगर्मियों पर नज़र डाले, किसी को इसकी कोई परवाह नही, चाहे वह मरे, कटे, नस्ल कशी हो कुछ मतलब नही।
अल्लाह हमे ऐसी दौलत न दे जिससे हमारा ईमान खतम हो जाए, या अल्लाह मुसलमानो को मुनाफ़िकत से बचा, फिलिस्तीन को आज़ाद करा, मस्ज़िद ए अक्सा की हीफाजत कर। जालिमो का खात्मा कर, फिलिस्तिनियो की मदद फरमा और इस्राएल को हस्ती से मिटा दे। आमीन
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