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Palestine: Filistiniyo ke Qatl e aam ka Jashn Saudi Arab ke Riyad me Yahud o nasara aur Arabi mana Rahe hai. #Riyadseason2023

Saudi Arab me Yahud o Nasara Palestinian ke Genocide ka Jashn mana rahe hai.

सऊदी अरब मे फिलिस्तिनियो पर हो रहे यहूदियों के ज़ुल्म का जश्न मनाया गया म्यूजिक कंसर्ट के जरिये।

ये जो दिखते है जिंदा वो जिंदा कहा है

जिंदा तो वो है जिनका जमीर है जिंदा। 
अरब बादशाहो का क़ीबला ए अव्वल वाइट हाउस है।
फिलिस्तीन मे मौजूदा हालात और अरब मुमालिक।
इस्लाम के खिलाफ सलेबी सह्युनियो का इत्तेहाद।
मस्ज़िद ए अक्सा मे नमाज पढ़ने की फ़ज़ीलत।


सऊदी अरब के रियाद मे इजरायली बॉम्बरी का जश्न कुछ इस तरह से मनाया गया। 

एक तरफ सारी दुनिया के मुसलमान गमगीन है फिलिस्तिनियो के क़त्ल ए आम पर, उनके लिए दुआएँ की जा रही है, कुनुत् ए नाज़िला पढ़ा जा रहा है तो
वही खादिम उल हरमैन शरीफैन, मुसलमानो का रहबर कहे जाने वाला सऊदी अरब मे म्यूजिक कांसर्ट हो रहा है, 28 ऑक्टोबर से लोग मुजरा कर रहे है, शकीरा ट्यूनस पर ठुमके लगा रहे है।
एक तरफ यहूदि इस्राएल ग़ज़ा मे अरब मुसलमानो पर गोला बारूद की बारिश करके आग मे भून रहा है तो दूसरी जानिब सऊदी अरब रियाद सिजन् के नाम से नाच गाने का इंतज़ाम करवा रहा है, जिसमे सारी दुनिया से नाचने गाने वाले को बुलाया गया है।

यह म्यूजिक फेस्टिवल पहले से तय था, लेकिन इसका हुकूमत के लिए एक फायेदा यह होगा के अभी आलम ए इस्लाम मे मुसलमान अपने हुकमराँ पर बहुत गुस्सा है,। वही अरब के बादशाहों की मुनाफ़िकत किसी से छुपी नही है, लिहाजा क्राउन प्रिंस के लिए यह राहत की खबर हो सकती है। वहाँ के लोग फिलिस्तीन को लेकर हुकूमत पर गुस्सा थे अब यह म्यूजिक फेस्टिवल उनके गुस्से पर बर्फ का काम करेगा। अवाम का ध्यान फिलिस्तीन से हटाने के लिए यह बहुत ही अच्छा तरीका हो सकता है एक फाजिर व फाशीक हुकमराँ के लिए। आज सारी दुनिया मे इस्राएल और उसके करीबी के सामान का बॉयकॉट किया जा रहा है। सारी दुनिया के मुसलमान इजरायली सामानों का बॉयकॉट कर रहे है वही सऊदी अरब  और दूसरे अरब मुमालिक मे इस्राएल का बनाया सामान खूब बिक रहा है। बेचने वाला और खरीदने वाला दोनो मुसलमान ही है।

ग़ज़ा पर बॉमबारी करने , बिजली, पानी, इंटरनेट, दवा सबकुछ बन्द करके 8000 से ज्यादा लोगो का क़त्ल ए आम, 20+ हजार को ज़ख़्मी करने की खुशी मे यहूदि, ईसाई और अरबी रियाद मे जश्न मना रहा है। जैसे मंज़र ग्जा मे है वैसा ही मंज़र रियाद सीजन का है।

बस फर्क यह है के जहाँ एक तरफ बच्चे, बूढ़े, जवान सब पानी और दवा के बगैर सांसे तोड़ रहे है दूसरी तरफ रियाद मे जवान रात की हसीन लम्हा का लुत्फ़ ले रहे है।
दोनो तरफ से आवाज़ आ रही है, एक तरफ मजबूर लाचार, ज़ख़्मी भुके लोगो की चींख सुनाई दे रही है तो दूसरी तरफ अमीरो के नाच गाने, ठुमके की आवाजे।

दोनो तरफ मुसलमान है और दोनो अरब की सरज़मीन पर एक ही वक़्त मे हो रहा है।

इसी तरह इस्लाम के नाम पर बनने वाला मुल्क (सबसे ज्यादा इस्लाम को बदनाम करने वाला स्टेट) पाकिस्तान के सबसे बड़े राज्य की हुकूमत भी एक हफ्ते के लिए म्यूजिक सीजन का इंतेजाम कर रही है। इसमे भी नाच गाने का एहतेमाम किया गया है।

हमसब ने किताबो मे पढ़ा है, जब रोम जल रहा था तब उसके सहयोगियों ने बांसुरी बजाई थी। 

आज आँखो से देखा। 

फिलिस्तीन और ग़ज़ा के लोगो को खून मे नहलाया जा रहा था तब पड़ोसी सऊदी अरब मे मुजरे का मजा लिया जा रहा था, शकीरा टुन्स पर ठुमके लगा रहे थे । इस्लाम अमल की बुनियाद पर किसी को नेक और बद कहता है नाकि नस्ल के बुनियाद पर। इस्लाम ने कुरान ओ सुन्नत पर चलने को कहा है नाकि अरबो की पैरवी और हिमायत करने का, जिससे कोई सच्चा मुसलमान हो जायेगा।

जबकि फिरंगी मुल्क ब्रिटेन मे कम से कम 5 लाख लोग फिलिस्तिनियो के लिए सड़को पर मुज़ाहीरा कर रहे है। मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, कनाडा, अमेरिका, हिंदुस्तान, जर्मनी, फ्रांस मे फिलिस्तिनियो के लिए मुज़हीरा किया जा रहा है।
तुर्किये मे 15 लाख लोगो के साथ वहा के सदर एर्दोगन् ने मुज़हीरा किया।
दक्षिण अफ्रिका की सरकार फिलिस्तिनियो के आज़ादी के लिए लोगो के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे है।

अमेरिका मे खास कर यहूदि लोग फिलिस्तीन की हिमायत कर रहे है और इस्राएल को दहशत गर्द स्टेट बता रहे है, यहूदि आलिम इस्राएल को यहूदियों का मुल्क नही बता कर दहशत गर्द और नाज़ी की हुकूमत बता रहे है।

भारत के केरला, मुंबई और दिल्ली और हैदराबाद मे फिलिस्तिनियो पर हो रहे इस्राएल के ज़ुल्म व ज्यादती के लिए लोगो ने सड़को पर विरोध प्रदर्शन किया। कई जगहो पर फिलिस्तीन का झंडा लेने के कारण पुलिस गिरफ्तार कर रही है।

ऐसे बहुत से गैर मुस्लिम मुमालिक मे फिलिस्तीन के हक मे तरिखि मुज़ाहिरे हो रहे है, जबकि पाकिस्तान मे फिलिस्तीन की हिमायत के लिए आवाज़ बुलंद करने पर हुकूमत की तरफ से गिरफ़्तरिया चालू है, तरह तरह की रुकावटें डाली जा रही है।

जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क, इंग्लैंड वगैरह देशो मे भी फिलिस्तीन के समर्थन मे प्रदर्शन करने पर हुकूमत के तरफ से सख्त ऐतराज जताया गया है और पाबंदी लगा दी   गयी है, जबकि ये यूरोपियन ईसाई देश जो दुनिया को आज़ादी का दर्स देता है, डेमोक्रेसी और उसके मुल्यो पर सबक सिखाते रहता है। वहाँ की सरकार इस्राएल के साथ है और फिलिस्तीन के सबसे बड़े मुखालीफ है जबकि अवाम फिलिस्तीन के साथ खड़ी है। इतिहास मे शायद ही ऐसा देखने को मिलता है के अवाम जिसके साथ खड़ी होती है ठीक उसके विपरीत सरकार कट्टरता से हमलावर के साथ खड़ी हो। आज यूरोप मे अवाम फिलिस्तीन की आज़ादी की मांग कर रहा है जबकि हुकूमत इस्राएल को हथियार भेजकर फिलिस्तिनियो का जनसंहार् कर रही है। अमेरिका का 5 हजार फौज IDF के साथ फ्रीडम फाइटर्स के खिलाफ बॉम्बारी कर रही है। जितने भी बॉम्ब गिराए गए है ग्जा पर और जो भी हथियार इस्तेमाल हुए है वह सब अमेरिका मे बना हुआ है, अमेरिका   इस्राएल को फिलिस्तिनियो का खून बहाने के लिए दिया है और अरब देशो के रास्ते गया है। जोर्डन के रास्ते ये हथियार गया है

मसला फिलिस्तीन पर हर शख्स अपने हिस्से का काम जरुर करे।

जो माली मदद कर सकता है तो मदद करे
जो वक़्त लगा सकता है तो वक़्त लगाए
जो जान लगा सकता है जान लगाए।
जो लोगो को जागरूक कर सकता है वह अपना मुहिम शुरू करे।
जो इज़हार यकजाहती के लिए निकल सकता है निकले और मुज़हीरा करे।
जो लिख सकता है लिखे।
जो ज़ुल्म और ज़ालिम खिलाफ बोल सकता है बोले, बोलने वाले की हौसला अफ़ज़ाई करे।
जो सोशल मीडिया या किसी भी फन मे माहिर हो उसके जरिये फिलिस्तिनियो के हक की आवाज़ उठाये, उनके उपर हो रहे ज़ुल्म को दुनिया के सामने लाये।
अपने घर, मुहल्ले और कॉलोनी मे लोगो को बताये, इमाम खुतबे मे लोगो को बताये और बेदार करे।
फिलिस्तिनियो के लिए दुआ करे, हर पांचो वक्त की नमाज़ और जुमे के दिन भी।

या अल्लाह फिलिस्तीन के लोगो की हीफाज़त कर, उनकी परेशानिया दूर कर दे, जालिमो को नेसत् व नाबुद् कर दे,मस्ज़िद ए अक्सा की हीफाज़त कर, ग़ज़ा पर बॉम्ब बरसाने वाले और फिलिस्तिनियो का क़त्ल ए आम करने वाले को इस हस्ती से मिटा दे। आमीन

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