Shadi Se pahle sex karne ka anjaam.
Kya aap aise larke se shadi karengi jo shadi se pahle Kitne ladkiyo se intercourse kar chuka ho?
Pahle ke daur ki tawaif aur aaj ki Digital tawaif.
Agar aapko shadi se pahle koi ladka sex ke liye kahta hai to aapko kya karna chahiye?
Agar aap 18+ hai aur Shadi nahi hui agar sex ke liye koi kahta hai to use kya jawab de?
आज का डिजिटल तवायफ कौन है?
आजादी के नशे में हम सब कौन कौन से बुराइयों को आसान समझने लगे है।
हमारी आजादी वहीं खत्म होती है जहां से किसी दूसरे की आजादी का हनन होने लगता है
हम सब बचपन से यह पढ़ते आए है के मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।
वह भी हम भारतीय समाज में रहते है जहां मुख्तलिफ किस्म के रस्म व रिवाज, तहजीब व तमदून है, बहुत से मजहब के मानने वाले है और यही हमारे हिंदुस्तान की खूबसूरती भी है।
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
हम बुलबुलें है इसकी वह गुलिस्तां हमारा
और यह भी कहा जाता है यहां अनेकता में एकता है, भारत दुनिया में सबसे ज्यादा विविधता वाला देश है।
तो जाहिर है के सारे मजहब के मानने वालो का अपना अपना एक तरीका होगा, सब अपने तरीके से इबादत करता है, कोई मस्जिद तो कोई मंदिर जाता है। इसी तरह हमारे मुआशरे बहुत सारे रस्म व रिवाज रायेज है।
इसमें से एक शादी/ब्याह है। शादी वह मोड़ है जहा से एक नई ज़िन्दगी का आगाज होता है, हम ऐसे शख्स के साथ एक नई ज़िन्दगी की शुरुवात करते है जिसे हम पहले से जानते तक नहीं मगर वहीं शादी के बाद हमारे ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा अहमियत रखता/रखती है।
हमारे सोसायटी में शादी से पहले लड़की और लड़के का मिलना जुलना अच्छा नहीं समझा जाता है, लोग इसे परंपरा कहते है, के शादी से पहले हमारे समाज में लड़की और लड़के का मिलने जुलने की इजाजत नहीं है, अब हर मजहब में शादी का अपना अपना तरीका है मगर कोई ना कोई एक तरीका जरूर है ऐसा नहीं है के जानवर के जैसा जब चाहे तब किसी के साथ रह ले और फिर उसे छोड़ किसी और के साथ रह लें, जानवर में सिर्फ अपनी जरूरत पूरी की जाती है और उसी से उसका बच्चा पैदा होता है फिर वह भी इसी तरह चलता रहता है। अब हम सब तो इंसान है।
है या नहीं?
इसका जवाब आपको देना है।
अगर हम इंसान है तो हमारे लिए जरूर कोई ना कोई तरीका होगा या फिर वैसे ही जैसे जानवर करता है इसलिए जानवरो में पता नहीं कौन किसका बाप है कौन किसकी मां है और जब यह मालूम नहीं तो उसका बच्चा क्या कहलाएगा?
हरामी या फिर ना जायज बाप का ना जायज औलाद यही ना?
पहले के दौर में या आज भी शहर में तवायफ का कोठा होता है जहां हवस के प्यासे लोग अपनी प्यास मिटाने जाते है और वह वैश्या उसके बदले उससे पैसे लेती है यही उसके आमदनी का जरिया होता है, इसपे बहुत से हिंदी फिल्म बन चुके (तवायफ और उमराव जान) है। जिसमे बखूबी तवायफों की ज़िन्दगी को दिखाया गया है, पहले तवायफ बनने की दो तीन वजहें थी, लड़की को उठा लेना और जवानी की दहलीज पे पहुंचने पर उसे अपने धंधे में लगा देना, कुछ गरीबी की वजह से वगैरह वगैरह। इससे यह मालूम होता है के कहीं ना कहीं लड़की को मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ता था और जब वह चली ही गई तो फिर उसकी ज़िन्दगी जहन्नुम की आगो से घिर जाती है और उसे एक बीवी बनकर शौहर की मोहब्बत पाने और मां के पैरों के नीचे जन्नत भी नसीब नहीं होगी।
आज के जदीद दौर में नाम बदल गया काम वहीं है।
आज नारीवादी विचारधारा की औरतें खुद को सशक्त, आत्मनिर्भर बनने की सोचती है, चलो सही है अपने पैरो पे खरी हो तो किसी की कुछ सुनने की जरूरत नहीं होगी सिर्फ अपने बॉस, मैनेजर के, अगर इसका सुनना पड़े तो इसमें परेशानी वाली बात क्या है हम तो नौकर बनकर नौकरी करते है इसके बदले हमे पैसे मिलता है कुछ बोल दिया तो क्या हो गया?
सही है अपने पैरो पे खरा होना कोई बुरी बात नहीं है, मगर अब तो इतनी आजाद, सशक्त हो चुकी है के अपनी मर्जी से सबकुछ कर रही है। हमारे समाज में अक्सर शादियां मां बाप के मर्जी से ही होती है चाहे लड़का हो या लड़की इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और हमने यह भी देखा के मां बाप के मर्जी से शादी होने पे वह जल्द टूटती नहीं है यहां तक के दोनों शख्स ईमानदारी से पूरी ज़िन्दगी अपनी जिम्मेदारी निभाते है और दूसरी तरफ पसंद की शादियों में 4-5 साल के बाद दोनों एक दूसरे से दूर जाना चाहते है, दिन रात झगड़े, एक दूसरे से अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाने का इल्ज़ाम वगैरह वगैरह और फिर जल्द इस तरह की शादियां टूट जाती है दोनों अलग हो जाते है, लड़की अपने मायके चली जाती है अगर जॉब करने वाली है तो किसी कंपनी में नौकरी करने लगती है। इसी तरह लड़का भी दिन रात टेंशन में गुजारता है, अगर इन दोनों से कोई बच्चा हुआ हो तो और मुश्किल क्यों के बच्चे की परवरिश, उसके तालीम व तरबियत अच्छे से नहीं हो पाती।
खैर जो भी हो समाज हमसे बनता है हम समाज से नहीं यह कहकर हम आगे बढ़ते है। अपनी मर्जी से शादी करे या घरवालों की मर्जी से यह इतना अहम नहीं है, आज के दौर में लोग शादी ही नहीं करना चाहते चलो इससे बेहतर है के अपनी मर्जी से ही शादी कर ले , अब लड़का हो या लड़की चाहे तो घर वालो की मर्जी से करे या अपनी मर्जी से।
मगर आजकल कहीं इससे भी ज्यादा फास्ट गाड़ी चलने लगी है, लिव इन रिलेशनशिप वाला। लड़के लड़कियां जल्द शादी नहीं करते इन्हे अपने मुस्तकबिल की फ़िक्र होती है के हम अपने पैरो पे खरे हो जाएंगे फिर करेंगे, पढ़ाई करते करते तो पच्चीस साल गुजर ही जाता है, अब आलम ए शबाब में हर किसी को अपने से ऑपोजिट जेंडर के तरफ अट्रैक्शन बढ़ता है, फिर यह लोग अपनी गर्ल फ्रेंड बनाते है या बॉय फ्रेंड, ज्यादातर लड़के गर्ल फ्रेंड टाइम पास के लिए ही बनाते है मगर लड़किया इसे सच्ची मुहब्बत समझने लगती है, घरवाले को कभी पढ़ाई के नाम पर, जॉब के नाम पर बोलकर बॉय फ्रेंड से मिलती है जिसे हम GF-BF के नाम से जानते है, फिर लड़की से यह कहा जाता है के मै तुमसे शादी करूंगा बस मुझे अपना काम करने दो, यह लोग अपना वक्त गुजारने के लिए, तन्हाई दूर करने के लिए, जिस्मानी सुकून पाने के लिए, हवस की आग मिटाने के लिए अपने नफ़्स की गुलामी करते हुए ज़ीना (Illegal sex, Intercourse before marriage, Shadi se pahle Sex) कर बैठते है फिर लड़की लड़के से शादी के लिए कहती है तो वह इधर उधर की बातें करने लगता है, कभी फैमिली प्रॉब्लम, फाइनेंशियल प्रॉबलम और कभी समाज का डर दिखा कर लड़की को बड़गलाने लगता है, उसके बाद वह किसी ना किसी तरह लड़की से अपना पीछा छुड़ाने लगता है और धीरे धीरे वह बहुत दूर चला जाता है।
अब लड़की को अपने मां बाप की याद आती है, वह जैसे तैसे खुद को संभालती है और फिर उसके घरवाले उसकी शादी करना चाहते है और इसबार लड़की अपने घरवाले की बात मान लेती है क्यों के वह एकबार जो धोका खा चुकी है। अब सवाल उठता है के
क्या कोई लड़का ऐसी लड़की से शादी कर सकता है जो शादी से पहले किसी दूसरे लड़के से सोहबत कर चुकी हो?
after eaten hundred of cats now they want to proof her virginity.
यह बात तो ऐसे हुई जैसे गलती कोई और करे सजा किसी और को मिलें।
सत्तर चूहे खा कर बिल्ली चली हज्ज करने।
आज लड़का लड़की दोनों बराबर है, लड़किया अब लडको से कम नहीं।
चाहे पढ़ाई के मामले, फ़ैशन के मामले में या नशा करने में।
सबकी अपनी मर्जी है किसी को अब कोई रोकने भी नहीं जाता, क्यों के पूरी दुनिया अपनी मर्जी से चल रही है, हमारी ज़िन्दगी हमारी मर्जी, मै जो चाहूं पहनू, जहा चाहूं वाहा जाऊ, जो चाहूं वह करू जैसे चाहूं वैसे करू।
अगर किसी ने बाय चांस उसे कुछ बोल दिया के बेटा यह सही नहीं है बस अब तैयार हो जाइए छोटी सोच, पुराने ख़यालो वाला, ओल्ड जेनरेशन, 200 साल पहले के दौर में जीने वाला, बूढ़े लोगों की तो यही आदत है इसे कौन समझाए के आज दुनिया चांद पे जा चुकी है और हम वहीं पुरानी घिसी पिटी रस्मो को लेकर चल रहे है, संकुचित मानसिकता, रूढ़िवादी वगैरह वगैरह सुनने के लिए।
खैर सबकी अपनी मर्जी है चाहे जो करे अब समाज के हिसाब से कोई नहीं चलता, कोई भी अपना फैसला खुद करता है और समाज को बदनाम कर देता है।
समाज तो दूर की बात अपने मां बाप की भी बात नहीं मानता, पहले मां बाप अपने बच्चो से यह उम्मीद रखते थे के हमारी औलाद हमारे बुढ़ापे का सहारा बनेगा, मगर अब वह भी समझ चुके है के उम्मीद रखना खुद को बेवकूफ बनाने के जैसा है, जैसे यूरोप में होता है जो जिसके साथ चाहा भोग विलास किया और मां बाप की फ़िक्र क्या करना उसके लिए ओल्ड हाउस है ना।
अब यहां भी वृद्धाश्रम है उसे अपडेट करके ओल्ड हाउस बना दिया जाएगा, तरक्की तो यूरोप का कल्चर अपनाने में ही है।
तो अब के मां बाप यह सब उम्मीद लगाना छोड़ दिए, फिर किसको किसने मना किया है अपनी मर्जी से ज़िन्दगी गुजारने के लिए। ज्यादातर नव जवान अपनी ज़िन्दगी के फैसले खुद करते है मगर उसका अंजाम बुरा होता है तो समाज को कोसने लगते है, अपनी गलती को समाज का गलती बताते नहीं थकते। उस गलती का जिम्मेदार समाज के उसूलो को मानते है और फिर सोशल मीडिया पे भरास निकलते है। फेसबुक, कोरा, टि्वटर और दीगर सोशल साइट्स पे कॉपी/पेस्ट करने लगते है और खुद को आजाद ख़यालो का साबित करने लगते है के यह कितना रहम दिल, ईमानदार, वफादार है, इसे कहते है इंसानियत, और जो इन समाज के उसूलों पे चलता है उसे ट्रॉल करने लगते है, सोशल मीडिया पे शादी नहीं करने के फायदे, मेरी ज़िन्दगी मेरी मर्जी, अभिव्यक्ति की आजादी का नारा लगाने लगते है।
लड़के वाले को यह सब बताए या नहीं?
अब जब लड़की दूसरो के साथ सेक्स करके कहीं और शादी करती है तो उसे हमेशा एक बात बहुत परेशान करता है और वह है के लड़का को यह सब बताए या नहीं?
अगर बता देती हू तो कहीं शादी नहीं करेगा अगर नहीं बताती हू तो शादी के बाद हम दोनों की आपस मे जमेगी या नहीं?
यह वहीं लड़की आज सोच रही है हो 4-5 साल पहले समाज के उसूलों को गालियां दी थी, रूढ़िवादी मानसिकता बता रही थी और खुद को नारीवादी के विचारधारा पे चलते हुए सशक्त, आत्मनिर्भर बनने के लिए मेहनत कर रही थी। आज वहीं रूढ़िवादी लड़के से शादी करने के लिए सोच रही है।
जिसे उसने दिल व जान से चाहा यहां तक के खुद को उसके हवाले कर दी मगर मिला क्या?
जो लड़का उसे मॉडर्न सोच रखने वाला, आधुनिक ख़यालो वाला, 21 सेंचरी के मुताबिक जीने वाला अच्छा लगा वह बेवफा निकला और जिसे वह संकुचित मानसिकता, पुराने ख़यालो वाला, रूढ़िवादी लगता था आज उसी के साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजारने की सोच रही है, और वह भी अपने मां बाप की मर्जी से मगर जरा सोचो अगर यही काम पहले की होती तो आज इस तरह से फैसला करने के लिए परेशान तो नहीं होना पड़ता और ना अपने घरवाले कि नजरो में गिरी होती।
जिस तरह कोई लड़की अपनी ज़िन्दगी खुद अपनी मर्जी से जीना चाहती है उसी तरह एक लड़का को अपनी मर्जी से ज़िन्दगी जीने का हक है।
फेमिनिज्म के मुताबिक सिर्फ औरत ही अपनी अपनी मर्जी से ज़िन्दगी जी सकती है इसका यह मतलब नहीं के अपनी मर्जी से 'किसी दूसरो की मर्जी से जीने के हक को' खत्म कर दी जाए।
अब औरतों के हक की बात करने वाला तो है लेकिन अगर मर्द ऐसी औरत से शादी ना करे जो पहले किसी और से सेक्स कर चुकी हो तो उसके इस हक के लिए कौन आवाज उठाएगा?
फेमिनिज्म वाले तो अपनी बात बहुत आसानी से रख देते है जनता और सरकार के सामने मगर मर्दों की आवाज कौन उठाएगा?
अब कुछ औरतें यह कहेंगी के धोका देने वाला भी तो लड़का ही है, मोहतरमा दोनों लड़का ही है मगर सोचने में फर्क है।
जैसी सोच आप चाहते है वैसे ही सोच उस लड़के का भी था जिसने धोका दिया और जिस सोच को आप रूढ़िवादी, स्किर्ण मानसिकता बता रही है वैसे सोचने वाला वहीं लड़का है जिससे लड़की शादी करना चाहती है।
बहुत सारे मर्द इसे तुच्छ मानसिकता, पुरानी सोच वाला, कम अक्ल, नीच, कमजर्फ, 100 साल पुरानी सोच वाला बताएंगे तो सही है हम ऐसे ही है बस यह शादी हमे मंजूर नहीं क्यों के हम पुरानी सोच वाले छोटे शहरों के छोटे लोग है।
हमे अपनी इज्जत बहुत प्यारी है, हमे अपने घरवालों से बहुत मुहब्बत है.
हां ऐसी मुहब्बत नहीं जिसमे अंधा हो जाए।
जब हम एक तरफ यह कहते है के औरत उसे पसंद करती है जो उसको मान सम्मान दे इज्जत दे और वहीं दूसरी तरफ खुद की इज्जत का ख्याल नहीं रखती तो उसे कौन इज्जत देगा ( यह सबके लिए नहीं बल्कि जो ऐसा करती है, हम सभी औरतों की इज्जत करते है हमारी भी मां बहन है, कोई मुझे महिला विरोधी ना समझे और ना पुरुषवादी।
हमे इससे मतलब नहीं के कौन क्या करता है/करती है बस उसका अंजाम क्या होगा उसी पे तवाज्जो दिलाना चाहता हू। )
क्या यही इनकी आजादी है जहा इज्जत की कोई परवाह नहीं?
जब कोई शादी की बात करता है और शादी के बाद हसबैंड वाइफ के जिस्मानी ताल्लुकात का तो यही लोग भोग की वस्तु कहने लगते है, के शादी एक तरह का डील है जिसे करने के बाद सेक्स करने का सर्टिफिकेट मिल जाता है वाह भाई वाह अगर बात ऐसी है तो अपने मां बाप से पूछना के उन्होंने यह डील कितने में किए थे, अगर तुम लिव इं रिलेशनशिप का नतीजा होगे तो अपने मां बाप या इनमें से किसी एक को जानते भी नहीं होगे, वैसे आज हर किसी को बगैर क्लास किए बायोलॉजी की समझ है शायद तुम्हारे गार्जियन को वह भी समझ नहीं रहा हो और गलती कर बैठे हो और इसी गलती को तुम सुधारने की कोशिश कर रहे हो इसलिए शादी जैसी पाक व साफ रिश्ते की तौहीन कर रहे हो।
बहुत सारे मर्द यह कहेंगे के अब ऐसा ही होता है, यह छोटी सोच से काम नहीं चलेगा, क्या हो गया शादी के लिए वर्जिनिटी कोई मायने नहीं रखता तो उनसे कहना चाहता हूं के आप अगर शादी नहीं किए है तो आप कर लीजिए अगर किए है और कोई दूसरा मर्द आपकी बीवी से हमबिस्तर होना चाहे तो क्या आप होने देंगे?
क्यों के भारतीय कानून में अब यह भी संशोधन हो चुका है के किसी की वाइफ या हसबैंड अपनी मर्जी से किसी गैर मर्द / गैर औरत से जिस्मानी ताल्लुकात कायेम करना चाहती/चाहते हो तो कर सकती/सकते है।
एक तरफ यह लोग यह कहते हुए देखे जाते है के शादी के बाद बीवी को भोग की वस्तु मात्र समझा जाता है उसे इंसान समझा ही नहीं जाता वही दूसरी तरफ हवस की आग मिटाने के लिए दूसरो की बहन बेटी की इज्जत लूट लेते है अगर यही काम उसके बहन बेटी से कोई और करे तो?
यही दोगलापन है जो लोगो को समझ नहीं आ रही है।
एक तरफ औरतों की आजादी की बात करते है दूसरी तरफ उसी को अपना शिकार बनाते है।
यह भेड़िए ताक में बैठे रहते है के कब किसी की बीवी, बहन बेटी आए के हम उसको अपना शिकार बना लें।
मगर अफसोस के आजकल की लड़कियां आजादी के नाम पे इतनी पागल हो चुकी है के अपने आप को ही भूल गई।
इनलोगो को कोई समझाएं तो यही कहती हैं के मेरे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है यह मै अच्छी तरह से जानती हू, इसका फैसला आप होते कौन है करने वाले? जब इतना ही इन्हे अच्छे बुरे, सही गलत की पहचान है तो यह सब हो क्यों रहा है?
ओवर कॉन्फिडेंस को वजह से। अपने मां बाप की दी हुई आजादी का गलत इस्तेमाल करने से।
मै ऐसे लड़कियों से गुजारिश करता हू, रिक्वेस्ट करता हू के आप समाज के बेरियो को तोड़ते हुए, मां बाप की ना फरमानी करते हुए अपनी मर्जी से ज़िन्दगी गुजारने के लिए जिस्मानी ताल्लुकात बनाए है तो कभी शरीफ (जिसे आप संकुचित मानसिकता, रूढ़िवादी, छोटी सोच, पुराने ख़यालो वाला समझती है) लड़के से शादी नहीं करे तो बेहतर होगा आपके लिए और उस लड़के के लिए भी.... क्यों के ऐसा लड़का अपने परिवार के ज्यादा करीब होता है, वह हकीकत पसंद होता है, समाज से बहुत ज्यादा लगाव रखता है और शर्मिला होता है।
उसे पैसे से ज्यादा अपना परिवार अज़ीज़ होता है।
वह पैसे से ज्यादा अपनी इज्जत, शराफत, रिश्तों नाते, दोस्त व अहबाब को तरजीह देता है। उसके ज़िन्दगी में पैसे की सिर्फ इतनी ही अहमियत है दो वक़्त की रोटी इज्जत से मिल जाए बस इतना सा ही।
अब कुछ लड़किया इस बात पे ऐतराज़ करेंगी के वह भी तो एक लड़का ही था जो लड़की को धोका दे गया। जी हां वह भी एक लड़का ही था मगर आप ने अपनी आजादी से जीने के हक का इस्तेमाल किया और खुद अपनी मर्जी से यह फैसला किया और लड़के पे आंख बंद करके ऐतेबार किया, यहां तक के अपने मां बाप के खिलाफ जाकर फिर आपने अपनी मर्जी से ही यह फैसला किया। इसलिए इस तरह के लड़के जो कभी शादी से पहले ताल्लुक बनाने का सोचते भी नहीं उसे ही आप लोग विकृत मानसिकता वाले कह दिया करती है, के यह रूढ़िवादी समाज से बेलोंग करता है। यानी के जो अपनी पवित्रता बचाए वह आपके मुताबिक रूढ़िवादी और संकीर्ण मानसिकता वाला और जो धोका दे (धोका से पहले ) वह मॉडर्न ख़यालो वाला। फिर तो दोनों की सोच एक जैसी थी तो यह कैसे हुआ?
लिहाजा मै आप लड़कियों से यह गुजारिश करता हू के जब ऐसा हो तो किसी को बदनाम ना करे, ना समाज को, ना घरवाले को ना पुरुष समाज को, क्यों के अक्सर ऐसा होता है के धोका खाने के बाद लड़किया पूरे पुरुष समाज को कोसने लगती है। नहीं यह गलत है, अगर गलत नहीं होता तो आपके पिता जी क्यों मना करते।
जब कहना ही है तो उसका नाम लेकर बोले के फलां लड़का ने ऐसे किया ना के सारे लड़के एक जैसे होते है।
जब आप अपनी मर्जी से कोई काम करती है तो उसके नतीजे का खुद जिम्मेदार बनिए, विक्टिम कार्ड मत खेलिए के इसने जबरदस्ती किया, बलात्कार किया वागौरह वगैरह।
कुछ ऐसे लोग भी है को इसे पुरुष प्रधान समाज वाली सोचे, पिता सत्तातमक सोच कहेंगे।
चलो नारी प्रधान समाज बनाओ जहा सारे फैसले घर की औरतें लेती हो फिर शादी से पहले सेक्स आम हो जाएगी, इस समाज का इतना असर नहीं तब ऐसी बात है तो इसका दूर दूर तक अंजाम कैसा होगा?
क्या नारी प्रधान समाज में मर्द अपनी मर्जी से शादी नहीं कर सकता?
क्या नारीवादी विचारधारा के मुताबिक कोई लड़का अपनी मर्जी से शादी नहीं कर सकता?
क्या नारीवादी विचारधारा लडको के आजादी को खत्म नहीं कर सकता?
सवाल के मुताबिक: अगर कोई लड़का ऐसी लड़की से शादी करने से इंकार करता है तो उसे उन लोगो का सामना करना पड़ता जो यह कहते है के तुम हो है पुराने ख़यालो वाला, रूढ़िवादी सोच वाला जो अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करना चाहता है वगैरह वगैरह
तो क्या हमे इन नारीवादी विचारधारा के दबाव में आकर शादी करना ही होगा?
अगर हमने इंकार किया तो तुच्छ मानसिकता वाले कहलाएंगे, नारी विरोधी कहलाएंगे, महिला विरोधी कहकर हमारा मजाक बनाया जाएगा और आखिर में बहुत सारा लड़का सुसाइड तक कर लेता है।
तो क्या ऐसी बातों के दबाव में आकर, डर कर शादी कर लेना चाहिए?
क्यों के हम पुरुष है यह हमारी गलती है।
हमे अपने अधिकारों से वंचित कर दिया गया क्यों के हमने लड़का जन्म लिया।
और अब हम किससे शादी करेंगे, किससे नहीं यह फैसला फेमिनिज्म वाले करेंगे और किया ही जा रहा है।
लोग यह कहते है के अरे वर्जनिटी कोई मायने नहीं रखता, शादी दो लोगो का मिलन है जिसमें पुरुष और स्त्री मिलकर एक नया घर बसाते है, यह आत्मयिक लगाव होता है ना के शारीरिक लगाव, वहीं लोग शारीरिक लगाव की बात करते है जो अपनी बीवी को भोग की वस्तु समझते है, सिर्फ यह लोग भोग विलास करना जानते है।
चलो सही है के आत्मयीक लगाव होता है इसमें कोई शक नहीं तभी तो पूरी ज़िन्दगी एक साथ गुजार देते है, लेकिन अगर वर्जनिटी कोई मायने नहीं रखता, तो फिर शादी से पहले किसी दूसरे लड़के से से शारीरिक लगाव क्यों बनाया? अगर कोई मायने नहीं रखता तो फिर अपनी हवस की आग मिटाने के लिए ही ना शारीरिक संबंध बनाए या फिर कुछ और था?
जब कोई मायने नहीं रखता तो आपने क्यों आत्मायिक लगाव को पीछे छोड़ अपने जवानी की जोश में अपनी पवित्रता खो बैठी। इससे तो यही जाहिर होता है के यह कितना अहम है, और दो लोगो के मिलन के लिए कितना मायने रखता है।
अगर कोई लड़का ऐसी लड़की से या कोई लड़की ऐसा लड़का से शादी करने से इंकार कर देता/देती है तो किसी को हक नहीं है उसे बोलने का, उसे ट्रॉल करने का, ( जब दोनों बराबर है तो फैसला करने का दोनों को हक है) और जो लोग उसे तुच्छ मानसिकता कहते है तो सुन लीजिए उसके पिता जी या फिर माता जी विवाह से पहले जरूर शारीरिक संबंध बनाए होंगे किसी गैर मर्द/औरत से तभी उसे इसमें कोई शिकायत नज़र आता ही नहीं।
जितना किसी पेड़ की सिंचाई की जाती है उतना ही मजबूत उसका डाली और तना होता है। जैसा जड़ वैसा शाख
जो लोग इसे कोई खास अहमियत नहीं देते तो उसे चाहिए के अपनी बहन या बेटी को वैसे ही धोखेबाज लोगो के साथ भेज दे, उसकी मर्जी जो चाहे करे मगर दूसरो की मर्जी में दीवार ना बने।
अब कोई मां बाप अपने बच्चो को संस्कार सिखाता है तो उसे कंजर्वेटिव बोल दिया जाता है, बदलाव नहीं करने वाला पुराना सोच रखने वाला, संकुचित मानसिकता वाला कहा जाता। और जब धोका देता है तो उसके संस्कार की बात करते है।
यह हुस्न की कशिश थी या हसरत ए दीदार
वह आंख भी खुल गई जो थी बिल्कुल बेकार
अगर कोई मुझे सेक्स के लिए कहे तो क्या करूँ?
यह जानना क्यों ज़रूरी है?
आप जो भी फैसला लेंगे उसका असर आपके आनेवाले कल पर पड़ेगा।
आप क्या करते?
ज़रा सोचिए: लड़की को लड़के से मिले सिर्फ चार महीने हुए हैं। मगर उसे लगता है जैसे वह उसे बरसों से जानती है। वे हर समय एक-दूसरे को मैसेज करते रहते हैं, घंटोंं फोन पर बात करते हैं और एक-दूसरे को इतने अच्छे-से जान गए हैं कि बिना कुछ बोले ही एक-दूसरे की बात समझ लेते हैं! मगर अब लड़का बातचीत के अलावा कुछ और भी चाहता है।
पिछले दो महीनों में लड़की और लड़का सिर्फ एक-दूसरे का हाथ पकड़ा है। लेकिन लड़की इससे ज़्यादा कुछ नहीं चाहती। पर वह लड़का को खोना भी नहीं चाहती।
लड़के की नज़र में वह दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की है। वह एक दूसरे से प्यार का इजहार भी कर चुके है।
अगर आपकी उम्र डेटिंग के लायक है और आप उस लड़की की जगह होते तो क्या करते?
जरा सोचे
सेक्स, शादीशुदा लोगों के लिए खुदा की तरफ से एक तोहफा है।
शादी से पहले सेक्स करके उस तोहफे की बेकदरी मत कीजिए। यह ऐसा है मानो, किसी ने आपको तोहफे में एक खूबसूरत टी-शर्ट दी और आप उससे शीशा पोंछने लगे
अगर आप पेड़ से कूदें या चिड़ियाँ की तरह उड़ने की कोशिश करें तो आपको उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उसी तरह, अगर आप नैतिकता का यह उसूल तोड़ें यानी शादी से पहले सेक्स करें, तो आपको उसका अंजाम भुगतना ही पड़ेगा।—1 थिस्सलुनीकियों 4:3.
इस आज्ञा को तोड़ने का क्या नतीजा होता है? शास्त्र कहता है, “जो व्यभिचार में लगा रहता है वह अपने ही शरीर के खिलाफ पाप कर रहा है।” (1 कुरिंथियों 6:18) वह कैसे?
खोजबीन करनेवाले बताते हैं कि जिन लोगों ने शादी से पहले सेक्स किया है, उन्हें इस दर्द से गुज़रना पड़ा।
दुख उठाना। ज़्यादातर नौजवान जिन्होंने शादी से पहले सेक्स किया वे बाद में बहुत पछताए।
भरोसा टूटना। सेक्स के बाद, दोनों को एक-दूसरे पर शक होने लगता है कि कहीं इसने मेरे अलावा किसी और के साथ तो सेक्स नहीं किया?
निराश होना। दिल के किसी कोने में ज़्यादातर लड़कियाँ यही चाहती हैं कि वे एक ऐसे इंसान से शादी करें जो उनकी हिफाज़त करे, न कि उनका फायदा उठाए। और लड़के को लगता है कि अगर लड़की शादी से पहले सेक्स कर चुकी है तो वह उससे नाता तोड़ देगा।
याद रखिए: अगर आप शादी से पहले सेक्स करेंगे तो आप कुछ अनमोल चीज़ खो बैठेंगे और अपनी ही नज़रों में गिर जाएँगे। (रोमियों 1:24) आपका शरीर अनमोल है, कोई खिलौना नहीं!
दिखा दीजिए कि आपमें “व्यभिचार से दूर” रहने की हिम्मत है! (1 थिस्सलुनीकियों 4:3) और जब आगे चलकर आपकी शादी होगी, तब आप सेक्स कर सकते हैं और उस वक्त आपको वह चिंता, पछतावा और घबराहट नहीं होगी जो शादी से पहले सेक्स करने से होती है।—नीतिवचन 7:22, 23; 1 कुरिंथियों 7:3.
आपको क्या लगता है?
जो आपसे सच्चा प्यार करता है, क्या वह आपके शरीर का फायदा उठाएगा या आपके जज़्बातों के साथ खिलवाड़ करेगा?
जो आपकी सच्ची परवाह करता है, क्या वह आपको ऐसा करने के लिए बहकाएगा जिससे अल्लाह से आपका रिश्ता टूट जाए?—इब्रानियों 13:4.
सिर्फ लड़कियों के लिए
बहुत-से लड़कों ने कहा कि वे ऐसी लड़की से कभी शादी नहीं करना चाहेंगे जिसके साथ उन्होंने सेक्स किया हो। ऐसा क्यों? क्योंकि वे ऐसी लड़की से शादी करना चाहते हैं जिस पर कोई उँगली न उठा सके!
क्या यह सुनकर आपको हैरानी हुई? गुस्सा आया?
तो याद रखिए: फिल्मों और टीवी सीरियल में जवान बच्चों के बीच सेक्स ऐसे दिखाया जाता है मानो इसमें कोई बुराई नहीं, इसके बिना उनकी ज़िंदगी बोरिंग है और उन्हें लगे कि यही सच्चा प्यार है।
नासमझ मत बनिए! जो मीठी-मीठी बातें बनाकर आपको शादी से पहले सेक्स के लिए बहकाते हैं, वे सिर्फ अपने फायदे की सोचते हैं।—1 कुरिंथियों 13:4, 5.
सिर्फ लड़कों के लिए
अगर आप डेटिंग कर रहे हैं तो खुद से पूछिए, ‘क्या मैं उसकी परवाह करता हू?’ अगर हाँ, तो आप कैसे दिखा सकते हैं कि आपको उसकी सच्ची परवाह है?
अगर आप खुदा के नियमों को मानने की हिम्मत रखें, गलत रास्ते पर न चलने की समझदारी दिखाएँ और ऐसा प्यार करें जो आपकी दोस्त को दुख न दे, तो आप उसके लिए सच्ची परवाह दिखा रहे होंगे।
नुस्खे
अगर कोई आपको सेक्स के लिए बहकाता है और कहता है, “अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तो ऐसा ज़रूर करोगी।” तो सख्ती से कहिए, “अगर तुम मुझसे प्यार करते हो, तो ऐसा फिर कभी नहीं कहोगे!”
कैसे पहचानें कि अगर आप अपनी गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ हैं तो क्या करना गलत है? जवाब आसान है! कोई भी ऐसा काम मत कीजिए जो आप अपने घरवालों, समाज के सामने करने से कतराएँगे।
अब आपकी बारी
अगर कोई आपको सेक्स के लिए कहे तो आप क्या करेंगे?
ऐसे कौन-से हालात हैं जिनमें आपके लिए ‘ना’ कहना मुश्किल हो सकता है?
आप ऐसे हालात में पड़ने से कैसे बच सकते हैं?
☪️☪️दीनी भाईयो और इस्लामी बहनों के लिए ☪️☪️
मेरे इस्लामी बहनों और भाइयों अल्लाह ने हम सब के लिए एक रॉल मॉडल बनाकर भेजा, हमे अपना हद बता दिया है अब इसे कोई पार करने की कोशिश करे तो फिर अंजाम बहुत बुरा होगा।
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حَدَّثَنَا عَبَّاسُ بْنُ عَبْدِ الْعَظِيمِ الْعَنْبَرِيُّ، حَدَّثَنَا النَّضْرُ بْنُ مُحَمَّدٍ الْجُرَشِيُّ الْيَمَامِيُّ، حَدَّثَنَا عِكْرِمَةُ بْنُ عَمَّارٍ، حَدَّثَنَا أَبُو زُمَيْلٍ، عَنْ مَالِكِ بْنِ مَرْثَدٍ، عَنْ أَبِيهِ، عَنْ أَبِي ذَرٍّ، قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: تَبَسُّمُكَ فِي وَجْهِ أَخِيكَ لَكَ صَدَقَةٌ، وَأَمْرُكَ بِالْمَعْرُوفِ وَنَهْيُكَ عَنِ الْمُنْكَرِ صَدَقَةٌ، وَإِرْشَادُكَ الرَّجُلَ فِي أَرْضِ الضَّلَالِ لَكَ صَدَقَةٌ، وَبَصَرُكَ لِلرَّجُلِ الرَّدِيءِ الْبَصَرِ لَكَ صَدَقَةٌ، وَإِمَاطَتُكَ الْحَجَرَ وَالشَّوْكَةَ وَالْعَظْمَ عَنِ الطَّرِيقِ لَكَ صَدَقَةٌ، وَإِفْرَاغُكَ مِنْ دَلْوِكَ فِي دَلْوِ أَخِيكَ لَكَ صَدَقَةٌ.
नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: अपने भाई के सामने तुम्हारा मुस्कुराना तुम्हारे लिए सदक़ा है, तुम्हारा भलाई का हुक्म देना और बुराई से रोकना सदक़ा है, भटक जाने वाली जगह में किसी आदमी को तुम्हारा रास्ता दिखाना तुम्हारे लिए सदक़ा है, नाबीना और कम देखने वाले आदमी को रास्ता दिखाना तुम्हारे लिए सदक़ा है, पत्थर, कांटा और हड्डी को रास्ते से हटाना तुम्हारे लिए सदक़ा है, अपने बरतन से अपने भाई के बरतन में तुम्हारा पानी डालना तुम्हारे लिए सदक़ा है।
Nabi kareem ﷺ ne farmaya: apne bhai ke saamne tumhara muskurana tumahre liye sadqa hai, tumhara bhalai ka hukum dena aur burai se rokna sadqa hai, bhatak jane wali jagah mein kisi aadmi ko tumhara rasta dikhnana tumahre liye sadqa hai, nabina aur kam dekhne wale admi ko rasta dikhnana tumahre liye sadqa hai, pathar, kanta aur haddi ko raste se hatana tumahre liye sadqa hai, apne bartan se apne bhai ke bartan mein tumhara pani dalna tumahre liye sadqa hai.
نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا، اپنے بھائی کے سامنے تمہارا مسکرانا تمہارے لیے صدقہ ہے، تمہارا بھلائی کا حکم دینا اور برائی سے روکنا صدقہ ہے، بھٹک جانے والی جگہ میں کسی آدمی کو تمہارا راستہ دکھانا تمہارے لیے صدقہ ہے، نابینا اور کم دیکھنے والے آدمی کو راستہ دکھانا تمہارے لیے صدقہ ہے، پتھر، کانٹا اور ہڈی کو راستے سے ہٹانا تمہارے لیے صدقہ ہے، اپنے ڈول سے اپنے بھائی کے ڈول میں تمہارا پانی ڈالنا تمہارے لیے صدقہ ہے -
The Messenger ﷺ of Allah said: Your smiling in the face of your brother is charity, commanding good and forbidding evil is charity, your giving directions to a man lost in the land is charity for you. Your seeing for a man with bad sight is a charity for you, your removal of a rock, a thorn or a bone from the road is charity for you. Your pouring what remains from your bucket into the bucket of your brother is charity for you.
*Wazahat:* maloom hua ke is hadees mein mazkoor saaray kaam aisay hain jin ki anjaam dehi par sawab usi tarah milta hai jis tarah kisi sadqa karne walay ko milta hai.
_*Jamiat Tirmidhi: jild 4, kitab Al-Bar wa As-sila 27, hadith no. 1956*_
*Grade Sahih
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इसलाम ने निकाह को आसान बनाने को कहा ताकि जीना (زنا) मुश्किल हो जाए, और जीना करने वाले की सजा भी बता दिया गया है।
अब हमे फैसला करना है के हमारे ज़िन्दगी का रॉल मॉडल कौन और कैसा होना चाहिए?
फेमिनिज्म वाले, एकता कपूर या प्रियंका चोपड़ा - टाइगर श्रॉफ, हनी सिंह, सलमान खान
या कोई और?
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حَدَّثَنَا إِسْمَاعِيلُ بْنُ أَبِي أُوَيْسٍ، قَالَ: حَدَّثَنِي مَالِكٌ، عَنْ أَبِي الزِّنَادِ، عَنْ الْأَعْرَجِ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ، أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، قَالَ: ""نَارُكُمْ جُزْءٌ مِنْ سَبْعِينَ جُزْءًا مِنْ نَارِ جَهَنَّمَ، قِيلَ: يَا رَسُولَ اللَّهِ، إِنْ كَانَتْ لَكَافِيَةً، قَالَ: فُضِّلَتْ عَلَيْهِنَّ بِتِسْعَةٍ وَسِتِّينَ جُزْءًا كُلُّهُنَّ مِثْلُ حَرِّهَا"".
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: तुम्हारी ( दुनिया की ) आग जहन्नुम की आग के मुक़ाबले में ( अपनी गर्मी और हलाकत ख़ेज़ी में ) सत्तरवां हिस्सा है। किसी ने पूछा, या रसूल अल्लाह! ( कुफ़्फ़ार और गुनाह गारों के अज़ाब के लिए ) ये हमारी दुनिया की आग भी बहुत थी। आप ﷺ ने फ़रमाया दुनिया की आग के मुक़ाबले में जहन्नुम की आग उनहत्तर (69) गुना बढ़कर है।
Rasool Allah ﷺ ne farmaya: tumhari ( duniya ki ) aag jahannum ki aag ke muqaable mein ( apni garmi aur halakat khaizi mein ) sattarwan hissa hai. “ kisi ne poocha, ya rasool Allah! ( kuffar aur gunah garon ke azaab ke liye ) yeh hamari duniya ki aag bhi bohat thi, aap ﷺ ne farmaya ”duniya ki aag ke muqaable mein jahannum ki aag unhatar (69) guna barr kar hai.
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تمہاری ( دنیا کی ) آگ جہنم کی آگ کے مقابلے میں ( اپنی گرمی اور ہلاکت خیزی میں ) سترواں حصہ ہے۔“ کسی نے پوچھا، یا رسول اللہ! ( کفار اور گنہگاروں کے عذاب کے لیے ) یہ ہماری دنیا کی آگ بھی بہت تھی۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا ”دنیا کی آگ کے مقابلے میں جہنم کی آگ انہتر گنا بڑھ کر ہے
Prophet ﷺ said: “Your (ordinary) fire is one of 70 parts of the (Hell) Fire. Someone asked, O Allah's Apostle This (ordinary) fire would have been sufficient (to torture the unbelievers), Allah's Apostle said, The (Hell) Fire has 69 parts more than the ordinary (worldly) fire, each part is as hot as this (worldly) fire.”
Wazahat:* duniya ki is chand mah ki mamooli dhoop aur garmi insaan se bardasht nahi hoti lekin youm akhirat ki garmi aur dozakh ki aag ki woh parwah nahi karta. Aaj kitney log hain jo rishwat, corruption aur haraam ki kamaai se tamam dunyawi tar raahat ka samaan kiye hue hain, un ke makanaat haraam ki kamaai se bani hui hain aur aise log corruption, rishwat aur haraam ki kamaai se is duniya ki garmi se to bach sakte hain lekin kya qayamat ke din ki garmi aur jahannum ki aag se bhi bach sakenge. Aaj jab un haraam kamanay walon se kaha jata hai ke dosro ke haq naa maro, rishwat naa lo, corruption naa karo, haraam kamana chor do kyun ke yeh sab Allah aur rasool ﷺ ki nafarmani ke kaam hain jo ke kufr hain, to un ke paas apni haraam kamaai ke juwaz mein bohot saaray bahane hote hain. Isi tarah qayamat ke din jab inhen jahannum mein daal ne ka faisla sunaya jayega tab bhi yeh log bohot saaray bahane bana kar is se bachna chahenge, lekin is waqt farmaya jayega: _*Ae logo jo kufr karte ho, aaj bahane naa banao, tumhe sirf tumhare kartuto ka badla diya jaa raha hai. [ Quran 66:7]*_
kash log aaj is garmi mein qayamat ke din ki garmi aur jahannum ki aag ka kuch andaza karte to apne aap ko aur apne ahlo Ayal ko jahannum ki aag se bachane ki koshish karte rishwat, corruption aur haraam khori se baaz aa jate aur Allah aur rasool Allah ﷺ ki nafarmani chor dete lekin afsos ke log aisa nahi karte aur bahane banate hain. Allah hume Jahannum ki aag se aur uski holnakiyon se hifazat farmaye. Ameen
Sahih bukhari: jild-4, Kitab bad' Alkhalq 59, hadith no. 3265*_
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एक #मुसलमान_लड़की को इस बात का अद्राक होना चाहिए के वह आम नहीं है, उसकी खूबसूरती इतनी मामूली नहीं के हर कोई उसे देखे, वह इतनी सस्ती नहीं और ना इतनी मामूली है के उसे हर कोई इतनी आसानी से देखे, उसके #खूबसूरती के काबिल वहीं है जिसे #अल्लाह चुनेगा, वह कहता है पाक दामन मर्द पाक दामन औरतों के लिए और पाक दामन औरतें पाक दामन मर्दों के लिए, बद चलन मर्द बदचलन औरत के लिए और बद #औरत बद चलन #मर्द के लिए.
Aazadi ke nam pe Kya mila?
Sasural walo ke bure Suluk pe Larki ko kya karna chahiye?
Kya Yahi asal parda hai?
Islam me shadi ke liye kya kya chijein jaruri hai?
Aaj ka musalman Quran-o-Hadees se kitna door hai?
Islam me Auraton ke Huqooq
Kya Islam Me pasand ki shadi kar sakte hai?
Gulami karne wali auraten Muslim Auraton ke Aazadi ki bat karti hai.
इसलाम ने अपनी मर्जी से निकाह करने से मना नहीं किया है, बस हराम और ना जायज ताल्लुकात ना बनाया जाए, ना मेहरम का ख्याल रखा जाना चाहिए।
बुलंद रखना निगाह अपनी, ख्याल अपना, मिजाज़ अपना
ना गुमराह हुए कदम कुछ इस तरह से रखना वकार अपना
Ek Modern ladki ki kahani.
Tin talaq ka masala shariyat me kaisa hai?
Aurat sirf Mahbooba nahi wah Maa, behan beti aur biwi bhi hai.
Pasand ki shadi ke Bawjood kyu aksar ladke ladkiya aaps me jhhagarte hai (Islahi Tahreer)
अगर आपसे कोई लड़का (मुसलमान) मुहब्बत आजमाने के लिए सबूत के तौर पे जिस्म मांगता है तो.... तो उस लड़की को चाहिए के उस लड़के से कहे के तुम अगर मुझसे सच्ची मुहब्बत करते हो तो सब के सामने अभी मुझसे निकाह करो फिर मैं पूरी ज़िन्दगी के लिए अपना रूह और जिस्म सिर्फ और सिर्फ तुम्हे सौंप कर अपनी जायज व हलाल मुहब्बत साबित करुंगी। , और जो लड़का यह बात ना करे तो समझ जाइए के वह सच्चा नहीं है झूठा है, सिर्फ ड्रामे बनाने वाला है अपनी हवस की आग मिटाने के लिए। जो लड़का आपसे सच्ची मुहब्बत करेगा वहीं कभी आपसे जिस्म की चाहत नहीं रखेगा, और हमेशा आपको पाकीजा रखेगा, आपके दामन को दागदार नहीं करेगा।
रूह से चाहने वाले आशिक
बात जिस्मो की करते नहीं
हम अपना मआयार जमाने से जुदा रखते है।
हम तो महबूब भी महबूब - ए - खुदा रखते है
इसलाम में निकाह के मुतल्लिक़ जाने। इस्लाही तहरीर
खुशनुमा अजदवाजी ज़िन्दगी गुजारने का तरीका
पर्दे की अहमियत और फजीलत इसलाम में
सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस हद तक करे?
इसलाम ने निकाह का रास्ता अपनाने को कहा है बस शादी कीजिए और अपनी नई ज़िन्दगी की शुरुवात कीजिए, शादी से मुंह मोरने वाला जहन्नुम की आग में जलेगा, आप का रॉल मॉडल हज़रत फातिमा रजिल्लाहु अन्हू, हज़रत सुमैया रज अन्हु, हज़रत आयशा रज होनी चाहिए। किसी ऐरे गैरे नत्तू खैरे की तरफ देखे भी नहीं और ना उसके बातों में आए, किसी काफ़िर की बातो में नहीं आए, जिसने जिस कौम की मुसाबेहत इख्तियार की वह उसी में से है। हलाल मुहब्बत का नाम निकाह है, याद रखे जो आपको इज्जत नहीं दे सकता है वह कभी आपसे मुहब्बत नहीं कर सकता।
ना मेहरम की बेवफ़ाई अल्लाह की तरफ से सजा है
तुम जिसके लिए रोती हो बिंत -ए- हव्वा तन्हाई में वह तुम पर हंसता होगा।
अल्लाह हम सब मुसलमानों को इस बुराई से बचा, यूरोप की साजिशों को नाकाम कर, जो शख्स मुसलमानों के बीच फाहाशी फैलाना चाहता, मुस्लिम लड़कियों को बेहया बनाना चाहता है अल्लाह तू उसे उसके बुराई साथ हलाक कर दे, मुस्लिम औरतों को क़ुरआन व हदीस पे चलने की तौफीक अता फरमा, या अल्लाह मुसलमानों के बीच जो बुराई फैली हुई है या फैलती जा रही है उसे खत्म कर और सारी दुनिया के मुसलमानों को इत्तेहाद व इत्तेफ़ाक़ के प्लेटफॉर्म पे खरा कर दे, अल्लाह मुसलमानों के बीच निकाह को आसान और जीना (زنا) को मुश्किल कर दे, अल्लाह मुसलमानों को शैतान के शर से बचा। आमीन सूम्मा आमीन