Europe Ke god me Baithkar zehar ugalne wali aasteen ke saanp.
क्या आप जानते है मलाला यूसुफजई कौन है?
यूरोप मुस्लिम महिलाओं को बिकनी पहनाकर क्या साबित करना चाहता है?
" मेरा जिस्म मेरी मर्ज़ी " यह है इंसानियत के थिकेदारो का नारा।
एक ईसाई शख्स जिन्हें इस्लाम कुबूल करने की वजह से मौत की सजा दी गयी।
मलाला यूसुफजई और उनके वालिद के हवाले से बहुत कुछ ऐसा है जिसे आपको जरूर जानना चाहिए।
मलाला के लिए अमेरिका और सलेबी इतना मेहरबान क्यों?
मलाला की किताब "आई एम मलाला" लिखने में उनकी मदद क्रिस्टियानो लिंब नाम की जर्नलिस्ट ने की।
क्रिस्टियानो लिंब को इसलिए शोहरत मिली क्योंकि वह पाक फौज और पाकिस्तान की विरोधी है। इसलिए क्रिस्टियानो लिंब पर पाकिस्तान सरकार के तरफ से पाबंदी भी है।
मलाला यूसुफजई सलमान रुश्दी की गुस्ताखाना किताब " शैतानी आयात " के बारे में लिखती है के "उसके वालिद के ख्याल में वह आजादी इजहार (freedom of expression) है" ।
मलाला यूसुफजई अपनी किताब में कुरान पर टिप्पणी करती है और उसमे खवातीन से मुतल्लिक मौजूद क्वानिन से वह इत्तेफाक नहीं रखती।
मसलन वह एक मर्द और दो औरत की गवाही को गलत कहती है जो के कुरान का हुक्म है ।
इसी तरह जीना (illegal Sex) से मुतल्लिक चार लोगो की गवाही को भी दुरुस्त नहीं समझती।
(आई एम मलाला पेज 24 और 79)
इसी किताब के पेज 28 पर वह इस्लाम का सेकुलरिज्म और लिबरलिज्म से तुलना करते हुए दीन ए इस्लाम को दहशतगर्द करार देती है। नौजोबिल्लाह
वह तसलीमा नसरीन को अपनी लाडली बहन करार देती है। यह दोनो के अच्छे ताल्लुकात है।
तसलीमा नसरीन को बांग्लादेश हुकूमत ने गुस्ताख ए रसूल की वजह से पाबंदी लगा रखा है।
मलाला ने अपनी पूरी किताब में अल्लाह के लिए लफ्ज़ " गॉड " इस्तेमाल किया है और नबी ए अकरम सल्लाहू अलीहे वसल्लम के लिए सिर्फ नाम लिखा है जैसे गैर मुस्लिम और काफिर लिखा करते है। इसने कही भी नबी सल्लाहु अलैहे वसल्लम के लिए " दुरुद " या " पीस बी अपॉन हिम " (PBUH) नही लिखा है।
मलाला यूसुफजई गुस्ताख ए रसूल पर सजा ए मौत वाले कानून के खिलाफ है।
मलाला यूसुफजई के मुताबिक पाकिस्तान रात के अंधेरे में बना था। इसके किताब में ये अल्फाज पढ़कर यह मतलब निकाला जा सकता है गोया रात के अंधेरे में कोई गुनाह या जुर्म हुआ था।
मलाला यूसुफजई के मुताबिक इन के वालिद जियाउद्दीन यूसुफजई पाकिस्तान के यौम ए आजादी के दिन (14 अगस्त) को काली रिबन बांधी थी जिसपर वह गिरफ्तार किए गए थे और जुर्माना देना पड़ा था।
वह कहती है पहले मैं स्वाति हूं, फिर पश्तून और तब मैं पाकिस्तानी हूं। अपने मुसलमान होने का जिक्र कहीं भी नही करती।
मलाला के वालिद जियाउद्दीन यूसुफजई का कहना है के अगर मुझे किसी मुल्क का शहरी (नागरिक) बनने की ख्वाहिश है तो वह अफगानिस्तान है।
वह अपने मुल्क के कानून का मजाक बनाते हुए कहती है के अहमदी खुद को मुस्लिम कहते है लेकिन यहां का कानून उसे गैर मुस्लिम करार दिया है। (पेज 72)
मलाला और उनके वालिद शकील आफरीदी की हिमायत करते है जो पाकिस्तानी सरकार के मुताबिक गद्दार और जासूस है और इस वक्त सजा काट रहा है।
मलाला की तकरीर उसके वालिद लिखते थे जबकि ब्लॉग अब्दुल हई काकर नामी बीबीसी का नुमाइंदा लिखता था जैसा के वह अपनी किताब में यह सब का जिक्र कर चुकी है।
एडम बि एलेक नाम का सीआईए (CIA) एजेंट कई महीनो तक अपनी शक्ल बदल कर मलाला के घर रहा और उनके वालिद के साथ मिलकर मलाला की तरबियत की ताकि उसको आने वाले वक्त के लिए तैयार किया जा सके। (यह खबर भी फैली के उसने बाद में मलाला से नोबेल इनाम में अपना हिस्सा मांगा था)
मलाला के मुताबिक उनके वालिद जियाउद्दीन यूसुफजई बिजली चोरी में कई बार पकड़े गए थे जिसकी वजह से जुर्माना भी हुआ था।
मलाला की पसंदीदा शक्सियत "बराक ओबामा" है । (हो सकता है अब ट्रंप और बाइडेन हो)
मलाला के मुताबिक वह भेष (रूप) बदल कर यानी बगैर यूनिफॉर्म के ही स्कूल जाती थी क्योंकि तालिबान से खतरा था।
जबकि जहां मलाला रहती थी वहां कोई स्कूल बंद नहीं था। तालिबान मट्ठा के इलाके में ही पाबंदी लगा सके थे। जहां कुछ ही स्कूल बंद किए गए थे। खास बात यह है के वह जिस वक्त की बात कर रही है उस वक्त वह अपने बाप जियाउद्दीन यूसुफजई के ही स्कूल में जेरे तालीम थी। जो उन्ही के घर के निचले छत में था।
तो क्या वह ऊपर वाले छत से नीचे आने के लिए अपना भेष बदलती थी?
यह है मलाला और उसका असल चेहरा जो आज पाकिस्तान और दुनिया भर के लिबरल टोला वाले की अगुवाई कर रही है।
यह वही मलाला है जो हमेशा मुसलमान हुक्मरानों को औरतों की आजादी के लिए नसीहत करती है।
यह वही शख्स है जो तसलीमा नसरीन को बहन बताती है और खुद को मुस्लिम औरतों की नुमाइंदा बनती है।
क्या हम एक ऐसे मुस्लिम मुआश्रे की बुनियाद देना चाहते है जिसमे आस्तीन के सांपो को पनाह मिले और इस्लामी निजाम को बर्बाद करने के लिए दिन रात कोशिश करते रहे?
इन को इस्लामी निजाम से नफरत है , हमारे नबी, साहाबा और अल्लाह का कलाम से इन लोगो को दुश्मनी है और यही लोग मुस्लिम खवातीन् के हक़ की बात करते है।
आप सब से गुजारिश है के ऐसे लोगो का बॉयकॉट किया जाए, सोशल मीडिया पर अन फॉलो कीजिये और इनका सामाजिक बॉयकॉट कीजिये। या लोग फिरंगियों के गोद मे बैठ कर मुसलमानो के खिलाफ जहर उगलते है। इन के बहकावे मे न आवे। जो इस्लाम का नही वह भला मुसलमानो का नुमाइंदा कैसे हों सकता है।
Very useful Article
ReplyDeleteGreat thinking
ReplyDeleteExtra + advance
ReplyDeleteEurope misalman ka dushman hai
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