Rishton Se bharosa kab khatam ho jata hai?
Rishton me Dhoka dena kya Modern tarika hai?
Rishte ki buniyad Wafadari aur Zimmedari pe na hokar Aazadi pe ho to uska anjam kya hoga?
मॉडर्न होने का पैमाना छोटा कपड़े से है।
इस तरह कपड़े पहनने से इज्जत मिलती है।
आज की नौजवान नस्ल कल यूरोप की गुलामी करेगी।
बहनों इस साजिश से होशियार रहो।
क्या किसी लड़की की जबरदस्ती शादी कर देनी चाहिए?
जब किसी की बीवी किसी और मर्द के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाते हुए पकड़ी जाए तो उसका क्या करना चाहिए?
एक पुलिस अधिकारी थे, जवान हट्टा कट्टा और बदमाशो का बारह बजाने वाला।
ड्यूटी ज्वाइन करते ही बदमाशों की पुंगी बजा डाली थी उसने। बदमाशो ने सोचा के कुछ ले दे कर इसे मैनेज कर लेते है मगर वह निकला ईमानदार और अपनी जिम्मेदारी समझने वाला। जिसका नतीजा यह हुआ के कुछ लोगो को अरेस्ट किया फिर
बाक़ी या तो बुरे धंधे छोड़ गए और कुछ जगह बदल गए।
मतलब कहने की बात ये है कि पूरा नाम कमा लिया था थानेदार साहब ने।
कमी रह गई थी तो परिवार जिसके सहारे मर्द अपनी जिंदगी जीता है, फिर एक खूबसूरत सी लड़की से शादी हो गई। थानेदार की बीवी एकदम हंसमुख और लिबरल्स थी।
थानेदार के साथ-साथ। हुआ यह कि इलाक़े के साथ साथ उसके पड़ोस में भी लडको के बीच उसका दबदबा था। कोई उसके मकान के आसपास तक नहीं फटकता था।
अब रही बात बीवी के ऐश वा आराम की तो थानेदार का अच्छा ख़ासा तनख्वाह था तो उसने फ्रिज टीवी से ए.सी. तक लगवा दिया और एक स्कूटी भी खरीद दी ता के मैडम इधर उधर घूम सके।
मैडम एक फ़ोन कर देती तो दुकानदार खुद सामान घर पहुँचवा देता। बड़ी मौज चल रही थी। थानेदार घर आता तो बहुत सारा प्यार बीवी के लिये बचा कर लाता।
प्यार बचा कर लाने से मतलब कहीं और बाँट कर नहीं आता था बल्कि पुलिस वाला बाहर के लोगों द्वारा बाहर जो नफ़रत भरी निगाहों से देखा जाता है ना उस नफ़रत से खुद को अलग करके घर आता।
ऐसा नहीं है कि पुलिस ♀️ वालों को बाहर प्यार नहीं मिलता ! कुछ ऐसे बिजनेस भी होते हैं जहां पर पुलिस ️ वालों के लिये भी प्यार होता है नहीं तो पुलिस उस धंधे को चलने नहीं देती।
लेकिन यह थानेदार साहब ठहरे बा अखलाक, आला किरदार और शर्म वा हया वाला, उसे अपनी बीवी ही सबकुछ थी, उसके रिश्ते की बुनियाद वफादारी पे कायम है ऐसा ख्याल था उनका।
शादी को एक साल हो चला था। एक साल कुछ बड़ा नहीं होता प्यार करने वालों के लिये लेकिन एक गरीब और बे वफा शख्स को अचानक माल़ वा दौलत मिल जाता है तो वह उसकी कद्र करना भूल जाता है, अपने गुजरे हुए वक्त को भूल जाता है के उसे यह सब इससे पहले कभी मयस्सर नहीं हुआ।
थानेदार की बीवी को बिना किसी मेहनत के ही मैडम का खिताब मिल गया।
कहते हैं कि पेट में कीड़े हों तो खाया पीया भी जिस्म पर नहीं लगता।
यही हाल थानेदार की बीवी का था। उसे वो लाड प्यार हज़म नहीं हुआ।
फिल्में और वेब सीरीज देखकर और आधुनिकता का पाठ पढ़ कर उसे लगता कि वो भी किसी से छुप छुप के मिले ,प्यार की बातें करे फ़ोन पर घंटों तक। यह सब तो आज के जमाने में होता ही है इसमें बुराई क्या है जब अपनी मर्जी शामिल हो तो? मैं एक औरत हूं और मेरे ख्वाहिशों की कदर होनी चाहिए यह मेरा कानूनी अधिकार है, मुझे कानून से यह हक मिला है के एडल्ट होने पर मैं अपनी मर्जी से किसी से मिलु, कही भी जाऊ, मुझे रोक कोई नही सकता मैं एक नारीवादी हूं।
एक लड़का ने अपने प्यार का इजहार उस लड़की ( थानेदार की बीवी) से कर दिया, लड़के ने कसम खाकर अपने प्यार पे भरोसा दिलाया।
ऐसा तो होना ही था क्योंकि थानेदार की बीवी बड़ी ऊँची आवाज़ में प्यार के नगमे गाती और कभी खिड़की से तो कभी छत से गली में आते जाते लड़कों की तरफ़ हंसती रहती, स्कूटी पे आसपास के लडको को लेकर शॉपिंग करने जाया करती थी।
ढेर सारी लिपिस्टिक होंठों पर लगाकर कर जींस और टॉप पहनकर , जिस्मों की नुमाइश करती हुई मॉडर्न लड़की कहलाने पे फूले न समाती।
अब थानेदारनी ने भी उस सडकछाप लड़के का दिल रख लिया तो बातें उड़ने लगी ।
बगैर आग के धुंआ कभी नहीं निकलती, बातें जब उड़ती है तो इसी धुंआ के तरह फैल जाती है यहाँ भी ऐसा ही हुआ बातें थानेदार साहब तक भी पहुंची।
थानेदार का सिर चकरा गया उसे यक़ीन ही नहीं हुआ, के जिसे मैं इतना चाहा वह इस कदर बेवफा निकल सकती है।
धीरे-धीरे शक ने अपना डेरा डाला और घर की ख़ुशियों ने बाहर का रास्ता पकड़ा ।
वो चरित्रवान था इसलिये अपनी बीवी से भी यही उम्मीद रखता था।
एक दिन हल्की बारिश हो रही थी और थानेदार अपने घर पर ही था। थानेदार का फ़ोन बजा और बुलावा आया कि कहीं एक्सीडेंट हुआ है तो वहाँ जाना है । थानेदार ने मैडम को बताया कि शायद देर हो जाएगी । दरवाज़ा बंद रखना और शाम का खाना बना कर रख लेना क्योंकि मुझे लगता है कि शाम हो जाएगी।
थानेदार गाड़ी लेकर निकला। और थानेदारनी ने फ़ोन मिलाकर अपने आशिक को बुलाया।
थोड़ी ही देर में थानेदार के घर में प्यार ही प्यार बरस रहा था कि तूफ़ान आया वो भी थानेदार के शक्ल में।
थानेदार ने अपनी बीवी को रंगे हाथों जो पकड़ना था।
बीवी का हसबैंड नही " आशिक " भागने की फ़िराक़ में था पर गेट पर थानेदार पिस्तौल निकाले तैनात खड़ा था। अब दोनों में मानो काटो तो खून नहीं था काल सीधा सामने खड़ा दिख रहा था।
मरता क्या न करता, थानेदार सोचा के मैने जिसे इतना चाहा वह मेरी हो न सकी तो फिर इसमें इस आशिक का क्या कसूर?.... मै आशिक को तो नही जानता मगर जिससे शादी किया हूं उसे तो जानता हू और वह मुझे जानती है फिर मेरे साथ इस तरह का धोकाधारी क्यू ? वगैरह वगैरह
लेकिन ये क्या थानेदार ने कहा कि रुको भाई कहाँ भागने की कोशिश कर रहे हो। मैं तुम्हें मारूँगा नहीं बल्कि तुम्हारी मदद करूँगा।
ये कहते हुए थानेदार ने अपनी बीवी को कहा कि फटाफट कपड़े बाँधो और जो जो तुम्हारे गहने मैंने तुम्हें लाकर दिये थे वो ले लो, क्युकी यह तुम्हारी मर्जी है और अधिकार भी, मै कौन होता हू रोकने वाला शायद मै ही बेवकूफ निकला जो इतने दिनो से यह गेम समझ नही पाया और आखिर में मुझे ही बली का बकरा बना दिया गया, मै ही इस दुनिया का सबसे बड़ा रूढ़िवादी शख्स हू जिसने तुम्हे बे इंतेहा प्यार किया मगर मैं मॉडर्न तरीको को समझ नही पाया के मै आस्तीन का सांप पाल रहा हूं।
थानेदार की बीवी हक्की बक्की रह गई उसे इस बात की उम्मीद नहीं थी इसलिये हाथ जोड़ते हुए बोली :- मुझे माफ़ कर दो मुझसे गलती हो गई। दोबारा ऐसा नहीं होगा और थानेदार के सामने गिरगिराने लगी।
लेकिन थानेदार ने उसे भरोसा दिलाया के वह तुम दोनो (थानेदार की बीवी और उसका आशिक ) कोई नुकसान नहीं पहुचायेगा, तुम बा इज्जत पूरी हिफाजत के साथ जा सकते हो साथ में ये भी कि कोई कोर्ट कचेहरी के चक्कर नहीं लगवाएगा क्योंकि अदालत जाने पर किसी मर्द को कितना इंसाफ मिलता है उसे यह पहले से ही पता था।
जितना जल्द हो सकेगा मै तलाक का कागज भेज दूंगा, बस तुम आज से पूरी तरह से आजाद हो क्यूके तुम ने अपने मकसद में कामयाबी हासिल कर ली है।
थानेदार की बीवी थोड़ी हिचक रही थी कि कहीं थानेदार कुछ ग़लत ना सोच रहा हो। लेकिन मैडम का आशिक जो उसका दूसरा पती बन गया था बहुत खुश था।
अब वह अपनी नई नवेली दुल्हन को लेकर किसी दूसरे शहर चला गया ताकि थानेदार का डर ख़त्म हो सके।
दूसरे शहर में जाने के बाद अपने ख्वाबों की मल्लिका के साथ बहुत ही हंसी खुशी से एक किराए के घर में रहने लगा।
जो गहने जेवर थानेदार ने अपनी बीवी को दिया था उनसे इनका खर्च निकल सका क्योंकि नया घर बनाने में बहुत खर्च हो जाता है भला कौन सा सामान नहीं लाना पड़ता।
इस बीच मैडम का नया पती कुछ काम धंधे की तलाश में लेबर चौंक पर जाकर दिहाड़ी मज़दूरी के लिए जाने की बाट जोहता ।
कभी काम मिलता तो कभी यूँ ही ख़ाली ताश खेल कर घर लौट पड़ता मगर वो ख़ुश था कि वह अपने प्यार के साथ रह रहा है दूसरी ओर उसकी पत्नी को थानेदार के ऐशो-आराम वाली जिंदगी पे तरश आने लगी।
वहाँ हर महीने नये सूट आते थे । पूरा मेकअप का सामान रहता था उसके पास। गर्मी तो कोसों दूर थीं क्योंकि थानेदार ने ए .सी. जो लगवा रखा था। नई नई फ़िल्में डिश टीवी पर आती वो उन्हें देखती और ख्वाबों में खो जाती थी।
यहाँ तो सबकुछ उलट है यहाँ इसका बेचारा पती तो चाय का सिर्फ पत्ती बनकर रह गया है। ऊपर से दिहाड़ी मज़दूरी करने के बाद थक जाता है और सारी रात मुँह फेरे पड़ा रहता है। ऊपर से थकान मिटाने के लिये बोतलें भी टिका लेता है। जिससे अगले दिन भी मुँह की बदबू नहीं जाती। किराए के मकान का किराया भी नहीं दे पाता इसलिए झोंपडपट्टी डालने की नौबत आ गई।
अब भला इतने बदबूदार पती के साथ मॉडर्न लड़की कैसे रह सकती थी?
इन सबसे परेशान होकर वो ऐसे छटपटाने लगी मानो "पानी बगैर मछली " का मिशाल शायद ठीक ना हो इसलिए जैसे मोबाइल फ़ोन के बगैर आज के नौजवान छटपटाते हैं ।
" अमीरी की कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी जहरीली होती है "
इन सबसे तंग आई बीवी ने मकान मालिक के बड़े बेटे के साथ प्यार की तीसरी पारी शुरू कर दी। अब फिर से बातें उड़ीं और मज़दूर के कानों तक जा पहुँची।
अब यह बातें सुनते ही मजदूर को पूरा यकीन हो गया क्यू के वह तो पहले से ही इस खेल का माहिर खिलाड़ी है। मजदूर को बहुत गुस्सा आया मगर वह कर ही क्या सकता था?
इसलिये उसने पत्नी को डांटा और गुस्से में चिल्लाकर पूछने लगा लेकिन वो साफ़ मुकर गई और खुदको बेकसूर मासूम बच्ची साबित करने लगी।
मज़दूर चुप होकर सो गया लेकिन वो उसे मौक़े पर पकड़ने का प्लान बनाने लगा और उसकी ये तमन्ना भी जल्दी ही पूरी हो गई। मजदूर आशिक के बीवी का नया आशिक पत्नी के साथ रंगेशरीर पकड़ा गया । मज़दूर दिल पर क़ाबू नहीं रख पाया और पत्नी के नए आशिक से झगड़ा कर बैठा। झगड़े में उसके हाथ एक कुल्हाड़ी लग गई और उसने वो पत्नी के आशिक पर दे मारी। मकान मालिक का बेटा वहीं गिर गया।
अब होना क्या था नया आशिक मर गया। बात पुलिस तक पहुँच गई तो वही थानेदार जिसकी अभी कुछ दिन पहले ही इस शहर में तबादला हुआ था। टीम के साथ पहुँच गया।
थानेदार को देखते ही मज़दूर आशिक फूट फूट कर रोने लगा। दूर खड़ी पत्नी आँखों में आँसू लिये कोने में सिसकती दिखी।
थानेदार ने मज़दूर से कहा कि अब रोना कैसा तुम तो ग़रीब मजदूर ठहरे जब ऐश वा आराम के साथ ये बे वफा और धोखेबाज न रुक सकी तो तुम कैसे रोक सकते थे।
तुम दोनों को उसी दिन देखकर मैं समझ गया था इसका अंजाम क्या होगा?
मैंने सोचा के तुम्ं (मजदूर आशिक) जब मेरी मदद करने आही गए हो तो फिर क्यों न तुमसे मदद ली जाए लिहाजा मैंने इसे तुम्हारे साथ जाने दिया क्युकी इस मुहब्बत के दास्तान का यही अंजाम होने वाला था।
जो आज तुमने किया वही कभी ना कभी मुझे करना पड़ सकता था ।
चलो अब दोनों जेल में जी भरकर प्यार मुहब्बत कर लेना।
आशिक और उसकी बीवी दोनो जेल में बैठे और अपने मंजिल की तरफ चल पड़े।
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