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Insan aur Muashare Par Gunahon ke Asraat. (Part 06) last

Insan aur Muashare Par Gunahon ke Muhallik asraat. (Part 06 last)
Musalmano ko Apni kaun kaun si Jimmedari ka khas khyal rakhna chahiye?
इन्सान और मुआशरे पर गुनाहों के मुहलिक असरात
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                  *ख़ुतबाते हरम (6)
  *"और बेशक तुम्हारा रब घात लगाए हुए है।"*(कुरआनः अलफ़ज्रः89/14 )
यह अफ़सोसनाक हालात इस बात के मुतक़ाज़ी है कि हुक्काम, क़ाइदीन, उलमा, दाइयाने दीन और दानिशवराने मिल्लते इस्लामिया को मिल बैठ कर सोचना चाहिए कि गुनाहों के इस सैलाब के आगे बंद किस तरह बाँधा जाए। बअज़ लोगो की इस्लाह पसंदाना कोशिशों के मुस्बत नताइज देखने मे आ रहे हैं और आलमे इस्लाम में बेदारी की ठंडी हवाओं के झोंके चलने लगे हैं, जिनसे इन्शा अल्लाह आलमे इस्लामी मुस्तफ़ीद हो सकता है।
*"यह बात अल्लाह के लिए भारी नहीं।"*(कुरआनः इब्राहिमः 14/20, व फ़ातिरः 35/17 )

   लोगों! अल्लाह का तक़वा इख़्तियार करो और जान लो कि जब किसी इलाके में गुनाहों की कसरत होती है वह बरबाद हो जाता है, जिस दिल में बुराइयाँ घर कर लेती हैं वह मुर्दा हो जाता है, जिस जिस्म में उनको जगह मिलती है वह नाकारा हो जाता है, जिस क़ौम में यह आम होती है उसे ज़लील कर कर देती हैं और जिस सोसायटी में फैलती हैं उसे उजाड़ देती हैं। बुराईयों के बढ़ते हुए सैलाब को रोकने की जिम्मेदारी कलिमा गो मुसलमानों पर आइद होती है, रसूले अकरम सल्ल० का इर्शादे गिरामी है: *"तुम में से हर एक ज़िम्मादार है और हर एक से उसकी ज़िम्मादारी के मुतअल्लिक पूछा जाएगा।"* (सही बुख़ारी: 893, व सही मुस्लीमः 1829 )
हर शख़्स अपनी ज़िम्मादारी पूरी करे। अपनी, अपने घर की और औलाद की तरबियत पर खुसूसी तवज्जोह दे उनमे ख़ैर का जज़्बा रासिख़ हो, मुन्करात से नफ़रत हो और अपनी ताक़त के मुताबिक मुआशरे को पाक करने की जुस्तजू हो क्योंकि जब भी कोई बला और आफ़त होती है वह गुनाह के सबब से होती है और तौबा के ज़रीए दूर होती है। अल्लाह तआला का फ़रमान है: *"कह दीजिये, ऐ मेरे बन्दों! जिन्होंने अपने आप पर ज़्यादती की है, तुम अल्लाह की रहमत से मायूस न होना, बेशक अल्लाह तआला तमाम गुनाहों को मुआफ़ करने वाला है, यक़ीनन वह ग़फूर और रहीम है।"* (अज़् ज़ुमरः 39/53 )
  दरुद व सलाम पढ़िये जनाब ख़ैरुल वरा रसूले मुज्तबा मुहम्मद सल्ल० पर।
               *आख़री पोस्ट*
(कल से इन्शा अल्लाह "मौजूदा आलमी हालात में *उम्मते मुस्लिमा की ज़िम्मादारीयाँ* )

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Insan aur Muashare Par Gunahon ke Asraat. (Part 05)

Wah log jo Din rat burai me lage rahate hai aur apne Rab ko bhul baithe hai.
Beshak Hamara Rab bahut karam karne wala aur Meharban hai.
Insan aur Muashare Par Gunahon ke Muhallik asraat. (Part 05)
इन्सान और मुआशरे पर*
           *गुनाहों के मुहलिक असरात*
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                     *ख़ुतबाते हरम*
                              *(5)*
    हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि० फ़रमाते है: *"नेकी से चेहरे पर रौनक, दिल में नूर, रिज़्क़ में वुसअत, बदन में कुव्वत और मख़लूक के दिलों में मुहब्बत पैदा होती है और गुनाह से चेहरा पज़मुर्दा, क़ल्ब और क़ब्र की तारीकी, जिस्म में कमजोरी, रिज़्क़ में क़िल्लत और लोगों के दिलों में नफ़रत पैदा होती है।"*( अलजवाबुल काफ़ी,स०78 )
     हज़रत हसन बसरी रह० ने फ़रमाया: *"अल्लाह के नाफ़रमान चाहे सख़्त जान ख़च्चरों पर सवार हो जाएँ या सुबक रफ़्तार घोड़ो पर, उन्हें हक़ीक़ी इज़्ज़त व सरफ़राज़ी हासिल नहीं हो सकती, इसलिए कि गुनाहों का बोझ उनके दिलों की राहत छीन लेगा, अल्लाह तआला का फ़ैसला है कि उसके नाफ़रमानों का सर नीचा हो जाए।"*(अलजवाबुल काफ़ी: स०84)
    अज़ीज़ाने गिरामी! क्या अभी वक़्त नहीं आया कि हम अपने गुनाहों की संगीनी का जाइज़ा लें और यह हक़ीक़त समझ लें कि हमारी ज़िल्लत और पस्ती का बुनियादी सबब खुद हमारी बदआमालियाँ है। हमें चाहिये कि अपनी इस्लाह की तरफ़ तवज्जोह दें, इस्लाह तर्के मआसी और गुनाहों के तौबा के जरिए होती है, नीज़ दानिशवरों को भी ग़ौर करना चाहिए कि इस वक़्त जो हर तरफ़ बदअम्नी और फ़ित्ना व फ़साद का दौर दौरा है, ख़ाना जंगीयों की कसरत है, लूटमार और क़्त्ल व ग़ारतगारी का बाज़ार गर्म है, नित नई बीमारियों की वबा फैल रही है, कहीं यह सब कुछ हमारे ही करतूतों का नतीजा तो नही? क्योंकि फ़रमाया गया है: *"जो अल्लाह के ज़िक्र से एअराज़ करेगा उस पर सख़्त अज़ाब मुसल्लत किया जाएगा।"* (कुरआनः अल जिन्नः 72/17 )
   मज़ीद फ़रमाया: *"क्या वह लोग जिन्होंने बुराईयाँ कीं इस बात से बेख़ौफ़ हो गये कि अल्लाह तआला उन्हें ज़मीन में धँसा दे या उन पर इस तरह अज़ाब ले आए जिसे वह महसूस ही न कर सकें या उस वक़्त उन्हें अपनी लपेट में ले जब वह सो रहे हों, वह अल्लाह को आजिज़ नहीं कर सकते या उन्हें हालते ख़ौफ़े आ दबोचे, बेशक तुम्हारा रब बहुत करम करने वाला और मेहरबान है।" ( अन् नहलः 16/45--47 )

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Insan aur Muashare Par Gunahon ke Asraat. (Part 04)

Allah Kisi pe zulm nahi karta balki Wah Shakhs khud pe Zulm karta hai.
insan aur Muashare Par Gunahon ke Muhallik asraat. (Part 04)
इन्सान और मुआशरे पर गुनाहों के मुहलिक असरात
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                 *ख़ुतबाते हरम* (4)
   मआसी के मज़ीद नुक़सानात कभी अक्ल व खुर्द की बरबादी की सुरत में दिखाई देते है और कभी पस्त हिम्मती, बेज़मीरी, बेग़ैरती, ज़वाले निअमत, जिल्लत की मार, ख़ौफ़ व रोअब, परेशानी, बसीरत किल्लत, बारिश की कमी व मुख़्तलिफ़ क़िस्म की परेशानियों की शक्ल में दुनिया में, क़ब्र में और आख़िर में ज़ाहिर होते है, ग़र्ज़ गुनाहों का हर नुकसान एक दूसरे से बड़ा और हर तबाही दूसरी तबाही से ज़्यादा इबरतनाक सूरत में ज़ाहिर होती है। कुरआन मजीद और अहादीस में इसकी सराहत इस क़दर साफ़ साफ़ कर दी गई है कि शक व शुबहा की अदना सी गुंजाइश भी बाक़ी नहीं रहती।
  *"बिला शुब्हा इबरत है इसमे उनके लिए जो होशमंदी का मुज़ाहिरा करें, बात तवज्जोह से सुनें और हाज़िर हों।"*(कुरआनःक़ाफ़ः50/37 )

     अल्लाह तआला ने फ़रमाया: *"हर शख़्स अपने गुनाह के बदले गिरफ़्त मे लिया गया, इनमें कुछ ऐसे हैं जिन्हें सख़्त आँधी से ख़त्म किया गया, कुछ ख़ौफ़नाक चिंघाड़ के जरिए और बअज़ को ज़मीन में धँसा दिया गया और कुछ को ग़र्क़े आब किया गया, यक़ीनन तुम्हारे रब ने इनमें से किसी पर ज़ुल्म नहीं किया बल्कि वह खुद अपने आप पर जुल्म कर रहे थे।"
        (अल अन्कबूतः 29/40 )

शाइर ने क्या खूब कहाः " अगर तुम्हें किसी निअमत से सरफ़राज़ किया गया है तो उसकी हिफ़ाज़त करो क्योंकि गुनाह ज़वाले निअमत का सबब हैं। निअमत को अल्लाह के शुक्र के जरिए बाकी रखा जा सकता है और शुक़्रे इलाही से अल्लाह का ग़ैज़ व ग़ज़ब भी टल जाता है।"

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Insan aur Muashare Par Gunahon ke Asraat. (Part 03)

Allah jise Zalil kar de Use kaun Izzat de sakta hai?
insan aur Muashare Par Gunahon ke Muhallik asraat. (Part 03)
इन्सान और मुआशरे पर गुनाहों के मुहलिक असरात
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                        *ख़ुतबाते हरम*
                               *(3)*
      बनी इसराईल के ख़िलाफ़ सख़्तगीर क़ौम को क्यों मुसल्लत किया गया: *"इन दोनों वादों मे से पहले के आते ही हम तुम्हारे मुक़ाबले पर अपने ताक़तवर बन्दों को खड़ा कर देंगे, वह तुम्हारे घरों के अंदर घुस जाएँगे, अल्लाह का यह वादा पूरा होना था।"*( कुरआनः बनी इस्राइलः 17/5 )
       किसने उनके मर्दों को तहतेग़ किया? बच्चों को और औरतों को पस ज़न्दान किया? किसने उनकी जाएदाद और धन दौलत को आग लगा दी, फिर दोबारा उन पर इसी तरह का अज़ाब मुसल्लत किया गया।
      *"और फिर दोबारा जिस जिस पर क़ाबू पाएँगे जड़ से उखाड़ फैकेंगे।"* (कुरआनः बनी इस्राइलः 17/7 )
     फिर उन अज़ाबों का सिससिला मुसल्लत किया गया, कभी उनकी हलाकत व खूरेजी की गयी, कभी ज़ालीम हुक्मरानों ने उन्हें बन्दर और ख़िन्ज़ीर की शक्ल में बदल दिया गया और एक से बढ़ कर एक सख़्त ज़िल्लत आमेज़ अज़ाब आया।
       *"और वह वक़्त याद करो जब आपके रब ने यह बात बतला दी वह उन यहूदियों पर क़यामत तक उन लोगों को मुसल्लत करता रहेंगा जो उन्हें शदीद तकलीफ़ पहुँचाते रहें।"*
         (कुरआनः अल आराफ़ः 7/167 )
     इमाम इब्ने क़य्यिम रह० ने बड़ी शर्ह व बस्त से गुनाहों के असरात का ज़िक्र किया है कि दुनिया और आख़िरत में अफ़राद और क़ौमों पर मआसी के क्या क्या नुक़सानात होंगे, यह असरात व नुक़सानात कभी इल्म से महरुमी, रिज़्क़ में बेबरकती, तंगी और जुल्मत की शक्ल में ज़ाहिर होते हैं और कभी क़ल्ब व बदन की कमज़ोरी, इताअत से दूरी और ज़िल्लत की शक्ल में नमूदार होते हैं।
*( वलजवाबुल काफ़ी: स० 61, 62 )*

     फ़रमाने इलाही है: *"जिसे अल्लाह ज़लील कर दे उसे कौन इज़्ज़त बख़्श सकता है, बेशक अल्लाह जो चाहे करता है।"* (अल हजः 22/18 )

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Insan aur Muashare Par Gunahon ke Asraat. (Part 02)

Allah Bahut hi Gairat wala hai.
Insan aur Muashare Par Gunahon ke Muhallik asraat. (Part 02)
इन्सान और मुआशरे पर गुनाहों के मुहलिक असरात
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                     *ख़ुतबाते हरम* (2)
अल्लाह के रसूल सल्ल० ने फ़रमाया: *"बेशक अल्लाह को भी ग़ैरत आती है और अल्लाह को ग़ैरत उस वक़्त आती है जब कोई मोमिन अल्लाह की हरामकर्दा चीज़ों का इर्तिकाब करे।"* (सही बुख़ारी: 5223, व सही मुस्लीमः 2761 )

     किसी शाइर ने क्या खूब कहा है: "मैने देखा कि गुनाह दिलों को मुर्दा कर देते हैं और आदमी को हमेशा की ज़िल्लत में मुब्तला कर देते हैं, तर्के मआसी में दिलों की ज़िन्दगी है, तुम्हारे लिए नफ़्स की सरकशी ख़त्म करने में भलाई है।"

    अज़ीज़ भाईयों! गुनाहों का अफ़राद और क़ौमों की ज़िन्दगी पर गहरा असर मुरत्तब होता है, इमाम इब्ने क़य्यिम र० अ० ने फ़रमाया: "मआसी और गुनाहों का इन्सानी जिस्म पर वैसा ही असर होता है जिस तरह कोई ज़हर उसे नुक़सान पहुँचाता है। दुनिया और आख़िरत की बरबादी गुनाहों से आलूदगी के बाइस है। क्या आपने ग़ौर किया कि हमारे जद्दे अमजद को जन्नत से क्यों निकाला गया? क्या आपने सोचा कि इबलिस क्यों रान्दए दरबारे इलाही हुआ? किस सबब से वह मूजिबे लअनत ठहरा? और क्यों उस पर हमेशगी की ज़िल्लत तारी कर दी गई? जन्नत से उठा कर जहन्नम में क्यों झोंक दिया गया? साबिक़ा अक़्वाम की तबाही क्योंकर हुई? क़ौम आद पर आँधियों का अज़ाब क्यों मुसल्लत हुआ? जिसकी वजह से यह तन्दुरुस्त व तवाना क़ौम कटे हुए दरख़्त के तनों की तरह पड़ी रही? क़ौमे समूद के कलेजे क्यों फट गये? क़ौमे लूत की बस्तियों को क्यों तलपट कर दिया गया? क्यों उन पर आसमान से पत्थर बरसाए गए? क़ौमे शुऐब को क्यों साएबान के हैबतनाक अज़ाब में मुब्तला किया गया? उन पर दहकते हुए अंगारों की बारीश क्यों बरसाई गई? फ़िरऔनियों को किस वजह से ग़र्क़ किया गया? और क्यों उनको जहन्नम में फैंका गया? क़ारुन को उसकी दौलत समेत ज़मीन में क्यों धँसा दिया गया? क़ौमे नूह के बाद मुख़्तलिफ़ क़ौमों को मुख़्तलिफ़ अज़ाबों में क्यों मुब्तला किया गया?"
( यह तर्जुमा अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह० से मन्सूब अशआर का है, अलजवाबुल काफ़ी लिइब्ने क़य्यिमः स०84, व शरहुल अक़ीदतुत्तहाविया:स०235)*

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Iman yani Vishwas 234 (Quran wikipedia 382)

Quran Majeed Wikipedia part 382
Gadhe (ass) Ki Misal Quran me kin logo ke liye diya gaya hai?
Iman yani Vishwas 234
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*_❀कुरआन मजीद की इनसाइक्लोपीडिया❀_*

भाग-382         तारीख़:24/06/2020

    *★☆★☆ईमान यानी विश्वास-234★★☆★*

*_★गधा-2★_*

क़ुरआन में गधे का बयान सवारी के रूप में किया गया है !

*_घोड़े और खच्चर और गधे भी पैदा किए, ताकि तुम उस पर सवार हो और वे तुम्हारी शोभा का कारण भी बने ! और वह उसे भी पैदा करता है जिसे तुम नही जानते !_* 【सूरा-16,अन-नहल,आयत-8】

क़ुरआन में गधे का दूसरे अर्थो में प्रयोग--

*1.* _उन लोगों की उपमा गधे से दी गई है जिनको 'तौरात' दी गई परन्तु उन्होंने उसपर अमल नहीं किया !_

*_जिन लोगों पर तौरात का बोझ डाला गया, किन्तु उन्होंने उसे न उठाया, उनकी मिसाल उस गधे की-सी है जो किताबें लादे हुए हो ! बहुत ही बुरी मिसाल है उन लोगों की जिन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठला दिया ! अल्लाह ज़ालिमों को सीधा मार्ग नहीं दिखाया करता !_*

【देखिए : सूरा-62, अल-जुमुआ, आयत-5】

*2.* _गधे की आवाज़ कि उपमा सबसे बुरी आवाज़ से दी गई है !_

*_अपनी आवाज़ धीमी रख ! निस्संदेह आवाज़ों में सबसे बुरी आवाज़ गधों की आवाज़ होती है !_*  【देखिए : सूरा-31, लुकमान, आयत-19】

अपराधियों को जब नसीहत की जाती है तो ऐसे बिदकते हैं जैसे गधा शेर को देखकर बिदकता है !

*_आख़िर उन्हें क्या हुआ है कि वे नसीहत से घबराते हैं, मानो वे बिदके हुए गधे हैं जो शेर से (डरकर) भागे हैं !_* 【सूरा-74, अल-मुद्दस्सिर, आयतें-49-51】

आगे.........

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_निवेदन (गुज़ारिश) इस दर्स में कोई फेर-बदल न करे क्योकि अल्लाह आपके हर हरकत को देख रहा है !_

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Iman yani Vishwas 233 (Quran wikipedia 381)

Quran Majeed ki Encyclopedia
Gadha kaisa Janwar hai aur iske bare me Islam kya kahta hai?
Aap Sallahu Alaihe Wasallam ke Gadhe ka nam kya tha?
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कुरआन मजीद की इनसाइक्लोपीडिया

भाग-381         तारीख़:23/06/2020
    *ईमान यानी विश्वास-233*
★गधा★

गधा एक पालतू पशु है ! इसमें दो बातें विशेष रूप से पाई जाती है-

एक तो यह कि इसपर जितना भी सामान लादा जाए यह सब्र करता है !

दूसरे यह कि यह अत्यंत मंद बुद्धि वाला पशु होता है ! इसलिए इससे मंदबुद्धि की मिसाल दी जाती है !

गधे दो प्रकार के होते है-

*1.* जंगली: _जंगली गधे को अरबी में "वहशी" कहा जाता है ! इसका मांस हलाल है !_

*2.* घरेलू: _घरेलू या पालतू गधे को हिमार कहते है ! इसका मांस खाना मना है !_

प्राचीनकाल से गधे का प्रयोग विभिन्न कामो में किया जाता है ! इब्राहिम अलैहिस्सलाम से लेकर नबी सल्ल० तक सभी नबियों ने सवारी के रूप में इसका प्रयोग किया और आज भी बहुत सी जगहों पर लोग इसका प्रयोग सवारी के रूप में करते है !

*_इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने गधे की सवारी की ! (देखिए:बाइबल उत्तपत्ति,22:3)_*

*_याक़ूब अलैहिस्सलाम के पास बहुत से गधे थे ! (देखिए बायबल उतत्पत्ति:3043)_*

*_ईसा अलैहिस्सलाम गधे पर सवार होकर यरुसलम में प्रविष्ट हुए ! (देखिए बाइबल,मत्ती 22:5:7)_*

*_नबी सल्ल० भी गधे पर सवारी किया करते थे ! आप सल्ल० के गधे का नाम "उफैर" था ! आप सल्ल० के एक गधे का नाम "याफुर" था ! जिसे "फरवा बिन-अम्र जुज़ामी ने भेंट किया था !_*

आगे.........

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_निवेदन (गुज़ारिश) इस दर्स में कोई फेर-बदल न करे क्योकि अल्लाह आपके हर हरकत को देख रहा है !_

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Iman yani Vishwas 232 (Quran wikipedia 380)

Islam me Gussa karna kaisa gunah hai?
Quran Majeed ki Encyclopedia Part 380
Iman yani Vishwas quran wikipedia
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कुरआन मजीद की इनसाइक्लोपीडिया
भाग-380         तारीख़:22/06/2020
             ईमान यानी विश्वास-232

*_★गुस्सा★_*

कुरआन में इसके लिए 'ग़ज़ब' शब्द का प्रयोग हुआ है ! इसका अर्थ कोप, प्रकोप, क्रोध, फटकार इत्यादि होता है ! इसमें अल्लाह का 'ग़ज़ब' भी शामिल है और मनुष्यों का भी ! अल्लाह का 'गज़ब मनुष्यों के सुधार के लिए प्रयुक्त हुआ है !
【देखिए : सूरा-48, अल-फतह, आयत-60; सूरा-6, अल-मुम्तहिना, आयत-13; सूरा-24, अन-नूर, आयत-9】

परन्तु मनुष्यों में 'ग़ज़ब' का होना शिष्टाचार के विरुद्ध है !

इसलिए ऐसे मनुष्य की प्रशंसा की गई है,जो गुस्सा पी जाता हो ! 【सूरा-3 आले इमरान- आयत-134】

सही हदीसो में बलवान उस व्यक्ति को कहा गया है जो गुस्से की दशा में अपने आप को संभाले तथा अपने ऊपर पूरा नियंत्रण रखें !
(देखिए:बुखारी,6114 तथा मुस्लिम,2609)

_इसी प्रकार एक सही हदीस में आया है कि एक व्यक्ति नबी सल्ल० से निवेदन किया कि मुझे कोई उपदेश दे ! आप सल्ल० ने कहा, "गुस्सा मत किया करो !" उस व्यक्ति ने दोबारा निवेदन किया ! आप सल्ल० ने उसे वही उपदेश दिया ! इस प्रकार उसने कई बार निवेदन किया और आप सल्ल० उसको यही कहते रहे कि गुस्सा मत किया करो !_ [देखिए:सहीह बुखारी,6116]

आगे.........

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_निवेदन (गुज़ारिश) इस दर्स में कोई फेर-बदल न करे क्योकि अल्लाह आपके हर हरकत को देख रहा है !_

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Iman yani Vishwas 231 (Quran wikipedia 379)

Geebat Kaisa Gunah hai, Iske bare me islam kya kahta hai?
Kisi ki burai karna aur use haqeer samajhna kaisa gunah hai?
Imaan matlab Yakin Viswas 231
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❀कुरआन मजीद की इनसाइक्लोपीडिया❀

भाग-379         तारीख़:21/06/2020

    *★☆★☆ईमान यानी विश्वास-231★★☆★*

*_★गीबत★_*
गीबत का अर्थ किसी की पीठ पीछे निन्दा करना है ! यह एक सामाजिक बिगाड़ और रोग है,जिसकी इस्लाम में कठोर शब्दों में निन्दा की गई है ! कुरआन में है-

*_ऐ ईमान लाने वालो ! बहुत से गुमानों से बचो, क्योंकि कतिपय गुमान गुनाह होते हैं। और न टोह में पड़ो और न तुम में से कोई किसी की पीठ पीछे निन्दा करे - क्या तुम में से कोई इसको पसन्द करेगा कि वह मरे हुए भाई का मांस खाए? वह तो तुम्हें अप्रिय होगी ही। - और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह तौबा क़बूल करने वाला, अत्यन्त दयावान है !_*

【सूरा-49, अल-हुजुरात, आयत-12 】

_किसी की पीठ पीछे निन्दा करने में वैसे ही मज़ा आता है जैसे मांस खाने में, परन्तु अगर वह मांस किसी मुर्दे का हो विशेष रूप से अपने सगे मरे हुए भाई का तो जो घृणा इस मांस के खाने में होगी वहीं घृणा पीठ पीछे निन्दा करने में होनी चाहिए ! अब ग़ीबत करनेवाला स्वयं निणर्य कर ले कि क्या वह लोगों की पीठ पीछे निन्दा करके अपने मुर्दा भाई का मांस खाना पसन्द करेगा ? यहाँ पीठ पीछे निन्दा करने की उपमा मरे हुए भाई का मांस खाने से इस लिए दी गई कि जिस प्रकार मृत भाई अपने बचाव में कुछ नहीं कर सकता उसी प्रकार, जिसकी ग़ीबत की जा रही है वह कुछ नहीं कर सकता !_

_यह तो उस अवस्था में है जब वह बुराई, जो पीठ पीछे की जा रही है, उसमें पाई जा रही हो और अगर उसकी निन्दा किसी ऐसी बुराई के बारे में की जाए जो उसमें पाई ही न जाती हो, तो यह तोहमत (मिथ्यारोपण) कहलाता है, जो ग़ीबत से भी अधिक बड़ा पाप है !_

कुरआन जहाँ मनुष्यों को ग़ीबत जैसी सामाजिक बुराई से रोकता है, वहीं उन्हें पारस्परिक प्रेम-भावना की शिक्षा भी देता है-

*_पुण्य कर्मों और तक़वा (ईस-परायणता) में एक दूसरे की सहायता करते रहो,पाप तथा अत्याचार में सहायता न करो,अल्लाह से डरते रहो ! निश्चय ही अल्लाह कठिन यातना देने वाला है !_* 【सूरा-5, अल-माइदा, आयत-2】

आगे.........

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_निवेदन (गुज़ारिश) इस दर्स में कोई फेर-बदल न करे क्योकि अल्लाह आपके हर हरकत को देख रहा है !_

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Agar Aurat Ka Hamal Gir Jaye To Wo Kitne Din Ke Baad Namaj Padh Sakti Hai

Agar Aurat Ka Hamal Gir Jaye To Wo Kitne Din Ke Baad Namaj Padh Sakti Hai

Agar Aurat Ka Hamal Gir Jaye To Wo Kitne Din Ke Baad Namaj Padh Sakti Hai
السلام علیکم۔
آپی جان ایک عورت نے سوال پوچھا ہے کہ اگر عورت کا حمل 3یا4ماہ کا گرجائے تو وہ نماز اور روزہ رکھ سکتی ہے 40 سے پہلے 10۔15۔20۔دن بعد بعض کہتے ہیں 40 دن پورےکرنے ہوتے ہیں واضع دلیل سے راہنمائی فرمائیں۔۔۔۔
شکریہ
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وَعَلَيْكُمُ السَّلاَمُ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ
اس مسئلہ میں فقہا کرام کے درمیان کچھ اختلاف پایا جاتا ہے ، تاہم صحیح الرائے کے مطابق جب عورت ایسا حمل ساقط کرے جو متخلق ہو یعنی جس کی تخلیق واضح ہوچکي ہو تو یہ نفاس کا خون شمار کیا جائے گا اور عورت اس حالت میں نماز روزے چھوڑے گی ۔ بصورت دیگر اگر حمل متخلق نہ ہو یعنی بچے کی شکل وصورت واضح نہ ہوئی ہو اور یہ حمل ساقط ہوجائے تو اسے نفاس شمار نہیں کیا جائے گا ۔
سماحةالشيخ عبدالعزيز بن باز رحمہ اللہ تعالیٰ اس بارے میں کہتے ہیں :
جب عورت ایسا حمل ساقط کرے جس میں انسان کی تخلیق واضح ہوچکی ہو اورسر پا‎‎ؤں اورہاتھ وغیرہ واضح ہوچکے ہوں تواسے نفاس والی شمار کیا جائے گا ، اوراس کے احکام بھی نفاس والی عورت کے ہوں گے نہ تو وہ نمازادا کرے گي اورنہ ہی روزہ رکھے گي ، اورنہ ہی اپنے خاوند سے جماع کے لیے حلال ہے لیکن جب چالیس یوم مکمل ہوجائيں یا پھر اس سے قبل ہی پاک ہوجائے تواس پر غسل کرکے نماز ادا کرنی اورروزہ رکھنا واجب ہوگا ، اوراپنے خاوند کے لیے بھی حلال ہوجائے گی ۔۔۔
لیکن جب عورت کا ساقط کردہ صرف ایک گوشت کا لوتھڑا ہوجس میں شکل وصورت واضح نہ ہوئي ہو یا پھر جما ہوا خون ہو تواس صورت میں حمل ساقط ہونے کے بعد آنے والا خون استحاضہ شمار ہوگا اسے نفاس کا حکم نہیں دیا جائے گا اورنہ ہی وہ حیض کے حکم میں ہوگا ۔
لھذا وہ عورت نمازبھی ادا کرے گي اورروزے بھی رکھے گی ، اوراپنے خاوند کے جماع کے لیے بھی حلال ہوگي ۔۔۔ اس لیے کہ وہ اہل علم کے ہاں استحاضہ کے حکم میں ہے ۔
دیکھیے : فتاوی الاسلامیۃ /1 / 243
الشیخ ابن عثيمین رحمہ اللہ تعالی کا کہنا ہے :
اہل علم کا کہنا ہے : اگرتوانسان کی شکل وصورت واضح ہوچکی ہو تواس حالت میں ساقط ہونے کے بعد آنے والا خون نفاس شمار ہوگا ، جس میں عورت نہ تو نمازادا کرے گي اورنہ ہی روزہ رکھے گی ، اورخاوند بھی پاک صاف ہونے تک اس سے اجتناب کرے گا ۔
لیکن اگر ساقط ہونے میں تخلیق واضح نہ ہو تو اس حالت میں آنے والا خون نفاس شمار نہيں ہوگا بلکہ وہ خون فاسد ہے جس کی بنا پر نماز روزہ ترک نہیں کرے گی اورنہ ہی کچھ اور ۔
اہل علم کا کہنا ہے : بچے کی شکل وصورت واضح ہونے کی کم از کم مدت اکیاسی ( 81 ) یوم ہیں ۔۔۔۔
دیکھیے : فتاوی المراۃ المسلمۃ / 1 / 304 – 305
فتاوی اللجنۃ الدائمۃ للبحوث العلمیۃ والافتاء کے علماء کرام اس بارے میں فتوہ دیتے ہیں :
جب بچے کی تخلیق ہوچکی ہواور اس کے ا‏عضاء ہاتھ پاؤں اورسر وغیرہ واضح ہوچکے ہوں ، تواس حالت میں خون آتا رہے توچالیس یوم تک خون آنے کی حالت میں خاوند کے لیے بیوی سے جماع کرنا حرام ہے ، لیکن اگر چالیس یوم سے قبل ہی خون بند ہوجائے توبیوی کے غسل کے بعد اس سےجماع کرنا جائز ہے ۔
لیکن اگر بچے کے اعضاء ظاہر نہ ہوئے ہوں اوراس کی تخلیق واضح نہیں ہوئي تواس حالت میں حمل ساقط ہونے خاوند اپنی بیوی سے جماع کرسکتا ہے چاہے خون آتا بھی ہو کیونکہ یہ خون نفاس کا خون شمار نہیں ہوگا ، بلکہ یہ خون فاسد ہے اس حالت میں وہ نماز بھی ادا کرے گي اورروزے بھی رکھے گی ۔
دیکھیے : فتاوی اللجنۃ الدائمۃ للبحوث العلمیۃ والافتاء / 5 / 422
فقط واللہ تعالیٰ اعلم
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Kya Sajde Me Dua Mangna Jayez Hai

Kya Sajde Me Dua Mangna Jayez Hai

Kya Sajde Me Dua Mangna Jayez Hai, Namaj Me Dua Mangne Ka Tariqa
السلام علیکم ورحمتہ للہ وبرکاتہ
میری چھوٹی بہن دوران فرض اور سنت نماز میں سجدہ میں سبحان ربی اللہ کے بعد دعا مانگتی ہے.
کیا ان کا یہ عمل درست ہے،؟
میں نے پوچھا تو بتایا کہ کہیں پڑھا تھا مگر کہاں یاد نہیں....
جزاک اللہ خیرا کثیرا!
۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔
وَعَلَيْكُمُ السَّلاَمُ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ
نماز میں دعا کے مقامات جہاں دعا مانگنا مشروع ہے دعا مانگنا جائز ہے ، یعنی :
①- سجدوں میں
②- نماز کے آخری تشہد میں نبیﷺ پر دور پڑھنے کے بعد اور سلام پھیرنے سے پہلے
لہٰذا سجدوں میں ہر جائز ، مباح دعاء کرنا مستحب امر ہے ، لیکن یہ یاد رہے کہ عبادات چونکہ توقیفی ہوتی ہیں اس لئے دعا عربی زبان میں ہی مانگی جائے ، نبی مکرم ﷺ کا ارشاد ہے :
« عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ، قَالَ: كَشَفَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ السِّتَارَةَ وَالنَّاسُ صُفُوفٌ خَلْفَ أَبِي بَكْرٍ، فَقَالَ: «أَيُّهَا النَّاسُ، إِنَّهُ لَمْ يَبْقَ مِنْ مُبَشِّرَاتِ النُّبُوَّةِ إِلَّا الرُّؤْيَا الصَّالِحَةُ، يَرَاهَا الْمُسْلِمُ، أَوْ تُرَى لَهُ، أَلَا وَإِنِّي نُهِيتُ أَنْ أَقْرَأَ الْقُرْآنَ رَاكِعًا أَوْ سَاجِدًا، فَأَمَّا الرُّكُوعُ فَعَظِّمُوا فِيهِ الرَّبَّ عَزَّ وَجَلَّ، وَأَمَّا السُّجُودُ فَاجْتَهِدُوا فِي الدُّعَاءِ، فَقَمِنٌ أَنْ يُسْتَجَابَ لَكُمْ»
ترجمہ :
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں کہ نبی اکرم صلی اللہ علیہ وسلم نے (مرض الموت میں اپنے کمرہ کا) پردہ اٹھایا، (دیکھا کہ) لوگ جناب ابوبکر رضی اللہ عنہ کے پیچھے صف باندھے نماز پڑھ رہے ہیں ، تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا:
”لوگو! نبوت کی بشارتوں (خوشخبری دینے والی چیزوں) میں سے اب کوئی چیز باقی نہیں رہی سوائے سچے خواب کے جسے مسلمان خود دیکھتا ہے یا اس کے سلسلہ میں کوئی دوسرا دیکھتا ہے، مجھے رکوع اور سجدہ کی حالت میں قرآن پڑھنے سے منع کر دیا گیا ہے، رہا رکوع تو اس میں تم اپنے رب کی بڑائی بیان کیا کرو، اور رہا سجدہ تو اس میں تم دعاء میں خوب کوشش کرو ، کیونکہ یہ تمہاری دعا کی مقبولیت کے لیے زیادہ موزوں ہے“۔
صحیح مسلم/الصلاة ۴۱ (۴۷۹)، سنن النسائی/التطبیق ۸ (۱۰۴۶)، ۶۲ (۱۱۲۱)، سنن ابن ماجہ/تعبیر الرؤیا ۱ (۳۸۹۹)، (تحفة الأشراف: ۵۸۱۲)، وقد أخرجہ: مسند احمد (۱/۲۱۹)، (۱۹۰۰)، سنن الدارمی/الصلاة ۷۷ (۱۳۶۴)
فقط واللہ تعالیٰ اعلم بالصواب

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Kya Makdi Ko Maarne Se Gunah Hota Hai

Kya Makdi Ko Maarne Se Gunah Hota Hai

Kya Makdi Ko Maarne Se Gunah Hota Hai
بِسْـــــــــــــــــــــــمِ اللہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
السَّــــــــلاَم عَلَيــْـــــــكُم وَرَحْمَــــــــــةُاللهِ وَبَرَكـَـــــــــاتُه
غارِ ثور میں نبی کریمﷺ کو دشمنوں سےبچانے کیلیے غارکےدہانے پرمکڑی کے جالابُننےکی حقیقت
Kya Makdi Ko Maarne Se Gunah Hota Hai
Makdi Ko Mararna Kaisa Hai
معاشرے میں پھیلی بے شمار توہمات اور شرکیہ و کفریہ نظریات میں ایک غلط العوام بات یہ بھی ہے کہ جب نبی کریمﷺ ن دشمنوں سے چھپنے کے لیے غارِ ثور میں پناہ لی تو اللہ تعالیٰ کے اُذن سے مکڑی کے جالا تاننے کی وجہ سے نبی اکرمﷺ کفار کے ہاتھ آنے سے بچ گئے تھے۔ لہذا مکڑی کو مارنا جائز نہیں ہے ۔ درحقیقت مکڑی کو مارنے کی ممانعت کسی صحیح حدیث میں وارد نہیں ہے ۔ جو لوگ ہجرت کے واقعہ کو اس طرح بیان کرتے ہیں کہ جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم غار ثور میں تشریف لے گئے، اس وقت غار کے منہ پر مکڑی نے جالا بن دیا تھا، جس کی وجہ سے آپ کفار کے ہاتھوں بچ گئے تھے تو انکے پاس اسکی ایک دلیل بھی موجود نہیں ہے ، یہاں تک کہ خطباء اور واعظین بھی اس بات کو بڑھا چڑھا کر بیان کرتے ہیں۔ لیکن علماء کرام کے ہاں یہ بات پایہ ثبوت کو نہیں پہنچتی ۔
اس واقعہ سے متعلق مروی روایات منگھڑت اور بے سند ہیں ، ذیل میں " آپ کے مسائل اور ان کا حل" جلد نمبر ٣3 اور صفحہ نمبر ۴٣٦ سے منقول ان روایات کا جائزہ مذکور ہے :
 
- اس سلسلہ میں ایک روایت ابو مصعب مکی نے بیان کی ہے کہ میں نے انس بن مالک، زید بن ارقم اور مغیرہ بن شعبہ رضی اللہ عنھم کو گفتگو کرتے ہوئے سنا کہ غار کی رات اللہ تعالیٰ نے ایک درخت کو غار کے دھانے پر اگنے کا حکم دیا۔ تاکہ وہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کو کفار سے چھپائے اور مکڑی کو بھیج دیا اس نے وہاں پر جالا بن دیا اور دو جنگلی کبوتروں کو بھیج دیا جب قریش مکہ اپنی لاٹھیوں، تلواروں اور کمانوں سمیت تلاش کرتے کرتے وہاں پہنچے، نبی اکرم صلی اللہ علیہ وسلم اور ان کافروں کے درمیان چالیس ہاتھ کا فاصلہ تھا۔ ان میں سے بعض نے غار کے دھانے کی طرف جلدی سے دیکھا تو اس نے وہاں کبوتروں اور جالے کو دیکھا تو واپس پلٹ گیا۔ تو اس کے ساتھیوں نے کہا: کیا ہوا تو نے غار نہیں دیکھا؟ اس نے کہا میں نے وہاں دو جنگلی کبوتر دیکھے ہیں جس کی وجہ سے میں پہچان گیا کہ اس غار میں کوئی آدمی نہیں۔ اس کی اس بات کو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے سن لیا جس بناء پر آپ نے جان لیا کہ اللہ تعالیٰ نے ان لوگوں کو ہم سے دور کر دیا ہے۔
"کتاب الضعفاء الکبیر للعقیلی جلد 3 صفحہ 422'423۔ طبقات ابن سعد جلد 1 ص 228'229۔ کشف الاستار جلد 2 ص 299 میزان الاعتدال جلد 3 ص 307 دلائل النبوۃ للبیہقی جلد 2 ص 482 البدایۃ والنھایۃ جلد 3 ص 158'159
مذکورہ بالا روایت کے اندر دو خرابیاں ہیں:
- اس کو بیان کرنے والا راوی ابو مصعب مکی مجہول راوی ہے۔ یہ بات امام عقیلی نے اپنی کتاب الضعفاء جلد 3 ص 423 میں امام ذھبی نے اپنی کتاب میزان الاعتدال جلد 3 ص 307 میں تحریر کی ہے۔
- ابو مصعب سے روایت کرنے والا عون بن عمرو القیسی بھی قابل حجت نہیں ہے۔ امام بخاری نے اسے منکر الحدیث اور امام یحییٰ بن معین نے اسے لا شیء (کچھ نہیں ہے) کہا۔ (میزان الاعتدال جلد 3 ص 304)
❷ - یہ روایت حسن بصری سے بھی مروی ہے:
(ملاحظہ ہو البدایہ والنھایہ جلد 3 ص 158۔ مسند ابی بکر الصدیق لابی بکر احمد بن علی المروزی ص 118 رقم الحدیث 73۔ یہ روایت بھی سندا کمزور ہے۔ اس کے اندر بھی دو خرابیاں ہیں)
(1) یہ حسن بصری کی مرسل روایت ہے۔ اور مرسل حدیث جمہور محدثین، فقہاء اور اصولیین کے نزدیک ضعیف ہوتی ہے۔ (اصول الحدیث جلد 1 ص 350)
(2) اسکی سند میں بشار بن موسی الخفاف ضعیف راوی ہے۔ امام بخاری نے اسے منکر الحدیث، امام نسائی نے غیر ثقہ اور حافظ ابن حجر وغیرہ نے بہت غلطیاں کرنے والا قرار دیا ہے۔ المغنی فی الضعفاء جلد :1/صفحہ : 150/ تقریب, صفحہ : 44
❸ - تیسری روایت عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہ سے مصنف عبدالرزاق جلد 3 ص 389، مسند احمد جلد 1 ص 348 مجمع الزوائد جلد 7 ص 30 میں مروی ہے اس کی سند میں عثمان بن عمرو الجزری ضعیف راوی ہے۔ امام ابو حاتم رازی نے اسے ناقابل حجت اور حافظ ابن حجر نے اسے ضعیف کہا ہے۔ الجرح والتعدیل جلد 2 ص 126 تقریب ص 235 امام ازدی فرماتے ہیں کہ محدثین اس کی روایت میں کلام کرتے ہیں۔ کتاب الضعفاء والمتروکین لابن جوزی جلد 2 ص 71 ابن حبان کے سوا اسے کسی نے بھی قابل اعتماد قرار نہیں دیا۔ لہذا یہ روایت بھی قابل حجت نہیں۔
 اس سلسلے کی چوتھی روایت یہ ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ تعالیٰ مکڑی کو ہماری جانب سے اچھا بدلہ دے۔ اس نے مجھ پر غار میں جالا بنا تھا۔
(الجامع الصغیر للسیوطی ص 218 رقم الحدیث: 3585)
امام سیوطی نے اس کو مسند فردوس دیلمی کے حوالے سے ذکر کر کے آگے ضعف کی علامت لگائی ہے۔ علامہ البانی حفظہ اللہ نے سلسلہ ضعیفہ جلد 3 ص 338،339 میں اسے نقل کر کے اس کے دو راویوں عبداللہ بن موسی اسلمی اور اس کے استاد ابراہیم بن محمد پر جرح نقل کی۔
مذکورہ بالا توضیح سے واضح ہوا کہ غار ثور کے دھانے پر جالا بننے والی مکڑی کے بارے میں بیان کی گئی روایات صحیح نہیں ہیں۔ لہذا یہ بات درست نہیں۔
ھٰذٙا مٙا عِنْدِی وٙاللہُ تٙعٙالیٰ اٙعْلٙمْ بِالصّٙوٙاب
وَالسَّــــــــلاَم عَلَيــْـــــــكُم وَرَحْمَــــــــــةُاللهِ وَبَرَكـَـــــــــاتُه
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