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Ansar Aur Muhajir Ke Bich Khajoor ka Taqseem. (Quran wikipedia 22)

Nabi-E-Akram Sallahu Alaihe Wasallam Ka Muhajir Aur Ansar Ke Khajoor Ke Taqseem Ka Waqya.
कुरआन की इनसाइक्लोपीडिया
भाग-22    तारीख़:28/06/2019
अनसार-4
एक बार अनसार भाइयो ने नबी ﷺ से निवेदन किया कि आप हमारे खजूर के बाग हमारे और मुहाजिर भाइयो के बीच बांट दीजिये ! नबी ﷺ ने फरमाया-: नही, बल्कि तुम लोग ही बागों की देख-भाल करो, परंतु जो फल आए उसमे उनको सम्मिलित कर लो ! अनसार न कहा, हमने सुन लिया और आज्ञापालन किया !【देखिए,सही बुखारी,3782】

नबी ﷺ ने ऐसा इसलिए किया कि मुहाजिर भाइयो को खेती करनी नही आती थी ! इसलिए अगर मदीना के बाग बाँट करके उन्हें दे दिए जाते तो उपज कम हो जाती ! दूसरे यह कि मुहाजिर भाई व्यापार करना जानते ! नबी ﷺ ने पसंद फरमाया की मदीना भी मक्का की तरह व्यापार का केंद्र बने ! इसी प्रकार नबी ﷺ एक और हदीस फरमाया-: _अनसार से मोमिन (ईमानवाला) ही प्रेम करेगा ! और उनसे मुनाफिक (कपटा चारी) ही घृणा करेगा, तो जो उनसे प्यार करेगा अल्लाह उससे प्यार करेगा, और जो उनसे घृणा करेगा, अल्लाह उससे घृणा करेगा !_ 【बुखारी,3783 तथा मुस्लिम,75】

अनसार ने इस्लाम की सेवा और उसको संसार के कोने-कोने तक पहुचाने की जो चेस्टा की उसको बयान करना कठिन है ! इसलिए नबी ﷺ सदैव उनको प्रिय रखते थे ! जब मक्का विजय हो गया तो अनसार सोचने लगे कि अब कही नबी हमे छोड़कर मक्का वापस न चले जाएं ! परंतु आपने ऐसा नही किया, बल्कि जीवन की अंतिम सांस तक अनसार के साथ रहे और उन्ही के नगर मदीना में दफन हुए !
आगे.........

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यह दर्स शुद्ध हिंदी में है कही अगर मुझसे गलती हो जाये तो हमारा इस्लाह करे !

निवेदन (गुज़ारिश) इस दर्स में कोई फेर-बदल न करे क्योकि अल्लाह आपके हर हरकत को देख रहा है !

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Khutba Dene Ka Tarika. Khutba ke ibtadai Me Padhi Jane wali Dua.

Khutba Kaise Diya Jata Hai? Khutba me Kaun Kaun Si Duayein Padhi Jati Hai?

Juma Ka khutba, Khutba dene se pahle ki dua, Juma Mubarak Status, Jumq Mubarak Messages,

खुत्बा रहमतु-ल-लिलआलमिन ﷺ


इन्नल हम्दु लिल्लाह नहमदुहू वनस्तईनुहू वनस्तग्फिरहू व नऊजू बिल्लाहि मिन शुरूरि अनफुसिना व सयिआति आमालिना मंय यहादि-हिलल्लाहू फ़ला मुज़िल-ल लहू व मंय युज़लि-ल फ़ला हादि-य लहु वअशहदू अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु वहदहू ला शरी-क लहू वअशहदू अन-न मुहम्मद अब्दुहू वरसूलुहू अम्मा बअदु:

फ़इन-न ख़ैरल हदीसि किताबुल्लाहि वख़ैरल हदायि हदयु मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व शर्रल उमूरि मुह-द-सातुहा वकुल-ल बिदअतिन ज़लालतुन

[हदीस] मुस्लिम 867-868 तिर्मिजी 1105 अबू  दाऊद 2118
इब्ने माजा 1896

"या अय्युहन-नासुत्-तकू रब्बकुमल् लज़ी ख़-ल-क-कुम मिन् नफसिंव वाहिदतिवं व ख़-ल-क मिन्हा जौज़हा वबस-स मिन्हुमा रिजालन कसीरंव वनिसाअन वत्तकुल्लाहल्ल्ज़ी तसाअलू-न बिहि वल अरहामि इन्नलल्ला-हका-न अलैकुम रकीबन
[कुरान सूरह निसा आयत 1]

"या अय्युहल्लज़ी-न आमनुतकुल्ला-ह हक़-क़ तुक़ातिहि वला तमुतुन-न इल्ला वअन्तुम मुस्लिमू-न"
[कुरान सूरह आले इमरान आयत 102]

"या अय्यहल्लज़ी-न आमनु तकुल्ला-ह वकूलू क़ौलन सदीदन युसलिह लकुम आमालकुम व यग्फिर लकुम जुनूबकुम वमंय युतिइल्ला-ह वरसूलहू फ़कद फ़ा-ज़ फ़ौज़न अज़ीमन्
[कुरान सूरह अल-अहज़ाब 70-71]

बिलाशुबह सब तारीफें अल्लाह के लिए है हम उसकी तारीफ़ करते हैं उसी से मदद मांगते हैं और हम उससे अपने गुनाहों की बख्शिश चाहते हैं हम अपने नफ्स की शरारतों से और नफ़्स की बुराईयों से अल्लाह की पनाह तलब करते हैं जिसे अल्लाह राह दिखाए उसे कोई गुमराह नहीं कर सकता और जिसे वह अपने दर से दुत्कार दे उसके लिए कोई रहबर नही हो सकता और मैं गवाही देता हूँ कि माबूद बरहक सिर्फ अल्लाह तआला हैं वह अकेला हैं उसका कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उसके बन्दे और उसके रसूल हैं

यकीनन तमाम बातों से बेहतर बात अल्लाह की बात हैं और तमाम तरीकों से बेहतर तरीका मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हैं और तमाम कामों से बदतरीन काम वे हैं जो अल्लाह के दीन में अपनी तरफ से निकालें जाए और हर बिदअत दीन में नया काम गुमराही हैं

ऐ लोगों अपने रब से डरो जिसने तुम्हें एक जान से पैदा किया और फिर उस जान से उसकी बीवी को बनाया और फिर इन दोनों से बहुत से मर्द और औरतें पैदा की और उन्हें ज़मीन पर फैलाया अल्लाह से डरते रहो जिसके नाम पर तुम एक दूसरे से सवाल करते हो और रिश्तों का कत्ल करने से डरो बेशक अल्लाह तुम्हारी निगरानी कर रहा हैं

ऐ ईमान वालों अल्लाह से डरो जैसा कि इससे डरने का हक़ हैं और तुम्हे मौत न आए मगर इस हाल में कि तुम मुस्लिम हो

ऐ ईमान वालों अल्लाह से डरो और ऐसी बात कहो जो सीधी और सच्ची हो अल्लाह तुम्हारे आमाल की इस्लाह करेगा और तुम्हारे गुनाहों को माफ फरमाएगा और जिस शख्स ने अल्लाह और उसके रसूल की इताअत की तो उसने बड़ी कामयाबी हासिल की

तंबीहातः


(1) सही मुस्लिम,सुनन नसाई और मसनद अहमद में इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हु और इब्ने मसऊद रज़िअल्लाहु अन्हु की हदीस में खुत्बा का आगाज "इन्नल हम-द लिल्लाह" से हैं लिहाजा "अल् हमदु लिल्लाहि कि बजाए "इन्नल हम-द लिल्लाहि कहना चाहिए

(2) "नूमिनु बिहि वनतवक्कलु अलैहि" के अल्फ़ाज़
सही हदीसों में मौजूद नहीं हैं

(3) सही हदीसों में "नशहदु " जमा का सीग़ा नहीं बल्कि
"अशहदु" वाहिद का सीगा हैं


(4) यह खुत्बा निकाह,जुमा और आम वाअज़ व इरशाद व तदरीस के मौके पर पढ़ा जाता हैं इसे खुत्बा-ए-हाजत कहते हैं इसे पढ़ कर आदमी अपनी हाजत और ज़रूरत बयान करे
[हदीस: दारमी 2198]

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Kaise Hindu Bhaiyon Ki Daulat Hai Tauheed? किस का एक ईश्वर के प्रति निष्ठा और समर्पण है?

एक ईश्वर के प्रति निष्ठा और समर्पण है भारत की सनातन धरोहर
एकेश्वरवाद भारत की पुरातन और सनातन धरोहर है, जिसे वेदान्ती जी चाहे व्यवहार में न लाते हों लेकिन जानते सब हैं। यही वह ज्ञान है जो आदि में विश्व को भारत ने दिया था और बाद में दर्शन और काव्य के तले दबकर रह गया है। अगर मुसलमान हिन्दू भाईयों को याद दिलाते तो वे हरगिज़ इन्कार न करते बल्कि स्वीकार करते क्योंकि एक तो इन्कार का भाव भारतीय मनीषा में है ही नहीं। यहां तो केवल स्वीकार का भाव है

लेकिन कोई बताए तो सही।
दूसरी बात यह है कि एकेश्वरवाद का जो पाठ उन्हें याद दिलाया जाएगा वह उनके लिए न तो नया है और न ही अपरिचित, बल्कि दरअस्ल वह उनकी दौलत है जो आज हमारे पास बतौर अमानत है। जिसकी अमानत है, उसे आप देंगे तो वह आपका अहसान मानेगा, बुरा हरगिज़ न मानेगा।* अगर आपने उनकी अमानत उन तक नहीं पहुंचाई तो फिर खुदा आपसे भी छीन  लेगा

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Jon Logo Ne Bahut Sare Khudao ko Mabood Bna Rakhe Hai wo kisi Cheej ko Paida Nahi Kar Sakte?

Musharikeen-E-Makka Jis Ke Qaber Ki Ibadat Karte they O sab Ibrahim Alaihe Salam ke Jmane Me Nek Log They.
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيم
In logon ne Allah ke siwa jinhen apne mabood thehra rakhe hain wo kissi cheez ko paida nahi kar sakte balke wo khud paida kiye jate hain
Ye to apni jaan ke nuksan nafe ka bhi ikhtiyar nahi rakhte aur na maut-o-hayat ke aur na doobara ji uthne ke wo malik hain.
Al Quran Surah Furqan 25, Aayat 3,
NOTE: Daur e jahiliyat me mushrikane makkah jo Qabaro aur Buto (मूर्ति) ki ibadat karte the aur duae mangte the wo Ibraheem A.S. ke zamane ke nek, buzurg, auliya, Paighambar the.

Logo! ek misal bayan ki jarahi hai zara kaan laga kar suno
Allah ke siwa jis kisi ko tum pukarte ho wo ek makkhi bhi to paida nahi kar sakte go sare ke sare hi jama ho jayen.
Balke agar 🐜 makkhi un se koi cheez le bhage to ye to usse bhi usse cheen nahi sakte bada kamzor hai talab karne wala aur bada kamzor hai wo jis se talab kiya jaraha hai.
Al Quran Surah Hajj 22, Aayat 73,

Aap poochiye ke Aasmanon aur zameen ka parwardigar kaun hai? Keh dijiye Allah
Keh dijiye Kya tum phir bhi is ke siwa auron ko himayati bana rahe ho jo khud apni jaan ke bhi bhale bure ka ikhtiyar nahi rakhte
Keh dijiye ke kya andha aur beena barabar hosakta hai? Ya kya Taariki aur roshni barabar ho sakti hai?
Kya jinhen ye Allah ke shareek thehra rahe hain unhon ne bhi Allah ki tarah makhlooq paida ki hai ke in ki nazar me paidaeesh mushtaba hogayee ho
keh dijiye ke sirf Allah hi tamam cheezon ka khaliq hai wo akela hai aur zabardast ghalib hai.
Al Quran Surah Raad 13, Aayat 16,

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Allah Ki Raah Me Kharch Karne wale Aur Kanjoosi Karne wale Kaise Hai?

Aeise Log Jo Paise Hote Hue Bhi Kanjoosi Karte Hai?
   ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ 
   السَّلاَمُ عَلَيكُم وَرَحمَةُ اللّٰهِ وَبَرَكَاتُهُ 
Mafhum e hadith: Ek Farishta kahta hai Eh ALLAH kharch karne wale ko iska badla de aur dusra kahta hai ki eh ALLAH bakhil ko tabah kar de
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Hadith: Abu Hurairah Radhi Allahu Anhu se rivayat hai ki Rasool-Allah Sal-Allahu Alaihi Wasallam ne farmaya koi din aisa nahi jata ki jab bande subah ko uthte hain to do farishte aasman se na utarte ho, ( yani har roz do farishte subah ko aasman se utarte hain)  unmein se ek farishta ye kahta hai ki aei ALLAH (teri raah mein) kharch karne wale ko iska badla de aur dusra kahta hai ki eh ALLAH bakhil (kanjus) ko tabah kar de
Sahih Bukhari, Vol2, 1442
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نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا، کوئی دن ایسا نہیں جاتا کہ جب بندے صبح کو اٹھتے ہیں تو دو فرشتے آسمان سے نہ اترتے ہوں۔ ایک فرشتہ تو یہ کہتا ہے کہ اے اللہ! خرچ کرنے والے کو اس کا بدلہ دے۔ اور دوسرا کہتا ہے کہ اے اللہ! «ممسك» اور بخیل کے مال کو تلف کر دے۔
صحیح بخاری جلد ۲ ۱۴۴۲
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हदीस : अबू हुरैरा  रदी  अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया कोई दिन ऐसा नही जाता की जब बंदे सुबह को उठते हैं तो दो फरिश्ते आसमान से ना उतरते हो, ( यानी हर रोज़ दो फरिश्ते सुबह को आसमान से उतरते हैं)  उनमें से एक फरिश्ता ये कहता है की एह अल्लाह (तेरी राह में )खर्च करने वाले को इसका बदला दे और दूसरा कहता है की एह अल्लाह बखील (कंजूस) को तबाह कर देसही बुखारी, जिल्द 2, 1442
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Narrated Abu Huraira Radi Allahu Anhu The Prophet Sallallahu Alaihi Wasallam said, There is no day on which people get up in the morning and two angels does not come down from heaven (means Every day two angels come down from Heaven in the morning ) and one of them says, O Allah! Compensate every person who spends (in Your Cause) ,' and the other (angel) says, 'O Allah! Destroy every miser.
Sahih Bukhari, Vol. 2, Book 24, 522
     ☆▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬☆
Aye imaan waalo Allah ki itaat karo aur uske Rasool ki itaat karo aur apne Amalo ko Baatil na karo
Jo Bhi Hadis Aapko Kam Samjh Me Aaye Aap Kisi  Hadis Talibe Aaalim Se Rabta Kare.
JazakAllah  Khaira Kaseera

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"Mai Sukun Chahta Hoo" Iske liye Kya Karna Hoga?

Mai Sukun Chahta Hoo Iske Liye Kya Kare?
  ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ
  السَّلاَمُ عَلَيكُم وَرَحمَةُ اللّٰهِ وَبَرَكَاتُهُ
Ek Shakhs ne Ek Buzurg SE Kaha - Mai'n Sukoon Chahta Hu'n ?
Buzurg ne Farmaya - is Jumle me SE "Mai'n " nikaal do ,Ye Takabbur Ki Alaamat Hai , "Chahta Hu'n" nikaal do ,Ye Khwahishe Nafs Ki Alaamat Hai , Tumhare Paas Sirf " Sukoon " hi reh Jayega _,"*

ایک شخص نے ایک بزرگ سے کہا - میں سکون چاہتا ہوں ہو ؟ بزرگ نے فرمایا - اس جملے میں سے "میں" نکال دو یہ تکبر کی علامت ہے , "چاہتا ہوں " نکال دو یہ خواہش نفس کی علامت ہے ، تمہارے پاس صرف "سکون" ہی رہ جائے گا
एक शख्स ने एक बुजुर्ग से कहा- मैं सुकून चाहता हूं ? बुजुर्ग ने फरमाया -इस जुमले में से " मैं " निकाल दो यह तकब्बुर की अलामत है, "चाहता हूं " निकाल दो यह ख्वाहिशे नफ्स की अलामत है। तुम्हारे पास सिर्फ "सुकून"ही रह जाएगा.
     ☆▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬☆
Aye imaan waalo Allah ki itaat karo aur uske Rasool ki itaat karo aur apne Amalo ko Baatil na karo

Jo Bhi Hadis Aapko Kam Samjh Me Aaye Aap Kisi  Hadis Talibe Aaalim Se Rabta Kare.
JazakAllah  Khaira Kaseera

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Kya Islam Aatankwad Ki Taleem Deta Hai? क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है? (Part 25)

Kya Islam Aatankwad ko Badhata Hai?
   क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है?
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है*
नोट: यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।*
पार्ट नंबर 25
इस्लामऔर आतंक पवित्र कुरान से आइये जानते हैं
     इस्लाम का प्रथम उददेश्य दुनिया में शान्ति की स्थापना है, लड़ाई तो अन्तिम विकल्प है और यही तो आदर्श धर्म है, जो नीचे दी गई इस आयत में दिखाई देता है:-*          *(ऐ पैग़म्बर!) कुफ़्फ़ार से कह दो कि अगर वे अपने फ़ेलों [बुरे कर्मो] से बाज़ आ जाएं, तो जो हो चुका, वह उन्हें माफ़ कर दिया जाएगा और अगर फिर (वही हरकतें) करने लगेंगे तो अगले लोगों का (जो) तरीक़ा जारी हो चुका है (वही उनके हक़ में बरता जाएगा)।(कुरआन, सूरा- 8, आयत- 38)*
       *इस्लाम में दुश्मनों के साथ भी सच्चा न्याय करने का आदेश, न्याय का सर्वोच्च आदर्श प्रस्तुत करता है इसे नीचे दी गई पवित्र क़ुरआन कि आयत में देखिए :-*
      *ऐ ईमानवालो ! खुदा के लिए इंसाफ़ की गवाही देने के लिए खड़े हो जाया करो और लोगों की दुश्मनी तुमको इस बात पर तैयार न करे कि इंसाफ़ छोड़ दो। इंसाफ़ किया करो कि यही परहेज़गारी की बात है और खुदा से डरते रहो। कुछ शक नहीं कि खुदा तुम्हारे तमाम कामों से ख़बरदार है। (कुरआन, सूरा- 5, आयत- 8)*
पोस्ट आगे जारी है......✍✍✍
HAMARI DUAA
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।

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Kya Islam Aatankwad Ki Taleem Deta Hai? क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है? (Part 24)

Kya Islam Aatankwad Failata Hai?
क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है??
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है*
नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।
*पार्ट नंबर* 24
इस्लाम और आतंक पवित्र कुरान से आइये जानते हैं
*इस्लाम में कहीं भी निर्दोषों से लड़ने की इजाज़त नहीं है, भले ही वे काफ़िर या मुश्रिक या दुश्मन ही क्यों न हों। विशेष रूप से देखिए पवित्र क़ुरआन में अल्लाह के ये आदेश :-*
        *जिन लोगों ने तुमसे दीन (धर्म] के बारे में जंग नहीं की और न तुम को तुम्हारे घरों से निकाला, उनके साथ भलाई और इंसाफ का सुलूक करने से खुदा तुमको मना नहीं करता। खुदा तो इंसाफ़ करने वालों को दोस्त रखता है (कुरआन, सूरा- 60, आयत- 8)*
            *खुदा उन्हीं लोगों के साथ तुमको दोस्ती करने से मना करता है, जिन्होंने तुम से दीन के बारे में लड़ाई की और तुमको तुम्हारे घरों से निकाला और तुम्हारे निकालने में औरों की मदद की, तो जो लोग ऐसों से दोस्ती करेंगे, वही ज़ालिम हैं (कुरआन, सूरा- 60, आयत- 9)*
       *इस्लाम में दुश्मन के साथ भी ज़्यादती करना मना है, देखिए पवित्र कुरान में अल्लाह का आदेश:-*
     *और जो लोग तुमसे लड़ते हैं, तुम भी खुदा की राह में उनसे लड़ो,मगर ज्यादती [अत्याचार] न करना कि खुदा ज्यादती करनेवालों को। दोस्त नहीं रखता। (कुरआन, सूरा- 2, आयत- 190)*
      *ये खुदा की आयतें हैं, जो हम तुमको सेहत के साथ पढ़कर सुनाते हैं और अल्लाह अले-आलम [अर्थात् जनता] पर जुल्म नहीं करना चाहता। (कुरआन, सूरा- 3, आयत- 108)*
पोस्ट आगे जारी है....
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।*
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Kya Islam Terrorist Ka Sabak Deta Hai? क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है? (Part 23)

Kya Islam terorism Wala Mazhab Hai?
Kya Islam Insaniyat Nahi Sikhata?
क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है*
*नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।*
*पार्ट नंबर* 23
इस्लाम और आतंक पवित्र कुरान से आइये जानते हैं
    *(ऐ पैग़म्बर!) काफ़िरों का शहरों में [शानो-शौकत के साथ चलना-फिरना तुम्हें धोखा न दे। (कुरआन, सूरा- 3, आयत- 196)*
       *जिन मुसलमानों से (खामखाह) लड़ाई की जाती है, उनको इजाज़त है (कि वे भी लड़े), क्योंकि उनपर जुल्म हो रहा है और खुदा (उन की मदद करेगा, वह) यक़ीनन उनकी मदद पर कुदरत रखता है। (कुरआन, सूरा- 22, आयत- 39)*
       *और उनको (यानी काफ़िर कुरैश को जहाँ पाओ, क़त्ल कर दो और जहाँ से उन्होंने तुमको निकाला है (यानी मक्का से) वहाँ से तुम भी उनको निकाल दो। (कुरआन, सूरा- 2, आयत- 191)*
       *जो लोग खुदा और उसके रसूल से लड़ाई करें और मुल्क में फ़साद करने को दौड़ते फिरें, उनकी यह सज़ा है कि क़त्ल कर दिए जाएं या सूली चढ़ा दिए जाएं या उनके एक-एक तरफ़ के हाथ और एक-एक तरफ़ के पांव काट दिए जाएं। यह तो दुनिया में उनकी रुसवाई है और आख़िरत (यानी क़ियामत के दिन] में उनके लिए बड़ा (भारी) अज़ाब (तैयार) है। हाँ, जिन लोगों ने इससे पहले कि तुम्हारे क़ाबू आ जाएं, तौबा कर ली, तो जान रखो कि ख़ुदा बख़शने वाला, मेहरबान है।(कुरआन, सूरा- 5, आयत- 33, 34)*
*इस्लाम के बारे में झूठा प्रचार किया जाता है कि कुरआन में अल्लाह के आदेशों के कारण ही मुसलमान लोग गैर मुसलमानों का जीना हराम कर देते हैं, जबकि इस्लाम में कहीं भी निर्दोषों से लड़ने की इजाज़त नहीं है, भले ही वे काफ़िर या मुश्रिक या दुश्मन ही क्यों न हों। पवित्र क़ुरआन में विशेष रूप से देखिए अल्लाह का ये आदेश........*
पोस्ट आगे जारी है......✍✍✍
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।*
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Kya Islam Dahshat Gard ka Sabak Deta Hai? क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है? (Part 18)

Kya Islam Dahshatgardi Ka Sabak Sikhata Hai?
   क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है?
सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है*
*नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।
*पार्ट नंबर* 18
हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की संक्षिप्त जीवनी
         *पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) द्वारा लड़ी गई लड़ाइयाँ आक्रमण के लिए न होकर, आक्रमण व आतंकवाद से बचाव के लिए थीं, क्योंकि अत्याचारियों के साथ ऐसा किए बिना शान्ति की स्थापना नहीं हो सकती थी।*
      *अल्लाह के रसूल (सल्ल0) ने सत्य तथा शान्ति के लिए अन्तिम सीमा तक धैर्य रखा और धैर्य की अन्तिम सीमा से युद्ध की शुरुआत होती है। इस प्रकार का युद्ध ही धर्मयुद्ध (यानी जिहाद) कहलाता है।*
        *विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि कुरैश जिन्होंने मुहम्मद (सल्ल0) व मुसलमानों पर भयानक अत्याचार किए थे, फ़त्ह मक्का (यानी मक्का विजय) के दिन वे थर-थर काँप रहे थे कि आज क्या होगा???*
     *लेकिन मुहम्मद (सल्ल0) ने उन्हें माफ़ कर गले लगा लिया। अल्लाह ने हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) को किसी एक देश या किसी एक समुदाय के लिए पैग़म्बर बनाकर नहीं भेजा बल्कि सम्पूर्ण संसार के लिए, और सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए पैग़म्बर बनाकर भेजा।*
*कुरआन की सूरा-7, आयत-158 में है:-*
*(ऐ मुहम्मद सल्ल0) कह दो कि लोगो! मैं तुम सब की तरफ़ खुदा का भेजा हुआ (यानी उसका रसूल) हूं। (वह) जो आसमानों और ज़मीन का बादशाह है, उसके सिवा कोई माबूद [यानी पूज्य] नहीं । वही ज़िन्दगी बख्शता है और वही मौत देता है, तो खुदा पर और उसके रसूल पैग़म्बर उम्मी पर, जो खुदा पर और उसके क़ुरआन पर ईमान रखते हैं, ईमान लाओ और उनकी पैरवी करो, ताकि हिदायत पाओ।*
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
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Kya Islam Aatankwad Ki Taleem Deta Hai? क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है? (Part 17)

Kya Islam Dahshat Gard sikhata Hai Insaniyat Nahi?
क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है*
*नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।*
*पार्ट नंबर* 17
हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की संक्षिप्त जीवनी
        *अल्लाह के रसूल (सल्ल0) ने उन सभी लोगों को माफ़ कर दिया, जिन्होंने आप (सल्ल0) और मुसलमानों पर बेदर्दी से जुल्म किया तथा अपना वतन छोड़ने को मजबूर किया था। आज वे ही मक्कावाले अल्लाह के रसूल के सामने खुशी से कह रहे थे:-*
ला इला-ह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह
    और झुंड के झुंड प्रतिज्ञा कर रहे थेह्न ।
अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु व अश्हदु अन-न मुहम्मदरसूलुल्लाह
*(मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं है और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।)*
       *हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की पवित्र जीवनी पढ़ने के बाद मैंने पाया कि पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) ने एकेश्वरवाद के सत्य को स्थापित करने के लिए अपार कष्ट झेले।*
        *मक्का के काफ़िर सत्य-धर्म की राह में रोड़ा डालने के लिए मुहम्मद (सल्ल0) को तथा उनके बताए सत्य-मार्ग पर चलनेवाले मुसलमानों को लगातार तेरह सालों तक हर तरह से प्रताड़ित और अपमानित करते रहे।
     इस घोर अत्याचार के बाद भी मुहम्मद (सल्ल0) ने धैर्य बनाए रखा। यहाँ तक कि उनको अपना वतन मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा। लेकिन मक्का के मुश्रिक कुरैश ने मुहम्मद (सल्ल0) और मुसलमानों का पीछा यहाँ भी नहीं छोड़ा। जब पानी सिर से ऊपर हो गया तो अपनी और
मुसलमानों की तथा सत्य की रक्षा के लिए मजबूर होकर मुहम्मद (सल्ल0) को लड़ना पड़ा।
   इस तरह मुहम्मद (सल्ल0) पर और मुसलमानों पर लड़ाई थोपी गई। इन्हीं परिस्थितियों में सत्य की रक्षा के लिए जिहाद (यानी आत्मरक्षा और धर्मरक्षा के लिए धर्मयुद्ध) की आयतें और अन्यायी तथा अत्याचारी काफ़िरों व मुश्रिकों को दण्ड देनेवाली आयतें अल्लाह की ओर से मुहम्मद (सल्ल0) पर आसमान से उतरीं।*
   पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) द्वारा लड़ी गई लड़ाइयाँ आक्रमण के लिए न होकर..
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
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Kya Islam Aatankwad Failata Hai? क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है? (Part 15)

Kya Islam Aatankwad Ki Taleem Deta Hai?
   क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है?
*सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है*
*नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है ।
*पार्ट नंबर* 15
हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की संक्षिप्त जीवनी
        *कुरैश लगातार कई सालों से मुसलमानों पर हर तरह के अत्याचार करने के साथ-साथ उन्हें नष्ट करने पर उतारू थे, यहाँ तक कि मुहम्मद (सल्ल0) पर विश्वास लानेवालों (यानी मुसलमानों) को अपना वतन छोड़ना पड़ा, अपनी दौलत, जायदाद छोड़नी पड़ी। बहरहाल मुसलमान सब्र का दामन थामे ही रहे।*
     *लेकिन अत्याचारियों ने मदीना में भी उनका पीछा न छोड़ा और एक बड़ी सेना के साथ मुसलमानों पर हमला कर दिया। जब पानी सिर से ऊपर हो गया तब अल्लाह ने भी मुसलमानों को लड़ने की इजाज़त दे दी। अल्लाह का हुक्म आ पहुंचा जिन मुसलमानों से (ख़ामख़ाह) लड़ाई की जाती है, उनको इजाज़त है (कि वे भी लड़े), क्योंकि उनपर जुल्म हो रहा है और खुदा (उनकी मदद करेगा, वह) यक़ीनन उनकी मदद पर कुदरत रखता(क़ुरआन, सूरा-22, आयत-39)*
    *असत्य के लिए लड़नेवाले अत्याचारियों से युद्ध करने का आदेश अल्लाह की ओर से आ चुका था। मुसलमानों को भी सत्य-धर्म इस्लाम की रक्षा के लिए तलवार उठाने की इजाज़त मिल चुकी थी। अब जिहाद (असत्य और आतंकवाद के विरोध के लिए प्रयास अर्थात् धर्मयुद्ध) शुरू हो गया ।*इस्लाम के दुश्मनों ने कई बार मुसलमानों के शहर मदीना पर चढ़ाई की.....*
*HAMARI DUAA* ⬇⬇⬇
*इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।*
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