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Palestine: Arab Summit me Palestinian ke Liye laye Bill par Char Arab Mulko ne Vote nahi kiya.

Jaise Jaise Israel Palestinian par Bombari Speed kar raha hai waise waise Arab Condomention ki speed bhi badh rahi hai.

Aaj Tak OIC, Arab League jaise Orgnization ne Musalmano ki hifajat ke liye kya kiya hai?
Wah 4 Arab State jinhone Mir Zafar, Mir Sadiq ka Kirdar ada kiya hai?
अरबी सलेबी भाई भाई, यहूदि सऊदी भाई भाई
उस्मानिया समराज्य के खिलाफ अरबो ने कैसे गद्दारी की थी?
फिलिस्तीन और आज का मुसलमान, अरब हुकमराँ।

हमसब ने किताबो मे पढ़ा है, जब रोम जल रहा था तब उसके सहयोगियों ने बांसुरी बजाई थी।


आज आँखो से देखा।
फिलिस्तीन और ग़ज़ा के लोगो को खून मे नहलाया जा रहा था तब पड़ोसी सऊदी अरब मे मुजरे का मजा लिया जा रहा था, शकीरा के साथ ठुमके लगा रहे थे । इस्लाम अमल की बुनियाद पर किसी को नेक और बद कहता है नाकि नस्ल के बुनियाद पर। इस्लाम ने कुरान ओ सुन्नत पर चलने को कहा है नाकि अरबो की पैरवी और हिमायत करने का, जिससे कोई सच्चा मुसलमान हो जायेगा।

पढ़ता हूँ तो पूछती है यह खालिक की किताब

बे मिशल यहूदि, यह सऊदी भी अज़ाब, 

इस क़ौम के बारे मे क्या लिखू फराज़ 

काबे की कमाई से जो पीती है शराब्।

आज यह सच साबित होता नज़र आरहा है, बाकी अरब भक्त मुसलमान अरब हुक्मरानो के दरबारी शायर बने हुए है, की दरबारी इमाम स्क्रिप्टेड खुतबा दे रहा है, कोई उसकी तारीफ मे कसीदे पढ़ रहा है, कोई उसके नाच गाने और ठुमके लगाने को जाएज़ साबित करने मे लगा है, कोई तुर्किये से मुकाबला करके अरब को जस्टिफ़ाय कर रहा है वगैरह। 

अरब देशो का संगठन अरब लीग का बैठक सऊदी अरब के रियाद मे चल रहा है। इसके बाद सऊदी के दबदबा वाला संगठन OIC (Orgnization of Islamic Co Opration) का बैठक भी रियाद मे 11 नोवम्बर से होने वाला है। OIC को कुछ लोग orgnization ऑफ इस्राएल को ऑपरेशन भी कहते है। क्योंके यह सऊदी अरब के दबाओ वाला संगठन है जिसमे दुनिया भर के 57 मुस्लिम देश शामिल है। आजतक OIC ने मुसलमानो के लिए कुछ खास नही किया सिवाए निंदा के। OIC दुनिया भर के मुसलमानो पर हो रहे ज़ुल्म पर सिर्फ निंदा किया है, और उसके अहम देश सऊदी अरब और UAE ने उन देशो से गहरी दोस्ती की है जिन्होंने मुसलमानो पर सब से ज्यादा ज़ुल्म किया है, OIC ने जिसकी निंदा की है।

अरब लीग के बैठक मे तमाम अरब मुमालिक ने अपनी अपनी राय रखी, और 8 ओक्टोबर् से इस्राएल जो कुछ भी कर रहा है वह सबकी निंदा की है जो शुरुआती दिनों से ही करते आये है।
अरब देश दुनिया भर के मुसलमानो का नुमाइंदा होने का दावा करते है लेकिन 1948 से फिलिस्तीन के ज़मीन को कब्ज़ा करके इस्राएल बैठा हुआ है और फिलिस्तिनियो को मार कर भगा रहा है उसको आज़ाद नही करा सके, इसके उलट अरबो ने इस्राएल से दोस्ती कर ली और अमेरिका के कहने पर इस्राएल से बिजनेस शुरू कर दी। ये वह समझौते है इस्राएल के साथ जिसे जरिये इनकी दोस्ती बढ़ रही है, जैसे जैसे इनकी यहूदियों से दोस्ती बढ़ रही है वैसे वैसे इस्राएल का फिलिस्तीन पर बॉम्बारि भी बढ़ रहा है। अब तक 12500 से ज्यादा लोगो का क़त्ल कर चुका है।

अब्राहम एकार्ड्स
I2 U2  -  जिसका मतलब होता है (इंडिया इस्राएल - यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका,  युनिटेड अरब एमिरात)।
तीसरा समझौता है "इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर"
इन सब के जरिये अमेरिका अरबो पर इस्राएल को तसलिम करने का दबाओ बना रहा है, दूसरी तरह UAE और सऊदी अरब गरीब मुस्लिम देशों पर अमेरिका के हुक्म को मानते हुए धमका रहा है इस्राएल से दोस्ती बढ़ाने के लिए।

अरब लीग मे एक प्रस्ताव रखा गया जिसके तहत 5 शर्त रखा गया लागू करने के लिए। जिसके पक्ष मे 11 अरब देश वोट किया और 4 अरब देश खारिज कर दिया।

1. अरब देश अपना मिलिट्री बेस अमेरिका और उसके सहयोगियों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए। जिसके जरिये इस्राएल को हथियार और गोला बारूद भेजा जा रहा है।

2. अरब देश इस्राएल से राजनयिक, आर्थिक, सामरिक और सैन्य रिश्ते खतम करे।

3.तेल भेजना बंद करे और अपने सलाहियात् के मुताबिक जंग बंद करने का दबाओ डाले।

4. इस्राएल के नागरिक विमानो के लिए अरब देश वायुमार्ग बंद करे।

5. एक अरब मंत्रियों के समिति का गठन करे जो फ़ौरन न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, जेनेवा, लंदन, पेरिस और ब्रुसेल्स जाए, और अरब समिट  वहाँ जंग बंद करने के लिए और ग़ज़ा का नरसंहार बंद करने के लिए दबाओ डाले।
इस प्रस्ताव का 11 देशो ने समर्थन किया जबकि 4 देश प्रस्ताव के खिलाफ थे। इन चार देशो का नाम ज़ाहिर नही किया गया है जबकि समर्थन करने वाले देशों का नाम बताया गया है।

इस प्रस्ताव पर 11 देशो ने वोट किया
फिलिस्तीन
सीरिया
अल्जीरिया
टूनिशिया
इराक
लेबनान
कुवैत
क़तर
ओमान
लीबिया
यमन

इससे यह साफ ज़ाहिर होता है के ये अरब लीग या OIC से कुछ नही होने वाला है मुसलमानो का, सिर्फ अपनी मनमानी के लिए अरबो ने यह संगठन बनाया है जिसे जरिये अपना प्रभाव का इस्तेमाल बाकी कमज़ोर देशों करे और उस अपना गुलाम बनाकर रखे।
इस के खिलाफ वोट करने वाले का नाम भले ही नही दिया गया हो लेकिन सियासत के महिरीन को मालूम है के वह कौन चार अरब देश है।
सऊदी इसमे जरूर शामिल होगा, UAE भी इसमे अपना कोर्दुग्लू का किरदार अदा कर रहा है, बाकी मिस्र और जोर्डन पर तो इस्राएल का बैठाया हुआ अपना मुखबिर हुकमराँ है ही।

सऊदी सिर्फ कमज़ोर मुस्लिम देशो पर अपना सिक्का चलाता है जबकि फिलिस्तीन के लिए आजतक कुछ कर नही सका सिर्फ निंदा के।
सऊदी पहले ही कह चुका है के वह तेल को हथियार के रूप मे इस्तेमाल नही करेगा। वह अपने यहाँ मस्ज़िद के इमाम को भी अपने हिसाब से चलाता है, ताकी अवाम बादशाह के खिलाफ आवाज़ न उठाय। खाना ए काबा के इमाम अल सदैश् कहते है "फिलिस्तीन का मसला एक फितना है, इसमे मुसलमानो को शामिल नही होना चाहिए"। वहाँ उलेमा को मस्ज़िद मे खुतबा देने से पहले का बोलना है वह लिख कर दिया जाता है, जिस तरह सारी दुनिया मे फिलिस्तीन के लिए दुवायें हो रही है और इमाम मेम्बर से लोगो को मस्जिद ए अकसा की अहमियत, फिलिस्तिनियो की आज़ादी, ग़ज़ा के लोगो के उपर हो रहे ज़ुल्म को बता रहे है वैसा वहाँ कुछ भी नही है। वहाँ के दरबारी इमाम स्क्रिप्टेड खुतबा देकर अवाम को अंधेरे मे रख रहे है ताकि अवाम हालात ए हाज़रा से रूबरू हो गयी तो हुकूमत के खिलाफ बगावत शुरू हो सकता है या बादशाह को अमेरिका और इस्राएल की मदद करना बंद करना होगा।
सऊदी अमेरिका का कठपुतली है जो इस्राएल को फिलिस्तिनियो के खिलाफ मदद कर रहा है।

UAE उन चार देश में शामिल जिसने 2020 मे इस्राएल को मान्यता दिया था। इसने ग़ज़ा के नरसंहार पर इस्राएल का साथ दिया और वाज़ेह कर दिया के हम इस्राएल से अपना बिजनेस खतम नही करेंगे, उससे संबंध नही तोड़ेंगे।

मिस्र के सदर अल सीसी का तो पता ही होगा के वह अमेरिका का कठपुतली है, जिसने लोगो की चुनी हुई सरकार का तख्तापलट करके उस फांसी की सज़ा देकर खुद तख्त पर काबिज है। फतह अल सीसी ये सब मोसाद और CIA की मदद से किया था।

जोर्डन का किंग इस्राएल का बैठाया हुआ अपना एजेंट है,। इस्राएल को अज़रबैजान तेल भेज रहा है, अमेरिका और दूसरे ईसाई देश हथियार भेज रहा है वह सब जोर्डन के बंदरगाह से होते हुए जा रहा है।
यमन, इराक,शाम और ईरान के खिलाफ रहने वाला सऊदी अरब अमेरिका के इशारे पर काम करता है, आज इन्ही मुल्को ने फिलिस्तीन के समर्थन के लिए अरब लीग मे वोट किया।

खबर आई है के अरब इस्लामिक समिट मे सऊदी अरब, UAE, मोरोक्को, बहरीन ने इस ड्राफ्ट के खिलाफ वोट किया, यानी वह तेल और ऐरस्पेस ये सब अमेरिका इस्राएल के इस्तेमाल के लिए जारी रखेगा सिर्फ जुबानी जंग करेगा, ये नही होना चाहिए, वह नही होना चाहिए, ऐसे करेंगे वैसे करेंगे वगैरह वगैरह। लेकिन अमली तौर पर इस्राएल के साथ खड़े रहेंगे। 

फिलिस्तीन के तरफ से एक शेर इन छुपे दुश्मनो के लिए

बेनकाब उन की ज़फाओ को किया है मैंने

वक़्त के हाथ मे आईना दिया है मैंने

फिल्हाल अरब मुल्को मे अभी कैसा माहौल है?
पाकिस्तान के सेनेटर मुस्ताक अहमद क़तर और मिस्र गए थे हमास के नेताओ से मिलने।

उन्होंने वहाँ क्या कुछ देखा वह बताते है।

"आलम ए अरब मे अवाम को अपने डेंटिस्ट के अलावा कही और मूंह खोलने की इजाज़त नही। अमेरिकी गुलाम बादशाहो ने अवाम को बदतरीन गुलाम बनाया हुआ है। मैंने मिस्र मे दो हफ्ते गुजारा है, काहिरा मे जुमे के दिन किसी भी मस्ज़िद मे फिलिस्तीन या मस्जिद ए अकसा का ज़िक्र नही हुआ, कही भी जलसे जुलूस नही हुए, किसी भी मस्ज़िद मे फिलिस्तिनियो के लिए दुवायें नही हुई, वहाँ उलेमा के तरफ से इसपर कोई बहस नही हो रहा है, न अवाम को कुछ बताया जा रहा है। वहाँ मस्जिद के इमाम को इसपर बोलने की इजाज़त नही, मुजाहिरा करने पर पाबंदी है। वहाँ हर जुमे के दिन बड़ी मस्जिदो मे नमाज से पहले पुलिस गड़ियां, जेल गाड़ियां, शेलिंग, लाठी चार्ज की जाती थी। पुलिस दस्तो की तैनाती हमेशा रहती थी। मिसरी सदर फतह अल सीसी ने हमास के रॉकेटो से बचने के लिए इजरायली प्रधान मंत्री और फिलिस्तिनियो का क़ातिल नेतन्याहु को दो जहाज़ भेज दिया हमास के रॉकेटो का आग बुझाने के लिए।"

UAE ने इस्राएल के लिए राहत समाग्रि का पांच जहाज़ भेजा, वही इस्राएल के मंत्री बोल रहा है के हमे फिलिस्तिनियो के जाने की की परवाह नही।
अमेरिकी सदर बोलते है के "इजरायली लोगो की जान फिलिस्तिनियो से ज्यादा अहम है"
यहूदि आलिम ने कहा के "इजरायली फौज (IDF) को इजरायली औरतों को छोड़कर बाकी सारे फिलिस्तिनि औरतों का रेप करना चाहिए"
अमेरिकी विदेश मंत्री (एंटोनी ब्लिंकेन्) इस्राएल जाकर कहता है "मै यहाँ अमेरिकी विदेश मंत्री की हैसियत से नही बल्कि एक यहूदि होने की हैसियत से आया हू"

इस्राएल ने हॉस्पिटल पर बॉम्बारि के 12500 से ज्यादा लोगो को मारा, कहाँ है वह जो मुसलमानो का नेता बनने को तैयार रहता है?
किधर है वह सुन्नी मुसलमानो का रहनुमा ?
किधर है वह OIC का हेड जो अपनी मन मर्ज़ी से दूसरे मुस्लिम मुमालिक को अलग थलग करने मे लगा रहता है।
कहाँ है वह 40 देश के आर्मी चीप  जो UN के कहने पर शांति सेना भेजता है?
कही ये OIC (Orgnization of Israel Co -Opration) तो नही .
किधर है वह अरब मुमालिक जो अमेरिका की चाकरी करने और मुखबिरी करने मे लगा रहता है, उसका दोस्त अमेरिका और ब्रिटेन किधर है? जिसने उस्मानिया सलतनत से आज़ादी के लिए अंग्रेजो का साथ दिया था?

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