Musalmano ka ek bada tabka Jisme allim-E-Deen bhi shamil hai ne Cricket Match ko Hi Apna Deen samajh rakha hai.
जिन्होंने कभी अपने इंतकाल किये हुए बाप दादा के लिए दुवाएं नही की वह अपने पसंदीदा नेता, खिलाडी,अदाकार् , क्रिकेट टीम के लिए दुवाएं कर रहे है लेकिन फिलिस्तीन जहाँ 15000 से ज्यादा लोग शहीद हो गए उनके लिए दुआ करने का वक्त नही।
इजरायली सामान का बॉयकॉट के मुहिम मे शामिल होए और सिर्फ वक्ति तौर पर नही बल्कि हमेशा के लिए इस्राएल और उसके शैतानी कुव्वतो का बॉयकॉट करे, उनके बनाये खाने पीने के सामान के साथ साथ इलेक्ट्रॉनिक और टेक कंपनियों का बॉयकॉट करे, इस्राएल और उसके साथियो के माशीयत (economy) को ज्यादा से ज्यादा नुक्सान पहुचाने की कोशिश करे।
अभी और हमेशा के लिए इस्राएल और उसका साथी अमेरिका का खाने पीने से लेकर इलेक्ट्रॉनिक समान का जहाँ तक हो सके बॉयकॉट करे, रोज़मर्रा के सामानों मे बहुत सारे इस्राएल और अमेरिका का प्रोडक्ट खरीदते है उनकी पहचान करके उसका बॉयकॉट करे।
जैसे सर्फ एक्सेल, एरियल सरफ कपड़े साफ करने के लिए
पीने के लिए पेप्सी, कोकाकोला, KFC, थम्स अप, वगैरह
इन समानो को खरीदना बन्द करे, अगर फिलिस्तीन के लिए कुछ करना चाहते है तो।
दिल्ली मे जमीअत उलमा ए हिंद
जमात इस्लामी हिंद, उलमा ए अहले हदीस
आल इंडिया उलामा एंड माशाएख बोर्ड ( बरैली ) सब का हेड ऑफिस है। कहाँ गाएब हो जाते है ये इदारा वाले, आजतक ज़मीन पर उतर कर काम करते हुए इनसब को नही देखा गया, सिर्फ जलसे मे, खुतबे मे और सालाना इजलास् मे ये चेहरे नज़र आते है। अगर ये अरसद मदनी और महमूद मदनी फिलिस्तीन मे होते तो वहाँ इस्राएल को सही साबित करते और फिलिस्तिनियो को ग़ज़ा छोड़ने के लिए कहते, नेतन्याहु से बड़ा इनाम पाने मे इस तरह वे कामयाब हो जाते।
फलस्तीन पर कोई प्रोग्राम इनके बैनर से देखा है।
आम मुसलमानो को हालात से रुबरू कराने की ज़िम्मेदारी किसकी है ?
इन तंजीमो का क्या काम है?
यूरोप मे गिरफ़्तरिया हो रही है जो इजरायली आतंक के खिलाफ इंसानियत के साथ खड़े है, अरब देशो मे जिसकी नाम आने पर मुसलमान झूम उठते है वहाँ फिलिस्तीन के समर्थन मे नारे लगाने वाले या इजरायली आतंक को दिखाने वाले को हिरासत मे लिया जा रहा है, वहाँ इमाम को खुतबे मे इस पर बोलने की पाबंदी है। वहाँ वही कुछ हो रहा है जो अमेरिका चाहता है और इमाम या उलेमा वही बातें कर रहे है जो सलेबी कठपुतली बादशाह लिख कर दे रहा है। दिल्ली मे भी इमाम को फिलिस्तीन का नाम लेकर दुआ करने पर पुलिस के तरफ से रोक लगा दिया गया है। लेकिन इस्राएल के समर्थन मे रैलिया निकाल सकते है।
खिलाफत से बादशाहत और बादशाहत से जम्हूरियत मे कैसे तब्दील हुई?
क्रिकेट मैच या कोई भी खेल मे जितने के बाद प्लेग्राउंड या कही भी शुक्राने की नमाज़ पढ़ना कैसा है?
अरबी - सलेबी और यहूदि - सऊदी भाई भाई कैसे बने?
मुसलमानो का आज रहनुमा कैसे कैसे बेगैरत बने हुए है?
#फिलिस्तीन मुसलमान और मुस्लिम हुकमराँ।
शराब् को ड्रिंक, जीना को डेट, सूद को इंट्रेस्ट, बे पर्दगी को फैशन, नँगापन को आज़ादी, बेहयाई फ़हाशि को आज़ाद ख्याल, खुदगर्ज़ी को सियासत, बेईमानी, रिश्वतखोरी और चोरी को "पैसे कमाने का ट्रिक" जैसे नाम देकर आज हम सब अक़लमंद कहलाते है। इसी वज़ह से आज मुसलमान हर जगह जलील व रुस्वा हो रहा है।
ग़म-ए किर्केट है हम हिन्दी मुसलमानों को
दीनी अहकाम की हम फ़िक्र नहीं करते हैं।
जुम्मन् किस्म के मुसलमान मैच के दीवाने है, अपनी फेवरिट टीम के जितने के लिए मन्नतें भी मांगते है, दुवाएं करते है, सोशल मीडिया पर उसके समर्थन मे स्टेट्स भी लगाते है लेकिन दूसरी तरफ फिलिस्तीन के समर्थन मे इस्राएल के कंपनिया और समानो का भी बॉयकॉट करते है, उन्ही समानो का प्रचार करने के लिए यह खिलाडी कंपनियों से अरबो डॉलर कंट्रैट करते है और यह अब्दुल उन ब्रांड का इंप्रेसन भी बढ़ाते है। इनमे से कितने खिलाड़ी, आदकार जिनके फिल्मो को मुसलमान समझ कर देखने जाते है, इन्होंने फिलिस्तीन को ईमदाद किया है? ईमदाद तो दूर की बात है यह उनके प्रोडक्ट का प्रचार कर रहे है। जो अब्दुल अपने किसी फौत हुए शख्स के लिए कभी दुवाएं नही की होगी वह खिलरियो के लिए, सेलेब्रेटी के कामयाबी के लिए दुआ करते है और मन्नते मांगते है।
ईरान की खोखली धमकिया
तुर्किये का ब्यानबाजी
पाकिस्तान के मिली तराने
अरब के मुजरे और निंदा एक्स्प्रेस
आल ए सउद् के डरामे
फिलिस्तीन के लोगो को नही बचा सकते है, सारी दुनिया अरबो के तरफ देख रही है और अरब तवाएफो के तरफ देख रहे है, बर्रे सगीर के मुसलमान और नाम निहाद इमाम व उलेमा को फिलिस्तीन के साथ खड़ा होना चाहिए लेकिन वह सऊदी अरब के साथ खड़े है, अरबो को जस्तीफ़ाय करने मे, जलसे व इजलास मे पैसे लेकर बोलने वाले मौलानाओ व मुहल्ले के इमामो को फिलिस्तीन के डिफा मे खड़ा होना चाहिए था लेकिन यह सऊदी हुकमराँ के डिफा मे खड़े है।
ग़ज़ा की जंग से कुछ चिजे साबित हुई, जिस के लिए पहले लोगो को यकीन दिलाने पर वह खुद को मॉडर्न कह कर पश्चिम का गुलाम बनने मे फ़ख़्र महसूस करते थे।
पश्चिम और ईसाइयों का मनवाधिकार, लोकतंत्र,आज़ादी, बराबरी का नारा सिर्फ ढोंग है। कुत्तो और बिल्लियो को प्यार करने वालो ने हज़ारो इंसानी बच्चो और औरतो को टुकड़े टुकड़े कर दिया। यह सब पर वह खुश है बल्कि ओबामा का सलाहकर कह रहा है के यह तादाद बहुत कम है,
दूसरा यह के संयुक्त राष्ट्र नाम की संस्था बड़ी ताकतो की लौंडी है, यह संस्था हमेशा बड़ी ताकतो के सवॉर्थो की रक्षा के लिए काम करता है, यह एक गैरजरूरी और नाकाम एदारा है।
इंसानियत का ताल्लुक मजहब से नही
और इस्राएल का ताल्लुक़ इंसानियत से नही।
इस बात पर मुहर लग गयी के इंसानी हुकुक, आलमी अदालत, अक्वामी मुताहेदा की सारी तंजीमे यहूद ओ नसारा के हुकुक के लिए बनाई गयी है।
ऐ फिलिस्तीन के शहीद बच्चो हमे माफ करना, हम उस बेगैरत दौड़ मे पैदा हुए है के जिस की हुकमराँ फिरंगियों के गुलाम है, सिर्फ सलेबियो के लिए फौज भेजती है लड़ने के लिए, ऐ ग़ज़ा के बच्चो हमारी शिकायत न करना।
ऐ अल्लाह हमारे पास फिलिस्तीन और मस्जिद ए अक्सा के लिए दुआ के सिवा कोई रास्ता नही, ऐ अल्लाह हमारी दुआ को रद्द न करना, हमे मायूस न करना तु रहमान है, रहीम है। ऐ अल्लाह जो फिलिस्तीन के लिए महाज पर खड़े है दुश्मनो के सामने उनको फतह अता कर, मुजाहिदीन की हीफाजत कर, उनकी गैब् से मदद फरमा, मुज़हिदीन को सलामती के साथ उनको अपने घरों और मस्जिदो मे लौटा दे। ऐ अल्लाह जिन्होंने ग्ज़ा के लोगो पर, घरों पर, मस्जिदो पर बॉम्ब गिराया, मस्ज़िदों को शहीद किया उसे तबाह कर दे, जिसने भी उसकी मदद की उसका नाम ओ निशाँ मिटा दे। फिलिस्तिनियो का क़त्ल ए आम करने वाले को इबरत नाक सज़ा दे। ऐ अल्लाह फिलिस्तिनि लोगो, उनके घरों और मस्जिदो को महफूज़ रख। आमीन
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