Kya Middle East Me Hamas ki wazah se Aman nahi hai.
मध्य पूर्व मे इस्राएल के बनने के बाद कभी शांति नही रही.
इस्राएल को हमास से कोई मतलब नही है बल्कि वह फिलिस्तीन के बाकी हिस्से को कब्ज़ा करना चाहता है हमास तो एक बहाना है जिसको मोहरा बना रहा है।अरब बादशाहो का क़ीबला ए अव्वल कहाँ है?
फिलिस्तिनियो के क़त्ल ए आम मे इस्राएल का मददगार
फिलिस्तीन पर इजरायली बॉमबारी पर दुनिया क्यों खामोश है?
अगर आप फिलिस्तीन की आज़ादी चाहते है और इजरायली सामान खरीद कर इस्तेमाल भी करते है तो समझ जाए के आप फिलिस्तिनियो का खून बहाने, मस्जिदो पर बॉमबारी करने की फंडिंग कर रहे है। साथ साथ आप झूठ भी बोल रहे है के मै क़ीबला ए अव्वल की हीफाज़त चाहता हूँ। जितना यहूद ओ नसारा और अरबो का फिलिस्तिनियो के खून से हाथ रंगे है उतना ही आप भी शामिल है इसमे।
इस्राएल कहता है के हमास की वज़ह से इस इलाके मे शांति नही है, तो क्या हमास इस्राएल से पहले बना?
कनाडा खलिस्तानियो को आज़ादी का प्रतिक मानकर हमास को आतंकवादि कह देता है और भारत खलिस्तानियो को समर्थन देने वाले के साथ UN मे हमास को आतंकवादि और इस्राएल के आत्मरक्षा की बात करता है।आज हॉस्पितलो पर बॉम्बारी कौन कर रहा है?
मस्ज़िदों और चुर्चो को कौन निशाना बना रहा है?
स्कूल और कॉलेजों पर मिसाइल कौन मार रहा है?
सीरिया मे क्यो बॉम्ब गिराया जा रहा है?
लेबनान पर क्यो हमला किया जा रहा है?
ग्जा पर हमास की हुकूमत है लेकिन वेस्ट बैंक और फिलिस्तीन का खाना, पानी, दवा, बिजली, और इंटरनेट क्यो बन्द किया गया है?
क्या हर जगह हमास ही है?
क्या इतने बच्चे शहीद हुए है वह सब हमास के लोग थे?
अभी तक 8 हजार से ज्यादा लोग इस्राएल के आतंक से अपनी जान गंवा चुके क्या। वह सब हमास है?
12 लाख से ज्यादा लोगो को ग़ज़ा छोड़ना पड़ा क्या। वह। सब हमास। है?
इस्राएल कौन होता है फिलिस्तिनियो को वहाँ से भगाने वाला?
वह ज़मीन पुरा फिलिस्तीन का है और आज फ़िलिस्तिनि ही बेघर है,क्युके यहूदियों ने उन्हे भगा दिया।
कुछ लोग कहते है के दुनिया मे 57 मुसलमानो के देश है तो फिलिस्तिनियो को क्यो नही रख लेते है? जब फिलिस्तिनियो के लिए इतना बोल रहे है तो अपने यहाँ जगह क्यो नही देते?
सही है मुस्लिम मुमालिक उनको अपने यहाँ जगह देगा लेकिन उस ज़मीन का क्या होगा जिसे फ़िलिस्तिनि छोड़कर आयेंगे। वह सब पर यहूदियों को बसा दिया जायेगा और धीरे धीरे लेबनान, शाम, जोर्डन, सऊदी अरब सबके ज़मीन को कब्ज़ा करेगा और ग्रेटर इस्राएल बना लेगा। वह जहाँ चाहेगा वहाँ अपना दावा कर सकता है , इसका मतलब यह के मुसलमानो को चाहिए के उसको अपना ज़मीन देकर खुद दूसरे जगह चला जाए। वह ज़मीन जिस पर इस्राएल बसा है वह अरबो की जमींन है।
बात सिर्फ घर बना कर रहने की नही है। जगह दे दिया जायेगा लेकिन वेस्ट बैंक, फिलिस्तीन, ग़ज़ा मे कौन रहेगा? उसपर इस्राएल फिर कब्ज़ा कर लेगा। मुसलमान अपना घर छोड़कर भागता जायेगा और यहूदि उसपर कब्ज़ा करते जायेगा। आप मेसे कितने लोग है जो दुसरो के परेशान करने से अपना घर दुश्मन के हवाले करके दूसरे जगह चले जायेंगे?
जब अंग्रेज़ यहां गुलाम बनाये हुए था तो क्यो नही हमारे पूर्वज छोड़कर चले गए, उन्हे हिंदुस्तान को फिरंगियों के हवाले करके दूसरे देश का नागरिक बन जाना चाहिए।
भारत मे कुछ नेतन्याहु के अनुयाई है वही मुसलमानो से नफरत की वज़ह से ऐसी सवाल करते है। ऐसे लोगो से सवाल है के आप सिक्खो को खालिस्तान क्यो नही दे देते है?
आप क्यो निजज़र की मौत पर खुश है और कनाडा को आतंकवादि को पनाह देने वाला कहते है?
कनाडा जो हमास को आतंकवादि कहता है और UN मे उसकी निंदा करने के लिए प्रस्ताव लाता है जिसपर भारत वोट करता है, लेकिन राहत समाग्रि पहुॅचाने वाले प्रस्ताव पर भारत वोट नही करता है।
जबकि सबसे ज्यादा यही मानवता के ठीकेदार और ज्ञानी बैठे है, जीव ह्त्या पर उपदेश देने वाले,
सारी दुनिया को परिवार बताने वाला और विश्व का कल्याण करने वाला भारत मे ही है।
कनाडा जो खालिस्तान की मांग करने वाले को पनाह देता है,ऐतराज जताने पर उसे अपना मूल्य बताता है जिसकी रक्षा करने की बात करता है वही UN मे हमास को आतंकवादि संगठन बोलता है।
भारत कनाडा मे खालिस्तान की मांग करने वाले को आतंकवादि कहता है, जिसने कई बार दहशत गर्दी को अंजाम भी दिया लेकिन कनाडा अपने यहाँ उसे दहशत गर्द नही मानता है और न उसे भारत के हवाले करता है बल्कि खलिस्तानियो की आज़ादी बताता है। वही हमास को दहशत गर्द बोलता है, जबकि फिलिस्तीन तो अरबो की ज़मीन है और इस्राएल नजाएज़ है फिर हमास आतकवादी कैसे हो जायेगा?
क्या अपनी ज़मीन पर रहने वाला, आज़ादी की मांग करने वाला आतंकवादि हो जाता है? फिर कनाडा खलिस्तानियो को क्यो समर्थन देता है,क्यो उसे आज़ादी का प्रतिक मान कर उसे अपना मूल्य बताता है?
क्या सिर्फ ईसाई देशो के पास ही अपना मूल्य है।
वही भारत जो खुद अंग्रेजो का गुलाम रहा है,इसे आज़ाद कराने मे न जाने कितनो को फांसी पर चढ़ना पड़ा उस वक़्त जो भी स्वराज्य की बात करता उसे अंग्रेज़ आतंकवादि कहता, उसे जेल मे डाल देता, काला पानी की सज़ा सुना देता या फांसी की सज़ा सुना देता था। खुदीराम बोस जिन्हे सबसे कम उम्र मे अंग्रेजो ने फांसी की सज़ा सुनाई, भगत सिंह जिन्हे फांसी की सज़ा हुई।
अभी 80 साल ही हुए है इतने दिनों मे ही यहाँ के लोगो का हमदर्द अंग्रेज़ बन गया।
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने भी अंग्रेजो पर बॉम्ब फेंका था, वीर कुंवर सिंह, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने भी अंग्रेजो से लडाइयाँ लड़ी थी। सुभाष चंद्र बोस ने "आज़ाद हिंद फौज" नाम का संगठन भी बनाये जो हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए अंग्रेजो को कड़ी टक्कर दी.. उस वक़्त इन स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश हुकूमत ने आतंकवादि कहा और आतंकवादि कहकर मुकदमा चलाया गया। रॉलेक्ट एक्ट कानून बनाया गया, जलियावाला हत्याकांड हुआ, बंगाल मे भूख से 40 लाख लोगो की जाने गयी, बंगाल विभाजन हुआ, 1857 का गदर हुआ। क्या यह सब झूठ है?
1947 से पहले भारत किसका और कैसा था?
1948 से पहले फिलिस्तीन किसका और कैसा था यह नही मालूम है?
आज इस्राएल भी फिलिस्तिनियो का अनाज, पानी, बिजली, इंटरनेट बंद कर रखा है। लोग भूके मर रहे है, हॉस्पिटल पर बॉम्बारी कर रहा है, वहा के अस्पताल मुर्दा घर बन गए और लोग खाने खाने को तरस रहे है। लेकिन अमेरिका उसका कठपुतली हमास को इसके लिए ज़िम्मेदार बता रहा है।
कनाडा खलिस्तानियो को समर्थन देकर हमास को आतंकवादि कहता है।
भारत इस्राएल को समर्थन देकर हमास को आतंकवादि कहता है। लेकिन भारत की आज़ादी के लिए हथियार उठाने वाले महापुरुष अंग्रेजो के अदालत मे भी आतंकवादि ही थे जबकि हिंदुस्तानी उन्हे फ्रीडम फाइटर कहते थे।
अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, डेनमार्क, कनाडा, भारत, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया वगैरह के लोग इस्राएल को दहशत गर्द कह रहे है और फिलिस्तीन के साथ खड़े है, नेतन्याहु को नाज़ी हिटलर कहा जा रहा है जबकि सरकार इस्राएल के साथ खड़ी है, इस्राएल को हथियार और पैसे दे रही है।
फिलिस्तीन पहले से है जिस पर अमेरिका अपना कॉलोनी बसाया 1948 मे।
इस्राएल 1948 मे बना
PLO 1964 मे कायम हुआ।
इस्राएल 1967 मे ग्जा और वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा किया
हमास 1987 मे बना।
इस्राएल 1978 मे लेबनान पे हमला किया
हिज़्बुल्ला 1982 मे बना।
जब न हिज़्बुल्लाह था न हमास तब इस्राएल किस पर हमला करता था, हमास से पहले इस्राएल किस पर बॉम्ब बरसाया करता था, हिज़्बुल्ला से पहले क्यो मिसाइल मारता था?
हमास के फ्रीडम फाइटर्स मे 80% यतीम है। जिनके माँ बाप, भाई बहन या पूरे खानदान को इस्राएल, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी वगैरह यहूद व नसरानी ने बॉम्ब गिराकर मार डाला। आज बॉमबारी को देखते हुए जो बच्चा बड़ा होगा वह कोई पबजी का खिलाडी नही बनेगा बल्कि वो स्वतंत्रता सेनानी बनेगा जिसे अमेरिका और उसके अनुयायी देश आतंकवादि कहेगा लेकिन उनलोगो को इससे कोई फर्क नही पड़ता क्योंके उन्होंने मिट्टी की गोलिया से नही खेली है, सलेबी सह्युनि के गोला बरूदो के बारिश मे बड़ा हुआ है, अपनी आँखो के सामने अपने प्यारो को दम तोड़ते हुए देखा होगा।
समस्याओं का जड़ सिर्फ इस्राएल है जो दुसरो के ज़मीन पर अवैध बसा है। इस्राएल से पहले फिलिस्तीन था उस वक़्त क्यो नही बोम्बारी होती थी, हमले होते थे। इसलिए के यह इस्राएल अमेरिका द्वारा वितपोषित दहशत गर्द है जिसको अरबो के ज़मीन पर अरबो को नियंत्रण करने के लिए बनाया गया, जिसका कोई सीमा नही, जहाँ चाहता है कब्ज़ा करके यहूदियों को बसा देता है और अपना दावा करता है।
नापाक वज़ूद इस्राएल जो आज कर रहा है या 1948 से करता आरहा है... सिर्फ अमेरिका की हिमायत से, ब्रिटेन, फ्रांस की हिमायत से। अगर सलेबी सह्युनि को मदद करना बन्द कर दे तो आज झुक जायेगा। जैसे कुछ होता है अमेरिका हथियार भेजना शुरू कर देता है।
इसमे असल मुज़रिम कौन है? अमेरिका. जिसके बारे मे बात करने से मीडिया, हुकमराँ और माहेरिन डरते है, मीडिया इस पर बात नही करता क्योंके उसे अमेरिका के तरफ से मिले हुए इनाम का भी लाज रखना।
लिहाज़ा आम लोगो को सोचना होगा के अरबो का, तुर्किये का, पाकिस्तान का, मिस्र का सबसे करीबी पार्टनर् कौन है? वह अमेरिका है, इस्राएल को मदद कौन देता है वह अमेरिका है। लिहाज़ा अगर जादूगर की जान तोते मे है तो जादूगर को मारने से नही मरेगा बल्कि तोता को पकड़ना होगा,। तोते की गर्दन जब कटेगी तब ये तागुत् खत्म होगा। इसके लिए आल्मी सतह पर मुस्लिम दुनिया को चीन और रूस के खेमे मे जाना। होगा।
पहले अपने दुश्मन को पहचाने। कौन है जिसकी ताकत पर इस नजाएज़ वज़ूद को नाज़ है?
ज़ुल्म के खिलाफ बोलना सीखे
लड़ नही सकते तो लिखो
लड़ नही सकते तो बोलो
बोल नही सकते तो लिखो
अगर यह भी नही हो सकता है तो लिखने वाले का, बोलने वाले का साथ दो।
जो कोई भी लिख रहा है, बोल रहा है, लड़ रहा है उनकी मदद करो....
अगर मदद नही कर सकते तो हौसला अफ़ज़ाई करे, उनकी हौसला शक़ीनी न करे इसलिए के वह अपने और आप सब के हिस्से की लडाई लड़ रहा है।
ज्यादा लिबरल बनने के चक्कर मे लिखने, बोलने और साथ देने वाले का विरोध करना न शुरू कर दे।