Kya Chhote Kapre Pahanne aur Jism dikhane se khud ko Hm jyada Khubsurat m
hote hai?
जितना छोटे कपड़े हो इतना ही ज्यादा मॉडर्न और फैशन।
اسلامی *لباس التقوی* کا *مقصد*؟
ستر* اور *مقاماتء شرم* کا *پردہ* عت
عورتوں کو لائق احترام اور قابل عزت بنانا ۔ اور
_شیاطین_ کی _نظر بازییوں_ سے *حفاظت*۔۔
اور
_غیر اسلامی لباس_ ؟؟
_نمود و نمائش_ کی نیت کیساتھ _انداز کافرانا_
_گریبان چاک_ قمیضیں ۔۔تنگ اور
چھوٹی گھٹنوں سے بھی اوپر ۔۔ _دامن تار تار_
*اوڑھنی* کا _غائب ہوجانا_۔۔ _شلوار کے بناء_
اعضاء جسمانی کی نمائش کیساتھ ۔۔
بےعزت _ماڈلوں_ _اداکاروں_ کی _نقل_ کو
_فیشن_رواج کے نام سے خوب اپنایا جارہا ہے،
جیسے رب العزت نے کوئی ھدایت نازل نہیں کی اور
کھلی آزادی دے دی ہے ۔۔؟؟
افسوس افسوس افسوس
مسلمان عورتوں کی حالت پر کہ
سب کچھ ختم کردیا ۔۔
!۔خواہشات کی پیروی میں ۔۔
*توحید خالص* چھوڑ کر
_شرک_ کا راستہ چن لیا ہے
اپنی _مرضی_اور پسند سے ۔۔!
مگر جو *عقل والے* ہیں
وہی *راست باز* ہیں اور
*کامیاب* ہونگے ۔۔
*ان شاءاللہ
بے شک بھائی
اسلام کی نظر میں عورت قابل احترام ہے، وہ عورت جو دورِ جاہلیت میں بے وقعت تھی، نہ شوہر کی نگاہ میں اس کی کوئی حیثیت تھی، نہ سماج و معاشرہ میں اس کی کوئی عزت و وقار تھا، وہ سجا سنوار کر بازاروں میں دکھائی جاتی تھی اور فروخت کی جاتی تھی،نہ اس کی عزت کا کوئی محافظ تھا نہ اس کی عصمت کا کوئی پاسدار۔
اسلام آیا اس کے لئے ضابطہ ¿ حیات لایا حقوق دیئے اور معاشرے میں عزت کا مقام دیا اور گھر کی زینت قرار دیا۔ دورِ جاہلیت کی تمام ظالمانہ رسموں کا خاتمہ کیا اور شرعی اصول ضوابط کی روشنی دے کر زندگی گزارنے کا سلیقہ دیا، انھیں اصولوں میں سے ایک اصول اسلامی پردہ ہے جو عورت کی عزت و آبرو کا محافظ کو نگہبان ہے۔اگر عورتیں ان قانون پر عمل کرلیں تو ذلت و پستی اور رسوائی سے نکل کر عزت و احترام کی مالکہ بن جائیں۔
اللّٰه سب مائوں بہنوں اور بیٹیوں پر رحم فرمائے اور اپنے دین اسلام پرمکمل عمل کی تو فیق عطا فرمائے آمین
جزاک اللّٰه خیرًا
بیوٹی پارلر کا
حرام کاروبار اور
اسکے اشتہار بند ہونے چاہیے،
جو شریف کو
بےحیائی پر اکساتے اور امتحان میں ڈالتے ہیں..
افسوس
گناہوں کے مواقع
کھلے چھوڑ کر
تبلیغ میں چلے جانا
کونسی عقلمندی ہے..؟
سوچیں کہاں غلطی ہوئی ہے
اب کیا کرنا ہے..؟
تجارت بےحیائی کے
تمام سامان فراہم کر رہی ہے..!
جو سب
اہل اسلام سے تعلق رکھنے والے افراد پر
مشتمل لوگوں کا کاروبار ہے..!
جو
جہیز کے لیئے
تمام سامان فراہم کرکے
اسے
لعنت اور مصیبت
قرار دیتے ہوئے نظر آتے ہیں.
مگر
اپنی تجارت کے انداز نہیں بدلتے
نہ ہی شرماتے ہیں..
باجا ھالوں(شادی) کی تمام تماش بینی
کے ذمے دار ہیں..
استغفراللہ
استغفراللہ
استغفراللہ
کب توبہ کریں اور تبدیلی لائیں
لیکن
میں اور آپ
بدل جائیں.. اہمیت مومن کے لیئے
انعام ﷲ کی رحمتوں کا.. منتظر ہمارے
پلٹنے کا..
وما توفیقی الہ باللہ والسلام
بےحیائی عام ہو چکی ہے
اللہ تعالی کے حکموں کا انکار ہو رہا ہے غیر محرم کے لئے بناو سنگھار تصویریں دیکھانا ہاتھ دیکھانا چہرہ دیکھانا پاؤں دیکھانا (ڈی پی)یہ سب بے حیائی کے کام ہے ان لڑکیوں سے گزارش ہے جو بے حیائی پیھلا رہی ہیں اپنا نہیں تو اپنے ماں باپ کی عزت کا خیال کر لیں اللہ کی بارگاہ میں ہر ہر عمل لکھا جا رہا ہے
اللہ تعالی کا فرمان ہے !!!
33 : سورة الأحزاب 59
اے نبی! اپنی بیویوں سے اور اپنی صاحبزادیوں سے اور مسلمانوں کی عورتوں سے کہہ دو کہ وہ اپنے اوپر اپنی چادریں لٹکا لیا کریں ۔ اس سے بہت جلد ان کی شناخت ہو جایا کرے گی پھر نہ ستائی جائیں گی اور اللہ تعالٰی بخشنے والا مہربان ہے ۔
24 : سورة النور 31
مسلمان عورتوں سے کہو کہ وہ بھی اپنی نگاہیں نیچی رکھیں اور اپنی عصمت میں فرق نہ آنے دیں اور اپنی زینت کو ظاہر نہ کریں سوائے اس کے جو ظاہر ہے اور اپنے گریبانوں پر اپنی اوڑھنیاں ڈالے رہیں اور اپنی آرائش کو کسی کے سامنے ظاہر نہ کریں سوائے
اپنے خاوندوں کے یا اپنے والد یا اپنے خسر کے یا اپنے لڑکوں کے یا اپنے خاوند کے لڑکوں کے یا اپنے بھائیوں کے یا اپنے بھتیجوں کے یا اپنے بھانجوں کے یا اپنے میل جول کی عورتوں کے یا غلاموں کے یا ایسے نوکر چاکر مردوں کے جو شہوت والے نہ ہوں یا ایسے بچوں کے جو عورتوں کے پردے کی باتوں سے مطلع نہیں اور اس طرح زور زور سے پاؤں مار کر نہ چلیں کہ ان کی پوشیدہ زینت معلوم ہو جائے ، اے مسلمانوں! تم سب کے سب اللہ کی جناب میں توبہ کرو تاکہ تم نجات پاؤ ۔
कल तक छोटे कपड़े रैंप पर कैटवाक करती मॉडल्स अपने डिजाइनर्स के कलेक्शन को पेश करने के लिए पहनती थीं, लेकिन आजकल ऐसे कपड़े आम शहरी लड़कियाँ भी पहन रही हैं।
' जो दिखता है, वही बिकता है'
इसी की तर्ज पर अब लड़कियाँ भी '**बिंदास बाला' **की छवि में खुद को ढालती जा रही हैं और बेझिझक अपने मांसल सौंदर्य का प्रदर्शन कर लोगों की वाहवाही बटोर रही हैं।
छोटे कपड़े पहनकर अपने बदन की सुंदरता का प्रदर्शन करना युवा लड़कियों के लिए अब एक फैशन बन गया है। जिसका जिस्म जितना अधिक आएगा उसे लोग उतना ही खूबसूरत व सेक्सी कहेंगे। अब लड़कियों के लिए 'सेक्सी' संबोधन एक अपशब्द नहीं बल्कि खूबसूरती का पैमाना बन गया है।
*** ग्लैमर का प्रभाव **:-
फैशन शो, फिल्मी अभिनेत्रियों के कपड़े आदि सभी युवा लड़कियों को ग्लैमर के रंग में ढाल रहे हैं। कल तक मल्लिका शेरावत व राखी सावंत के छोटे कपड़े दर्शकों को आँखे मूँदने पर मजबूर करते थे लेकिनु आज सबसे ज्यादा माँग इन्हीं बिंदास अदाकाराओं की है।
मुंबई की मायानगरी से निकलकर ग्लैमरस कपड़ों का फैशन बड़े-बड़े महानगरों तक पहुँचता जा रहा है, जहाँ शोरूम में सजने के बाद सर्वाधिक बिक्री उन्हीं कपड़ों की होती है जिनकी लंबाई कम व लुक ट्रेंडी होता है।
यही नहीं महानगरों के नामी स्कूलों, कॉलेजों, एयर होस्टेस एकेडमी आदि का ड्रेस कोड ही मिनी स्कर्ट-टॉप व फ्रॉक बन गए हैं।
कल तक घर-गृहस्थी संभालने वाली लड़कियाँ भी अब फैशन शो व सौंदर्य प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं और नए फैशनेबल वस्त्रों के अनुरूप अपने बदन को ढाल रही हैं।
*** मैं बड़ी हो गई हूँ** :-
अब जब माँ अपनी बेटी को सलवार-कमीज पहनने का कहती है तो बेटी शान से कहती है कि 'माँ, अब तुम भी बदल जाओ। आज तो स्कर्ट व कैप्री का दौर है। सलवार-कमीज तो गाँव की लड़कियाँ पहनती हैं।'
बुद्धि से बच्चे भले ही बड़े न हों, पर पहनावे से आजकल की लड़कियां अपनी उम्र से बहुत अधिक बड़ी हो गई हैं। यह सब बदलते दौर की '**फैशन' **का असर है जिसने भारतीय संस्कृति की छाप को मिटाकर सिर से आँचल व पैरों से पायल को लुप्त कर दिया है।
*** यही तो फैशन है :-**
आजकल का फैशन ही शार्ट स्कर्ट, शार्ट फ्रॉक्स आदि हैं। जो फैशन बाजार में दिखता है, वही बिकता है। इसी तर्ज पर आज छोटे कपड़े युवतियों की पहली पसंद बन गए हैं।
भला जिस आने वाली नसल की रहनुमाई रिया सेन, किम शर्मा व राखी सावंत जैसी अभिनेत्रियाँ करें उस दौर की लड़कियां पूरे जिस्म को ढँकने वाले लंबे कपड़े कैसे पहन सकती हैं?
Apne bahno ke liye khas Paigham ise Jarur padhe.
कुछ नादान हव्वा की बेटीया आग मे जल गई जिम्मेदार कौन ?
चश्मदीद वाक्या जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएगे, कलेजा फट जाएगा, आंखो से चिंगारीया उडने लगेगी, 10 नवम्बर सुबह का वक्त जब एक शख्स मेरे पास आया और उसकी जुबान से सलाम के अलफाज अदा हुए,
उसके बाद उसकी आंखे अश्कबार हो गई, वो लडखडाती जुबान से हजार कोशिश के बावजूद अपनी बात कहने से कासिर हो रहा था, मेने तसल्ली दी और पुछा के क्या मुसीबत आ गई है?
तो उसने कहा के मेरी बच्ची स्कूल गई थी वही से गायब हो गई है वो कल से गायब है, इस वक्त तकरीबन चौबीस घंटे हो गए है अभी तक वापिस नही आई।
उस लडकी की उम्र तकरीबन 14 से 15 साल के बीच मे है, लडकी खुबसूरत है, मोहल्ले वालो के कहने के मुताबिक उस लडकी के साथ फरेब किया गया, ये लडकी शरीफ थी, कभी इसके अंदर हम लोगो ने बदतमीजी, गलत हरकत वाली, बुरे चाल चलन की कोई बात नही देखी, बडे अफसोस की बात है, ये लडकी हिन्दू लडके के साथ फरार हो गई, इस लडकी को अपने मुस्तकबिल के बारे मे कुछ भी इल्म नही है, के मेरे साथ किस तरह का सुलूक किया जाएगा, पुलिस चौकी मे केस दर्ज हो गया है, पुलिस तलाश मे मसरूफ है लेकिन लापरवाही के साथ।
इसलिए आज 14 तारीख हो गई, लेकिन अभी तक लडकी का कोई सुराग नही मिला है। अभी इस बुरी खबर से दिल उदास था ही केस एक साहब ने कहा के एक हफ्ता पहले एक नेक शख्स की 17 साल की लडकी जो स्कूल जाती थी वो भी हिन्दू लडके के साथ फरार हो गई है, उसका केस भी दर्ज हुआ है लेकिन अभी तक कोई सुराग नही मिला है।
पुलिस चौकी से वापसी पर एक मौलाना साहब से मुलाकात हो गई, सलाम दुआ के बाद मेने तजकीरा किया के मोहतरम ये हादसा एक हफ्ते मे दो बार हो गया है इसके रोकथाम के लिए क्या तरीका इख्तियार करना चाहिए?
मौलाना ने कहा के मेरे इल्म मे दो माह के अंदर आठ से दस मुस्लिम लडकिया हिन्दू लडको के साथ फरार हो गई है। ये सब प्लानिंग के जरिए गायब की जा रही है, मेने कहा मौलाना क्या ये सच है या आप कोई कहानी सुना रहे है? उन्होने कहा ये हकीकत है कोई किस्सा कहानी नही है।
मेने कहा के मौलाना हमने सोशल मिडिया पर इस तरह की तहरीर पढी है के एक खबीस गिरोह से ताल्लुक रखने वाले मुस्लिम लडकियो को अपने प्यार मे फंसाकर उनकी इज्जतो को तार तार करके किसी लडकी को बेच देते है, जहा ये बजारो मे दूसरो के बिस्तरो की जीनत बनती है।
इनकी जिंदगी का हर लम्हा गमो, सिसकियो, आंसू के सैलाब मे गुजरता है, हर सुबह उनकी बद से बदतरीन होती जाती है, उनके आंसू पर कोई तरस खाने वाला नही होता है, कोठे मे इंसान की शक्ल मे शैतान जाते है उन्हे अपनी हवस पुरी करना होता है, ये ख्वाहिशात मे अंधे होते है उन्हे किसी की चीख पुकार सुनाई नही देती है। ये खबीस गिरोह वाले किसी लडकी के साथ कुछ दिनो तक उसकी इज्जत से खेलते है, उसके बाद जब वो प्रेग्नेंट हो जाती है तो उसे उसके हाल पर छोड देते है, ये अब ना अपने घर आ सकती है और ना ही कही इज्जत की जिंदगी गुजार सकती है, आखिर मे ये भी कोठो के हवाले हो जाती है।
सब व रोज के अंथक कोशिशो के बावजूद सेकडो मे दो चार लडकिया मिल जाती है लेकिन इतनी देर हो जाती है उनकी इज्जत हमेशा के लिए दागदार हो जाती है, और उनकी कहानी बडी खौफनाक होती है। अक्सर लडकिया जो इन दरिन्दो का शिकार बनती है, वो भोली भाली, सादा दिल, दरिन्दो की दुनिया के फरेब से अंजान होती है।
जरूरत इस बात की है कि हर मुसलमान जो अपनी लाडली को बेहतर तालीम दिलाने के ख्वाहिशमंद है, उसे चाहिए के अपनी बेटी को स्कूल के आने जाने के वक्त पर ध्यान दे, बगैर वालिदेन की हमराही के अपनी बेटी को स्कूलो मे भेजना उनपर जुल्म है, बगैर सरपरस्त के बालिग लडकियो को स्कूल कालेज भेजना गोया के उन्हे अपने हाथो से आग मे डालना है।
अक्सर स्कूल कालेज की लडकिया आसानी से उन शैतानी दरिन्दो के शिकंजे मे खिंचती चली जाती है, इसके अलावा दुसरी लडकिया भी इनके हवस का शिकार होती है लेकिन स्कूल कालेज के बानिस्बत उनकी तादाद आटे मे नमक के बराबर है।
इस तहरीर को भेजना का मकसद ये है कि शहरो मे रहने वाले मुसलमानो के साथ ये मसला बहुत अहम है, इसलिये के शहरी लोग अपनी बेटियो को मौजूदा दौर मे कम से कम दसवी क्लास तक स्कूली तालीम हासिल कराते है, और जिन लडकियो का मेने तहरीर मे जिक्र किया है वो भी नवी क्लास की स्टूडेंट थी जो हिन्दू लडको के साथ चली गई है।
आप लोग कभी इस खुशफहमी मे ना रहे के दीन से दुर रहने वाली लडकिया रही होगी, बिल्कुल नही, नमाज को अदा करने वाली, और कुरान पाक पढती हुई थी, उन्हे इस बात का पुरी तरह इल्म था, मे मुसलमान हु, और मुसलमान घराने से मेरा ताल्लुक है, हां
उन्हे इस बात का इल्म ना हुआ के मेरे साथ बहुत बडा धोका किया जा रहा है, के लडका जो मुझसे मुहब्बत का इजहार करता है, ये किसी से पैसा लेकर ये काम कर सकता है, और एक आलिम स ग्रुप है और वो मुस्लिम लडकियो को फंसाते है कुछ दिनो के लिए गायब हो जाते है।
मौलाना के मुताबिक जो लडकिया वापस आई है उनके साथ फरेब करने वालो के उपर कोई केस दर्ज नही हुआ है,
इन बातो को मद्देनजर रखते हुए मुसलमानो की ये जिम्मेदारी है कि वो अपनी बेटियो की हिफाजत खुद करे, और जहा तक हो सके अपनी इसलामी भाईयो के बहन बेटियो की इज्जत आबरू की हिफाजत के खातिर अपना जान माल वक्त खर्च करे।
ये वाक्या मुम्बई मे पेश आया है, नाम, पता इसलिये छिपाया गया है कि किसी की दिल अजारी ना हो, और दुसरे हजरात इस खबर को पढकर अपनी बच्चीयो की निगरानी करे और अपने अजीज करीब रिश्तेदारो के बच्चीयो की इज्जत को दाग लग जाए इससे पहले उन्हे भी आगाह करे.